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सूर्य (५) के परिणाम सिंह लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H5 - 12012018

सूर्य के परिणाम सिंह लग्न के अलग अलग भावों में




सिंह लग्न की कुंडली 



सिंह लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्यदेव अपनी स्वः राशी के बैठे हों तो अपने आप में बहुत अच्छा बना योग देते हैं
  • इंसान के व्यक्तित्व को बहुत रौबदार और निर्भीक बनाते है
  • परन्तु यहाँ सूर्य देव का एक नकारात्मक पहलू भी होता है, वो इंसान को जिद्दी भी बनाते है
  • सूर्य देवता लगन के प्रति यानी जातक के व्यक्तित्व, उसकी परवर्ती और आचरण को आक्रामक जरूर रक्खेंगे
  • चूँकि सूर्य एक अग्नि तत्त्व ग्रह है और अग्नि राशी में आ गये है तो जातक काफी सामर्थ्यवान और क्षमतावान होता है, लेकिन वो सामर्थ्य और क्षमता स्थायी होकर परिणाम देने के काबिल तभी होता है जब बाकी ग्रह भी उसको सामर्थ्यवान बनाने में सहायक हों
  • इंसान का व्यक्तित्व ऐसा होता है की वो हमेशा अपनी बातें मनवाने की काबलियत रखता है
  • जातक इतना जिद्दी होता है की हर कार्य को पूर्ण कर के ही सांस लेता है, काम भाग-भाग कर करने की इच्छा होती है उसकी, कार्य करने से वो कभी पीछे नहीं हटता
  • दांपत्य-सुख, साझेदारी और रोजी-रोजगार में भी सूर्य-देव लाभ ही देंगे
  • सूर्य देव लगन में पड़े हुए सदैव अच्छा फल देते हैं, क्योंकि योग कारक ग्रह हैं और अच्छी जगह विराजमान हैं

सिंह लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य-देव दूसरे भाव में वृद्धि कर के अच्छा फल देंगे, सूर्य की दशा-अन्तर्दशा सदैव उस जातक को सकारात्मक परिणाम देगी
  • जातक का परिवार और अपने घर से बहुत ज्यादा लगाव रहता है, और जातक मन से इसको मानता भी है
  • परिवार सदैव जातक का साथ देने वाला होगा
  • सूर्य देव इंसान को धन की कमी कभी नहीं आने देते
  • पर चूँकि सूर्य-देव एक अग्नि तत्त्व ग्रह हैं, तो दूसरे भाव में बैठने से जातक की वाणी को कहीं न कहीं उग्र जरूर कर देते हैं, अपना स्वभाव कोई ग्रह नहीं छोड़ सकता ...सूर्य-देव में क्रूरता है, और अगर वो कंठ पर बैठेंगे तो क्रूरता ले कर जरूर आएँगे, वाणी इंसान की कहीं न कहीं गड़बड़ जरूर कर देंगे
  • सूर्य देव को यहाँ बलि होना जातक की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है और जातक के परिवार पर उसका असर सकारात्मक रहेगा
  • जातक अपनी मेहनत से अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर कर लेता है, भाग-दौड़ कर के मुश्किलों को दूर करने की क़ाबलियत जातक स्वयं अपने आप में विकसित कर लेता है
  • जातक गूढ़-रहस्यों या गुप्त-ज्ञान जानने का इच्छुक रहता है
  • ससुराल पक्ष से भी उसे लाभ मिलता है
  • वो जातक जल्दी तनाव या अवसाद में नहीं आता क्योंकि आठवें भाव से सम्बंधित भी सारे सकारात्मक परिणाम जातक को अवश्य मिलते हैं
  • दूसरे भाव में पड़ा हुआ सूर्य देव भी सदा सकारात्मक परिणाम देते है

सिंह लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ नीच के हो गए और यहाँ वो कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, नीच के सूर्य अति मारक बन जाएँगे और अपनी दशा-अंतरा में जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट जरूर देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • जातक का व्यवहार नकारात्मक होगा, उसका व्यक्तित्व काफी चिडचिडा एवं उत्तेजक होगा क्योंकि पराक्रम में नीच हुए सूर्यदेव यहाँ और गड़बड़ करेंगे
  • दशा-अन्तर्दशा सदैव कष्टकारी होगी

सिंह लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक का अपनी माता से काफी लगाव होगा
  • जातक - घर, गाडी-वाहन, भूमि, मकान सब कुछ ले कर पैदा होगा, जीवन की सारी सुख-सुविधाओं और ऐश्वर्य/विलासिता से जातक संपन्न जरूर होगा
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम-काज सम्बंधित भी बहुत अच्छा फल मिलने वाले है, काम-काज में वृद्धि हो कर काम-काज में नया रास्ता खुलने का योग भी बनता है
  • सूर्य की दशम भाव पर दृष्टि पूरणता सकारात्मक मानी जाएगी और रोजी-रोजगार का नया रास्ता खोल कर काम-काज में भी बढ़ोतरी करती ही मिलेगी
  • अगर सूर्य देव में बला-बल अच्छा हुआ तो जातक को सरकारी नौकरी दिलवाने की क़ाबलियत भी सूर्य देव अपने आप में जरूर रखता है, सरकारी विभाग में नौकरी के लिए कोशिश करने पर जातक को सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलता है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देना और ज्यादा आवश्यक हो जाता है क्योंकि सूर्य एक अग्नि-कारक ग्रह हैं और जल राशी में चले गए हैं जिससे उसका बल कहीं न कहीं क्षीण जरूर होता है

