सूर्य के परिणाम धनु लग्न के अलग अलग भावों में
धनु लग्न की कुंडली
धनु लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ जातक की कुंडली देखते ही कहा जाता हैं की जातक बहुत भाग्यवान है
- जातक का भाग्य जातक का साथ सदैव देता मिलेगा
- सूर्य देव यहाँ जातक के व्यक्तित्व के लिए बहुत अच्छा होगा, जातक बहुत निडर/दबंग होगा
- जातक पिता की देख-भाल करने वाला होगा
- जातक धर्म को मानने वाला होगा, धार्मिक यात्रा करने वाला होगा
- सूर्य देव यहाँ पार्टनरशिप/साझेदारी के लिए भी काफी अच्छे होंगे
- रोजी-रोजगार के भी नित्य नए रस्ते खोल कर सूरज की दशा-अन्तर्दशा सदैव लाभ देती ही मिलेगी
- जातक कोई भी काम करना चाहेगा तो सूरज की दशा अन्तर्दशा उसे सदैव लाभ देती मिलेगी
धनु लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ सदैव धन का आगमन करवाते रहेंगे
- परिवार सदैव उस जातक का साथ देता रहेगा
- जातक की वाणी अनावश्यक रूप से उग्र होगी, जातक उग्र वाणी बोलेगा क्योंकि कहीं न कहीं सूरज में एक एग्रेसिव तत्त्व भी है, एक विभाजक परवर्ती भी है सूर्य देव में
- सूर्य देव यहाँ जातक की बाधाओं को दूर करेंगे
- जातक अपने परिश्रम और मेहनत से अपने कर्म गति को सुधार कर के अपने दुख कलेशों को दूर कर लेगा
- जातक जरूरत से ज्यादा भाग दौड़ कर के और अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद ले कर के भी अपनी बहुत सारी मुश्किलों से फारिग/मुक्त हो जाएगा
- जातक के बिगड़ते बिगड़ते काम भी सूरज की दशा अंतरा में बनने का रास्ता जरूर ढूंड लेंगे
- कुल मिला कर अष्टम भाव सम्बन्धी भी पूरण सकारात्मक परिणाम सूर्य देव देते मिलेंगे
धनु लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देवता छोटे भाई-बहन का योग बनाते है
- जातक को मेहनती बनाते है
- जातक जितनी भाग-दौड़ करता है उतने परिणाम सूरज देवता उसे अवश्य देते हैं, जातक का परिश्रम और मेहनत किया हुआ उसके लिए कहीं न कहीं लाभान्वित जरूर होता है लेकिन वो होता खपने के बाद ही है, किसी का दो जगह जा कर काम बनता है तो किसी का दस जगह धक्के खाने के बाद काम होता है
- तीसरे भाव का सूरज जातक को धक्के खिलाने के बाद ही काम बनने देगा क्योंकि वो मेहनत के घर में बैठ गया है और वहां वो बढ़ोतरी करेगा
- सूर्य देव यहाँ छोटी मोटी यात्राएं भी अवश्य करवाएँगे, यहाँ तक की नवं भाव पर दृष्टि डाल कर विदेश यात्रा भी करवा सकते है, धार्मिक यात्रा भी होती है जातक की
- सूर्य देव यहाँ तीसरे और नवं भाव समबंधी भी सकारात्मक परिणाम देंगे
- परन्तु सूर्य देव को यहाँ बल देना मेहनत बढ़ा देगा, छोटे भाई-बहन के प्रति लगाव बढ़ा देगा, छोटी मोटी यात्राएं बढ़ा देगा, जातक खपने की कगार पर आजेगा और सारे परिणाम नकारात्मक होंगे
धनु लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम:
त्रिकोण के स्वामी केंद्र में आगये , बहुत ज्यादा शुभफलकारी होंगे
- माता के लिए बहुत ज्यादा अच्छे हो जाते हैं यहाँ सूर्य देव
- गाडी, भूमि, वाहन, मकान सारी सुख सुविधा लेने में सूरज की दशा अन्तर्दशा आपको सदैव लाभान्वित करती ही मिलेगी
