सूर्य के परिणाम कन्या लग्न के अलग अलग भावों में
कन्या लग्न की कुंडली
कन्या लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश में स्थापित करवा देंगे
- जातक के स्वभाव में उग्रता होगी
- जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आती ही रहेंगी
- जातक दिमाग से थोडा कुंठित रहता है और हर बात का जवाब उग्रता और आक्रमतक से देगा
- पत्नी से सदा मन-मुटाव रहने वाला है
- साझेदारी में सदा समस्याएं आएंगी
- रोजी-रोजगार की दिक्कत-परेशानियों में भी सूर्य देवता बढ़ोतरी ही करेंगे
कन्या लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
सूर्य-देव यहाँ नीच के हो जाते हैं और यहाँ वो अति अशुभ मने जाएँगे
- वाणी सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां आएंगी
- धन का आभाव सदा बना रहेगा
- परिवार से सदा मनमुटाव बना रहत है, परिवार उस जातक को कभी पूरणता अच्छा समझता ही नहीं है
- अगर सूरज की दशा-अन्तर्दशा छोटी उम्र में आजाये तो जातक विदेश भी पढने चला जाता है
- आठवें भाव पर दृष्टि दाल कर सूर्य देव बाधाओं में बढ़ोतरी ही करेंगे
- मानसिक शांति भंग कर देंगे
- अनायास ही जातक के कामों में विलम्ब जरूर होता रहेगा और जातक एक उग्र वाणी बोलने वाला बन जाता है, जिसके अपने काबू में जल्दी कुछ नहीं रहता
कन्या लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देवता अति अशुभ माने जाते हैं
- छोटे भाई का योग जरूर बनाएँगे
- छोटे मोटी यात्राओं का योग जरूर बनेगा
- फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहेंगी
- पिता से मनमुटाव रहता है
- जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
- सूर्य देव यहाँ विदेश यात्रा का योग भी बनाते हैं
कन्या लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- जातक विदेश स्थापित जरूर हो जाता है
- माता को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां आती रहती हैं
- अगर जातक को जीवन में गाडी, भूमि, वाहन बनानी पड़ें तो बहुत विलम्ब से बनती है, बहुत देर से बहुत कलप-कलप के विलम्ब से सारे परिणाम मिलते हैं
- सूर्य देव यहाँ छाती सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं देकर छाती में विकार भी जरूर पैदा करदेता है
- दशम भाव से सम्बंधित भी सारे नकारात्मक परिणाम सूर्य देव देंगे और जातक को जल्दी स्थिर या व्यवस्थित नहीं होने देते
कन्या लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देंगे क्योंकि एक पुरुष ग्रह हैं, लेकिन कहीं ना कहीं गर्भपात (प्रथम गर्भ-धारण के समय) भी करवा सकते हैं
- मानसिक शांति भी भंग रहती है
- पेट सम्बन्धी समस्याएं भी देंगे
- अनिश्चित नुक्सान का योग भी बनता है
- प्रेम-प्रसंगों में असफलता दे सकते हैं
- जातक दिमाग से काफी उग्र होगा, हर बात की प्रतिक्रिया उग्र हो कर आक्रामकता से वो जरूर देगा
- बड़े भाई बहनों से ही कलह-कलेश हो सकता है
- लाभ में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
- छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी सूर्य देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में लगाये ही रक्खेंगे
कन्या लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देवता विपरीत-राज-योग की स्थिति में आकर बहुत अच्छा फल जरूर देंगे
- लेकिन अगर सूर्य देव विपरीत-राज-योग में ना आये तो छठे भाव से सम्बंधित सारे नकारात्मक परिणाम देंगे
- रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा, प्रतियोगिताएं में विलम्ब या असफलता सूर्य देव यहाँ जरूर देंगे
- बाहरवें भाव से सम्बंधित भी सारे नकारात्मक परिणाम देकर फ़िज़ूल का व्यय जातक के लिए बढ़ाते ही मिलेंगे
- जेल यात्रा भी सूर्य देव यहाँ करवा सकते हैं
- विदेश जा कर के भी जातक खाली हाथ वापिस आजाता है, वहां भी सूर्य देव जातक को समस्याएं जरूर देते हैं
कन्या लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ दांपत्य सुख में कलह-कलेश सदा बनाये रक्खेंगे
