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सूर्य (५) के परिणाम सिंह लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H5 - 12012018

सूर्य के परिणाम सिंह लग्न के अलग अलग भावों में




सिंह लग्न की कुंडली 



सिंह लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्यदेव अपनी स्वः राशी के बैठे हों तो अपने आप में बहुत अच्छा बना योग देते हैं
  • इंसान के व्यक्तित्व को बहुत रौबदार और निर्भीक बनाते है
  • परन्तु यहाँ सूर्य देव का एक नकारात्मक पहलू भी होता है, वो इंसान को जिद्दी भी बनाते है
  • सूर्य देवता लगन के प्रति यानी जातक के व्यक्तित्व, उसकी परवर्ती और आचरण को आक्रामक जरूर रक्खेंगे
  • चूँकि सूर्य एक अग्नि तत्त्व ग्रह है और अग्नि राशी में आ गये है तो जातक काफी सामर्थ्यवान और क्षमतावान होता है, लेकिन वो सामर्थ्य और क्षमता स्थायी होकर परिणाम देने के काबिल तभी होता है जब बाकी ग्रह भी उसको सामर्थ्यवान बनाने में सहायक हों
  • इंसान का व्यक्तित्व ऐसा होता है की वो हमेशा अपनी बातें मनवाने की काबलियत रखता है
  • जातक इतना जिद्दी होता है की हर कार्य को पूर्ण कर के ही सांस लेता है, काम भाग-भाग कर करने की इच्छा होती है उसकी, कार्य करने से वो कभी पीछे नहीं हटता
  • दांपत्य-सुख, साझेदारी और रोजी-रोजगार में भी सूर्य-देव लाभ ही देंगे
  • सूर्य देव लगन में पड़े हुए सदैव अच्छा फल देते हैं, क्योंकि योग कारक ग्रह हैं और अच्छी जगह विराजमान हैं

सिंह लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य-देव दूसरे भाव में वृद्धि कर के अच्छा फल देंगे, सूर्य की दशा-अन्तर्दशा सदैव उस जातक को सकारात्मक परिणाम देगी
  • जातक का परिवार और अपने घर से बहुत ज्यादा लगाव रहता है, और जातक मन से इसको मानता भी है
  • परिवार सदैव जातक का साथ देने वाला होगा
  • सूर्य देव इंसान को धन की कमी कभी नहीं आने देते
  • पर चूँकि सूर्य-देव एक अग्नि तत्त्व ग्रह हैं, तो दूसरे भाव में बैठने से जातक की वाणी को कहीं न कहीं उग्र जरूर कर देते हैं, अपना स्वभाव कोई ग्रह नहीं छोड़ सकता ...सूर्य-देव में क्रूरता है, और अगर वो कंठ पर बैठेंगे तो क्रूरता ले कर जरूर आएँगे, वाणी इंसान की कहीं न कहीं गड़बड़ जरूर कर देंगे
  • सूर्य देव को यहाँ बलि होना जातक की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है और जातक के परिवार पर उसका असर सकारात्मक रहेगा
  • जातक अपनी मेहनत से अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर कर लेता है, भाग-दौड़ कर के मुश्किलों को दूर करने की क़ाबलियत जातक स्वयं अपने आप में विकसित कर लेता है
  • जातक गूढ़-रहस्यों या गुप्त-ज्ञान जानने का इच्छुक रहता है
  • ससुराल पक्ष से भी उसे लाभ मिलता है
  • वो जातक जल्दी तनाव या अवसाद में नहीं आता क्योंकि आठवें भाव से सम्बंधित भी सारे सकारात्मक परिणाम जातक को अवश्य मिलते हैं
  • दूसरे भाव में पड़ा हुआ सूर्य देव भी सदा सकारात्मक परिणाम देते है

सिंह लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ नीच के हो गए और यहाँ वो कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, नीच के सूर्य अति मारक बन जाएँगे और अपनी दशा-अंतरा में जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट जरूर देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • जातक का व्यवहार नकारात्मक होगा, उसका व्यक्तित्व काफी चिडचिडा एवं उत्तेजक होगा क्योंकि पराक्रम में नीच हुए सूर्यदेव यहाँ और गड़बड़ करेंगे
  • दशा-अन्तर्दशा सदैव कष्टकारी होगी