सिंह लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ बहुत अच्छा परिणाम देते हैं
  • अग्नि तत्त्व राशी में अग्नि तत्त्व ग्रह आने से पुत्र प्राप्ति का योग निश्चित है
  • जातक मानसिक तौर पर काफी मजबूत, आक्रमक और उत्तेजित परवर्ती का होगा, कारण ये है की सूर्यदेव एक आक्रमक या गरम तत्त्व का ग्रह मन जाता है जिसकी वजह से दिमाग या मन का आक्रामक होना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
  • सूर्य देव यहाँ जातक को बहुत ज्यादा बुद्धिमान, ज्ञानवान और सूझवान बनता है
  • जातक की इच्छा-शक्ति और स्मरण-शक्ति काफी मजबूत होती है
  • इंसान हर काम अपनी बुद्धि से सोच समझ कर करता है
  • प्रेम-प्रसंग में कामयाबी मिलना तय है
  • जातक को अनिश्चित लाभ जरूर देंगे सूर्यदेव
  • जातक का पेट काफी मजबूत होगा, पेट सम्बन्धी परेशानियां उसको जल्दी नहीं आने वाली
  • ग्याहरवें भाव पर दृष्टि से लाभ और पैसा कहीं न कहीं से अर्जित होता रहेगा, सूर्य देव यहाँ सकारात्मक और सदैव अच्छा फल देने वाले हो गए, धन का आगमन रुकने वाला नहीं है
  • बड़े भाई बहनों से लाभ अवश्य होगा
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां अगर आएंगी तो सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में वो चली अवश्य जाएंगी
  • सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में पूरणता सकारात्मक परिणाम देंगे

सिंह लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक को सदैव कष्ट देते मिलेंगे
  • सूर्य देव को यहाँ मजबूत करने से रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा सक्रीय हो जाएँगे और कलह कलेश आपके सर के ऊपर तांडव करने लगेगी... क्योंकि अग्नितत्व ग्रह है और उसके पास असीमित उर्जा है परन्तु ये कलेश का घर है और यहाँ सूर्य देव अति मारक हो जाते हैं
  • एक फायदा सिर्फ ये होगा की प्रतियोगिताओं में जातक को सफलता मिल सकती है और कहीं न कहीं कोई अच्छा पद जातक को जरूर दिलवा देंगे सूर्य देव
  • जब भी सूर्य की दशा-अन्तर्दशा चलेगी, कलह-कलेश होना तय है
  • फ़िज़ूल का व्यय होगा, सूरज की दशा-अंतरा में जातक से खर्चे ही नहीं संभाले जाते
  • छोटी-मोटी बीमारी होना भी निश्चित है यानी अस्पताल का खर्चा होता रहेगा
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती है
  • विदेश जा कर स्थापित होने का योग भी बनता है
  • और जातक की मानसिक शांति भी सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में भंग रहती है
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सिंह लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ बहुत अछे हो गए
  • जब भी किसी कुंडली में लग्नेश लग्न को देखता है तो वो कुंडली को कहीं न कहीं एक बल देता है और कुंडली सामान्य से ज्यादा अच्छी हो जाती है
  • साझेदारी के लिए अच्छा हो गया
  • दांपत्य-सुख के लिए भी सूर्य देव यहाँ अच्छे परिणाम देंगे, हालाँकि विभाजक परवर्ती है सूर्य देव की लेकिन कुंडली का कारक ग्रह है... सो अच्छा फल देंगे
  • कुल मिला कर सूर्य देव सप्तम भाव से सम्बंधित - दांपत्य सुखसाझेदारी और रोजी-रोजगार में सहायक सिद्ध होंगे
  • रोजी-रोजगार के नित्य नए रस्ते जातक ढूंढ ही लेता है और उसे नित्य नए रस्ते मिलते ही रहते
  • जातक एक निडर, सूझवान और आक्रमक परवर्ती का स्वामी होगा और सूर्य देव यहाँ जातक को अच्छे परिणाम देंगे

सिंह लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ कुंडली में सबसे बुरे सूर्य देव ही बन जाएंगे, सूरज की दशा अन्तर्दशा जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट देगी
  • जब उसकी दशा अन्तर्दशा चलेगी कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, जातक को कोडी-कोडी के लिए मोहताज करेंगे
  • जातक के जीवन में बाधाएं और तनाव इतना बढ़ा देंगे की वो सोचना शरू कर देता है की इससे तो मेरा न होना ही अच्छा होता
  • जातक की मानसिक अशांति बनी रहेंगी, हर काम देरी से होगा और बनता-बनता काम बिगड़ेगा
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां लगी रहेंगी
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा 
  • परिवार कभी पूर्णता जातक का साथ नहीं देगा
  • वाणी को उग्र करना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक कुछ ऐसी बातें बोल जाएगा जो सुनने वाले कभी किसी कीमत पर पसंद नहीं करते
  • धन, कुटुंब वाणी पर दृष्टि से नुक्सान करना तय है उनका, क्योंकि बुरे भाव से दृष्टि दाल रहे हैं

सिंह लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव यहाँ बहुत अछे हो गए, क्योंकि त्रिकोण का स्वामी त्रिकोण में आकर उच्च का हो गया
  • जातक बहुत भाग्यशाली होगा, क्योंकि भाग्य में सूर्य देव उच्च के हुए हैं
  • जातक भाग्य के आसरे ही जीवन में बहुत अच्छी तरक्की कर लेता है
  • सूर्य की दशा अन्तर्दशा में उसे विशेष लाभ मिलता है
  • वो धर्म को मानने वाला होता है
  • विदेश यात्रा भी करता है
  • पिता की सेवा और देख-भाल करने वाला होता है
  • ऐसा जातक जिद में आकर - धर्म से यानी परमात्मा तक से लड़ाई कर लेता है ... की हे प्रभु ये आप मुझे दोगे तो में ये पाठ करूँगा ये तो आपको देना ही है... क्योंकि वो धर्म को मानने का घर है और सूर्य देव वहां उच्च के हो गए, इसलिए बहुत अच्छा परिणाम देंगे
  • जातक को शोध-अनुसंधान आदि में काफी रूचि होगी
  • छोटे भाई बहनों से सहयोग जातक को मिलता रहेगा
  • सूर्य की दशा-अन्तर्दशा जातक से मेहनत भी करवाएगी अवं जातक के बाहू-बल में भी बढ़ोतरी करेगी
  • मेहनत और छोटी-मोटी यात्राएं सफल भी अवश्य रहेगी
  • तीसरे भाव सम्बन्धी भी सारे सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और जातक स्वयं भी कठोर-परिश्रम करने से नहीं घबराएगा
  • कठोर-परिश्रम कर के जातक अपना जीवन यापन आसान करने में सक्षम जरूर बन जाएगा

