Advertisement_01_Responsive

चन्द्र (७) के परिणाम तुला लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H19 - 12022018

चन्द्र के परिणाम तुला लग्न के अलग अलग भावों में




तुला लग्न की कुंडली 



तुला लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता बहत अच्छा फल देंगे
  • जातक बहुत खूबसरत होगा, उसके चक्षु बहुत अच्छे होंगे, गौर से देखने पर उसकी खूबसूरती सामान्य से अलग 
  • होगी और उसके व्यक्तित्व में भी एक अलग निखार होगा. जातक एक प्रभावशाली व्यवहार अपना लेता है
  • साझेदारी अच्छी होगी, अछे परिणाम मिलेंगे और लाभ भी जरूर होगा
  • जीवनसाथी बहुत खूबसूरत और अच्छा मिलेगा
  • चंद्रमा रोजी-रोजगार के लिए भी अच्छा करेंगे और रोजी-रोजगार में भी नित्य-नए रस्ते खुलते ही रहेंगे
  • जातक कर्म से डरने वाला नहीं होगा, काम-काज में सुधार और तरक्की होगी
  • इस तरह सातवें घर के संबंधीत भी चंद्रमा देवता हमें लाभ जरूर देंगे

तुला लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देंगे क्योंकि यहाँ वे नीच के हो जाते हैं, नीच के चंदमा देवता सदैव नुक्सान करते हैं
  • वाणी को भी उग्र कर देंगे, अनायास हे वाणी से कुछ ऐसी बात निकल जाएगी जिससे जातक को समस्या झेलना पड़ेगा
  • परिवार से भी बनने नहीं देंगे
  • धन का आभाव जातक को सदा रहने वाला है
  • दशा-अन्तर्दशा में जातक का काम-काज भी कभी जल्दी स्थापित नहीं होने देंगे, जातक को सदैव खपना पड़ेगा
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर के उसको अनायास ही भागते रहंगे, काम-काज को सही तरह से स्थापित होने ही नहीं देते वो... जातक को कोई रास्ता ही नज़र नहीं आता, जातक ये समझ ही नहीं पता की में काम को स्थिर कैसे करूँ
  • जातक दुविधा में रहता है और किसी भी निर्णय पर जल्दी नहीं पहुँच पाता
  • अनायास ही बाधाएं आती रहेंगी और मेहनत सामान्य सी ज्यादा करना पड़ेगा
  • बिना कारण के छोटी-मोटी बात का तनाव जातक को सदैव बना ही रहेगा

तुला लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा ब्रहस्पति की मूल-त्रिकोण राशी में आगये
  • छोटी बहन का योग जरूर बनता है
  • जातक का काम-काज मेहनत/भाग-दौड़ वाला हो गया, फ़िज़ूल की मेहनत जातक की होती ही रहती है और मेहनत का उतना फल नहीं मिलता जितना जातक को मिलना चाहिए. जो भी जातक काम-काज करता है उसमें सदैव भाग-दौड़ लगी ही रहती है
  • छोटी फ़िज़ूल की यात्राएं भी जातक की चलती ही रहेंगी
  • चंदमा यहाँ पिता से भी बहुत ज्यादा नही बनने देते, थोडा-बहुत मन-मुटाव सदैव रखते हैं
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा, थोडा-बहुत धार्मिक परवर्ती का जातक जरूर हो सकता है
  • विदेश यात्रा जरूर हो सकती ही

तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा शनिदेव की साधारण राशि में आगये और जातक को बहुत अच्छा फल देंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में माता गाडी भूमि वाहन मकान में हर तरह का लाभ देंगे
  • माता से जातक का बहत लगाव होगा
  • काम-काज का नया रास्ता खोल कर काम-काज में भी पूरणता लाभ देंगे और जातक को अच्छी तरह से स्थापित जरूर कर देंगे

तुला लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • जातक का काम-काज बुद्धि से जुदा हुआ होगा, इंसान को बुद्धि खपा कर अपना काम-काज निकलना पड़ेगा
  • यहाँ वो पुत्री का योग जरूर बना देंगे
  • छोटी-मोटी पेट सम्बन्धी समस्या दे सकते हैं 
  • लव-रोमांस में कामयाबी जरूर देंगे
  • संतान बहुत ही खूबसूरत होगी
  • यहाँ चंद्रमा लाभ का रास्ता कहीं न कहीं से खोलते रहेंगे, लाभ भी जातक को स्वयं की मेहनत से होगा
  • बड़े भाई-बहनों से भी सहयोग/लाभ मिलेगा
  • जातक का काम-काज बड़े भाई-बहनों से जुड़ा हुआ हो सकता है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लगी ही रहेंगी