सिंह लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक का अपनी माता से काफी लगाव होगा
  • जातक - घर, गाडी-वाहन, भूमि, मकान सब कुछ ले कर पैदा होगा, जीवन की सारी सुख-सुविधाओं और ऐश्वर्य/विलासिता से जातक संपन्न जरूर होगा
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम-काज सम्बंधित भी बहुत अच्छा फल मिलने वाले है, काम-काज में वृद्धि हो कर काम-काज में नया रास्ता खुलने का योग भी बनता है
  • सूर्य की दशम भाव पर दृष्टि पूरणता सकारात्मक मानी जाएगी और रोजी-रोजगार का नया रास्ता खोल कर काम-काज में भी बढ़ोतरी करती ही मिलेगी
  • अगर सूर्य देव में बला-बल अच्छा हुआ तो जातक को सरकारी नौकरी दिलवाने की क़ाबलियत भी सूर्य देव अपने आप में जरूर रखता है, सरकारी विभाग में नौकरी के लिए कोशिश करने पर जातक को सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलता है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देना और ज्यादा आवश्यक हो जाता है क्योंकि सूर्य एक अग्नि-कारक ग्रह हैं और जल राशी में चले गए हैं जिससे उसका बल कहीं न कहीं क्षीण जरूर होता है

सिंह लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ बहुत अच्छा परिणाम देते हैं
  • अग्नि तत्त्व राशी में अग्नि तत्त्व ग्रह आने से पुत्र प्राप्ति का योग निश्चित है
  • जातक मानसिक तौर पर काफी मजबूत, आक्रमक और उत्तेजित परवर्ती का होगा, कारण ये है की सूर्यदेव एक आक्रमक या गरम तत्त्व का ग्रह मन जाता है जिसकी वजह से दिमाग या मन का आक्रामक होना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
  • सूर्य देव यहाँ जातक को बहुत ज्यादा बुद्धिमान, ज्ञानवान और सूझवान बनता है
  • जातक की इच्छा-शक्ति और स्मरण-शक्ति काफी मजबूत होती है
  • इंसान हर काम अपनी बुद्धि से सोच समझ कर करता है
  • प्रेम-प्रसंग में कामयाबी मिलना तय है
  • जातक को अनिश्चित लाभ जरूर देंगे सूर्यदेव
  • जातक का पेट काफी मजबूत होगा, पेट सम्बन्धी परेशानियां उसको जल्दी नहीं आने वाली
  • ग्याहरवें भाव पर दृष्टि से लाभ और पैसा कहीं न कहीं से अर्जित होता रहेगा, सूर्य देव यहाँ सकारात्मक और सदैव अच्छा फल देने वाले हो गए, धन का आगमन रुकने वाला नहीं है
  • बड़े भाई बहनों से लाभ अवश्य होगा
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां अगर आएंगी तो सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में वो चली अवश्य जाएंगी
  • सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में पूरणता सकारात्मक परिणाम देंगे

सिंह लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक को सदैव कष्ट देते मिलेंगे
  • सूर्य देव को यहाँ मजबूत करने से रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा सक्रीय हो जाएँगे और कलह कलेश आपके सर के ऊपर तांडव करने लगेगी... क्योंकि अग्नितत्व ग्रह है और उसके पास असीमित उर्जा है परन्तु ये कलेश का घर है और यहाँ सूर्य देव अति मारक हो जाते हैं
  • एक फायदा सिर्फ ये होगा की प्रतियोगिताओं में जातक को सफलता मिल सकती है और कहीं न कहीं कोई अच्छा पद जातक को जरूर दिलवा देंगे सूर्य देव
  • जब भी सूर्य की दशा-अन्तर्दशा चलेगी, कलह-कलेश होना तय है
  • फ़िज़ूल का व्यय होगा, सूरज की दशा-अंतरा में जातक से खर्चे ही नहीं संभाले जाते
  • छोटी-मोटी बीमारी होना भी निश्चित है यानी अस्पताल का खर्चा होता रहेगा
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती है
  • विदेश जा कर स्थापित होने का योग भी बनता है
  • और जातक की मानसिक शांति भी सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में भंग रहती है
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सिंह लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ बहुत अछे हो गए
  • जब भी किसी कुंडली में लग्नेश लग्न को देखता है तो वो कुंडली को कहीं न कहीं एक बल देता है और कुंडली सामान्य से ज्यादा अच्छी हो जाती है
  • साझेदारी के लिए अच्छा हो गया
  • दांपत्य-सुख के लिए भी सूर्य देव यहाँ अच्छे परिणाम देंगे, हालाँकि विभाजक परवर्ती है सूर्य देव की लेकिन कुंडली का कारक ग्रह है... सो अच्छा फल देंगे
  • कुल मिला कर सूर्य देव सप्तम भाव से सम्बंधित - दांपत्य सुखसाझेदारी और रोजी-रोजगार में सहायक सिद्ध होंगे
  • रोजी-रोजगार के नित्य नए रस्ते जातक ढूंढ ही लेता है और उसे नित्य नए रस्ते मिलते ही रहते
  • जातक एक निडर, सूझवान और आक्रमक परवर्ती का स्वामी होगा और सूर्य देव यहाँ जातक को अच्छे परिणाम देंगे

