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चन्द्र (९) के परिणाम धनु लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H21 - 24022018

चन्द्र के परिणाम धनु लग्न के अलग-अलग भावों में




धनु लग्न की कुंडली 



धनु लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा कभी जातक को टिकने नहीं देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • स्वास्थ्य में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानी दे देंगे
  • काम-काज में नित्य नई समस्याएं खडी ही रक्खेंगे
  • साझेदारी/पार्टनरशिप में भी समस्याएं देंगे
  • दांपत्य सुख में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित कर के उस में भी चंद्रमा देवता दिक्कतें ही देंगे 

धनु लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को धन का आभाव सदा रहने वाला है
  • वाणी भी  दिक्कत परेशनी भरी होगी
  • और परिवार उसका साथ पूरणता कभी नहीं देगा, परिवार उस जातक को सदैव गलत ही समझता हुआ आएगा
  • फ़िज़ूल की बाधाएं भी बढ़ी रहेंगी
  • जातक की मानसिक शांति भंग रहेगी
  • यहाँ मृत्यु-तुल्य कष्ट तक देंगे चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में

धनु लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत, फ़िज़ूल की यात्राएं जातक की होती रहेंगी
  • छोटे भाई-बहन से कलेश बना रहेगा
  • और मेहनत करने क बाद भी पूरण सकारात्मक परिणाम चंद्रमा कभी नहीं देनें वाले
  • पिता से भी दिक्कत परेशनियाँ बनी रहेंगी
  • जातक धर्म को भी अहि मानता
  • विदेश यात्राओं में भी परेशनी बढ़ा कर के चंद्रमा जातक की मानसिक शांति को सदैव भंग रक्खेंगे

धनु लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता माता से दिक्कत-परेशानियां देकर सदा मन-मुटाव बनाये रखते है
  • गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां चंद्रमा देवता खडी करते हैं
  • अपने काम-काज/व्यवसाय में सदैव बाधाएं दे कर यहाँ चंद्रमा देवता जातक का चलता-चलता काम भी बंद करवाने की कगार पर ला कर खड़ा कर देते हैं

धनु लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव संतान उत्पत्ति में बहुत विलम्ब करते हैं, कई बार विवाह के ४-५ साल बाद संतान की प्राप्ति होती है
  • जातक मानसिक रूप से तनाव्ग्रस्त रहता है
  • उदर/पेट में सदा परेशानी बनी रहती हैं
  • आकस्मिक हानि होने का योग बनता है
  • यहाँ चंद्रमा जातक की मानसिक शांति भंग कर के उसकी स्मरण-शक्ति/याददाश्त को भी इतन कमजोर करता है की जातक अक्सर भूलने की कगार पर खड़ा रहता है 
  • बड़े भाई-बहनों से सदा समस्याएं बनी रहेंगी
  • लाभ की कमी सदैव बनी रहेंगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां चंद्र देव अपनी दशा अन्तर्दशा में सदैव् देते ही रहेंगे

धनु लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
  • अगर ब्रहस्पति बलि हुए और चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो चंद्रमा यहाँ बहुत अच्छा फल देंगे
  • अगर ब्रहस्पति बलि ना हुए तो यहाँ चन्द्र देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस/लिटिगेशन देंगे
  • प्रतियोगिताओं में असफलता देंगे
  • फ़िज़ूल के व्यय, हस्पताल के खर्च, यहाँ तक की जेल यात्रा तक करवा देना और मृत्यु-तुल्य कष्ट तक देंगे चंद्रमा देवता

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धनु लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव साझेदारी/पार्टनरशिप में दिक्कत-परेशानी देंगे
  • रोजी रोजगार में समस्याएं देंगे
  • हाँ जातक को पत्नी जरूर खूबसूरत मिलेगी 
  • लेकिन यहाँ भी लगन पर दृष्टि से जातक के स्वास्थ्य में समस्याएं
  • जातक को मानसिक तनाव
  • और चंद्रमा अनायास ही जातक की थोड़ी-थोड़ी खीजने वाली और चिडचिडापन वाला व्यक्तित्व बना देते हैं