सिंह लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव बहुत अच्छा फल देंगे क्योंकि यहाँ वो दिशाबली हो जाते हैं

  • दशा-अन्तर में जातक का सरकारी नौकरी का योग बनता हैं, क्योंकि सूर्य देव साशन, प्रशासन या राज्य व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते है, जातक को सरकार से लाभ मिलने का योग भी मिलता है
  • काम-काज के नए रस्ते खुलते हैं
  • यहाँ विराजित सूर्य देव कमीशन-एजेंट (आढ़तिया) का काम, लकड़ी से सम्बंधित कार्य, मेडिसिन या दवाओं का कार्य, प्रशासन-व्यवस्था का काम करवाएँगे जिसे करके जातक जीवन में कामयाब हो पाएगा
  • जातक जितना काम-काज करे उसका प्रतिफल या नतीजा उसको अवश्य मिलता है
  • जातक एक बहुत ज्यादा रोबदार परवर्ती का और निडरता से कर्म करने वाला होता है, जल्दी घबराने वाला नहीं होता या उसके कर्मों में ऐसी परवर्ती नहीं आती की वो किसी कार्य से डर के पीछे हट जाए
  • जातक सामान्य से ज्यादा उग्र व्यवहार का बन जाता है, उसके कर्म ज्यादा आक्रामक हो जाया करते हैं
  • सूर्य की दशा अन्तर्दशा में माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान और सारी सुख-सुविधाओं को बढ़ोतरी करने में सूरज देव सदैव आपको सहायता करते ही मिलेंगे
  • चतुर्थ भाव सम्बन्धी भी सारे लाभ जातक को अवश्य मिलेंगे
  • जातक का मकान बनने वाला हुआ तो भी सूरज की दशा अन्तर्दशा में बन जाएगा
  • जातक की गाडी लेने वाली हुई तो भी सूरज की दशा अन्तर्दशा में आ जाएगी
  • जातक अपनी माता की बहुत ज्यादा देख-भाल करने वाला होगा, माता से जल्दी किसी बात पर मन मुटाव नहीं होगा, ऐसा जातक माता की आज्ञा अनुसार कार्य करने वाला होता है

सिंह लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जीवन यापन में सदैव अच्छा फल देंगे
  • जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए सूर्य देव यहाँ बाध्य हो गए
  • सूर्य देव का लाभ के घर में जाना जातक के लिए बहुत फायदेमंद सिद्ध होगा, अपनी दशा-अंतरा में जातक को कहीं न कहीं से लाभान्वित अवश्य करवाते रहेंगे सूर्य देव
  • बड़े भाई बहन का सहयोग मिलता रहेगा
  • छोटी मोटी स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या आएंगी तो सूर्य देव की दशा-अंतरा में चली अवश्य जाएंगी
  • पंचम भाव सम्बन्धी भी जातक को पूरणता लाभ दे कर जीवन यापन की मुश्किलों को दूर अवश्य करेंगे
  • जातक मानसिक रूप से काफी मजबूत होगा
  • सूर्य देव यहाँ जातक को अनिश्चित लाभ देंगे
  • प्रेम संबंधों में कामयाबी मिलेगी
  • और सबसे बड़ी बात जातक अपनी  याददाशत, मेहनत और मजबूत मनोबल द्वारा मुश्किलों को अपने जीवन से निकाल अवश्य लेगा
  • इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होगी
  • सूर्य देव को बल देना यहाँ काफी लाभदायक रहेगा, सारी समस्याएं दूर होंगी
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी बनेगा
  • पेट या उदार सम्बन्धी समस्याएं भी सूर्य देव की दशा-अंतरा में या उनको बल देने से आसानी से दूर होंगी

सिंह लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


पूरी जिंदगी ताउम्र सूर्य देव यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देंगे, यहाँ वे मारक हो जाते हैं
  • लग्नेश का छटवें, आठवें या बाहरवें भाव में आना अशुभ मन जाता है और जब भी उसकी दशा अन्तर्दशा चलती है इंसान का बंटाधार वो जरूर करता है
  • फ़िज़ूल के खर्चे, फ़िज़ूल का व्यय, फ़िज़ूल का कलह-कलेश, मानसिक अशांति रहना और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं अपनी दशा-अंतरा में सूर्य देव यहाँ जरूर देते हैं
  • अस्पताल का खर्चा होता है
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती है
  • सूर्य देव यहाँ जातक को रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा आदि में फंसा कर के जातक का जीवन यापन मुश्किलों से भरते मिलेंगे
  • परन्तु सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश में स्थापित भी जरूर करवा देता है 



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
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सूर्य (४) के परिणाम कर्क लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H4 - 10012018