सिंह लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ कुंडली में सबसे बुरे सूर्य देव ही बन जाएंगे, सूरज की दशा अन्तर्दशा जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट देगी
  • जब उसकी दशा अन्तर्दशा चलेगी कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, जातक को कोडी-कोडी के लिए मोहताज करेंगे
  • जातक के जीवन में बाधाएं और तनाव इतना बढ़ा देंगे की वो सोचना शरू कर देता है की इससे तो मेरा न होना ही अच्छा होता
  • जातक की मानसिक अशांति बनी रहेंगी, हर काम देरी से होगा और बनता-बनता काम बिगड़ेगा
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां लगी रहेंगी
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा 
  • परिवार कभी पूर्णता जातक का साथ नहीं देगा
  • वाणी को उग्र करना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक कुछ ऐसी बातें बोल जाएगा जो सुनने वाले कभी किसी कीमत पर पसंद नहीं करते
  • धन, कुटुंब वाणी पर दृष्टि से नुक्सान करना तय है उनका, क्योंकि बुरे भाव से दृष्टि दाल रहे हैं

सिंह लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव यहाँ बहुत अछे हो गए, क्योंकि त्रिकोण का स्वामी त्रिकोण में आकर उच्च का हो गया
  • जातक बहुत भाग्यशाली होगा, क्योंकि भाग्य में सूर्य देव उच्च के हुए हैं
  • जातक भाग्य के आसरे ही जीवन में बहुत अच्छी तरक्की कर लेता है
  • सूर्य की दशा अन्तर्दशा में उसे विशेष लाभ मिलता है
  • वो धर्म को मानने वाला होता है
  • विदेश यात्रा भी करता है
  • पिता की सेवा और देख-भाल करने वाला होता है
  • ऐसा जातक जिद में आकर - धर्म से यानी परमात्मा तक से लड़ाई कर लेता है ... की हे प्रभु ये आप मुझे दोगे तो में ये पाठ करूँगा ये तो आपको देना ही है... क्योंकि वो धर्म को मानने का घर है और सूर्य देव वहां उच्च के हो गए, इसलिए बहुत अच्छा परिणाम देंगे
  • जातक को शोध-अनुसंधान आदि में काफी रूचि होगी
  • छोटे भाई बहनों से सहयोग जातक को मिलता रहेगा
  • सूर्य की दशा-अन्तर्दशा जातक से मेहनत भी करवाएगी अवं जातक के बाहू-बल में भी बढ़ोतरी करेगी
  • मेहनत और छोटी-मोटी यात्राएं सफल भी अवश्य रहेगी
  • तीसरे भाव सम्बन्धी भी सारे सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और जातक स्वयं भी कठोर-परिश्रम करने से नहीं घबराएगा
  • कठोर-परिश्रम कर के जातक अपना जीवन यापन आसान करने में सक्षम जरूर बन जाएगा

सिंह लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव बहुत अच्छा फल देंगे क्योंकि यहाँ वो दिशाबली हो जाते हैं