- साझेदारी में समस्याएं देंगे, ऐसे जातक को सदैव हिदायत दी जाती है की आप अपना काम कभी भी पार्टनरशिप या साझे में वो ना करे
- रोजी-रोजगार को भी सूर्य देव बुरी तरह प्रभावित कर के सारे नकारात्मक फल देंगे
- जातक का विवाह विदेश में जरूर हो सकता है
- लग्न के सम्बंधित फल भी नकारात्मक ही होंगे, स्वास्थ्य सम्बन्धी छोटी-मोटी समस्याएं जातक को सदैव लगी ही रहेंगी
कन्या लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यदि विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तब वो अच्छा फल जरूर देंगे
- लेकिन अगर कहीं बुद्ध देव बिगड़ गए - नीच के हो गए, अस्त हो गए, बल-हीन हो गए तो सुर्य्स देवता अति बुरा फल देंगे अपनी दशा-अन्तर्दशा में
- आठवें भाव सम्बंधित पूरणता नकारात्मक परिणाम मिलेंगे
- यहाँ सूर्य देव हर काम में बाधाएं देकर दिक्कत-परेशानियां बढ़ा कर जातक की मुश्किलों को मृत्यु तुल्य कष्ट तक ले जाते हैं
- सूर्य देव दूसरे भाव के सम्बंधित भी नकारात्मक परिणाम देंगे
- धन का आभाव सदा बना रहेगा
- परिवार कभी साथ नहीं देने वाला
- वाणी भी अनावश्यक रूप से उग्र हो कर जातक को परेशान करेगी और दूसरे भी परेशान जरूर होंगे
कन्या लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम:
- पिता से समस्याएं बनी रहेंगी, पिता के फ़िज़ूल व्यय होते रहेंगे
- जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
- विदेश यात्रा भी अटक लटक के होने से उसमें भी परेशानी देते हैं सूर्य देव
- छोटे भाई-बहन का योग जरूर बनवा देते हैं
- फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहती हैं
- फ़िज़ूल की मेहनत भी जातक की होती ही रहेंगी जिसका उचित फल जातक को कभी मिलता ही नहीं है
कन्या लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव जातक का काम-काज जल्दी स्थापित नहीं होने देंगे
- विदेश जा कर जातक नौकरी जरूर कर सकता है, वहां उसका काम-काज नौकरी के दृष्टिकोण से स्थापित जरूर हो जाता है सूरज की दशा अन्तर्दशा में
- माता से सदा मन मुटाव बना रहेगा
- माता के स्वास्थ्य में छोटी मोटी समस्याएं लगी रहेंगी
- गाडी, भूमि, वाहन मकान अगर जातक का बनने वाला हुआ या गाडी लेने वाली हुई तो सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में विलम्ब जरूर होगा और ये समस्याएं जातक को परेशान जरूर करेंगी
कन्या लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- ग्याहरवें भाव में सूर्य देव होने से जातक लाभ जितना मर्जी अर्जित कर ले उसमें दिक्कत-परेशानियां जरूर रहने वाली हैं
- बड़े भाई-बहनों से सदैव कलह कलेश रहने वाला है
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं सदा लगी ही रहेंगी
- पंचम भाव सम्बन्धी परिणाम भी नकारात्मक होंगे
- सिर्फ एक लाभ सूर्य देव जरूर देंगे, यहाँ वो पुत्र प्राप्ति का योग देते हैं क्योंकि सूर्य देवता भी एक पुरुष ग्रह माने जाते हैं
- पेट में समस्याएं भी सूर्य देव देते ही मिलेंगे
- प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती हैं
- आकस्मिक नुक्सान का योग भी बनता है
कन्या लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव स्वः राशी के हो जाते हैं
- अगर बुद्ध देव बलि हुए और सूर्य देवता विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तब वो अच्छा फल जरूर देंगे,
- वर्ना अति बुरे परिणाम देंगे
- दशा -अन्तर्दशा में सूरज देवता फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
- विदेश स्थापित भी करवा सकते हैं
- जातक की जेल यात्रा भी हो सकती हैं
- अस्पताल के खर्चे भी सक्रीय हो जाते हैं
- रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा ये साड़ी समस्याएं सूरज देवता अपनी दशा-अन्तर्दशा में जरूर देंगे और जातक को कष्ट बहुत ज्यादा आता है सूरज की दशा-अंतरा में
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
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