तुला लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


अपनी दशा-अन्तर्दशा में चन्द्रमा कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • जातक का काम-काज कभी व्यवस्थित/स्थापित होने ही नहीं देंगे, जातक काम-काज के लिए भागता-दौड़ता खपत ही मिलेगा, दशा-अन्तर्दशा में जातक अच्छा भला चलता काम रोक देते हैं और उसके काम-काज में उथल-पुथल जरूर मचाएगा
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस इन सब में जातक समस्या झेलता ही मिलेगा
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पा कर जातक अच्छे पद पर जरूर जा सकता है
  • जातक किसी के अंतर्गत रह कर नौकरी जरूर अच्छी कर सकता है
  • जातक अपना निवेश कर के व्यवसाय कभी नहीं कर पता, उसमें कामयाबी उसको कभी नहीं मिलती 
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के होते ही रहेंगे
  • विदेश यात्रा जरूर कर लेगा जातक 
  • लेकिन खर्च अनायास ही इतने ज्यादा होंगे की कई बार इंसान लाचार हो कर मन अशांत कर लेता है क्योंकि चंद्रमा उसकी समस्याओं को बढ़ा देते हैं


______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________


तुला लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को जीवनसाथी बहुत खूबसूरत मिलता है
  • पार्टनरशिप/साझेदारी में काम होगा तो सदैव जातक को लाभ मिलेगा
  • रोजी-रोजगार में भी नए रस्ते जरूरर खुलेंगे
  • यहाँ चंद्रमा जातक के व्यक्तित्व में भी एक निखार जरूर ले आएँगे

तुला लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा उच्च के हो जाते हैं पर भाव गलत होने की वजह से पूरणता नकारात्मक परिणाम ही देंगे
  • जातक को कभी स्थापित होने ही नहीं देंगे
  • काम-काज कभी बनता नहीं है, काम-काज स्थापित होने में विलम्ब होता है और फ़िज़ूल की मेहनत जातक की होती ही रहती है 
  • यहाँ चंदमा सिवाय नुक्सान/मानसिक अशांति/फ़िज़ूल की भाग दौड़/तनाव/बाधाओं के कुछ नहीं देते 
  • धन का आभाव सदा चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में रहने वाला है
  • वाणी में कटुता लाना एक स्वाभाविक तत्व हो जाएगा
  • और परिवार जातक को कभी अच्छा नहीं समझेगा और ना ही कभी उसका साथ देगा ये सब परेशानियां जातक को लगी ही रहेंगी

तुला लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक का काम-काज अगर पिता से जुड़ा होगा तो सदैव अच्छा होगा
  • भाग्य के लिए अच्छा हो गया
  • हालाँकि चंद्रमा अपनी शत्रु राशी में हैं, पर केंद्र का मालिक त्रिकोण में आना या त्रिकोण का मालिक केंद्र में आना एक अच्छा योग मन जाता है
  • पिता का सहयोग सदा उस जातक को बना रहेगा
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा
  • यहाँ से विदेश जाने के लियी अगर वो तय्यारी करेगा तो जरूर यात्रा कर पाएगा
  • छोटे भाई-बहन से भी मिलकर उनके सहयोग में अगर काम करेगा तो उसे सदैव लाभ मिलेगा
  • फ़िज़ूल की मेहनत जरूर हर कदम पर होती रहेगी, मेहनत का उतना फल जरूर मिलेगा जितना जातक उम्मीद करता है
  • लेकिन कुल मिला कर जातक सदैव लाभ में ही रहेगा

तुला लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अपनी ही स्व राशी में आगये
  • सदैव काम-काज सम्बन्धी लाभ देंगे, जातक का काम-काज बहुत अच्छा स्थापित कर देंगे
  • जातक मानसिक रूप से तनाव रहित रहेगा
  • और अपने कर्मों से पूरणता संतुष्ट रहेगा
  • माता से लगाव रहेगा
  • माता गाडी भूमि वाहन सभी के सम्बंधित लाभ चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक जरूर देंगे
  • गाडी-भूमि वाहन का सुख जातक को सदैव मिलता रहेगा