धनु लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अपनी स्वः राशी के हो गए
  • अगर ब्रहस्पति बलि हुए और चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो चंद्रमा यहाँ बहुत अच्छा फल देंगे
  • अगर ब्रहस्पति बलि ना हुए तो यहाँ चन्द्र देवता आयु तो बहुत लम्बी दे देंगे लेकिन जातक अकी जीवन में बाधाएं भी उतनी ही बढ़ा देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • बिना कारण के ही जातक को हर काम के लिए खपना जरूर पड़ेगा
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • वाणी सदैव दिक्कत-परेशानी भरी रहेगी
  • परिवार जातक का साथ कभी नहीं देगा और उसकी मानसिक शांति पूरी तरह भंग ही होती रहेगी चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में

धनु लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक का पिता से सदैव मन-मुटाव रहने वाला है, जातक पिता की देखभाल सही ढंग से नहीं करेगा
  • धर्म को जल्दी मानने वाला नहीं होगा
  • विदेश यात्रा भी चंद्रमा कराएँगे तो वहां से भी जातक बैरंग लिफाफे की तरह वैसे का वैसा वापिस आजेगा, विदेश से भी कुछ अर्जित कर के नहीं ला पाएगा, चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में ये दिक्कत-परेशानियां जरूर मिलेंगी
  • जातक की छोटी-मोटी बेवजह की यात्राएं  होती रहेंगी
  • छोटे भाई-बहनों से कलह-कलेश मचता रहेगा
  • और उस जातक को बिना कारण के अनायास ही हर काम के लिए मेहनत जरूरत से ज्यादा करनी पड़ेगी 

धनु लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्र देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में कभी काम-काज व्यवस्थित नहीं होने देंगे, काम-काज में इतनी समस्याएं देंगे की जातक खपता ही रह जाता है... भागता ही रह जाता है
  • जातक निराश होता चला जाता है, मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है, और जातक ये समझ ही नहीं पता की क्या कभी में जिंदगी में पूर्णतयः स्थापित हो भी पाउँगा या नहीं
  • जातक का जीवन यापन एक खपने की कगार पर आजाता है
  • माता से सदैव मन-मुटाव बना रहता है, माता से सम्बन्ध कभी मघुर नहीं रह पाते, सदा गलतफहमियों में आकर माता से दिक्कत-परेशानियां बनी रहती हैं
  • अगर जातक का मकान, भूमि, गाडी, वाहन बनाने वाला हुआ तो चंद्रमा देवता उसमें भी सदैव बाधाएं दे कर विलम्ब करते हैं

धनु लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ बड़े भाई-बहनों से मन-मुटाव बना रहता है
  • धन का आभाव सदा बना रहता है
  • जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं रहती है, स्वास्थ्य में पूर्ण स्थिरता कभी चन्द्र देव आने देते ही नहीं अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • पुत्री का योग बना देते हैं
  • जातक की मानसिक शांति भंग रखते हैं
  • उसकी स्मरण शक्ति को कमजोर करते हैं
  • पेट संबंदी दिक्कत परेशानी देते हैं
  • प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस में असफलता दे कर जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देगे चन्द्र देव

धनु लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं और कभी विपरीत-राज-योग की स्थिति में नहीं आते
  • जातक के फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • हस्पताल के खर्चे भी बढ़ा सकते हैं
  • विदेश स्थापित कर के जातक की दिक्कत-परेशानियां बढ़ा देंगे
  • जातक का जीवन यापन बहुत ज्यादा मुश्किलों में घिर जाता है, उसे मृत्यु तुल्य कष्ट तक होता है
  • रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना पर चंद्रमा की दृष्टि सारे नकारात्मक परिणाम देगी
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में भी चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा असफलता देकर जातक की परेशनियों में और इजाफा कर देंगे


ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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चन्द्र (८) के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H20 - 22022018

चन्द्र के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग-अलग भावों में




वृश्चिक लग्न की कुंडली 



वृश्चिक लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा कभी अच्छा फल नहीं देंगे, क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव नीचता का फल दे कर स्वास्थ्य में दिक्कत-परेशानी देंगे 
  • जातक को तनाव्ग्रस्त रक्खेंगे
  • पिता से बनने वाली नहीं होगी
  • जातक धर्म को मानने वाला नहीं होगा
  • दिक्कत-परेशानी उसकी खड़ी ही रहेंगी
  • पार्टनरशिप/साझेदारी, दांपत्य सुख और रोजी रोजगार में भी चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा दिक्कत-परेशानी ही देती रहेगी

