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मंगल (३) के परिणाम मिथुन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H27 - 28022018

मंगल के परिणाम मिथुन लग्न के अलग अलग भावों में




मिथुन लग्न की कुंडली 



मिथुन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ विराजमान मंगल देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का बंटाधार कर देंगे
  • स्वास्थ्य समस्याएं दे देंगे
  • जातक को मानसिक रूप से अशांत कर देंगे 
  • जातक की छाती में भी विकार पैदा कर देंगे
  • जातक की माता से भी नहीं बनने वाली
  • दांपत्य सुख में भी कलह-कलेश मचने वाला है
  • जीवन में बिना कारण की बाधाएं भी जातक भुगतता ही रहेगा

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव नीच के हो जाते हैं
  • धन कुटुंब वाणी सम्बन्धी सदैव समस्याएं होंगी
  • संतान सम्बन्धी भी समस्याएं देंगे मंगल देव
  • जातक के जीवन की बाधाएं भी बढ़ जाएंगी
  • पिता से भी दिक्कत परेशानियां बनी रहेंगी
  • जातक धर्म को भी नहीं मानेगा
  • यहाँ तक की विदेश जाने में भी जातक परेशानियां ही झेलता रहेगा

मिथुन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम


ये मंगल देव का कारक भाव है
  • यहाँ छोटे भाई बहनों से कलह कलेश मचेगी
  • मानसिक शांति भंग कर देंगे मंगल देव
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में जातक को जरूर लाभ हो सकता है
  • पर स्वास्थ्य के लिए मंगल देव कभी अच्छे नहीं माने जाएँगे
  • पिता ले लिए और पिता से भी समस्याएं बनी रहेंगी
  • काम-काज सम्बन्धी भी मंगल देवता समस्याएं ही देंगे

मिथुन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम

  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में मंगल देव छाती सम्बन्धी रोग दे सकते हैं
  • माता से मन मुटाव बना रहेगा
  • गाडी भूमि वाहन लेना हुआ तो उसमें समस्याएं दे सकते हैं
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • यहाँ मंगल देव दांपत्य-सुख, रोजी-रोजगार और पार्टनरशिप/साझेदारी में भी समस्याएं देंगे
  • काम-काज सम्बन्धी भी समस्याएं आएंगी
  • थोडा बहुत लाभ कहीं न कहीं से मंगल देव जरूर अर्जित करवाते रहेंगे
  • लेकिब बड़े भाई -बहनों से कभी नहीं बनने देंगे
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य समस्याएं भी लगी ही रहती है

मिथुन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देंगे
  • लेकिन स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं दे देंगे, पेट सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां होंगी, छोटी-मोटी बीमारियाँ जरूर आएंगी
  • संतान देरी से होने का योग भी बना देंगे, कई जगह तो गर्भपात तक हो सकता है और उसके बाद संतान प्राप्ति होती है
  • जातक के जीवन की बाधाओं में बढ़ोतरी होगी
  • लाभ और बड़े भाई-बहन के सम्बंधित थोडा लाभ जरूर दे सकते हैं
  • हस्पताल के खर्चे, फ़िज़ूल के व्यय दे कर भी मंगल देव दिक्कत-परेशानियां खडी करते ही रहेंगे

मिथुन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव स्वः राशि के हो जाते हैं

  • अगर बुद्ध बलि हुए तो मंगल देव विपरीत-राज-योग की स्थिति में आकर अच्छा फल देंगे
  • लेकिन अगर बुद्ध बलि ना हुए तो मंगल देव इस लग्न कुंडली में सारी समस्याएँ ही देंगे
  • छ्टे भाव सम्बन्धी सारे नकारात्मक परिणाम मिलेंगे, यानी रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सम्बन्धी समस्याएं
  • पिता सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां
  • धर्म को ना मानना
  • विदेश से भी समस्याएं
  • व्यर्थ के व्यय होते रहना
  • और स्वास्थ्य सम्बन्धी भी सदैव समस्याएं ही देंगे मंगल देव

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मिथुन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव दांपत्य सख में कलह कलेश देंगे
  • पार्टनरशिप/साझेदारी में समस्याएँ आएंगी
  • रोजी-रोजगार भी बुरी तरह प्रभावित होगा
  • काम-काज में बिना कारण की बाधाएं खडी रहेंगी
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ आएंगी
  • दूसरे भाव सम्बन्धी भी पूर्णता समस्या ही देंगे मंगल देव
  • वाणी बिना कारण के उग्र कर देंगे और जातक बोलने के पहले कभी सोचेगा ही नहीं
  • धन का आभाव उसका सदा बना रहेगा
  • और परिवार पूर्णता उसका साथ कभी नहीं देने वाला

मिथुन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव उच्च के हो जाते हैं

  • अगर बुद्ध बलि हुए तो मंगल देव विपरीत-राज-योग की स्थिति में आकर बहुत अच्छा फल देंगे
  • लेकिन अगर बुद्ध बलि ना हुए तो मंगल देव इस लग्न कुंडली में सारी समस्याएँ ही देंगे
  • रोग, ऋण, शत्रु, दुर्घटना, बिना कारण की बाधाएं, तनाव, छोटी-छोटी बातों पर व्यर्थ की बहसबाजी और आपा खो जाना ... ऐसी स्थिती यहाँ मंगल देव जातक के लिए उत्पन्न कर देंगे
  • जरूरत से ज्यादा परिश्रम, भाग-दौड़ करने के बाद भी जातक को उचित परिणाम नहीं मिलता
  • लाभ सम्बन्धी भी समस्याएं आएंगी
  • भाई-बहनों सी भी दिक्कत-परेशानी बनी रहेगी
  • छोटी-मोटी बीमारियों का योग बनता है 
  • धन कुटुंब वाणी सम्बन्धी समस्याएं 
  • और फ़िज़ूल की यात्राएं भी मंगल देव करवाते ही रहेंगे