तुला लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा सदैव लाभ देंगे लेकिन क्योंकि चंद्रमा जल ग्रह हो कर अग्नि राशी में आगये तो अगर चंद्रमा से लाभ लेना हो तो उसकी दशा-अन्तर्दशा में उन्हें बल देने की आवश्यकता है जिससे वो और अधिक लाभ देने में तत्पर हो जाएँ
  • बड़े भाई-बहन से जातक को पूरणता सहयोग और लाभ दिलाएँगे
  • धन का लाभ यहाँ होता रहेगा, पैसे की कमी कभी नहीं आने वाली, अपने काम-काज को अच्छा कर के जातक अपने लाभ को जरूर अच्छा कर लेगा
  • स्वास्थ्य में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां लगी रहेंगी
  • पुत्री का योग वो जरूर बना देगा
  • जातक छोटी-मोटी बातों पर तनाव्ग्रस्त हो जाता है
  • पेट में समस्याएं दे सकते हैं
  • लव-रोमांस में उसको कामयाबी जरूर मिलती है
  • छोटा-मोटा आकस्मिक लाभ भी चंद्रमा जरूर करवा देगा


तुला लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा जातक का काम-काज कभी व्यवस्थित होने ही नहीं देते
  • जातक को मानसिक तनाव सदा बना ही रहता है
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के बढाते ही रहते हैं
  • जेल यात्रा भी हो सकती है
  • काम-काज के लिए इंसान भागता ही रहता है
  • स्वयं से निवेश करने के बाद भी काम-काज में वो कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पता
  • विदेश यात्रा जातक जरूर कर लेता है, लेकिन विदेश यात्रा कर के वहां जा कर भी जातक किसी के अंतर्गत रह कर ही काम कर पता है, स्वयं का निवेश लगा कर कभी काम-काज नहीं कर पता
  • रोग ऋण क़ज़ा दर्घटना मकदमा/कोर्ट-केस तनाव सम्बंधित भी दिक्कत परेशानियां और नकारात्मक परिणाम  देता ही रहता है चंद्रमा देवता और जातक की परेशानियों में बढ़ोतरी करता रहता है
  • विदेश जा कर नौकरी करने से जातक ज्यादा अच्छा स्थापित हो जाता है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________



कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
E-mail: vikas440@gmail.com

www.navgrhastro.com

पेमेंट करने की प्रक्रिय जानने के लिए नीचे क्लिक करें:

www.navgrhastro.com/contact.html



चन्द्र (६) के परिणाम कन्या लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H18 - 12022018

चन्द्र के परिणाम कन्या लग्न के अलग अलग भावों में




कन्या लग्न की कुंडली 



कन्या लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लगी रहेंगी
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त होता रहेगा, उसकी एकाग्रता भंग रहेगी और उसका मन सदैव परेशान रहने वाला है
  • पत्नी/दांपत्य सुख, साझेदारी और रोजी-रोजगार में भी पूरणता चंद्रमा देवता दिक्कत-परेशानियां ही देने वाला है

कन्या लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चद्रमा शुक्र देव की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • वे यहाँ जातक की वाणी बहुत अच्छी/मधुर कर देंगे
  • धन की कमी जल्दी नहीं आने वाली
  • लेकिन परिवार से संबंधों में सदा दिक्कत-परेशानियां बनी रहेंगी
  • चंद्रमा यहाँ हमेशा छोटी-मोटी समस्याएं लगाए ही रखेंगे
  • जातक की अटकलें जल्दी ख़तम ही नहीं होती, चंद्रमा कोई न कोई अटकलें लगाए ही रक्खेंगे

कन्या लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


ये मंगल की साधारण राशी है और यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं, जिससे उनका मार्केत्वे बढ़ जाता ही जो अति नुकसानदेह होता है
मारक ग्रह अगर नीचता में आता हा तो उसका मार्केत्वे कई गुना बढ़ जाता है
  • दशा-अन्तर्दशा में भाई-बहनों से भी दिक्कत-परेशानियां, लाभ में भी कमी, छोटी-मोटी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी चंद्रमा यहाँ देती हैं
  • यहाँ चंद्रमा व्यर्थ का पाक्रम और फिज़ूल की मेहनत करवाते रहते हैं  
  • जातक की छोटी-मोटी यात्राएं होती रहती हैं
  • और जताक को यी समझ नहीं आता की में जिंदगी खपने की कगार से क्यों जी रहा हूँ, जातक ज़िन्दग में खपता ही चला जाता है 
  • जातक की पिता से नहीं बनती, धर्म को जल्दी नहीं मानता और विदेश यात्रा में भी दिक्कत-परेशानियां आती है जातक को