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

यहाँ चंद्रमा बहुत अच्छा फल देंगे
  • जातक की वाणी को बहुत अच्छा कर देंगे
  • धन का आभाव कभी नहीं रहने देंगे
  • परिवार से सदैव बनती होगी जातक की, परिवार उसके लिए सहायक स्तंभ बना रहेगा
  • जातक अपने जीवन की बाधाओं को अपने परिश्रम से कम कर के मानसिक शांति ले आने में समर्थ होगा जो उसके जीवन यापन को अच्छा करने में बाध्य हो जाएगी

वृश्चिक लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देगा
  • छोटी मोटी यात्राएं जातक की जरूर करवा देंगे
  • मेहनत का फल उनता जरूर दे देंगे जितनी जातक मेहनत करता है
  • जातक का पिता से लगाव होगा, वह पिता की देखभाल करने वाला उनका ध्यान रखने वाला होगा
  • छोटी-मोटी विदेश यात्रा भी होती रहेंगी
  • और जातक धर्म को भी द्रढ़ता से मानने वाला जरूर होगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव शनि देव की मूल त्रिकोण राशी में आकर दिशाबली हो जाते हैं
  • यहाँ चंद्रमा देवता माता गाडी भूमि वाहन मकान सारे सुख सुविधाएँ देंगे
  • जातक का माता से लगाव होगा,  उसकी माता से बनती होगी और वह माता का पूरी जिम्मेदारी से ध्यान रखने वाला होगा
  • यहाँ चद्रमा देवता काम-काज में भी लाभ देंगे
  • और काम-काज में नए रस्ते खोल कर जातक को काम काज आपार सम्भावना अपनी दशा-अन्तर्दशा में जरूर देंगे

वृश्चिक लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव पुत्री का योग जरूर बना देंगे
  • जातक को उदर (पेट) बहुत मजबूत होगा
  • जातक की स्मरण-शक्ती/याददाश्त बहुत अच्छी होगी
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा
  • संतान के बाद भाग्योदय जरूर होगा, संतान फोने के बाद उसका काम अच्छा जरूर चल पड़ेगा क्योंकि भाग्य के स्वामी की सक्रियता यहाँ बढ़ जाएगी
  • बड़े भाई-बहन से बनती होगी
  • लाभ में कमी कभी नहीं आएगी
  • छोटी-मोटी स्वस्त्य सम्बन्धी समस्याएं चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में चली जरूर जाएगी

वृश्चिक लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता पूरण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देते
  • क्योंकि ये रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा कोर्ट-केस मानसिक-तनाव बढ़ा कर जातक के जीवन यापन की मुश्किलें बढ़ा देते हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय भी जातक से संभाले ही नहीं जाएँगे
  • पिता के स्वास्थ्य तक में भी दिक्कत-परेशानियां शरू हो जाएंगी


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वृश्चिक लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
  • जातक ने अपना भाग्य उठा कर पत्नी को दे दिया, विवाह के बाद भाग्योदय होने का योग बनता है और काम-काज की गाडी ट्रैक पर आ जाती है
  • चद्रमा यहाँ पार्टनरशिप/साझेदारी और दांपत्य सुख में भी लाभ देंगे
  • पत्नी भी बहुत खूबसूरत मिलेगी
  • रोजी-रोजगार के नए रस्ते भी चंद्रमा देवता जरूर खोल देंगे
  • एक सोम्य/मनमोहक व्यक्तित्व जातक का जरूर बना देंगे, जताक आकर्षक व्यक्तित्व को होगा जिससे हर कोई उससे दोस्ती करना उसके करीब आना जरूर चाहता हो