मिथुन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव समस्याएं ही लगाये रखते हैं
  • पिता को सदैव स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आती है
  • धर्म को जातक मानने वाला नहीं होता
  • विदेश जाने में भी बहुत सारी दिक्कत-परेशानियां लगाये रखते हैं मंगल देव
  • जातक के व्यर्थ के व्यय होते ही रहते हैं
  • छोटे भाई-बहनों पर समस्याएं आती ही रहती हैं
  • माता सम्बन्ध दिक्कत-परेशानी भी आती हैं, जातक की माता से कभी बनती ही नहीं है, माता जितना मर्जी जातक के लिए कर ले जातक सदैव उसे ताने मरता ही मिलेगा की मेरी माँ ने मेरे लिए कभी कुछ नहीं किया
  • गाड़ी भूमि वाहन मकान सम्बन्धी भी नकारात्मक परिणाम ही मिलते हैं
  • अच्छी भली नौकरी मकान गाडी भूमि वाहन होते हुए भी जातक उसका सुख कभी नही भोग पता, वो सदैव मानसिक तनाव में ही रहता है
  • जातक को छाती सम्बन्धी समस्याएं आने का भी रस्ता बनता है, छाती में भी कोई ना कोई समस्याएँ जरूर आती है

मिथुन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव दिशाबली हो जाते हैं
  • जातक को काम-काज में बाधाएं देंगे
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • माता गाडी भूमि वाहन से दिक्कत-परेशानियां आएंगी
  • थोड़ी बहुत संतान सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • जातक की पेट सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी मंगल देव बढ़ा देंगे
  • जातक मानसिक रूप से काफी सोच विचार करने वाला होता है

मिथुन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव अपनी ही मूल-त्रिकोण राशि में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में जातक लाभ जरूर थोडा बहुत अर्जित करेगा
  • बड़े भाई बहन का सहयोग भी मिलेगा
  • लेकिन छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियाँ भी मंगल देव जरूर देंगे
  • यहाँ मंगल देव धन कुटुंब वाणी सम्बन्धी भी परेशानियाँ देंगे
  • वाणी जातक की अनायास ही उग्र कर देंगे ... ये तनाव जरूर होगा 
  • पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बनेगा
  • उदर सम्बन्धी समस्याएं होंगी
  • आकस्मिक लाभ जल्दी नहीं होने देंगे ... उसके लिए जातक को खपना जरूर पड़ेगा ... ये दिक्कत-परेशानियाँ जरूर होंगी
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाबी जरूर दिलवा सकते हैं मंगल देव
  • लेकिन आर्थिक स्थिरता कम कर के जातक की दिक्कत-परेशानियाँ ज्यादा बढ़ा देंगे
  • मंगाक की दशा-अन्तर्दशा में कोर्ट-केस, मुकदमा, दुर्घटना होने पर जातक के हक में फैसला होने का योग बनेगा

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम

  • अगर बुद्ध बलि हुए तो मंगल देव विपरीत-राज-योग की स्थिति में आकर बहुत अच्छा फल देंगे
  • लेकिन अगर बुद्ध बलि ना हुए तो मंगल देव अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक का सत्य नाश कर देंगे
  • फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • छोटे भाई-बहनों से कलेश होगा
  • छोटी यात्राएं और फ़िज़ूल की मेहनत होती रहेगी
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सम्बन्धी भी समस्याएं आएंगी
  • दांपत्य सुख में कलह-कलेश मचवा देंगे
  • साझेदारी/पार्टनरशिप में दिक्कत-परेशानियाँ खड़ी कर देंगे
  • रोजी-रोजगार बुरी तरह प्रभावित करेंगे और जातक का चलता चलता काम एक दम से बंद होने की कगार पर आजाएगा



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

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मंगल (२) के परिणाम वृषभ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H26 - 28022018

मंगल के परिणाम वृषभ लग्न के अलग अलग भावों में




वृषभ लग्न की कुंडली 



वृषभ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम


मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जातक दिक्कत परेशानी ही भोगता नज़र आएगा
  • जातक साड़ी जिंदगी अपने व्यय नहीं संभाल पता, मंगल की दशा-अन्तर्दशा में व्यय से पार नहीं पा पता, फ़िज़ूल का व्यय उसका पीछा कभी छोड़ने वाला ही नहीं है
  • विदेश प्रवास/स्थापित जातक जरूर हो जाता है
  • मंगल देवता कभी जातक को स्थिर नहीं होने देंगे, दशा-अन्तर्दशा में जातक को मानसिक अशांति जरूर करते हैं
  • माता से दिक्कत परेशानी बनी रहेंगी
  • छाती सम्बन्धी दिक्कत परेशानी देते हैं मंगल देव
  • गाडी भूमि वाहन मकान लेने में समस्याएं होंगी
  • यहाँ मंगल देव सप्तम भाव सम्बन्धी अच्छे हो जाते हैं
  • दांपत्य सुख सम्बन्धी स्थिरता के परिणाम जरूर देंगे, विवाह को स्थिर जरूर करते हैं
  • साझेदारी/पार्टनरशिप के लिए अच्छे हो जाते हैं
  • रोजी-रोजगार के लिए रास्ता जरूर खोल देते हैं
  • अष्टम भाव पर दृष्टि दाल कर जातक की बाधाओं में बढ़ोतरी करते ही मिलेंगे, बिना कारण के अनायास ही कोई न कोई बाधा जरूर वो खडी रखते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में कभी जातक को अच्छे फल देते ही नहीं
  • धन का आभाव सदा रखता हैं
  • परिवार साथ कभी नहीं देता, मंगल देव परिवार से अलग भी कर देते हैं जातक को, जातक विदेश भी स्थापित हो जाता है
  • वाणी में कटुता भी ला देते हैं, जातक की वाणी अनावश्यक रूप से उग्र हो जाती है
  • एक पुत्र प्राप्ति सम्बन्धी लाभ देकर पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देते हैं मंगल देव
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है, मानसिक अशांति बनी ही रहती है
  • पेट में भी समस्याएं जरूर आती हैं
  • आकस्मिक हानि का योग बनता है
  • लव रोमांस में भी असफलता का योग जरूर बनाते हैं
  • बिना कारण के अनायास ही हर बात में बाधाएं बढ़ाये ही रक्खेंगे मंगल देव
  • धर्म को जातक जल्दी नहीं मानता
  • पिता से मनमुटाव रहना का योग बनता है
  • विदेश यात्रा भी होती है, अगर छोटी उम्र में मंगल की दशा-अन्तर्दशा आजाये तो जातक पढने के लिए परिवार से दूर भी चला जाता है
  • कुल मिला कर मंगल देव सारे परिणाम नकारात्मक जरूर कर देते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देवता को अति नीच का गिना जाता है, मंगल का नीच होना सदैव अशुभ माना जाता है, अशुभता में बढ़ोतरी कर के जातक की समस्याओं को और बढ़ा देते हैं मंगल देव
  • नीचता में होने से सदैव दांपत्य सुख में समस्याएं रहेंगी, जातक कभी मंगल की दशा-अन्तर्दशा में विवाह सुख भोग नहीं पता
  • पूरी जिंदगी साझेदारी/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार में सदैव कोई ना कोई समस्या लगी ही रहती हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के सदैव होते रहेंगे, जातक को समझ नहीं आता की में जो पैसे कम रहा हूँ वो जा कहाँ रहा है, अच्छी खासी आमदनी के बाद भी फ़िज़ूल के व्यय कहीं न कहीं होते ही रहते हैं
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा में मंगल की दशा अन्तर्दशा पूर्णता नकारात्मक समस्या ही देते हैं मंगल देव
  • पिता से समस्या बनी रहेंगी
  • छोटी मोटी विदेश यात्राओं से समस्या, विदेश जाने में भी बिना कारण की बाधाएं खडी ही रहती हैं
  • जातक धर्म को नहीं मानता
  • काम काज में भी समस्या और बाधाएं बढ़ा कर जातक की दिक्कत परेशानियों में इजाफा कर के काम-काज में रुकावटें पैदा करना शरू कर देंगे मंगल देव, यहाँ तक की कई जगह काम-काज बिलकुल बंद होते भी देखा गया है, नौकरी में भी इतनी परेशानी देते हैं मंगल देव की जातक जल्दी संभल ही नहीं पाता