कन्या लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में माता से मन-मुटाव
  • गाडी-वाहन भूमि की दिक्कत परेशानियां देंगे चन्द्र देव
  • काम-काज में दिक्कत परेशानियां
  • मानसिक तनाव बना रहेगा
  • छाती सम्बन्धी छोटा-मोटा रोग जरूर हो सकता है
  • ये सारी दिक्कत-परेशानियां अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता जरूर देते हैं

कन्या लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा अपनी पूरण जिंदगी में कभी अच्छा फल नहीं देते
  • जातक मनस्क रूप से कभी स्थिर होता ही नहीं है, वो सदा मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता  है
  • धन का आभाव उसे सदा कहीं ना कहीं बना रहता है
  • बड़े भाई-बहनों से दिक्कत परेशानियां आती ही रहती हैं
  • छोटी-मोटी पेट सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी उसे हो जाती हैं
  • चंद्रमा यहाँ पुत्री का योग भी तय कर देते है

कन्या लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा कभी अच्छा फल नही देंगे
  • चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जातक अनायास ही कलेश में फंसा रहता है
  • उसकी मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग रहती ही
  • जातक हर काम के पीछे भागता रहता है
  • लड़ाई-झगडा, दुर्घटना, कोर्ट-केस/लिटिगेशन होने का भी डर रहता है
  • फ़िज़ूल के व्यय भी जातक के होते ही रहते हैं, और जातक को सारी जिंदगी समझ ही नहीं आता की इतना कमाने के बाद भी मेरे इतने व्यय कैसे होते हैं जिसके चक्कर में में घूमता ही चला जाता हूँ.... उसमें सदा फंसा रहता हूँ


______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________


कन्या लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • सप्तम भाव में पड़े हुए चंद्रमा सिर्फ एक ही लाभ देते हैं, की जातक को जीवनसाथी - पति/पत्नी बहुत सुन्दर मिलेगा क्योंकि चंद्रमा और शुक्र सुन्दरता के कारक माने जाते है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा साझेदारी में भी दिक्कत-परेशानियां देंगे
  • मानसिक शांति भी भंग रक्खेंगे
  • दांपत्य सुख में भी समस्याएं देंगे
  • रोजी-रोजगार को भी चंदमा देवता बुरी तरह प्रभावित कर देंगे
  • चंदमा की लगन पर दृष्टि भी पूरणता नुकसानदेह होगी और जातक को मानसिक रूप से अस्थिर कर देगी

कन्या लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


अपनी पूरण दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देने वाले
  • मुशकिलें, मानसिक-तनाव, हर काम में बाधाएं होना... यहाँ वो पूरी तरह जातक को परेशान का देंगे
  • परिवार में भी दिक्कत-परेशानियां
  • वाणी में भी समस्याएं और 
  • धन का आभाव पूरण चन्द्र की दशा-अन्तर्दशा में सदैव बना ही रहता है जातक का

कन्या लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा उच्च के माने जाते हैं
  • जातक ने अपने लाभ को उठा कर उच्च का कर् के पिता को दे दिया, लेकिन साथ में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आती हैं
  • बड़े भाई-बहनों की तरक्की जरूर होती है चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में
  • लेकिन पिता को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं, पिता को भी लाभ होता है
  • पिता से मन-मुटाव भी बना ही रहता है
  • तीसरे भाव पर दृष्टी भी पूरणता नकारात्मक मानी जाती है
  • छोटे भाई-बहनों से कभी नहीं बनती
  • छोटी यात्राएं सदैव होती रहती हैं
  • फ़िज़ूल की मेहनत चंद्रमा करवाते ही रहते हैं
  • जो ग्रह हमारे शरीर और काम-काज का अति शत्रु होगा वो हमें अच्छा फल कभी देगा ही नही