वृश्चिक लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • दशा-अन्तर्दशा में बिना कारण की बाधाएं, तनाव, फ़िज़ूल की मानसिक अशांति पूरण बाधाएं चंद्रमा यहाँ देंगे और जातक को मृत्यु-तुल्य कष्ट तक देंगे
  • धन का आभाव सदा रहने वाला है
  • परिवार पूरणता साथ कभी नहीं रहने वाला
  • और वाणी भी जातक ऐसी बोल देगा जो किसी को कभी नहीं बोलनी चाहिए क्योंकि उससे सामने वाले को परेशानी होती है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा स्वः राशी के हो जाते हैं
  • जातक बहुत भाग्यवान होगा 
  • पिता से जातक के बहुत अच्छे सम्बन्ध होंगे
  • धर्म को जातक जरूर मानने वाला होगा
  • विदेश यात्रा भी जातक जरूर कर लेगा
  • छोटे-भाई बहन से दिक्कत परेशानी नहीं आएंगी
  • जातक जितनी यात्राएं करेगा उसका लाभ उसको जरूर मिलेगा
  • जातक अपनी मेहनत से लाभ अर्जित कर के एक सुखी जीवन यापन जरूर कर लेगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता अपनी दशा-अन्तर्दशा में काम-काज के नए रस्ते जरूर खोल देंगे
  • जातक माता से बहुत ज्यादा लगाव रक्खेगा, माता का बहुत ज्यादा ध्यान रखने वाला होगा
  • गाडी भूमि वाहन मकान सारी सुख-सुविधाएं जातक अगर अर्जित करना चाहे तो चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जरूर कर लेगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को बड़े भाई-बहन से लाभ जरूर मिलेगा
  • जातक स्वयं भी लाभ अर्जित करता रहेगा
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं अगर जातक को आएंगी तो चली जरूर जाएंगी
  • पुत्री का योग जरूर बना देंगे यहाँ
  • प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस में कामयाबी जरूर दे देंगे चन्द्र देव
  • यहाँ पर चंद्रमा देवता उदर/पेट सम्बन्धी समस्याएं जल्दी नहीं आने देंगे
  • जातक की स्मरण-शक्ति/याददाश्त तीक्ष्ण कर के चंद्रमा जातक को एक दृढ इच्छा शक्ति का जरूर बना देंगे

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता यहाँ पूरणता नकारात्मक परिणाम दे कर के बाहरवें भाव को सक्रीय कर देंगे
  • फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे जातक के
  • जेल यात्रा तक करवा सकते हैं चन्द्र देव
  • हस्पताल के खर्च भी बढ़ा देते हैं चन्द्र देव
  • छ्टे भाव सम्बन्धी भी चंद्रमा पूरणता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस सारी समस्याएं दे कर जातक के जीवन यापन की मुश्किलें और बढ़ा देंगे 
  • कई बार जातक आहिस्ता-आहिस्ता धर्म को मानना ही छोड़ देता है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
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चन्द्र (७) के परिणाम तुला लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H19 - 12022018

चन्द्र के परिणाम तुला लग्न के अलग अलग भावों में




तुला लग्न की कुंडली 



तुला लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता बहत अच्छा फल देंगे
  • जातक बहुत खूबसरत होगा, उसके चक्षु बहुत अच्छे होंगे, गौर से देखने पर उसकी खूबसूरती सामान्य से अलग 
  • होगी और उसके व्यक्तित्व में भी एक अलग निखार होगा. जातक एक प्रभावशाली व्यवहार अपना लेता है
  • साझेदारी अच्छी होगी, अछे परिणाम मिलेंगे और लाभ भी जरूर होगा
  • जीवनसाथी बहुत खूबसूरत और अच्छा मिलेगा
  • चंद्रमा रोजी-रोजगार के लिए भी अच्छा करेंगे और रोजी-रोजगार में भी नित्य-नए रस्ते खुलते ही रहेंगे
  • जातक कर्म से डरने वाला नहीं होगा, काम-काज में सुधार और तरक्की होगी
  • इस तरह सातवें घर के संबंधीत भी चंद्रमा देवता हमें लाभ जरूर देंगे

तुला लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देंगे क्योंकि यहाँ वे नीच के हो जाते हैं, नीच के चंदमा देवता सदैव नुक्सान करते हैं
  • वाणी को भी उग्र कर देंगे, अनायास हे वाणी से कुछ ऐसी बात निकल जाएगी जिससे जातक को समस्या झेलना पड़ेगा
  • परिवार से भी बनने नहीं देंगे
  • धन का आभाव जातक को सदा रहने वाला है
  • दशा-अन्तर्दशा में जातक का काम-काज भी कभी जल्दी स्थापित नहीं होने देंगे, जातक को सदैव खपना पड़ेगा
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर के उसको अनायास ही भागते रहंगे, काम-काज को सही तरह से स्थापित होने ही नहीं देते वो... जातक को कोई रास्ता ही नज़र नहीं आता, जातक ये समझ ही नहीं पता की में काम को स्थिर कैसे करूँ
  • जातक दुविधा में रहता है और किसी भी निर्णय पर जल्दी नहीं पहुँच पाता
  • अनायास ही बाधाएं आती रहेंगी और मेहनत सामान्य सी ज्यादा करना पड़ेगा
  • बिना कारण के छोटी-मोटी बात का तनाव जातक को सदैव बना ही रहेगा