वृषभ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव माता से समस्या देंगे, माता से मन-मुटाव सदैव बना ही रहता है
  • गाडी भूमि वाहन लेने में भी बाधाएं समस्याएं आएंगी
  • छाती सम्बन्धी समस्या भी यहाँ दे सकते हैं मंगल देव
  • विदेश प्रवास जरूर हो जाता है मंगल की दशा-अन्तर्दशा में, यानी मात्र-भूमि से दूर जातक जाना चाहे तो जा सकता है
  • सप्तम भाव सम्बन्धी लाभ जरूर देंगे मंगल देव
  • दांपत्य/विवाह सम्बन्धी अच्छा, पत्नी से बनने वाली होगी, पत्नी का ध्यान रखने वाला उससे लगाव रखने वाला होगा जातक
  • पार्टनरशिप सम्बन्धी लाभ मिलेगा
  • रोजी-रोजगार में भी नए रस्ते खुलते हैं
  • काम-काज जातक का चलता तो रहेगा पर उसमें कोई न कोई समस्या खडी ही रक्खेंगे मंगल देव
  • लाभ और बड़े भाई-बहन के सम्बन्धी दिक्कत परेशानी जरूर आती हैं
  • बड़े भाई बहन से कलह-कलेश मचा रखेगा
  • लाभ में भी समस्याएं आएंगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं और हस्पताल के फ़िज़ूल खर्चे जरूर होते रहते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल अपनी अति शत्रु राशी में बैठ कर समस्याएं जरूर देते है
  • एक पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देते हैं
  • लेकिन पेट सम्बन्धी परेशानी देना
  • मेंटल पीस को पूरी तरह से डिस्टर्ब कर देना
  • बुद्धि के सम्बंधित नकारात्मक परिणाम मिलता है और मंगल यहाँ जातक को उत्तेजित परवर्ती का बना देते हैं,  जातक चिडचिडा स्वभाव वाला हो जाता है
  • जातक की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है
  • लव रोमांस में भी कामयाबी नहीं मिलती
  • मंगल यहाँ हर काम में बाधाएं भी बढ़ा देते हैं
  • बड़े भाई-बहनों से कलह-कलेश मचा रहेगा
  • छोटे-मोटे रोग लगे रहेंगे
  • फ़िज़ूल के व्यय और हस्पताल के खर्चे भी अनायास ही बढ़ाये रखते हैं मंगल देव, कुल मिला कर अच्छा फल कभी नहीं देते

वृषभ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम


अगर शक्र बलि हुआ और मंगल विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तो यहाँ बहुत अच्छा फल जरूर देंगे
पर अगर मंगल विपरीत राज योग की स्थिति में न आये तो यहाँ वो जातक को जीवन की सबसे बुरी अवस्था में ले जाएंगे
  • बिना कारण के अनायास ही ऐसी समस्याएं देते हैं जो इंसान ने कभी सोची भी नहीं होगी
  • छठे भाव सम्बंधित रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सम्बन्धी नकारात्मक परिणाम और परेशानियां मिलेगी
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में नाकामयाबी का योग बनेगा
  • पिता से भी समस्याएं बनी रहेंगी
  • विदेश जाने में भी दिक्कत परेशानियां
  • जातक धर्म को नहीं मानता
  • फ़िज़ूल के व्यय भी होते रहेंगे
  • स्वास्थ्य में दिक्कत परेशानियां और मानसिक अशांति/तनाव इत्यादी बना रहेगा
  • जातक का दांपत्य सुख, पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार कभी स्थिर नहीं हो पाता मंगल की दशा-अन्तर्दशा में
  • दांपत्य सुख में परेशानी खडी करेंगे मंगल देव

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वृषभ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव स्वः राशी के हो जाते हैं
  • दांपत्य सुख, रोजी-रोजगार और साझेदारी/पार्टनरशिप के लिए बहुत अछे हो गए
  • पर काम काज में बाधाएं जरूर देंगे
  • जातक को निडर व्यक्तित्व का जरूर बना देंगे
  • मंगल यहाँ जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • धन कुटुंब वाणी में भी दिक्कत परेशानी होगी 
  • धन का आभाव कहीं न कहीं रहने वाला है
  • परिवार से बहुत ज्यादा नहीं बनने वाली, मन मुटाव बना रहेगा
  • वाणी का भी कटु होकर उग्र होना एक स्वाभाविक सी बात मानी जाएगी