कन्या लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • काम-काज के भाव में बैठ कर सदैव काम-काज को खराब करेंगे, अपनी दशा-अन्तर्दशा में काम-काज में रूकावट या चलता-चलता काम रुक जाना, चलते-चलते काम में बाधाएँ आएंगी, चलते-चलते काम को ऐसी स्थिति में ला देना जहाँ इंसान को समझ नहीं आता की में इसको जारी रक्खूं या में इस काम को बदल दूँ
  • चौथे भाव सम्बन्धी भी चंद्रमा देवता दिक्कत-परेशानियां ही देंगे
  • माता स मन-मुटाव सदैव जातक का बना ही रहेगा

कन्या लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अपनी ही स्वः राशी में आगये
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में बड़े भाई-बहनों से लाभ जरूर दिलवाएँगे
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी देंगे
  • लाभ भी देंगे
  • पंचम भाव पर चंद्रमा की दृष्टि शुभ नहीं मानी जाएगी... वो अशुभ मानी जाएगी
  • पुत्री का योग जरूर बना देंगे
  • आकस्मिक हानि देने का योग भी बना देंगे

कन्या लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अति बुरे माने जाएँगे, क्योंकि लाभ को उठा के खर्च में रक्ख दिया
  • जातक जितना मर्जी कमा ले लेकिन कमाई के साथ उतना ही फ़िज़ूल खर्चा होता रहता है, वो फीजूल खर्चे अपने कभी रोक ही नहीं पाता, उसको सारी जिंदगी ये समझ में नहीं आता की में कमाने के लिए पैदा हुआ हूँ या सारे खर्चे पूरे करने के लिए पैदा हुआ हूँ, वो खर्चों के पीछे भागता रहता है, खर्चे उससे दो कदम आगे चलते रहते हैं
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा/कोर्ट-केस के सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां ही देते हैं चन्द्र देव
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में ये विदेश यात्रा जरूर करवा देते है, लेकिन वहां से भी नुक्सान/परेशानी  का रास्ता खुलता है, वहां से भी वो जातक कभी स्थिर नहीं हो पाता
  • उसकी आर्थिक जरूरतें कभी पूरी होती ही नहीं हैं
  • और जातक भ्रमित और उलझा हुआ यानी की अनिर्णय की स्थिति में रहता है. उसे समझ अनहि आता की में जीने के लिए पैदा हुआ हूँ या खर्चे पूरे करने के लिए पैदा हुआ हूँ. और ये स्थिति जातक की अक्सर देखि गई है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________



कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
E-mail: vikas440@gmail.com

www.navgrhastro.com

पेमेंट करने की प्रक्रिय जानने के लिए नीचे क्लिक करें:

www.navgrhastro.com/contact.html



चन्द्र (५) के परिणाम सिंह लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H17 - 11022018

चन्द्र के परिणाम सिंह लग्न के अलग अलग भावों में




सिंह लग्न की कुंडली 



सिंह लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता जातक का व्यय सदैव लगाये ही रखते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देंगे, सदैव जातक का नुक्सान करवाते रहेंगे
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, छोटे-मोटे कलह-कलेश, मानसिक तनाव जातक का लगा ही रहेगा
  • दांपत्य सुख में समस्याएं, पार्टनरशिप में भी समस्याएं और रोजी-रोजगार को भी चंद्रमा देवता बुरी तरह प्रभावित कर के जातक की समस्याओं में बढ़ोतरी करते ही रहेंगे

सिंह लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चन्द्र देव धनं का आभाव सदा बनाये रक्खेंगे
  • परिवार पूरण साथ कभी नहीं देगा
  • वाणी में छोटी-मोटी दिक्कत परेशानिया अप्वानी बोल कर या अपशब्द बोलने की वजह से जातक समस्याएं झेलता ही रहेगा
  • जातक विदेश यात्रा भी कर सकता है और अगर अगर छोटी उम्र में चन्द्र की महादशा-अन्तर्दशा आ जाये तो पढ़ाई क लिए घर से दूर भी जा सकता है 
  • अष्टम भाव के सम्बन्धी भी चंद्रमा देवता जातक की समस्याओं में सदैव बढ़ोतरी करते ही मिलेंगे

सिंह लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव शुक्र की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • छोटी बहन का योग जरूर बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत/भाग-दौड़ और छोटी मोटी यात्राएं भी जातक की होती ही रहेगी
  • जातक बहुत ज्यादा पराक्रमी नहीं होगा
  • पिता से मन मुटाव सदा बना रहेगा
  • धर्म को जातक जल्दी  नहीं मानने बाला
  • जातक की विदेश यात्रा भी अटक-लटक के दिक्कत-परेशानियां दे कर ही होंगी