तुला लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा ब्रहस्पति की मूल-त्रिकोण राशी में आगये
  • छोटी बहन का योग जरूर बनता है
  • जातक का काम-काज मेहनत/भाग-दौड़ वाला हो गया, फ़िज़ूल की मेहनत जातक की होती ही रहती है और मेहनत का उतना फल नहीं मिलता जितना जातक को मिलना चाहिए. जो भी जातक काम-काज करता है उसमें सदैव भाग-दौड़ लगी ही रहती है
  • छोटी फ़िज़ूल की यात्राएं भी जातक की चलती ही रहेंगी
  • चंदमा यहाँ पिता से भी बहुत ज्यादा नही बनने देते, थोडा-बहुत मन-मुटाव सदैव रखते हैं
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा, थोडा-बहुत धार्मिक परवर्ती का जातक जरूर हो सकता है
  • विदेश यात्रा जरूर हो सकती ही

तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा शनिदेव की साधारण राशि में आगये और जातक को बहुत अच्छा फल देंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में माता गाडी भूमि वाहन मकान में हर तरह का लाभ देंगे
  • माता से जातक का बहत लगाव होगा
  • काम-काज का नया रास्ता खोल कर काम-काज में भी पूरणता लाभ देंगे और जातक को अच्छी तरह से स्थापित जरूर कर देंगे

तुला लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • जातक का काम-काज बुद्धि से जुदा हुआ होगा, इंसान को बुद्धि खपा कर अपना काम-काज निकलना पड़ेगा
  • यहाँ वो पुत्री का योग जरूर बना देंगे
  • छोटी-मोटी पेट सम्बन्धी समस्या दे सकते हैं 
  • लव-रोमांस में कामयाबी जरूर देंगे
  • संतान बहुत ही खूबसूरत होगी
  • यहाँ चंद्रमा लाभ का रास्ता कहीं न कहीं से खोलते रहेंगे, लाभ भी जातक को स्वयं की मेहनत से होगा
  • बड़े भाई-बहनों से भी सहयोग/लाभ मिलेगा
  • जातक का काम-काज बड़े भाई-बहनों से जुड़ा हुआ हो सकता है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लगी ही रहेंगी

तुला लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


अपनी दशा-अन्तर्दशा में चन्द्रमा कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • जातक का काम-काज कभी व्यवस्थित/स्थापित होने ही नहीं देंगे, जातक काम-काज के लिए भागता-दौड़ता खपत ही मिलेगा, दशा-अन्तर्दशा में जातक अच्छा भला चलता काम रोक देते हैं और उसके काम-काज में उथल-पुथल जरूर मचाएगा
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस इन सब में जातक समस्या झेलता ही मिलेगा
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पा कर जातक अच्छे पद पर जरूर जा सकता है
  • जातक किसी के अंतर्गत रह कर नौकरी जरूर अच्छी कर सकता है
  • जातक अपना निवेश कर के व्यवसाय कभी नहीं कर पता, उसमें कामयाबी उसको कभी नहीं मिलती 
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के होते ही रहेंगे
  • विदेश यात्रा जरूर कर लेगा जातक 
  • लेकिन खर्च अनायास ही इतने ज्यादा होंगे की कई बार इंसान लाचार हो कर मन अशांत कर लेता है क्योंकि चंद्रमा उसकी समस्याओं को बढ़ा देते हैं


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तुला लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को जीवनसाथी बहुत खूबसूरत मिलता है
  • पार्टनरशिप/साझेदारी में काम होगा तो सदैव जातक को लाभ मिलेगा
  • रोजी-रोजगार में भी नए रस्ते जरूरर खुलेंगे
  • यहाँ चंद्रमा जातक के व्यक्तित्व में भी एक निखार जरूर ले आएँगे