सूर्य के परिणाम कर्क लग्न के अलग अलग भावों में




कर्क लग्न की कुंडली 



कर्क लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक सदैव उग्र वाणी बोलने वाला होगा, क्योंकि दूसरा घर हमारे कंठ का मन जाता है
  • धन की कमी उसको कभी नहीं आएगी 
  • पर स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई न कोई समस्या लगी रहेगी क्योंकि अग्नि कारक ग्रह जल राशी में आगया है और वो सदैव दिक्कत-परेशानियां ही देगा

कर्क लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव स्वः राशी के
  • वाणी बहुत ज्यादा उग्र होगी
  • इंसान को धन की कमी जीवन में कभी नहीं आने वाली लेकिन वाणी इतनी ख़राब होगी इतनी आक्रामक वाणी होगी की आम इंसान उससे दूर भागेगा, क्योंकि वाणी का ख़राब होना इंसान को अच्छा या बुरा बनता है

कर्क लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • भाई बहनों से कभी नहीं बनने वाली 
  • छोटी यात्राएं फ़िज़ूल खर्ची जरूर करवाएंगी और परिणाम कोई नहीं देंगी
  • सूर्य देव यहाँ व्यर्थ का पराक्रम सक्रीय कर देंगे, जातक बिना कारण के लड़ने झगड़ने को तयार रहेगा
  • सूर्यदेव का तीसरे भाव को सक्रीय करना परेशानी का कारण बनेगा
  • पिता पर दृष्टि से भी समस्याएं ही देंगे, चाहे उसके पिता ने सारी जिंदगी अछे कामों में लगा दी हो लेकिन बेटा उसको अच्छा नहीं समझने वाला
  • इंसान धर्म को भी नहीं मानेगा और वहां भी नकारात्मक ही रहेगा

कर्क लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक का अगर मकान बनने वाला हुआ या गाडी लेने वाली हुई तो सूरज की दशा-अंतरा में वो कभी नहीं ले पाएगा, क्योंकि सूर्य देव यहाँ नीच के हो जाते हैं
  • माता से कभी नहीं बनने वाली... माता से सदा पैसों के लिए मन-मुटाव रहने वाला है, जातक माता को कभी अच्छा समझता ही नहीं है
  • गाडी, वाहन और सुख-सुविधाओं से जातक सदा दूर रहने वाला है
  • मकान बनाना चाहेगो तो कभी जगह नहीं मिली कभी मकान बनने में विलम्ब होगा, कभी आधा-अधूरा हो कर बीच में लटक गया, गाडी लेने के लिए कभी लोन की स्वीकृति नहीं होती कभी कोई कागज अधूरा रह गया... तो ये सारी दिक्कत-परेशानियां चोथे घर में बैठे हुए नीच के सूर्य देवता अवश्य देंगे
  • काम-काज में भी बाधाएं और व्यर्थ का तनाव बना ही रहेगा, कभी बॉस से लड़ाई झगडा हो गया, आर्थिक समस्याएं आ गई, भाग-दौड़ भी जातक को ज्यादा करनी पड़ती है क्योंकि नीच के सूर्य देव की दृष्टि यहाँ भी ख़राब करेगी
  • प्रोफेशनल सेटलमेंट में बहुत साड़ी परेशानियां देंगे सूर्य-देव

कर्क लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ पुत्र प्राप्ति का योग तो बना देंगे
  • लेकिन पेट सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी देंगे, क्योंकि यहाँ जल राशी में अग्निकारक ग्रह आकर बैठ गया है, गैस/एसिडिटी से सम्बंधित परेशानियां हो सकती हैं
  • औलाद से झगडा हो जाना
  • धन की कमी आना भी संभव है क्योंकि ग्यारहवें भाव पर दृष्टि होने से सूर्य-देव यहाँ नुक्सान जरूर करेंगे
  • संतान में समस्याएं हो सकती हैं
  • सूर्य देव यहाँ जातक की बुद्धि को भी उग्र कर देंगे, इंसान जल्दी जल्दी काम करना चाहेगा, हर काम जल्दी भाग-भाग कर करने की कोशिश करने वाला होगा

कर्क लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


धन कुटुंब वाणी में सदैव समस्याएं
  • सदैव धन का आभाव रहने वाल है
  • सूर्य देव यहाँ गले या कंठ की तकलीफ दे सकते है, बहुत सारे लोगों को गले सम्बन्धी समस्याएं बनी ही रहती हैं
  • परिवार से दूर जाने का योग बनाएँगे सूर्यदेव
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कर्क लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य-देव अपने अति शत्रु घर/राशी में चले गए और यहाँ वो उसको ख़राब करेंगे
  • समस्याओं और बाधाओं को बढ़ा देंगे, क्योंकि अपने भाव से यहाँ सूर्य-देव छठे स्थान पर बैठे हैं
  • पत्नी से कभी नहीं बनने वाली, सामंजस्यता या ताल-मेल कभी नहीं रहने वाला - ना ही साझेदारी में ना  और ना ही पत्नी से
  • रोजी-रोजगार में भी स्थिरता नहीं रहतीरोजी-रोजगार सम्बन्धी भी समस्याएं जातक को सदा खड़ी ही मिलेंगी

कर्क लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम



कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, सारी जिंदगी धन की कमी रहने वाली है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यंतर में सारी जिंदगी जातक समस्याएं ही झेलता है, जितनी बार अन्तर्दशा प्रत्यंतर आएंगी वो दिक्कत-परेशानियां ही देंगे क्योंकि सूर्य-देव यहाँ बाधाओं के भाव में बैठे हुए हैं
  • धन का आभाव रहने वाला है
  • उग्र वाणी से कईयों के साथ झगडा होने वाला है
  • परिवार से दूर जाने का योग बनता है
  • समस्याओं को बाद से बदतर करेंगे यहाँ सूर्य देव