वृषभ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम


अगर विपरीत-राज-योग की स्थिति में हुए तो मंगल देव अच्छा अच्छा फल जरूर देंगे
परन्तु अगर मंगल विपरीत-राज-योग की स्थिति में ना हुए तो यही मंगल अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का  सत्यानाश करने के लिए अकेले ही काफी हैं
  • दांपत्य सुख, पार्टनरशिप-साझेदारी में कभी स्थिरता नहीं आने देंगे और हमेशा कलह-कलेश मचाये ही रक्खेंगे
  • रोजी-रोजगार में समस्याओं के बिना कभी आमदनी नहीं करने देंगे मंगल देव, जातक के जीवन यापन की मुश्किलें मंगल अपनी दशा-अन्तर्दशा में जरूर बढ़ा देंगे
  • जातक पूरी जिंदगी खपता रह जाता है उससे अपने व्यय संभाले ही नहीं जाते
  • जीवन में बाधाएं बनी ही रहती हैं
  • जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग हो जाती है
  • भाई-बहनों से कलह-कलेश और दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं
  • लाभ और धन में भी कमी आती है
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लगी ही रहती हैं
  • धन, कुटुंब और वाणी में भी जातक को परेशानियां बनी रहती हैं
  • जातक की फ़िज़ूल मेहनत और यात्राएं होती हैं जिनका सकारात्मक परिणाम कभी मिलता ही नहीं है
  • फ़िज़ूल का व्यय, छोटे भाई बहनों से कलह कलेश, मेंटल पीस डिस्टर्ब होना लगा ही रहत है जातक का, सदैव प्रोबेल्म्स
  • व्यर्थ के खर्चे जातक के हमेशा लगे ही रहते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देवता उच्च के हो जाते हैं
  • जातक को पत्नी तो बहुत उच्च कोटि की मिलती है अच्छे घर से आती है, विवाह सुख बहुत अच्छा देते हैं मंगल देव
  • साझेदारी/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार के लिए बहुत अच्छे हो जाते हैं मंगल देव
  • लेकिन उस जातक के व्यय इतने बढ़ जाते हैं की वो कभी भी अपने आपको स्थिर महसूस ही नहीं कर पाता
  • माता-पिता से अन-बन शरू हो जाती है, मन मुटाव जरूर बना रहेगा और मंगल दिक्कत परेशानी जरूर देंगे
  • मानसिक अशांति भी बनी रहती है
  • धर्म को भी जातक जल्दी नहीं मानता
  • विदेश यात्रा भी जरूर होती है, विदेश प्रवास और विदेश का व्यय भी मंगल देव जरूर करवा देंगे
  • मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जातक विदेश में नौकरी कर के जीवन यापन जरूर करेगा
  • छोटे भाई-बहनों से कलह कलेश होगी
  • छोटी मोटी यात्राएं और व्यर्थ की मेहनत भी जरूर करवाते हैं अमंगल देव
  • गाडी भूमि वाहन लेना हो तो उसमें भी मंगल की दशा-अन्तर्दशा में सदैव परेशानिया बनी ही रहती हैं, मकान बनने वाला हुआ तो मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जल्दी नहीं बनने वाला

वृषभ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव दिशा बलि हो जाते हैं और कभी अच्छा फल नहीं देते
  • जातक का काम-काज/प्रोफेशन मंगल देवता कभी जमने या स्थिर होने ही नहीं देते, जातक परिश्रम कर के अपनी मेहनत से जीविका चला सकता है या विदेश जा कर नौकरी कर हकता है
  • साझेदारी/पार्टनरशिप में काम करने से जरूर अछे परिणाम मिलेंगे
  • लेकिन जातक के फ़िज़ूल के व्यय सदैव बने रहते हैं और वो कभी उनपर काबू नहीं पा पाता
  • यहाँ मंगल देव जातक की एक निर्भीक-निडर व्यक्तित्व का स्वामी बना देंगे 
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं भी देंगे
  • माता गाडी भूमि वाहन के सम्बंधित भी नकारात्मक परिणाम ही मिलेंगे
  • माता से मन-मुटाव सदा बना रहेगा
  • गाडी भूमि वाहन लेने में भी दिक्कत परेशानियां आएंगी
  • दांपत्य सुख में भी कलह कलेश मचा देंगे मंगल देव
  • जातक काफी उग्र परवर्ती का होगा
  • संतान सुख, आकस्मिक लाभ और पेट सम्बन्धी भी नकारात्मक परिणाम ही मिलेंगे
  • पर कहीं न कहीं पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बन जाता है

वृषभ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम

  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में मंगल देव जातक के फ़िज़ूल के व्यय इतना बाधा देंगे की जातक निराश होना या कुंठित होना शरू हो जाता है, यहाँ तक की वो कई पार अपने प्राणत्यागने या आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है 
  • बड़े भाई-बहन से कलह कलेश
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य समस्याएं 
  • लाभ में दिक्कत परेशानियां
  • धन कुटुंब वाणी सम्बन्धी भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • जातक को धन का आभाव सदा बना रहता है
  • परिवार उसका साथ कभी नहीं देता
  • वाणी भी अनावश्यक रूप से उग्र बनी रहती है
  • जातक को बद्धि, उदर, लाभ और संतान सम्बन्धी भी दिक्कत परेशानीयां मिलती हैं
  • लव रोमांस में नाकामयाबी जर्रूर्र देंगे मंगल देव
  • एक पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देंगे
  • छठे भाव सम्बन्धी भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे मंगल देव
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटन मुकदमा कोर्ट-केस लिटिगेशन तनाव यहाँ वो सदा बनाये ही रखते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव अपनी मूल त्रिकोण राशि में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में अगर विपरीत-राज-योग बना तो मंगल अच्छा फल देंगे
  • अगर विपरीत-राज-योग नहीं बना तो मंगल यहाँ व्यर्थ के व्यय इतने बढ़ा देंगे की जातक सर पटकता रह जाता ही की मेरे खर्चे नहीं संभाले जा रहे, मुझसे मेरा परिवार नहीं संभाला जा रहा, मझे कोई सहयोग नहीं कर रहा
  • जातक अक विदेश प्रवास या जातक पूर्ण रूप से विदेश में स्थापित भी हो जाता है
  • अगर शुक्र देव बलि ना हुए तो मंगल देव यहाँ जातक की जेल यात्रा भी करवा सकते हैं 
  • छोटे भाई-बहन से भी कलह-कलेश मचेगा
  • जातक की मानसिक शांति भंग होती ही र फ़िज़ूल की मेहनत होना भी मंगल देवता करवा देते हैं
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मकदमा सम्बंधित भी समस्याएं देते हैं मंगल देव
  • दांपत्य सुख, पार्टनरशिप के लिए थोडा बहुत अनुकूल जरूर होते हैं मंगल देव 
  • रोजी-रोजगार में मंगल देव सदैव बाधाएं देते हैं जो जातक से संभाली ही नहीं जाती



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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मंगल (१) के परिणाम मेष लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H25 - 26022018