सिंह लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता नीच के हो जाते हैं
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में मकान गाडी भूमि सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • माता से मन-मुटाव सदा बना रहेगा
  • काम-काज सम्बन्धी भी सदैव समस्याएं/बाधाएं दे कर जातक के जीवन यापन की मुश्किलों में और ज्यादा बढ़ोतरी करते हे रहेंगे

सिंह लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • जातक को संतान सम्बन्धी समस्याएं रहती हैं
  • पुत्री का योग बनेगा
  • अनिश्चित हानि का रास्ता भी चन्द्र देव यहाँ खोल देंगे
  • जातक मानसिक रूप से जल्दी ही विचलित/परेशान हो जाता है
  • उदार/पेट सम्बन्धी समस्याएं आएंगी
  • लव-रोमांस में भी असफल होने का योग जरूर बनता है
  • बड़े भाई बहन से मन मुटाव रहता है
  • धन के आभाव सदा बना रहता है
  • चंद्र की दशा-अन्तर्दशा में छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी जातक की लगी ही रहती हैं 

सिंह लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


अगर चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ अच्छा फल जरूर देंगे
अगर सूरज बलहीन हो गए नीच हो गए या कहीं पीड़ित अवस्था में हुए तो यहाँ चंद्रमा अति मारक हो जाएँगे
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सक्रीय कर देंगे
  • कोर्ट-केस/लिटिगेशन दे कर समस्याओं में डाल सकते हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय करवाना, जेल यात्रा करना, अस्पताल के खर्चे बढ़ा कर चन्द्र देव जातक के लिए कलह-कलेश मचाये ही रक्खेंगे
  • विदेश यात्रा भी करवा सकते हैं यहाँ चन्द्र देव

______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________


सिंह लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ चंद्रमा जातक के विवाह में विलम्ब करवाएँगे
  • जातक को पार्टनरशिप/साझेदारी में धोखा मिल सकता है
  • रोजी-रोजगार में भी समस्याएं आएंगी 
  • जातक के व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और मानसिक शांति को भी सदैव दिक्कत परेशानियां रक्खेंगे चन्द्र देव

सिंह लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


अगर चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ अच्छा फल जरूर देंगे
अगर सूरज बलहीन हो गए नीच हो गए या कहीं पीड़ित अवस्था में हुए तो यहाँ चंद्रमा अति मारक हो जाएँगे
  • जातक को व्यय सम्बन्धी बाधाएं आएंगी
  • जातक के जीवन में इतनी बाधाएं आएंगी की चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में वो मृत्यु तुल्य कष्ट तक भोगता है
  • धन सम्बन्धी परेशानियां देंगे. धनं का आभाव जातक को सदा बना रहेगा
  • परिवार पूरणता साथ कभी नहीं देगा
  • जातक वाणी से भी अपशब्द बोल कर स्वयं के लिए समस्याओं को बाधा लेगा

सिंह लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ पिता से मन मुटाव सदा बना रहेगा
  • धर्म को जातक जल्दी नहीं मानने वाला होगा
  • विदेश यात्रा भी अटक-लटक के परेशानी दे कर के ही होती है
  • छोटे भाई बहन का योग चन्द्र देव बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत, फ़िज़ूल की छोटी-मोटी यात्राएं जातक की सदैव होती ही रहेंगी

सिंह लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहं चन्द्र देव उच्च के हो जाते हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय उच्च के होने से जातक को कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता काम काज में रुकावटें देते रहेंगे, मानसिक शांति भंग रक्खेंगे
  • माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान सम्बन्धी समस्याएं और माता से मन-मुटाव सदा रहने का योग कहीं न कहीं बनाये ही रक्खेंगे चंद्रमा देवता

सिंह लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चन्द्र देव यहाँ बड़े भाई-बहनों से दिक्कत-परेशानियां देंगे
  • धनं का आभाव भी बनाये रक्खेंगे 
  • फ़िज़ूल के व्यय खर्चे जातक के होते ही रहेंगे
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी जातक की सदैव लगी ही रहेंगी
  • पुत्री का योग बना देते हैं
  • मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देते हैं
  • पेट में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां देते हैं
  • जातक के लिए अनिश्चित हानि होने का रास्ता खोल देते हैं
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता दे कर जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग भी जरूर कर देगे
  • यहाँ चंद्रमा देवता पंचम भाव सम्बन्धी पूरणता नकारात्मक परिणाम अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक को जरूर देंगे 