कर्क लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • पिता सम्बंधित दिक्कत-परेशानियां, पिता से समन्वय एवम ताल-मेल कभी नहीं बनने देंगे सूर्य देव क्योंकि सूर्य देव अपने आप में एक क्रूर ग्रह है (यदपि पापी नहीं है), सूर्य-देव में विभाजक परवर्ती है और वो पिता से अलगाव कर देंगे और अलगाववादी किस्म के सम्बन्ध बना देगा, अछे सम्बन्ध कभी बनने देगा... क्योंकि जल राशि में अग्निकारक ग्रह आकर बैठा है और उसका नुक्सान करना तय है
  • धर्म को मानने में समस्याएं
  • विदेश यात्रा करने में अडचने
  • हर काम में उसको बाधाएं खडी मिलेंगी

कर्क लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव का आना अच्छा मन जाता है, क्योंकि यहाँ वो उच्च के हो जाते हैं
  • जातक की नौकरी उच्च की हो सकती है, जातक सरकारी विभाग में उच्च पद पर आसीन हो सकता है
  • लेकिन वाणी पर उसका अंकुश कभी नहीं रहता
  • जातक काम-काज, व्यवसाय या नौकरी में बहुत अच्छा स्थापित रहता है 
  • परन्तु माता से कभी नहीं बनने वाली, ये दिक्कत परेशानी साथ में ले कर चलेगा


कर्क लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


धन का मालिक लाभ में या लाभ का मालिक धन में होना एक अच्छा योग बनता है 
  • लेकिन यहाँ सूर्य देव का आना बहुत ज्यादा लाभदायक नहीं होगा, अगर वो पैसा ले कर आएगा तो साथ में स्वस्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी लाएगा
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं भी चलती रहेंगी

कर्क लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ जातक को धन कुटुंब वाणी, तीनो के सम्बन्धी समस्याएं रहती हैं
  • बहुत सारे मालों में देखा गया है की जातक को छोटी आयु में ही विदेश पढने भेज दिया या बोर्डिंग में पढने भेज दिया
  • जब से जातक अपना होश संभालता है वो अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए पैसों के पीछे भाग रहा होता है और पैसे उससे हमेशा दो कदम आगे होता है
  • दशा-अंतरा में अस्पताल का खर्चा भी होगा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आएंगी क्योंकि छठे भाव पर भी दृष्टि है
  • कलह कलेश भी होता रहेगा
  • मानसक शांति भी भंग रहती है
  • कोर्ट-केस, मुकदमा, दुर्घटना आदि भी दशा-अन्तर्दशा में होने का योग बनता है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (३) के परिणाम मिथुन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H3 - 08012018

सूर्य के परिणाम मिथुन लग्न के अलग अलग भावों में




मिथुन लग्न की कुंडली 



मिथुन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक बहुत मेहनती होगा
  • जातक का व्यक्तित्व बहुत रोबदार होगा 
  • वो छोटी यात्राएं करने वाला होगा
  • छोटे भाई का योग बनेगा और जातक छोटे भाई की बहुत देख-भाल करने वाला और ध्यान रखने वाला होगा
  • सूर्य देव इस लग्न कुंडली में बहुत ज्यादा अच्छा फल नहीं देने वाले क्योंकि इस लगन कुंडली में वो मेहनत का घर या विभाग ले कर बैठे हैं और मेहनत, छोटे भाई बहन और छोटी यात्राएं आज की दुनिया में कोई बहुत ज्यादा नहीं चाहता

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • धन कुटुंब वाणी से तो सदैव परेशानियां बनी ही रहेंगी
  • लेकिन वाणी में एक अतिरिक्त उग्रता आना सूर्य देव का स्वाभाविक चरित्र हो जाता है, जो की पूरी जिंदगी में कभी अच्छा फल नहीं देगा , जातक सदैव उलटी बात करता है .. क्योंकि सूर्यदेव का वाणी में बैठना और  वाणी को उग्र करना एक स्वाभाविक तत्व बना देता है, इस तरह का आदमी अपशब्द पहले निकलता है और बात बाद में करता है
  • बाधाएं, तनाव, अवसाद पर दृष्टि अच्छी नहीं होती और इनमें बढ़ोतरी करती है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में सूर्यदेव यहाँ धन का आभाव भी रखते हैं, वाणी में भी दिक्कत-परेशानियां देते हैं और परिवार से दूर जाने का योग भी बनाते हैं

मिथुन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ स्वः राशि के होते हैं
  • जातक का छोटे भाई का योग जरूर बनता है
  • जातक छोटी यात्राएं जरूर करता है
  • वो जातक सदैव सामान्य से ज्यादा मेहनत कर के ही अपने काम निकलवा पता है
  • सूर्य देव यहाँ पिता से बहुत ज्यादा नहीं बनने देते
  • धर्म को बहुत ज्यादा नहीं मानने देते
  • छोटी यात्राएं जरूर करवाते है और विदेश यात्रा भी करवा देते हैं सूर्य देव क्योंकि विभाजक परवर्ती है सूर्य देव की और ये सब वो जरूर करते हैं 
  • सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश यात्रा जरूर करवा देते है

मिथुन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • माता से सदैव मन मुटाव रहत है, माता से कभी बनने नहीं देते
  • अगर जातक का मकान, गाडी, भूमि, वाहन लेना हुआ तो सूर्य देव की दशा अन्तर्दशा में सदैव विलम्ब से होता है, काम विलम्ब हो कर बनता है और वो सदैव परेशानियों का कारण बनता है
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम काज भी बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद ही जातक स्थिर हो पता है