  • दशा-अन्तर में जातक का सरकारी नौकरी का योग बनता हैं, क्योंकि सूर्य देव साशन, प्रशासन या राज्य व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते है, जातक को सरकार से लाभ मिलने का योग भी मिलता है
  • काम-काज के नए रस्ते खुलते हैं
  • यहाँ विराजित सूर्य देव कमीशन-एजेंट (आढ़तिया) का काम, लकड़ी से सम्बंधित कार्य, मेडिसिन या दवाओं का कार्य, प्रशासन-व्यवस्था का काम करवाएँगे जिसे करके जातक जीवन में कामयाब हो पाएगा
  • जातक जितना काम-काज करे उसका प्रतिफल या नतीजा उसको अवश्य मिलता है
  • जातक एक बहुत ज्यादा रोबदार परवर्ती का और निडरता से कर्म करने वाला होता है, जल्दी घबराने वाला नहीं होता या उसके कर्मों में ऐसी परवर्ती नहीं आती की वो किसी कार्य से डर के पीछे हट जाए
  • जातक सामान्य से ज्यादा उग्र व्यवहार का बन जाता है, उसके कर्म ज्यादा आक्रामक हो जाया करते हैं
  • सूर्य की दशा अन्तर्दशा में माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान और सारी सुख-सुविधाओं को बढ़ोतरी करने में सूरज देव सदैव आपको सहायता करते ही मिलेंगे
  • चतुर्थ भाव सम्बन्धी भी सारे लाभ जातक को अवश्य मिलेंगे
  • जातक का मकान बनने वाला हुआ तो भी सूरज की दशा अन्तर्दशा में बन जाएगा
  • जातक की गाडी लेने वाली हुई तो भी सूरज की दशा अन्तर्दशा में आ जाएगी
  • जातक अपनी माता की बहुत ज्यादा देख-भाल करने वाला होगा, माता से जल्दी किसी बात पर मन मुटाव नहीं होगा, ऐसा जातक माता की आज्ञा अनुसार कार्य करने वाला होता है

सिंह लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जीवन यापन में सदैव अच्छा फल देंगे
  • जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए सूर्य देव यहाँ बाध्य हो गए
  • सूर्य देव का लाभ के घर में जाना जातक के लिए बहुत फायदेमंद सिद्ध होगा, अपनी दशा-अंतरा में जातक को कहीं न कहीं से लाभान्वित अवश्य करवाते रहेंगे सूर्य देव
  • बड़े भाई बहन का सहयोग मिलता रहेगा
  • छोटी मोटी स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या आएंगी तो सूर्य देव की दशा-अंतरा में चली अवश्य जाएंगी
  • पंचम भाव सम्बन्धी भी जातक को पूरणता लाभ दे कर जीवन यापन की मुश्किलों को दूर अवश्य करेंगे
  • जातक मानसिक रूप से काफी मजबूत होगा
  • सूर्य देव यहाँ जातक को अनिश्चित लाभ देंगे
  • प्रेम संबंधों में कामयाबी मिलेगी
  • और सबसे बड़ी बात जातक अपनी  याददाशत, मेहनत और मजबूत मनोबल द्वारा मुश्किलों को अपने जीवन से निकाल अवश्य लेगा
  • इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होगी
  • सूर्य देव को बल देना यहाँ काफी लाभदायक रहेगा, सारी समस्याएं दूर होंगी
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी बनेगा
  • पेट या उदार सम्बन्धी समस्याएं भी सूर्य देव की दशा-अंतरा में या उनको बल देने से आसानी से दूर होंगी

सिंह लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


पूरी जिंदगी ताउम्र सूर्य देव यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देंगे, यहाँ वे मारक हो जाते हैं
  • लग्नेश का छटवें, आठवें या बाहरवें भाव में आना अशुभ मन जाता है और जब भी उसकी दशा अन्तर्दशा चलती है इंसान का बंटाधार वो जरूर करता है
  • फ़िज़ूल के खर्चे, फ़िज़ूल का व्यय, फ़िज़ूल का कलह-कलेश, मानसिक अशांति रहना और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं अपनी दशा-अंतरा में सूर्य देव यहाँ जरूर देते हैं
  • अस्पताल का खर्चा होता है
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती है
  • सूर्य देव यहाँ जातक को रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा आदि में फंसा कर के जातक का जीवन यापन मुश्किलों से भरते मिलेंगे
  • परन्तु सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश में स्थापित भी जरूर करवा देता है 



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

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