मंगल के परिणाम मेष लग्न के अलग अलग भावों में




मेष लग्न की कुंडली 



मेष लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव जातक को एक निर्भीक और दबंग व्यक्तित्व बना देंगे
  • जातक शारीरिक रूप से भी सामान्य से ज्यादा सक्षम होगा उसकी शारीरिक शक्ति भी ज्यादा होगी
  • जातक हर काम-काज को मेहनत से भाग-दौड़ कर के पूरा करने में सदैव तत्पर होगा... वो मेहनत से घबराने वाला नहीं होगा
  • जातक थोडा उग्र परवर्ती का जरूर हो सकता है
  • जातक अक माता से लगाव होगा, वो माता की देख-भाल करने वाला होगा
  • गाडी भूमि वाहन मकान सब से मंगल देव यहाँ जातक को लाभान्वित अवश्य करेंगे
  • दांपत्य-सुख, पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार सम्बन्धी सारे सकारात्मक परिणाम यहाँ जातक को अवश्य मिलेंगे
  • ससुराल पक्ष से सामंजस्य बना कर रक्खेंगे यहाँ मंगल देव
  • उत्तेजना/चिंता, अवसाद/डिप्रेशन आदि दूर करने में मंगल देव जातक के लीये मददगार होते है
  • जातक एक खोजी परवर्ती का बन जाता है, यानी वो अनसंधान करता है
  • जातक की आयु भी मगल देव यहाँ लम्बी कर देते हैं

मेष लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव परिवार के लिए अच्छे हो गए
  • चूँकि मंगल एक उग्र ग्रह है.. उसमें क्रूरता का तत्व होता है, तो वो बन्दे की वाणी थोड़ी कठोर जरूर कर देंगे, जातक हर बात का सदा खीज कर जवाब देगा, यहाँ वाणी उग्र होना स्वाभाविक सी बात है
  • जातक को धन का आभाव कभी नहीं आने वाला
  • परिवार के साथ सदैव अच्छे सम्बन्ध बने रहेंगे
  • यहाँ मंगल देव जातक को निर्भीक बना देंगे
  • मानसिक रूप से काफी मजबूत बना देंगे
  • लव-रोमांस में कामयाबी देंगे
  • आकस्मिक लाभ देंगे
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं जल्दी नहीं आने वाली
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी मंगल देव बनाएँगे
  • यहाँ मंगल देव जातक के जीवन की बाधाओं और तनाव को कम करेंगे
  • अष्टम भाव सम्बन्धी भी सारे सकारात्मक परिणाम जातक को मिलेंगे
  • जातक पिता से मोह रखने वाला और उनकी देखभाल करने वाला होगा
  • विदेश यात्रा करने वाला होगा
  • धर्म को मानने वाला होगा
  • जातक का भाग्य सदैव उसका साथ देगा
  • कुल मिला कर दूसरे भाव में विराजमान मंगल पूर्णता लाभ देगा

मेष लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम


तीसरा भाव मंगल का कारक भाव है
  • जातक बहुत निडर और साहसी होगा, हर काम हिम्मत से भाग-दौड़ से करने वाला होगा
  • परन्तु यहाँ मंगल देवता मेहनत बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं, जातक परमात्मा की तरफ से हे भाग-दौड़ ज्यादा लिखवा कर लाया है, उस जातक की मेहनत सदैव सामान्य से कई गुना ज्यादा होती है
  • छोटे भाई-बहन का योग अवश्य बनाते हैं
  • लेकिन मेहनत भी करवाते हैं, छोटी मोटी यात्राएं भी करवाते हैं, यानी जिंदगी में मुश्किलें और परिश्रम अवश्य करवाते हैं
  • छठे भाव सम्बंधित प्रतियोगी परीक्षाओं में भी ज्यादा मेहनत करने के बाद ही परिणाम मिलता है
  • पिता, भाग्य के लिए अच्छे होते हैं और छोटी-मोटी विदेश यात्रा भी अवश्य होती है मंगल की दशा-अन्तर्दशा में
  • काम-काज में भी जरूरत से ज्यादा मेहनत-परिश्रम करने के बाद ही जातक को कुछ लाभ हो पता है
  • कुल मिला कर तीसरे भाव में पड़ा हुआ मंगल देवता बहुत ज्यादा अछे फल नहीं देता, क्योंकि ये मेहनत का घर है

मेष लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव नीच के हो जाते हैं और अपनी योग-कारकता खो देंगे, अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का जीवन कष्टों से भरता मिलेंगे
  • दशा-अन्तर्दशा में माता से कलेश और मन-मुटाव होगा, घर में भी कलह-कलेश रहेगा
  • मकान बनना हो तो उसमें भी देरी होगी
  • छाती में भी समस्याएं आ सकती हैं, अस्थमा-दमा भी हो सकता है
  • दांपत्य सुख में भी कलह-कलेश होगा
  • साझेदारी-पार्टनरशिप में भी समस्या होगी और रोजी-रोजगार में भी सदैव दिक्कत परेशानी ही देता मिलेगा मंगल देवता
  • काम-काज सम्बन्धी भी बाधाएं आएंगी
  • लाभ आने में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • बड़े भाई-बहन से भी समस्याएं बनी रहेंगी 
  • और छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां भी देते ही रहेंगे मंगल देव

मेष लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव बहुत अच्छे हो गए और दशा-अन्तर्दशा में पूर्णता सकारात्मक परिणाम ही देते मिलते है
  • जातक बहुत सूझवान होगा
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनेगा
  • उसको उदर/पेट सम्बन्धी समस्याएं जल्दी नहीं आएंगी
  • आकस्मिक लाभ का योग बनता है
  • जातक को लव-रोमांस में कामयाबी अवश्य मिलेगी
  • जातक की इच्छा और स्मरण शंक्ति बहुत मजबूत होगी
  • जातक दिमाग से परिश्रम कर के अपना जीवन यापन अच्छा और स्थिर अवश्य कर लेगा
  • पुश्तैनी संपत्ति मिलने का योग बनता है
  • जातक गुप्त/गूढ़ ज्ञान प्राप्त करता है
  • वह जल्दी चिंताग्रस्त नहीं होता और अवसाद में भी नहीं आता
  • अष्टम भाव सम्बन्धी भी उसे पूर्णता सकरात्मक परिणाम मिलते हैं
  • बड़े भाई-बहन की पूर्णता सहयोग मिलता है
  • जातक को धन का आभाव कभी नहीं रहता, लाभ सदा बन रहेगा, जितना मर्जी उसे धन की जरूरत आजाये ...कहीं ना कहीं से उसे धन का आगमन उसे अवश्य होता रहता है... उसकी जरूरत पूरी अवश्य हो जाती है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्या भी मंगल की दशा-अन्तर्दशा में चली अवश्य जाती हैं
  • विदेश यात्रा कर के विदेश से भी जातक लाभ प्राप्त कर लेगा, विदेश यात्रा में मददगार जरूर सिद्ध होते है मंगल देव
  • फ़िज़ूल खर्चे अगर जातक के होते हैं तो भी जातक उससे भी पार अवश्य पा जाता है