मिथुन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


इस कुंडली में सूर्य देव का पंचम भाव में होना सबसे अशुभ मन जाता है, क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
  • भाई बहनों से कलेश बना रहता है
  • पेट में दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं
  • अगर शुक्र की स्थिति भी कुंडली में ख़राब हुई तो संतान का विलम्ब से होना य बहुत से मामलों में न होना भी देखा गया है
  • अनिश्चित हानि होने का योग बनता है
  • धन का अभाव रहता है
  • मानसिक शांति भंग हो जाती है
  • जातक की याददाश्त पूर्ण रूप से गड़बड़ा जाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ पूरण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देते 
  • भाव तो गलत है ही लेकिन सूर्यदेव का यहाँ होना जातक की अनावश्यक मेहनत, भाग दौड़ और परिश्रम करा के भी कम्पटीशन/प्रतियोगिता में फेलियर करवा देते हैं, जितनी मर्जी जातक भाग दौड़ कर ले पर प्रतियोगिता में जीतने के काबिल कभी बनता ही नहीं  है, थोड़े से अंतर से उसको दिक्कत परेशानी दे देते हैं और वो जातक प्रतियोगिताओं में सदैव पराजीत होता ही मिलता है
  • फ़िज़ूल का व्या कहीं ना कहीं होता ही रहता है, जातक अपने खर्चे संभालने की जितनी मर्जी कोशिश करे उसके खर्चे सँभालते नहीं हैं... वो जितना कोशिश ज्यादा करता है उतने ही खर्चे और फैलते जाते हैं और यहाँ सूर्य देव बहुत बड़ी परेशानी देते हैं
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मिथुन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देते
  • विवाहिक सुख में सदैव प्रशानियाँ बनी ही रहती हैं
  • लड़कियों की कुंडली देखो तो उनके विवाह में विलम्ब इतना हो जाता है के जातक समझ ही नहीं पाते की विवाह कब होना है और विवाह के बाद भी पति/जीवनसाथी से मन मुटाव सदैव बना रहता है
  • साझेदारी में भी सदैव परेशानियां रहती हैं
  • और रोजी-रोजगार में भी सदैव दिक्कत-परेशानियां चलती ही रहती हैं... आमदनी का जरिया खुलता और बंद होता रहता है, ऐसी स्थिति सूर्य देव यहाँ उत्पन्न कर देते हैं

मिथुन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • छोटे भाई बहनों से अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव परेशानियां बनी रहती हैं , छोटे भाई बहनों के साथ जातक के सम्बन्ध कभी स्थिर हो ही नहीं पाते
  • धन कुटुंब वाणी सम्बंधित भी सूर्य देवता सदैव परेशानियां देते हैं चाहे जितनी मर्जी जातक मेहनत कर ले पर अपने आप को वो कभी स्थिर नहीं कर पाता, सदैव उसकी समस्याएं दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करती हैं, कहीं तो लोग मेहनत/परिश्रम कर के दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करती हैं पर यहाँ दशा-अन्तर्दशा में जातक की समस्याएं दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करते हैं, जातक एक परेशानी समेटता है तो दूसरी पहले ही आकर खड़ी हो जाती है
  • यहाँ जातक समस्याओं को कभी संभाल ही नहीं पाता
  • और धन का आभाव सदा बना रहता है, जितना मर्जी जातक धन के पीछे भागे पर कहीं ना कहीं कमी बनी ही रहती हैं... वो जातक अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता और उसके लिए उसे खपना जरूर पड़ता है 

मिथुन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ भाई का योग जरूर बनाते हैं
  • छोटी यात्राओं का योग बनाते हैं
  • जातक पराक्रमी होता है
  • लेकिन पिता से कभी नहीं बनती, पिता से सदैव दिक्कत रहने का योग बनता है 
  • सूर्य देव यहाँ छोटी यात्राओं का योग भी बना देते हैं ... ये छोटी यात्राओं का योग उसके लिए सदा समस्याएं लेकर आता है क्योंकि यात्राओं में सदा उसको खपना पड़ता है व्यर्थ की भाग-दौड़/मेहनत करना पड़ता है और तब जा कर उसे थोडा बहुत सकारात्मक परिणाम मिलता है 
  • जातक विदेश यात्रा कर के और वहां से आकर भी कभी संपन्न नहीं हो पता, कभी अपने आप में संपूर्ण नहीं हो पता और जो वो चाहता है या जिन चीजों का पाने के वो योग्य होता है वो चीज उसे नहीं मिल पाती सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में
  • पिता के साथ सदैव मन मुटाव किसी न किसी बात पे बना ही रहता है 
  • यहाँ जातक धर्म को बहुत ज्यादा नहीं मानता क्योंकि सूर्य देव यहाँ जातक को जिद्दी बना देते है, सूर्य देवता का यहाँ होना जातक को धर्म से दूर ले कर जाता है क्योंकि वो प्रक्रम में विश्वास करता है और धर्म से दूर जाने में अपनी भलाई समझता है जातक की सोच ये हो जाती है की कोई मेरा क्या संवार लेना लेगा, इस तरह की प्रवृत्ति जातक के अन्दर आजाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • काम-काज को स्थापित करने के लिए जातक को मेहनत सामान्य से ज्यादा करनी पड़ती है 
  • सूर्य देव की दशा अन्तर्दशा में जातक कई जगह प्रयास करता है और कई असफलताओं के बाद ही कहीं जा कर स्थापित हो पता है
  • जातक अगर व्यवसाय करता हो तो सदैव उसको किसी न किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है और भाग दौड़ भी सदा लगी ही रहती हैं
  • यहाँ सूर्य देव इंसान को एक जगह टिकने ही नहीं देता , छोटी यात्रा लगी रहती है, इंसान को अपना होश तक नहीं रहता
  • लेकिन यहाँ जातक अपने छोटे भाई बहनों को स्थापित करने के लिए प्रयास करने से कभी पीछे नहीं हटता, छोटे भाई बहनों के लिए खपने को सदैव वो जातक तत्पर होता है, जितना मर्जी काम हो कहीं न कहीं समय निकाल कर के छोटे भाई बहनों के परिणामों को सकारात्मक जरूर कर देगा
  • माता पर दृष्टि कभी अच्छी नहीं मानी जाती, सदैव दिक्कत परेशानी वाली ही मानी जाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं पर उच्च का सूर्य देवता भी यहाँ बहुत अच्छा फल कभी नहीं देता क्योंकि मेहनत को उच्च का कर दिया, छोटे भाई बहनों के विभाग का बड़े भाई बहनों के घर में आकर उच्च का होना बहुत ज्यादा लाभदायक नहीं होता 
  • जातक अगर मंझला बेटा हुआ तो न तो बड़े भाई बहन उसका साथ देते हैं और न ही छोटे भाई बहन उसका साथ देते हैं पर वो सदा उनके लिए खपता ही चला जाता है
  • पर यहाँ सूर्य देव पुत्र प्राप्ति का योग जरूर ले कर आते हैं
  • कभी धन की कमी नहीं आती पर धन का आगमन बहुत ज्यादा मेहनत और खपने के बाद होता है, उसके परिणाम जातक को तब मिलते हैं जब उसकी मेहनत अपने शिखर पर पहुँच जाती ह
  • यहाँ उच्च का सूर्य होना बहुत ज्यादा अच्छा नहीं मन जाता क्योंकि मेहनत का विभाग उच्च का हुआ है मतलब मेहनत का कई गुना बढ़ जाना जो अच्छा नहीं मन जाता
  • छोटी मोटी स्वस्थ सम्बन्धी समस्याएं भी आती है यहाँ