तुला लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा उच्च के हो जाते हैं पर भाव गलत होने की वजह से पूरणता नकारात्मक परिणाम ही देंगे
  • जातक को कभी स्थापित होने ही नहीं देंगे
  • काम-काज कभी बनता नहीं है, काम-काज स्थापित होने में विलम्ब होता है और फ़िज़ूल की मेहनत जातक की होती ही रहती है 
  • यहाँ चंदमा सिवाय नुक्सान/मानसिक अशांति/फ़िज़ूल की भाग दौड़/तनाव/बाधाओं के कुछ नहीं देते 
  • धन का आभाव सदा चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में रहने वाला है
  • वाणी में कटुता लाना एक स्वाभाविक तत्व हो जाएगा
  • और परिवार जातक को कभी अच्छा नहीं समझेगा और ना ही कभी उसका साथ देगा ये सब परेशानियां जातक को लगी ही रहेंगी

तुला लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक का काम-काज अगर पिता से जुड़ा होगा तो सदैव अच्छा होगा
  • भाग्य के लिए अच्छा हो गया
  • हालाँकि चंद्रमा अपनी शत्रु राशी में हैं, पर केंद्र का मालिक त्रिकोण में आना या त्रिकोण का मालिक केंद्र में आना एक अच्छा योग मन जाता है
  • पिता का सहयोग सदा उस जातक को बना रहेगा
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा
  • यहाँ से विदेश जाने के लियी अगर वो तय्यारी करेगा तो जरूर यात्रा कर पाएगा
  • छोटे भाई-बहन से भी मिलकर उनके सहयोग में अगर काम करेगा तो उसे सदैव लाभ मिलेगा
  • फ़िज़ूल की मेहनत जरूर हर कदम पर होती रहेगी, मेहनत का उतना फल जरूर मिलेगा जितना जातक उम्मीद करता है
  • लेकिन कुल मिला कर जातक सदैव लाभ में ही रहेगा

तुला लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अपनी ही स्व राशी में आगये
  • सदैव काम-काज सम्बन्धी लाभ देंगे, जातक का काम-काज बहुत अच्छा स्थापित कर देंगे
  • जातक मानसिक रूप से तनाव रहित रहेगा
  • और अपने कर्मों से पूरणता संतुष्ट रहेगा
  • माता से लगाव रहेगा
  • माता गाडी भूमि वाहन सभी के सम्बंधित लाभ चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक जरूर देंगे
  • गाडी-भूमि वाहन का सुख जातक को सदैव मिलता रहेगा

तुला लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा सदैव लाभ देंगे लेकिन क्योंकि चंद्रमा जल ग्रह हो कर अग्नि राशी में आगये तो अगर चंद्रमा से लाभ लेना हो तो उसकी दशा-अन्तर्दशा में उन्हें बल देने की आवश्यकता है जिससे वो और अधिक लाभ देने में तत्पर हो जाएँ
  • बड़े भाई-बहन से जातक को पूरणता सहयोग और लाभ दिलाएँगे
  • धन का लाभ यहाँ होता रहेगा, पैसे की कमी कभी नहीं आने वाली, अपने काम-काज को अच्छा कर के जातक अपने लाभ को जरूर अच्छा कर लेगा
  • स्वास्थ्य में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां लगी रहेंगी
  • पुत्री का योग वो जरूर बना देगा
  • जातक छोटी-मोटी बातों पर तनाव्ग्रस्त हो जाता है
  • पेट में समस्याएं दे सकते हैं
  • लव-रोमांस में उसको कामयाबी जरूर मिलती है
  • छोटा-मोटा आकस्मिक लाभ भी चंद्रमा जरूर करवा देगा


तुला लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा जातक का काम-काज कभी व्यवस्थित होने ही नहीं देते
  • जातक को मानसिक तनाव सदा बना ही रहता है
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के बढाते ही रहते हैं
  • जेल यात्रा भी हो सकती है
  • काम-काज के लिए इंसान भागता ही रहता है
  • स्वयं से निवेश करने के बाद भी काम-काज में वो कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पता
  • विदेश यात्रा जातक जरूर कर लेता है, लेकिन विदेश यात्रा कर के वहां जा कर भी जातक किसी के अंतर्गत रह कर ही काम कर पता है, स्वयं का निवेश लगा कर कभी काम-काज नहीं कर पता
  • रोग ऋण क़ज़ा दर्घटना मकदमा/कोर्ट-केस तनाव सम्बंधित भी दिक्कत परेशानियां और नकारात्मक परिणाम  देता ही रहता है चंद्रमा देवता और जातक की परेशानियों में बढ़ोतरी करता रहता है
  • विदेश जा कर नौकरी करने से जातक ज्यादा अच्छा स्थापित हो जाता है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
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चन्द्र (६) के परिणाम कन्या लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H18 - 12022018