- सूरज की दशा अन्तर में आप विदेश यात्रा भी कर पाएँगे यानी अपनी मात्र भूमि से दूर भी जा सकते हैं
- अगर आपका मकान बनने वाला है, आपकी गाडी लेने वाली है, आपकी प्रॉपर्टी लेने वाली है तो सूरज की दशा-अंतरा सदैव आपको मदद करती मिलेगी क्योंकि वो योग कारक ग्रह है और चौथे भाव सम्बन्धी सारे लाभ देने में आपको सक्षम अवश्य कर देगी
- काम-काज में वृद्धि/इजाफा होना, काम-काज का नया रास्ता खुलना, काम-काज में सकारात्मकता होना, अगर जातक नौकरी करता है तो उसमें उन्हें पदोन्नति का योग बनता है, रुका हुआ काम भी सूरज की दशा-अंतरा में चलने का रास्ता अवश्य ढूंड लेते है
- दशम भाव सम्बन्धी भी पूर्णत लाभ मिलेगा और सूरज देवता जातक को कर्मशील कर के जातक की भाग-दौड़ के परिणाम देने में सदैव सक्षम होते हैं
- अगर सूरज देवता में बला-बल हुआ तो वो चोतार्फा लाभ देंगे, चोथे और दशम भाव सम्बंधित पूरण लाभ देंगे
- यहाँ सूर्य देव जातक के पिता को भी लाभान्वित अवश्य करते हैं
धनु लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव त्रिकोण का स्वामी हो कर त्रिकोण में बैठें है और यहाँ वे उच्च के हो जाते हैं सो बहुत अच्छे फल देंगे
- पुत्र प्राप्ति का योग बना कर संतान सुख से परिपूर्ण करेंगे, संतान से सुखद समाचार मिलने का योग भी बनता है
- दशा-अन्तर्दशा में अनिश्चित लाभ देंगे
- लव रोमांस में कामयाबी देंगे
- यहाँ सूर्य देव जातक को मानसिक रूप से तथा उसकी इच्छा शक्ति को भी मजबूत करते हैं
- जातक के व्यक्तित्व का उग्र होना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है क्योंकि उसकी बुद्धि पर उसके मन पर सूरज देवता का आना जातक को एक एग्रेसिव व्यक्तित्व बना देता है और वैसे भी धनु लग्न की कुंडली एक उग्र लग्न की कुंडली मानी जाती है
- धन की कमी सूरज की दशा अंतरा में जातक को कभी नहीं आती, धन का आगमन कहीं न कहीं से होता रहता है
- बड़े भाई-बहन का पूरण सहयोग मिलता है
- जातक की कोई भी इच्छा पूरी करने में ये सूर्य देव सदैव उसकी सहयता करते ही मिलते हैं
- जातक को अगर कोई छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो तो सूर्य देव की दृष्टि वो समस्या उसकी दूर जरूर कर देते हैं सूरज देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में
धनु लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा, कोर्ट-केस, प्रतियोगिता और नौकरी के भाव में कभी भी अपनी दशा अंतरा में अच्छा फल नहीं देंगे, ये दशा-महादशा सदैव आपको कष्टकारी होगी
- कोर्ट केस-मुकदमे, लड़ाई-झगडे, कर्जे में फंसा कर के मुश्किलें दे कर के आपके जीवन यापन की दिकत्तों में कई गुना बढ़ोतरी करते मिलेंगे यहाँ सूर्य देव
- फ़िज़ूल के व्य, विदेश यात्रा और अस्पताल के खर्चे भी होंगे
- पति-पत्नी के निजी संबंधों में भी दिक्कत परेशानियां आएंगी
- यहाँ तक की आप का व्य का हिस्साब किताब इतना बिगड़ जाएगा की आपको ये समझ नहीं आएगा की में जितना कमाता हूँ उससे ज्यादा खर्चे मेरे लिए हमेशा तयार ही मिलते हैं
- छटे भाव सम्बन्धी भी पूरणता नकारात्मक परिणाम मिलेंगे और बाहरवें भाव सम्बन्धी भी पूरणता अशुभता के परिणाम ही मिलेनेग