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देवता कभी भी अपनी दशा-अन्तर्दशा में अच्छा फल नहीं देते, सदैव समस्याओं को खड़ा ही रखते हैं जातक के लिए
  • इंसान इतनी मेहनत करने के बाद भी अपने खर्चे पूरे नहीं कर पता तो उसके दिमाग में आता है की में तो सिर्फ खर्चे पूरे करने के लिए पैदा हुआ हूँ
  • रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा ये सारी समस्याएं अपनी दशा अन्तर्दशा में वो जरूर देते हैं



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (२) के परिणाम वृषभ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H2 - 01122017

सूर्य के परिणाम वृषभ लग्न के अलग अलग भावों में




वृषभ लग्न की कुंडली 



वृषभ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


सदैव कुंडली के लिए अछे हो गए I सुख सुविधाएं उठा कर जातक ने अपने सर के ऊपर रख ली
  • जातक गाडी, भूमि, वहां हर सुख सुविधा से सदैव आपको संपन्न ही मिलेगा
  • जातक का व्यक्तित्व सामान्य से कई गुना आपको निर्भीक/दबंग/दिलेर मिलेगा
  • सूर्य देव इस कुंडली में सम ग्रह मन जाता है, ये मारक नहीं है, क्योंकि एक बहुत अछे घर का मालिक और लग्नेश शुक्र का अति शत्रु हैं
  • इसलिए अगर लगन में पड़ा होगा तो जातक के लिए लाभदायक या फायेदेमंद होगा I सुख सुविधाओं से सारा जीवन परिपूर्ण रक्खेगा

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम



  • धन की कमी जातक को कभी नहीं आएगी
  • परिवार से सदा लगाव रहने वाला है 
  • लेकिन वाणी कहीं न कहीं उग्र जरूर हो सकती है, क्योंकि सूर्यदेवता उग्रता के कारक हैं, एक आक्रमक ग्रह हैं सूर्यदेव | यहाँ वो ये दिक्कत परेशानी जरूर दे सकता है

वृषभ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव कभी अछे फल नहीं देंगे
  • सदैव माता से दिक्कत-परेशानी ही रक्खेंगे जातक की, माता से सदैव मन मुटाव बना रहेगा
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक अगर गाडी, भूमि, वाहन, मकान लेना चाहेगा तो उसे बहुत ज्यादा मेहनत मुशक्कत के बाद ये चीज़ मिलेगी... जल्दी नहीं मिलने वाली | ज्यादा मेहनत करवाएगी ये दशा-अन्तर्दशा
  • पिता से भी नहीं बनने वाली | उनसे भी सहमति बनने में दिक्कत परेशानी आती रहेंगी, पिता की उचित देखभाल वो नहीं करने वाला
  • धर्मं को जातक उचित तरीके से मानने वाला नहीं होगा, क्योंकि सूर्य देवता अपने आप में एक विभाजक ग्रह है, वो हर चीज़ से अलग जरूर करता है
  • यहाँ फ़िज़ूल के व्या फ़िज़ूल के खर्च जरूर करवाएगा, क्योंकि ये फ़िज़ूल की मेहनत का घर है, यहाँ फ़िज़ूल की मेहनत करवाना वो तय कर देता है 
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में मकान भी बदलवा देता है, दशा-अन्तर्दशा में गाडी भूमि में भी बदलाव ला देता है

वृषभ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्ये देव अपनी स्वः राशी के होते है
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में माता से लाभ, गाडी भूमि वाहन मकान हर चीज़ का एडवांटेज मिलेगा और जातक माता की बहुत ज्यादा रेस्पेक्ट करने वाला होगा 
  • दशा अन्तर्दशा में अगर जातक का अगर बिगड़ा स्वभाव भी होगा तो भी माता की सदा वो सुनने वाला होगा, मने चाहे बेशक न पर माता से आर्गुमेंतिवे कभी नहीं हो पाएगा