चन्द्र के परिणाम कन्या लग्न के अलग अलग भावों में




कन्या लग्न की कुंडली 



कन्या लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लगी रहेंगी
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त होता रहेगा, उसकी एकाग्रता भंग रहेगी और उसका मन सदैव परेशान रहने वाला है
  • पत्नी/दांपत्य सुख, साझेदारी और रोजी-रोजगार में भी पूरणता चंद्रमा देवता दिक्कत-परेशानियां ही देने वाला है

कन्या लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चद्रमा शुक्र देव की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • वे यहाँ जातक की वाणी बहुत अच्छी/मधुर कर देंगे
  • धन की कमी जल्दी नहीं आने वाली
  • लेकिन परिवार से संबंधों में सदा दिक्कत-परेशानियां बनी रहेंगी
  • चंद्रमा यहाँ हमेशा छोटी-मोटी समस्याएं लगाए ही रखेंगे
  • जातक की अटकलें जल्दी ख़तम ही नहीं होती, चंद्रमा कोई न कोई अटकलें लगाए ही रक्खेंगे

कन्या लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


ये मंगल की साधारण राशी है और यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं, जिससे उनका मार्केत्वे बढ़ जाता ही जो अति नुकसानदेह होता है
मारक ग्रह अगर नीचता में आता हा तो उसका मार्केत्वे कई गुना बढ़ जाता है
  • दशा-अन्तर्दशा में भाई-बहनों से भी दिक्कत-परेशानियां, लाभ में भी कमी, छोटी-मोटी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी चंद्रमा यहाँ देती हैं
  • यहाँ चंद्रमा व्यर्थ का पाक्रम और फिज़ूल की मेहनत करवाते रहते हैं  
  • जातक की छोटी-मोटी यात्राएं होती रहती हैं
  • और जताक को यी समझ नहीं आता की में जिंदगी खपने की कगार से क्यों जी रहा हूँ, जातक ज़िन्दग में खपता ही चला जाता है 
  • जातक की पिता से नहीं बनती, धर्म को जल्दी नहीं मानता और विदेश यात्रा में भी दिक्कत-परेशानियां आती है जातक को

कन्या लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में माता से मन-मुटाव
  • गाडी-वाहन भूमि की दिक्कत परेशानियां देंगे चन्द्र देव
  • काम-काज में दिक्कत परेशानियां
  • मानसिक तनाव बना रहेगा
  • छाती सम्बन्धी छोटा-मोटा रोग जरूर हो सकता है
  • ये सारी दिक्कत-परेशानियां अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता जरूर देते हैं

कन्या लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा अपनी पूरण जिंदगी में कभी अच्छा फल नहीं देते
  • जातक मनस्क रूप से कभी स्थिर होता ही नहीं है, वो सदा मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता  है
  • धन का आभाव उसे सदा कहीं ना कहीं बना रहता है
  • बड़े भाई-बहनों से दिक्कत परेशानियां आती ही रहती हैं
  • छोटी-मोटी पेट सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी उसे हो जाती हैं
  • चंद्रमा यहाँ पुत्री का योग भी तय कर देते है

कन्या लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा कभी अच्छा फल नही देंगे
  • चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जातक अनायास ही कलेश में फंसा रहता है
  • उसकी मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग रहती ही
  • जातक हर काम के पीछे भागता रहता है
  • लड़ाई-झगडा, दुर्घटना, कोर्ट-केस/लिटिगेशन होने का भी डर रहता है
  • फ़िज़ूल के व्यय भी जातक के होते ही रहते हैं, और जातक को सारी जिंदगी समझ ही नहीं आता की इतना कमाने के बाद भी मेरे इतने व्यय कैसे होते हैं जिसके चक्कर में में घूमता ही चला जाता हूँ.... उसमें सदा फंसा रहता हूँ