मेष लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • मंगल की दशा-अन्तर्दशा में रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा कोर्ट-केस लिटिगेशन सम्बन्धी सारी दिक्कत परेशानियां होंगी
  • एक लाभ जरूर हो सकता है की यहाँ मंगल देव जातक को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता देकर उसे राजपत्रित अधिकारी तक बना सकते हैं
  • जातक का पिता से मनमुटाव बना रहेगा
  • वह धर्म को जल्दी नहीं मानता
  • फ़िज़ूल के व्यय होते रहते हैं
  • जातक मानसिक रूप से भी जल्दी ही तनाव में आजाता है
  • हस्पताल के खर्चे भी होते रहते हैं, जातक का स्वास्थ्य कभी भी स्थिर नहीं हो पता, कोई न कोई समस्या चलती ही रहती हैं
  • अगर लड़ाई-झगडा हो जाए तो जेल यात्रा तक का योग मंगल देव बना देते हैं

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मेष लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव जातक के व्यक्तित्व को निडर बना देंगे, जातक अपने रोबदार व्यक्तित्व और परिश्रम से अपने जीवन की मुश्किलों को दूर अवश्य कर लेता है
  • यहाँ मंगल देव जातक का दांपत्य सुख सदैव अच्छा करने में मददगार सिद्ध होंगे, जातक पत्नी के लिए काफी भावुक होगा, पत्नी की देखभाल करने वाला होगा और उससे काफी लगाव रक्खेगा
  • पार्टनरशिप में सदैव मंगल देव लाभान्वित करेंगे
  • रोजी-रोजगार का भी कोई न की नया रास्ता खोल कर जातक अपना जीवन यापन आसान करता ही मिलेगा
  • अपने कर्म में कोई न कोई नया लाभ जातक को मिलता ही रहता है, जातक सामान्य से ज्यादा मेहनती होगा, काम करने से कभी पीछे नहीं हटता और अपने कर्म द्वारा जीवन यापन को आसान अवश्य कर लेता है
  • यहाँ मंगल देव धन कुटुंब के लिए अच्छे हो गए, लेकिन वाणी के लिए थोडा गड़बड़ जरूर करेंगे क्योंकि मंगल एक उग्र ग्रह हैं और वाणी को उग्र करना इक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
  • जातक को धन का आगमन कहीं न कहीं से होता ही रहता है
  • परिवार पूर्णता जातक का साथ देने वाला होता है, जातक कितनी भी मुश्किल में फंस जाए परिवार एक मजबूत स्तम्भ बन कर उसके साथ खड़ा रहता है
  • कुल मिला कर सप्तम भाव में मंगल सदैव जातक को चोतरफ़ा लाभ यानी सकारात्मक परिणाम देता ही मिलेगा

मेष लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल स्वः राशी के हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल नहीं देंगे, सारी जिंदगी बाधाएं-समस्याएं लगी ही रहती हैं, जातक को मंगल अपनी दशा-अन्तर्दशा में मृत्यु तुल्य कष्ट देता मिलेगा
  • जातक जितनी भी मेहनत/भाग-दौड़ करे उसका उचित परिणाम उसको कभी नहीं मिल पता, हर काम बढाऊँ और तनाव देकर ही होता मिलेगा
  • लाभ में कमी बनी रहेगी, मंगल की दशा-अन्तर्दशा में वित्तीय संकट आना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक को धन का आभाव सदा बना ही रहता है
  • परिवार से दूर जाने का योग बनेगा, परिवार जातक का कभी साथ देने वाला होगा ही नहीं
  • जातक की वाणी उग्र होना स्वाभाविक सी बात है
  • जातक बिना कारण के खीजता रहेगा और व्यर्थ का प्रक्रम दिखता रहेगा
  • जातक का हर काम मेहनत से जरूरत से ज्यादा भागने दौड़ने के बाद होगा, छोटी मोटी फ़िज़ूल की यात्रा भी उसे अवश्य करनी पड़ेंगी
  • भाई-बहनों से भी कलह कलेश मचेगा
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आएंगी
  • अष्टम भाव में मंगल सदैव अशुभता की श्रेणी में मने जाएँगे और सदैव अपनी दशा-अन्तर्दशा में अशुभता के फल ही देंगे

मेष लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जातक सदैव लाभान्वित होता ही मिलेगा
  • मंगल देव पिता और भाग्य के लिए अछे हो गये
  • जातक का पिता से बहुत ज्यादा लगाव होगा
  • जातक भाग्यवान माना जाता है, भाग्य सदैव उसका साथ देने वाला होगा
  • धर्म को जातक मानने वाला होगा
  • जातक विदेश से लाभान्वित होगा, विदेश यात्रा और स्थायी विदेश प्रवास का योग भी बना सकते हैं मंगल देव
  • जातक विदेश से लेन-देन कर के या इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम कर के या विदेश में कोई न कोई जॉब कर के अपना जीवन यापन आसान अवश्य कर लेगा
  • हस्पताल के खर्चे होंगे तो वो मंगल की दशा-अन्तर्दशा में वो दूर अवश्य होंगे
  • छोटी मोटी यात्राएं भी जातक की होती रहेंगी
  • मगल देव जातक को मेहनती भी अवश्य बना देंगे
  • छोटे भाई का योग बनेगा, छोटे भाई-बहन की सपोर्ट अवश्य मिलेगी
  • यहाँ जातक अपने कार्य को भाग्य और मेहनत के सहारे सिद्ध जरूर कर लेगा
  • यहाँ मंगल देव माता के लिए भी अच्छे हो गए, जातक का माता से बहुत ज्यादा लगाव होगा
  • जातक मंगल की दशा- अन्तर्दशा में भूमि गाडी वाहन मकान इन सब सुख सुविधाओं से संपन्न भी अवश्य हो जाएगा
  • मंगल देवता उसे हर तरफ से लाभान्वित ही करते मिलेंगे