सिंह लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ स्वः राशी के होते हैं
अगर चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ अच्छा फल जरूर देंगे
अगर सूरज बलहीन हो गए नीच हो गए या कहीं पीड़ित अवस्था में हुए तो यहाँ चंद्रमा अति मारक हो जाएँगे
  • फ़िज़ूल के व्यय बढ़ जाएँगे
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • अस्पताल के खर्चे होते रहेंगे
  • जेल यात्रा तक करवा सकते हैं यहाँ चन्द्र देव
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा/कोर्ट-केस, लड़ाई-झगडा, प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता होना आदि छठे भाव सम्बंधित सारे ही नकारात्मक परिणाम चन्द्र देव देंगे और जातक की बाधाएं और ज्यादा बढ़ा देंगे



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________



कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
E-mail: vikas440@gmail.com

www.navgrhastro.com

पेमेंट करने की प्रक्रिय जानने के लिए नीचे क्लिक करें:

www.navgrhastro.com/contact.html



चन्द्र (४) के परिणाम कर्क लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H16 - 11022018

चन्द्र के परिणाम कर्क लग्न के अलग अलग भावों में




कर्क लग्न की कुंडली 



कर्क लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ कुंडली के लिए बहुत अछे हो गए और यहाँ ये बहुत अछे माने जाते है
  • जातक हर समस्या/परेशानी से निकलने का योग ले कर आता है, जातक की हर समस्या/परेशानी टलती है जितनी मर्जी बड़ी समस्या होगी वो जल्दी ही निकल जाएगी
  • जातक का आकर्षक/मनमोहक व्यक्तित्व होता है
  • जातक का दांपत्य-सुख पूरणता अच्छा होता है
  • व्यापार में साझेदारी भी अच्छी होती है
  • जातक शारीरिक रूप से थोडा भारी शरीर का होगा जो अच्छा मन जाता है

कर्क लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक की वाणी बहुत मीठी होगी
  • जातक बड़े शिष्टाचार से बात करेगा मीठा बोलेगा शांत परवर्ती का होगा, लेकिन जरूरत के अनुसार उग्र भी बोलने की क्षमता रक्खेगा 
  • यहाँ जातक को धन की कमी कभी नहीं आती
  • जातक परिवार से सदा जुड़ा रहता है

कर्क लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा यहाँ जातक की मेहनत सामान्य से ज्यादा कर देंगे, यानी इंसान की मेहनत की बढ़ोतरी होगी
  • जातक का ध्यान छोटे भाई-बहनों पर ज्यादा होगा
  • जातक हमेशा छोटी यात्राएं कर के ही कुछ ना कुछ अर्जित कर पाएगा
  • उसकी दृष्टि अपने पिता पर पड़ना पिता के लिए बहुत अच्छा नहीं होगा क्योंकि गलत भाव में बैठ कर दृष्टि डाल रहा है
  • चंद्रमा यहाँ शुभ नहीं बल्कि अशुभ माने जाते है

कर्क लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ अछे माने जाते हैं और दिशाबली हो जाते हैं
  • गाडी-वाहन, सुख-सुविधाएं, प्रॉपर्टी, माता से अछे सम्बन्ध वो यहाँ सारी चीज़ें देंगे
  • जातक को हर चीज़ से संपन्न कर देंगे
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम-काज पर अच्छा असर डालेंगे, काम-काज की वृद्धि होगी बढ़ोतरी होगी तरक्की उन्नति मिलेगी जताक को

कर्क लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देंगे, कभी सकारात्मक परिणाम नहीं देंगे, क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
जातक 
  • जातक का मन हमेशा डांवाडोल स्थिति में रहेगा
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं लगी रहेंगी
  • औलाद से दिक्कत परेशानियां बनी रहेंगी
  • जातक का मन कभी स्थिर नहीं होगा
  • जातक का आत्मविश्वास डगमगाया रहेगा और जातक अस्थिर चित्त का होगा