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कन्या लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • सप्तम भाव में पड़े हुए चंद्रमा सिर्फ एक ही लाभ देते हैं, की जातक को जीवनसाथी - पति/पत्नी बहुत सुन्दर मिलेगा क्योंकि चंद्रमा और शुक्र सुन्दरता के कारक माने जाते है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा साझेदारी में भी दिक्कत-परेशानियां देंगे
  • मानसिक शांति भी भंग रक्खेंगे
  • दांपत्य सुख में भी समस्याएं देंगे
  • रोजी-रोजगार को भी चंदमा देवता बुरी तरह प्रभावित कर देंगे
  • चंदमा की लगन पर दृष्टि भी पूरणता नुकसानदेह होगी और जातक को मानसिक रूप से अस्थिर कर देगी

कन्या लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


अपनी पूरण दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देने वाले
  • मुशकिलें, मानसिक-तनाव, हर काम में बाधाएं होना... यहाँ वो पूरी तरह जातक को परेशान का देंगे
  • परिवार में भी दिक्कत-परेशानियां
  • वाणी में भी समस्याएं और 
  • धन का आभाव पूरण चन्द्र की दशा-अन्तर्दशा में सदैव बना ही रहता है जातक का

कन्या लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा उच्च के माने जाते हैं
  • जातक ने अपने लाभ को उठा कर उच्च का कर् के पिता को दे दिया, लेकिन साथ में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आती हैं
  • बड़े भाई-बहनों की तरक्की जरूर होती है चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में
  • लेकिन पिता को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं, पिता को भी लाभ होता है
  • पिता से मन-मुटाव भी बना ही रहता है
  • तीसरे भाव पर दृष्टी भी पूरणता नकारात्मक मानी जाती है
  • छोटे भाई-बहनों से कभी नहीं बनती
  • छोटी यात्राएं सदैव होती रहती हैं
  • फ़िज़ूल की मेहनत चंद्रमा करवाते ही रहते हैं
  • जो ग्रह हमारे शरीर और काम-काज का अति शत्रु होगा वो हमें अच्छा फल कभी देगा ही नही

कन्या लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंदमा कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • काम-काज के भाव में बैठ कर सदैव काम-काज को खराब करेंगे, अपनी दशा-अन्तर्दशा में काम-काज में रूकावट या चलता-चलता काम रुक जाना, चलते-चलते काम में बाधाएँ आएंगी, चलते-चलते काम को ऐसी स्थिति में ला देना जहाँ इंसान को समझ नहीं आता की में इसको जारी रक्खूं या में इस काम को बदल दूँ
  • चौथे भाव सम्बन्धी भी चंद्रमा देवता दिक्कत-परेशानियां ही देंगे
  • माता स मन-मुटाव सदैव जातक का बना ही रहेगा

कन्या लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अपनी ही स्वः राशी में आगये
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में बड़े भाई-बहनों से लाभ जरूर दिलवाएँगे
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी देंगे
  • लाभ भी देंगे
  • पंचम भाव पर चंद्रमा की दृष्टि शुभ नहीं मानी जाएगी... वो अशुभ मानी जाएगी
  • पुत्री का योग जरूर बना देंगे
  • आकस्मिक हानि देने का योग भी बना देंगे

कन्या लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अति बुरे माने जाएँगे, क्योंकि लाभ को उठा के खर्च में रक्ख दिया
  • जातक जितना मर्जी कमा ले लेकिन कमाई के साथ उतना ही फ़िज़ूल खर्चा होता रहता है, वो फीजूल खर्चे अपने कभी रोक ही नहीं पाता, उसको सारी जिंदगी ये समझ में नहीं आता की में कमाने के लिए पैदा हुआ हूँ या सारे खर्चे पूरे करने के लिए पैदा हुआ हूँ, वो खर्चों के पीछे भागता रहता है, खर्चे उससे दो कदम आगे चलते रहते हैं
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा/कोर्ट-केस के सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां ही देते हैं चन्द्र देव
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में ये विदेश यात्रा जरूर करवा देते है, लेकिन वहां से भी नुक्सान/परेशानी  का रास्ता खुलता है, वहां से भी वो जातक कभी स्थिर नहीं हो पाता
  • उसकी आर्थिक जरूरतें कभी पूरी होती ही नहीं हैं
  • और जातक भ्रमित और उलझा हुआ यानी की अनिर्णय की स्थिति में रहता है. उसे समझ अनहि आता की में जीने के लिए पैदा हुआ हूँ या खर्चे पूरे करने के लिए पैदा हुआ हूँ. और ये स्थिति जातक की अक्सर देखि गई है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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