मेष लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव उच्च के हो जाते हैं और उन्हें दिशा-बल मिलता है
  • दशा-अन्तर्दशा में काम-काज अच्छा होगा मंगल देव काम-काज में सदैव वृद्धि करते मिलेंगे, जातक काम से जल्दी घबराने वाला नहीं होगा
  • जातक का व्यक्तित्व अच्छा होगा, मंगल देव जातक को एक निडर व्यक्तित्व बना देंगे, शारीरिक रूप से मजबूत बना कर उसे मेहनती भी अवश्य बना देंगे
  • माता गाडी भूमि वाहन मकान सारी सुख सुविधाओं से मंगल देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक को लाभान्वित अवश्य करेंगे
  • जातक का माता से बहुत लगाव होगा
  • सुख सुविधाएं भी मंगल देव अच्छे से पूर्ण कर देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग बनेगा
  • जातक को उदर संबंधी समस्याएं जल्दी नहीं आएंगी
  • यहाँ मंगल देव जातक की इच्छा शक्ति और स्मरण शक्ति को भी तीक्ष्ण कर देंगे
  • लव-रोमांस में कामयाबी भी जातक को अवश्य मिलेगी
  • आकस्मिक और चोतारफा लाभ होने का योग भी अवश्य बनेगा

मेष लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को लाभान्वित करते ही मिलेंगे
  • बड़े भाई-बहन का पूर्णता सहयोग मिलेगा
  • जातक जो भी इच्छा करेगा मंगल की दशा-अन्तर्दशा में वो इच्छा पूर्ण अवश्य होंगी, जातक की हर मनोकामना पूर्ण होगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं अगर होंगी तो वो चली अवश्य जाएंगी
  • यहाँ मंगल देव धन की वृद्धि करने करने के लिए बाध्य हो जाएगा, धन का आभाव कभी नहीं देगा
  • परिवार पूर्णता साथ देना वाला होगा
  • यहाँ वाणी थोड़ी सी उग्र होना एक स्वाभाविक सी बात मानी जाती है
  • मंगल पुत्र प्राप्ति का योग बना देंगे
  • जातक को दिमाग से और उसकी इच्छा शक्ति को मजबूत कर देंगे
  • आकस्मिक लाभ भी देंगे
  • लव-रोमांस में कामयाबी देंगे
  • पेट सम्बन्धी समस्याओं को दूर करेंगे
  • रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा कोर्ट-केस लिटिगेशन इन सब से जातक को फारिग कर के पूर्णता लाभ दिलवाएँगे
  • प्रतियोगिताएं में जीत दिलवाने में मददगार सिद्ध होंगे, जातक प्रतियोगितों में सफलता अवश्य पा लेगा
  • कुल मिला कर छ्टे भाव के परिणाम सकारात्मक करने में मंगल देव बाध्य हो जाएँगे

मेष लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम


मंगल देवता यहाँ अति मारक ग्रह बन जाएंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक सारा जीवन फ़िज़ूल के खर्चे ही नहीं संभाल पता, उसे ये समझ ही नहीं आता की में जितना कमा लूँ पर मेरा खर्च वहीँ का वहीँ खड़ा रहता है, मंगल यहाँ फ़िज़ूल के व्यय करता ही रहेगा
  • हस्पताल के खर्चे भी बढे रहेंगे
  • जेल यात्रा भी हो सकती है
  • जातक विदेश में स्थापित भी हो सकता है
  • मानसिक अशांति भी बनी रहेगी
  • छोटे भाई-बहन से भी कलह-कलेश मचा देगा
  • यहाँ मंगल देव जातक की मेहनत बाधा देंगे, जातक को सामान्य से ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगा
  • छोटी मोटी यात्राएं अवश्य करनी पड़ेंगी
  • मंगल देव यहाँ रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा बढ़ा देंगे, इन सब में बढ़ोतरी कर के जातक की मुश्किलें कई गुना बढ़ा देंगे
  • दांपत्य सुख, साझेदारी/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार भी बुरी तरह प्रभावित हो कर नुक्सान की स्थिति में आ जाएंगे और समस्याएं और कलह-कलेश होने का योग बनेगा



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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चन्द्र (१२) के परिणाम मीन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H24 - 25022018

चन्द्र के परिणाम मीन लग्न के अलग-अलग भावों में




मीन लग्न की कुंडली 



मीन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा जल ग्रह हो कर जल राशी में आगये
  • जातक बहुत बुद्धिमान और सूझवान गिना जाता है
  • जातक का व्यक्तित्व बहुत अच्छा होता है
  • जातक देखने में बहुत सूझवान और समझदार प्राणी की तरह लगता है और साड़ी समझदारी वाली बातें करता नजर आएगा
  • यहाँ चंद्रमा जीवन-साथी/पार्टनरशिप/रोजी-रोजगार के लिए भी बहुत अछे हो गए

मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ चंद्रमा धन/परिवार/संतान और वाणी के लिए बहुत अच्छे हो अगये
  • जातक को जहाँ जरूरत पड़ेगी बहुत सोम्य-सभ्य वाणी बोल कर अपनी बात निकलवा लेगा और जहाँ रोब मारने की जरूरत पड़ी वाहन जातक रोब भी जरूर मार लेता है क्योंकि ये राशी मंगल देवता की है, यानि चंद्रमा देवता उसे इतना समझदार बना देगा की कहाँ क्या कितना कैसे बोलना है वो उसके समझ में आजेगा और हर काम निकलने में लाभ जरूर देगा
  • अष्टम भाव के सम्बन्ध में भी जातक अपनी बुद्धि से बाधाओं को दूर कर के जीवन यापन अच्छा जरूर कर लेगा

मीन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
  • छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत ज्यादा नहीं करवाएँगे
  • जातक परिश्रम भी जरूर होगा और अपनी बुद्धि से मेहनत वो जरूर करेगा
  • जातक को संतान सुख भी जरूर मिलेगा
  • पिता के सम्बंधित भी लाभ मिलेगा
  • धर्म को जातक मानने वाला भी होगा
  • यहाँ जातक विदेश यात्रा भी कर सकता है