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धनु लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ विवाह के बाद काम-काज में वृद्धि-उन्नति होने का योग बनता है
- पत्नी के घर में आने से सौभाग्य का माहोल बनता है
- विभाजक प्रवृत्ति होने के बावजूद सूर्य देव यहाँ भाग्य के स्वामी हैं और कुंडली के अति योग कारक ग्रह हैं इसलिए पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता ला देंगे
- साझेदारी-पार्टनरशिप में भी हमेशा लाभ देंगे और रोजी-रोजगार के भी नए-नए रस्ते खोल कर जातक को हमेशा पूर्ण लाभ देते ही मिलने
- सूर्य देव यहाँ सदैव जातक के व्यक्तित्व या शख्सियत में लाभ देंगे, जातक निडर/दिलेर व्यक्तित्व का स्वामी होगा
- जातक उच्च पद पर आसीन अधिकारीयों से अच्छी जान पहचान अच्छे सम्बन्ध रखता होगा
- लगन भाव से भी पूरणता सकारात्मक परिणाम लेने में सूरज देवता बाध्य हो जाएँगे
धनु लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव के होने से भाग्य कभी जातक का साथ नहीं देने वाला
- जातक के हर काम में बाधाएं-रूकावट, तनाव दिक्कत-परेशानियों और देरी बनी रहती हैं और हमेशा खड़ी होती है
- सूरज की दशा अंतरा में बनते-बनते काम भी बिगड़ने की कगार पर आजाते हैं
- हर काम जरूरत से ज्यादा खपने और भागने दौड़ने के बाद होता है
- यहाँ सूरज देव सिवा मुश्किलों के कुछ भी नहीं देते तथा अपनी दशा-अंतरा में मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं, जातक को समझ नहीं आता की मेरे इतना ज्यदा परिश्रम-मेहनत करने के बाद भी उचित परिणामों में इतनी बड़ी कमी क्यों है
- धन का आभाव सदा बना रहता है
- दूसरे भाव सम्बन्धी साड़ी परेशानियां देते हैं सूर्यदेव क्योंकि पहले ही ये घर शनि देव का है और शनि देव वैसे ही क्रूरता के ग्रह माने जाते हैं, सूर्य की दृष्टि यहाँ और दिक्कत-परेशानियां देगी
- परिवार पूरणता साथ कभी नहीं देता है
- यहाँ सूर्य देव को बल देना मृत्यु तुल्य कष्ट देता है
धनु लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव जातक को बहुत भाग्यशाली बनाते हैं
- जातक जिस काम को भी करने की ठानेगा वो जिस काम को भी करने के लिए प्रयास और मेहनत करेगा उसका सकारात्मक परिणाम उसे पूरणता अवश्य मिलेगा
- भाग्य का साथ होना कुंडली को एक मजबूत स्थिति में ले कर आता है और जातक के उत्थान में सदैव मददगार सिद्ध होता है
- जातक पिता की देख-भाल करने वाला और धर्म को मानने वाला होगा
- जातक को परमात्मा में आस्था रखने में भी सूर्य देव एक बहुत बड़ी भूमिका निम्भाते हैं
- जातक प्रभु पर पूरण आस्था रखता है और इसी वजह से प्रभु भी उस पर पूरण कृपा दृष्टि हमेशा बनाये रखते हैं
- सूरज देवता यहाँ विदेश यात्रा भी करवाते है, जातक धार्मिक विदेश यात्रा भी अक्सर करता देखा गया है
- छोटे भाई-बहनों का पूरण सहयोग उसे अवश्य मिलता है
- सूर्य देव यहाँ पर जातक को मेहनती बनाते है
- जातक की छोटी-मोटी यात्राएं भी होती हैं
- जातक मेहनत और भाग-दौड़ जितनी करता है सूरज की दशा-अंतरा में उसे उतने ही सकारात्मक परिणाम भी मिलते हैं
- सूरज देवता इस लग्न कुंडली में सदैव शुभ फलकारी माने जाते हैं
- नवम और तृतीय भाव सम्बन्धी सदैव सारे शुभता के परिणाम मिलते हैं