कर्क लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • केवल प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए अछे माने जाते हैं
  • लेकिन अपनी दशा-अन्तर्दशा में रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा कोर्ट-केस देंगे
  • फ़िज़ूल का व्यय जातक का लगा ही रहेगा, पैसा आएगा बाद में लेकिन जाने को पहले तयार खड़ा रहता है
  • यहाँ चंदमा अति मारक ग्रह हो गए

______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________


कर्क लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा बहुत अच्छा फल देंगे और जातक के व्यक्तित्व में अच्छा योग लेकर आते हैं
  • जीवनसाथी बहुत अच्छा मिलता है
  • जातक बहुत मनमोहक व्यक्तित्व वाला होगा, बार-बार उससे बात करने को दिल चाहेगा 
  • साझेदारी में काम करने से उसकी बहुत बनेगी, साझेदारी/पार्टनरशिप बहुत सफलता पूर्वक निभा पाएगा जातक
  • रोजी-रोजगार में कोई न कोई कार्य उसे मिलता रहेगा और रोजी-रोजगार उसका सदैव चलने वाला है

कर्क लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता कभी अछे फल नहीं देने वाले 
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में सदैव स्वाथ्य सम्बन्धी समस्याएं, मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याएं/दिक्कतें 
  • एवं हर तरह से समस्याओं को बढ़ावा देना ये चद्रमा देवता इस घर में सदैव करने वाले हैं

कर्क लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता बहुत अछे हो जाते हैं
  • जातक भाग्यवान माना जाता है
  • जातक की पिता से बहुत बनती होगी
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा
  • अपने भाई बहनों की भी देखभाल करने वाला होगा
  • जातक अनुसंधान में अच्छा मकाम हासिल कर सकता है
  • विदेश यात्रा भी कर सकता है
  • जातक हर काम अपने भाग्य के आसरे बनाता नजर आएगा

कर्क लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव अच्छे तो माने जाते हैं पर साथ ही बलहीन भी हो गए क्योंकि जल ग्रह हो कर अग्नि राशी में आगये 

  • इसलिए चंद्रमा को बल देना यहाँ अत्यंत आवश्यक हो जाता है
  • चंद्रमा को सक्रीय कर के ही यहाँ चंद्रमा सही ढंग से सकारात्मक परिणाम दे पाएँगे


कर्क लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा कुंडली में सब से अछे माने जाते हैं, क्योंकि यहाँ ये इच्छापूर्ति के घर में विराजमान हैं और ऊपर से  चंद्रमा यहाँ उच्च के हो गए, इसलिए चंद्रमा देवता इस लगन कुंडली में सदैव अच्छा फल देंगे
  • उच्च का होने और दृष्टि अनिश्चित लाभ पर होने से चंद्रमा यहाँ अच्छा देने क लिए बाध्य हो गए
  • इंसान जो मांगेगा उसका मिलेगा
  • अगर उसकी दशा-अन्तर्दशा चल पड़ी और उसमें जरा से बला-बल हुआ तो वो इंसान को करोड़पति बना देगा
  • यहाँ चंद्रमा छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी ले कर आएगा क्योंकि वो छठे से छटा भी है

कर्क लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ चंद्रमा के स्थापित होने से जातक विदेश जा कर बस तो जरूर जाता है लेकिन साड़ी जिंदगी अपने खर्चे पूरे नहीं कर पाता... अपने खर्चों से पार नहीं पा पता क्योंकि ये व्यय का घर है और चंद्रमा यहाँ कारक नहीं रहा
  • अस्पताल के खर्चे सक्रीय हो जाते हैं
  • जातक को मानसिक समस्याएं हो जाती हैं
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आती हैं
  • जातक का मन किसी भी कार्य में लगने वाला ही नहीं है, कहीं टिकता ही नहीं है क्योंकि चंद्रमा मन का कारक है और बुरी अवस्था में है
  • चंद्रमा का दोष पूर्ण स्थापित होना अपने आप में कुंडली के लिए बहुत नुकसानदेह होता है
  • जातक मन से कभी स्थिर नहीं होता
  • चंद्रमा यहाँ इंसान को मानसिक तनाव/अवसाद में जल्दी ले आता है





ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

______________________________________________________________________________________________

______________________________________________________________________________________________



कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
E-mail: vikas440@gmail.com

www.navgrhastro.com

पेमेंट करने की प्रक्रिय जानने के लिए नीचे क्लिक करें:

www.navgrhastro.com/contact.html