मीन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा जातक को सदैव लाभ देंगे
  • यहाँ चंद्रमा देवता माता भूमि गाडी वाहन मकान सारी सुख-सुविधाओं से जातक को संपन्न जरूर कर देगा
  • काम-काज भी जातक का बुद्धि से जुड़ा हुआ होगा और जातक सामान्य से ज्यादा परिश्रमि होगा
  • जातक बहुत ज्यादा बुद्धिमान होगा
  • अपने हर काम में जातक अपने दिमाग को इस्तेमाल कर के हर काम का नया रास्ता जरूर खोल देगा जिससे उसकी आय और ज्यादा अच्छी हो पाएगी
  • जातक का माता से बहुत ज्यादा लगाव होगा

मीन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा स्वः राशी के हों जाते हैं और अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव लाभ देंगे
  • जातक संतान सुख से परिपूर्ण होगा
  • उसकी यादाश्त/स्मरण-शक्ति बहुत तीक्ष्ण होगी
  • जातक जल्दी डिप्रेशन/अवसाद में नहीं आने वाला और हर समस्या से निकलने का रास्ता वो जरूर ढूँढ लेगा
  • लव-रोमांस में जातक को सदा कामयाबी मिलेगी
  • पेट में जल्दी परेशानी जातक को बिलकुल नहीं आने वाली
  • बड़े भाई-बहन का सहयोग उसको जरूर मिलेगा
  • लाभ कहीं ना कहीं से जातक को अर्जित जरूर होता रहेगा
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर जरूर कर सकते है चंद्रमा देवता

मीन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा सम्बंधित सारे नकारात्मक परिणाम देंगे
  • जातक को मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • जातक के पेट में भी परेशानी आ सकती है
  • जातक संतान सुख से भी पूरी तरह परिपूर्ण नहीं होगा, उसकी संतान भी उसे परेशान करेगी
  • फ़िज़ूल के व्यय होते रहेंगे
  • विदेश यात्रा में जातक को चंद्रमा की मदद अरूर मिलेगी
  • यहाँ तक की जातक जेल यात्रा तक कर सकता है अगर चंद्रमा पर पाप प्रभाव हुआ तो

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मीन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव बुद्ध की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • जातक को जीवनसाथी बहुत खूबसूरत मिलेगा
  • साझेदारी और रोजी-रोजगार में सदैव लाभ देंगे चन्द्र देव
  • यहाँ चंद्रमा जातक के व्यक्तित्व में एक एक निखार ला देंगे
  • जातक की स्मरण-शक्ति भी बहुत तीक्षण कर देंगे
  • लगन के सम्बंधित भी पूर्णता लाभ देंगे चंद्रमा देवता

मीन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा पूर्ण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देंगे, क्योंकि यहाँ वो अशुभ घर में आकर अशुभ हो गए
  • पेट में दिक्कत-परेशानी देंगे
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहेगा
  • संतान से भी समस्या देंगे
  • जातक का दिमाग सदा भ्रमित और उलझनों से ब्रा हुआ रहेगा
  • अष्टम भाव सम्बंधित सारे नकारात्मक फल जातक के सक्रीय हो जाएँगे
  • दूसरे भाव के सम्बंधित भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • परिवार कभी उसका साथ नहीं देने वाला
  • और वाणी में भी कटुता आना स्वाभाविक सी बात हो जाएगी

मीन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं और अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का सत्यानाश जरूर कर देंगे
  • धर्म से जातक को विमुख कर देंगे
  • पेट में भी दिक्कत-परेशानी दे देंगे
  • जातक को मानसिक तनाव भी होगा
  • संतान से कभी नहीं बनने वाली
  • जातक मानसिक रूप से डिप्रेशन/अवसाद तक में आजाता हैं
  • धर्म को ना मानना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
  • जातक अक मन सदैव डांवाडोल रहता है, कभी उचित निर्णय नहीं ले पाता जातक
  • संतान का सुख पूरी जिंदगी कभी परिपूर्ण हो ही नहीं पाता
  • छोटे भाई-बहन से भी समस्याएं बनी रहेंगी 
  • जातक की फ़िज़ूल की मेहनत होगी
  • फ़िज़ूल की छोटी-मोटी यात्राएं भी होंगी जिसका पूर्ण नतीजा जातक को कभी नहीं मिलेगा

मीन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्र देव सदैव अच्छा फल देंगे
  • जातक का काम-काज बुद्धि से जुड़ा हुआ होगा, हर काम जातक कहीं ना कहीं दिमाग लगा कर जुगाड़ लगा कर निकाल ही लेगा और जातक बहुत हिम्मत से काम करने वाला होगा
  • जातक की बुद्धि बहुत तीक्ष्ण होगी, जातक दिमाग लगा कर परिश्रम करने वाला होगा
  • जातक जल्दी डिप्रेशन/अवसाद में नहीं आएगा
  • माता गाडी भूमि वाहन माकन के सम्बंधित भी सदैव सकारात्मक परिणाम ही मिलेगा
  • माता के लिए उसके मन में सदैव एक सॉफ्ट कार्नर रहेगा, वो जातक माता को हमेशा अच्छा मानेगा और माता से सदैव सामान्य से ज्यादा लगाव रखने वाला होगा
  • चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में मकान भूमि गाडी वाहन वो जातक अगर बनाना चाहेगा बना जरूर लेगा

मीन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव बड़े भाई-बहनों से लाभ मिलने का योग बना देंगे
  • धन का आभाव जल्दी नहीं आने वाला 
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां जातक को जरूर आएंगी
  • चंद्रमा यहाँ पुत्री का योग जरूर बना देंगे 
  • जातक की स्मरण शक्ति बहुत तेज़ रहेगी
  • जातक लव-रोमांस में कामयाब जरूर होगा
  • जातक की निर्णय क्षमता एक स्तम्भ की तरह मजबूत होगी

मीन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ जातक की संतान से कभी नहीं बनने वाली
  • पेट में सदा दिक्कत-परेशानी रहने वाली हैं
  • फ़िज़ूल के खर्चे जातक के होते ही रहेंगे
  • विदेश यात्रा करवा कर भी चंद्रमा यहाँ जातक को समस्याएं ही देते रहेंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • संतान से जातक की कभी जल्दी बनने वाली नहीं है, बहुत सारे मामलों में संतान उत्पत्ति में बहुत वक़्त निकल जाता है, विवाह के ८-१० साल निकल जाते हैं तब जा कर संतान होती है
  • छठे भाव के सम्बंधित भी चंद्रमा पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • पेट में समस्या होना एक स्वाभविक सी बात हो जाती है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

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