धनु लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव को दिशाबल मिलता है, त्रिकोण का स्वामी केंद्र में आ जाने से और भी ज्यादा शुभफलकारी होता है
- दशा-अन्तर्दशा में काम-काज में बहुत ज्यादा लाभ देते हैं
- अगर जातक नौकरी के लिए किसी प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने वाला होगा उसमें आवेदन किया होगा तो उसका राजपत्रित पद पर जाने का योग भी बनता है
- सूर्य देव यहाँ काम-काज में नया रास्ता खोलते है, काम-काज की वृद्धि और बढ़ोतरी होने का योग बनाते है
- सूरज देव दशम भाव सम्बन्धी पूरण लाभ देते हैं और जातक को मेहनती और कर्मशील भी बनाते हैं
- माता के लिए शुभ हो गए
- गाडी, भूमि, वाहन, मकान अगर जातक का लेने वाला हुआ तो सूरज की दशा अन्तर्दशा सदैव उसे लाभान्वित करती है क्योंकि सूरज एक योगकारक ग्रह है
- चोथे और दशम भाव सम्बन्धी सारे शुभता के सकारात्मक परिणाम ही देंगे सूर्य देव
- सुख सुविधाओं में इजाफा करने में ये सूरज देवता सदैव आपको सुअवसर और लाभ देते ही मिलते हैं
धनु लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
सूर्य देव यहाँ नीच के हो जाते हैं
नीच अवस्था में अगर आपका भाग्य आगया तो सूरज की यही अंतर-दशा और महादशा कष्टों और दिक्कत-परेशानियों से आपके जीवन की अटकलों में कई गुना बढ़ोतरी करके आपका जीवन यापन मुश्किलों से भरते मिलेंगे
- यहाँ नीचता में आने से सूरज की दशा अन्तर्दशा जब भी चलेगी बड़े भाई-बहनों से कलेश होगा, धन का आभाव सदा बना रहेगा, इच्छा पूर्ती जो भी जातक करेगा वो जल्दी पूरण कभी नहीं होने वाली उसके लिए बहुत ज्यादा खपना पड़ेगा
- जातक के स्वास्थ्य में छोटी-मोटी परेशानियां लगी ही रहेंगी
- जातक की मानसिक शांति भंग ही रक्खेंगे यहाँ सूरज देवता
- संतान को और संतान से भी कष्ट आने का योग बनता है, संतान से दिक्कत-परेशानी बनी ही रहती हैं
- पेट सम्बन्धी दिक्कतें बनी रहती हैं
- लव-रोमांस में नकामयाबी होने का योग बनता है
- अनिश्चित हानि होती अहि
- जातक मानसिक रूप से उग्र रहता है
- जातक को हर तरफ से दिक्कत परेशानी ही होती हैं
- ग्याहरवें भाव और पंचम भाव सम्बन्धी भी पूर्ण रूप से नकारात्मक और अशुभता के परिणाम देते है सूर्य देव
- यहाँ सूर्य देव की अवस्था देखे बिना माणिक्य किसी कीमत पर धारण नहीं किया जाना चाहिए
धनु लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूरज देवता सदैव कष्टकारी होंगे, सदैव दिक्कत परेशानी देते मिलंगे
- फ़िज़ूल के खर्चे होंगे
- मानसिक अशांति बनी रहती है
- अस्पताल के खर्चे लगे ही रहते हैं
- अगर सूरज देवता पर कोई भी पाप प्रभाव हुआ तो जातक की जेल यात्रा तक भी करवा देते है
- रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा और प्रतियोगिताएं में असफलता देकर जातक का जीवन यापन दूभर कर देंगे सूरज देवता
- सूर्य का यहाँ बलि होना बीमारियाँ को विकसित कर देंगे जिनका पता जल्दी नहीं लग पाता है
- दुर्घटना होने का योग भी सूरज देवता यहाँ बना देते हैं
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
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