वृषभ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


अपनी दशा-अन्तर्दशा में ये अच्छा फल जरूर देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग बना देंगे
  • ये अनिश्चित लाभ भी दे सकते हैं
  • गाडी सुख-सुविधाएं सारी चीज़ों से लाभ जातक को जरूर देंगे
  • जातक के दिमाग में धर्म को मानने की क्षमता और योग्यता विकसित कर देंगे और वो जातक के लिए सदैव अच्छी मानी जाएगी
  • पेट सम्बन्धी तोड़ी बहुत परेशानी जरूर दे सकते हैं
  • लेकिन कुल मिलाकर सदैव अछे ही बने रहेंगे, क्योंकि सम ग्रह हैं ये नुक्सान नहीं कर सकते, मित्र के घर में गए तो ठीक रहेंगे, शत्रु के घर में गए तो थोडा बहुत नुक्सान जरूर कर सकते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सदैव दिक्कत परेशानी देंगे क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं

  • जब भी दशा-अन्तर्दशा चलेगी कोर्ट-केस मुकदमेबाज़ी दुर्घटना मानसिक-तनाव देंगे
  • व्यय का होना तय है
  • माता की सेहत को भी दिक्कत परेशानी रहेगी
  • गाडी भूमि वाहन में भी कलेश जरूर खड़ा करेंगे
  • अगर किसी जातक का मकान बनने वाला हुआ तो सूरज की दशा-नत्र्दशा में कभी नहीं बनेगा
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वृषभ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम



  • विवाह में विलम्ब करना स्वाभाविक हो जाएगा 
  • लेकिन पति सदैव अच्छा मिलेगा, क्योंकि सूर्य देव अपने मित्र की राशी में गए हैं
  • स्वयं पर दृष्टि डालेंगे सूर्य देव तो व्यक्तित्व को अच्छा जरूर कर देंगे
  • यहाँ अपनी सुख सुविधाएं उठा कर पत्नी को दे दी, पत्नी के आने के बाद यानी जातक के विवाह के बाद उसकी सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी जरूर होगी

वृषभ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


पूरण जिन्दगी अपनी दशा-अन्तर्दशा में अच्छा फल कदापि नहीं देंगे, क्योंकि ये बाधाओं का घर है
  • माता को उठाया और बाधा और तनाव के घर में रख दिया
  • धनं कुटुंब वाणी सम्बन्धी भी सदा अपनी दशा-अन्तर्दशा में दिक्कत-परेशानी ही मिलेंगी
  • जातक सारी जिंदगी अपनी वाणी पर काबू नहीं रख पाता
  • दूसरे भाव को सदा ख़राब करते हैं बुरी तरह से और उसके परिणाम पूर्णतया नकारात्मक होते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम


  • पिता से सदैव मन-मुटाव रहने का योग बनता है क्योंकि सूर्य एक आक्रामक ग्रह है और अपनी अति शत्रु राशि में चला गया है
  • तो पिता से सदैव दिक्कत-परेशानी बनी रहेंगी
  • धर्म को जातक जल्दी नहीं मानने वाला वो
  • छोटी यात्राएं जरूर करवा देगा वो अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • लेकिन मेहनत पर द्रष्टि दाल कर छोटे भाई-बहनों से कलेश और छोटी यात्राएं भी करवाएगा, जिसका पूरनता फल उसको कभी नहीं मिलने वाला

वृषभ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


  • काम-काज में परेशानियां जरूर देंगे, उसमें बाधाएं जरूर खडी करते रहेंगे क्योंकि ये अति शत्रु का घर है, काम-काज को कभी स्थिर नहीं होने देंगे, रूक-रूक के दिक्कत परेशानी दे के हर काम विलम्बसे क्योंकि ये अति शत्रु के घर में गया है
  • लेकिन यहाँ सूरज देवता को दिशा-बल जरूर मिल गया है, दिशा-बल मिलने से सूरज देवता काम-काज की अटकलों में बढ़ोतरी कर देंगे 
  • लेकिन मकान, गाडी बदलवा सकते हैं
  • माता से  स्टेबिलिटी बनवा सकता हैं
  • चोथे भाव सम्बन्धी सकारात्मक परिणाम देंगे 
  • लेकिन दशम घर सम्बन्धी बहुत अछे फल वो कभी नहीं देंगे क्योंकि ये उसकी अति शत्रु राशि है 
  • शनि देव की मूल त्रिकोण राशी में सूर्य देव का आना कभी भी पूरनता अच्छा नहीं माना जाता

वृषभ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम



कभी अच्छा फल नहीं देंगे अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • थोडा सा लाभ दे कर के, बिल्कुम मात्र थोडा सा लाभ देंगे
  • बड़े भाई बहनों से कलह कलेश मचा देंगे 
  • छोटी मोती स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी दे देंगे 
  • मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • लेकिन एक लाभ वो जरूर देंगे - पुत्र प्राप्ति का योग निश्चित कर देंगे , जातक को पुत्र प्राप्ति जरूर होगी
सूर्य मंगल और ब्रहस्पति ये तीनो पुरुष ग्रह माने जाते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में यही सूरज देवता आपका भट्टा बिठाने वाला है, क्योनी ये भाव गलत है, व्यय का भाव है जो कभी भी आपको अच्छा फल नहीं देगा, जो ग्रह भी उसमें जाएगा वहां की परेशानियां वो जरूर देगा
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में इंसान जितना मर्जी कम ले सदैव खर्चा उसको सर पे ही खड़ा मिलेगा , वो सारी जिंदगी अपने खर्चे पूरण कर ही नहीं पाता और वो उसी चक्कर में घूमता रह जाता है एक सिमटता नहीं है दूसरा पहले से ही खड़ा रहता है और जातक को ये परेशानियां सदैव बनी रहती है
  • छठे भाव सम्बन्धी भी सदा परेशानियां देंगे मुकदमेबाजी दुर्घटना मुकदमा देंगे क्योंकि आक्रामक ग्रह है और ये सारी चीज़ें गड़बड़ जरूर करते है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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