चन्द्र के परिणाम धनु लग्न के अलग-अलग भावों में
धनु लग्न की कुंडली
धनु लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम:
दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा कभी जातक को टिकने नहीं देंगे
- जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
- स्वास्थ्य में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानी दे देंगे
- काम-काज में नित्य नई समस्याएं खडी ही रक्खेंगे
- साझेदारी/पार्टनरशिप में भी समस्याएं देंगे
- दांपत्य सुख में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
- रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित कर के उस में भी चंद्रमा देवता दिक्कतें ही देंगे
धनु लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ जातक को धन का आभाव सदा रहने वाला है
- वाणी भी दिक्कत परेशनी भरी होगी
- और परिवार उसका साथ पूरणता कभी नहीं देगा, परिवार उस जातक को सदैव गलत ही समझता हुआ आएगा
- फ़िज़ूल की बाधाएं भी बढ़ी रहेंगी
- जातक की मानसिक शांति भंग रहेगी
- यहाँ मृत्यु-तुल्य कष्ट तक देंगे चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में
धनु लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चंद्रमा छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देंगे
- फ़िज़ूल की मेहनत, फ़िज़ूल की यात्राएं जातक की होती रहेंगी
- छोटे भाई-बहन से कलेश बना रहेगा
- और मेहनत करने क बाद भी पूरण सकारात्मक परिणाम चंद्रमा कभी नहीं देनें वाले
- पिता से भी दिक्कत परेशनियाँ बनी रहेंगी
- जातक धर्म को भी अहि मानता
- विदेश यात्राओं में भी परेशनी बढ़ा कर के चंद्रमा जातक की मानसिक शांति को सदैव भंग रक्खेंगे
धनु लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चंद्रमा देवता माता से दिक्कत-परेशानियां देकर सदा मन-मुटाव बनाये रखते है
- गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां चंद्रमा देवता खडी करते हैं
- अपने काम-काज/व्यवसाय में सदैव बाधाएं दे कर यहाँ चंद्रमा देवता जातक का चलता-चलता काम भी बंद करवाने की कगार पर ला कर खड़ा कर देते हैं
धनु लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चन्द्र देव संतान उत्पत्ति में बहुत विलम्ब करते हैं, कई बार विवाह के ४-५ साल बाद संतान की प्राप्ति होती है
- जातक मानसिक रूप से तनाव्ग्रस्त रहता है
- उदर/पेट में सदा परेशानी बनी रहती हैं
- आकस्मिक हानि होने का योग बनता है
- यहाँ चंद्रमा जातक की मानसिक शांति भंग कर के उसकी स्मरण-शक्ति/याददाश्त को भी इतन कमजोर करता है की जातक अक्सर भूलने की कगार पर खड़ा रहता है
- बड़े भाई-बहनों से सदा समस्याएं बनी रहेंगी
- लाभ की कमी सदैव बनी रहेंगी
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां चंद्र देव अपनी दशा अन्तर्दशा में सदैव् देते ही रहेंगे
धनु लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
- अगर ब्रहस्पति बलि हुए और चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो चंद्रमा यहाँ बहुत अच्छा फल देंगे
- अगर ब्रहस्पति बलि ना हुए तो यहाँ चन्द्र देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस/लिटिगेशन देंगे
- प्रतियोगिताओं में असफलता देंगे
- फ़िज़ूल के व्यय, हस्पताल के खर्च, यहाँ तक की जेल यात्रा तक करवा देना और मृत्यु-तुल्य कष्ट तक देंगे चंद्रमा देवता
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धनु लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चन्द्र देव साझेदारी/पार्टनरशिप में दिक्कत-परेशानी देंगे
- रोजी रोजगार में समस्याएं देंगे
- हाँ जातक को पत्नी जरूर खूबसूरत मिलेगी
- लेकिन यहाँ भी लगन पर दृष्टि से जातक के स्वास्थ्य में समस्याएं
- जातक को मानसिक तनाव
- और चंद्रमा अनायास ही जातक की थोड़ी-थोड़ी खीजने वाली और चिडचिडापन वाला व्यक्तित्व बना देते हैं
धनु लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा अपनी स्वः राशी के हो गए
- अगर ब्रहस्पति बलि हुए और चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो चंद्रमा यहाँ बहुत अच्छा फल देंगे
- अगर ब्रहस्पति बलि ना हुए तो यहाँ चन्द्र देवता आयु तो बहुत लम्बी दे देंगे लेकिन जातक अकी जीवन में बाधाएं भी उतनी ही बढ़ा देंगे
- जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
- बिना कारण के ही जातक को हर काम के लिए खपना जरूर पड़ेगा
- धन का आभाव सदा बना रहेगा
- वाणी सदैव दिक्कत-परेशानी भरी रहेगी
- परिवार जातक का साथ कभी नहीं देगा और उसकी मानसिक शांति पूरी तरह भंग ही होती रहेगी चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में
धनु लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ जातक का पिता से सदैव मन-मुटाव रहने वाला है, जातक पिता की देखभाल सही ढंग से नहीं करेगा
- धर्म को जल्दी मानने वाला नहीं होगा
- विदेश यात्रा भी चंद्रमा कराएँगे तो वहां से भी जातक बैरंग लिफाफे की तरह वैसे का वैसा वापिस आजेगा, विदेश से भी कुछ अर्जित कर के नहीं ला पाएगा, चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में ये दिक्कत-परेशानियां जरूर मिलेंगी
- जातक की छोटी-मोटी बेवजह की यात्राएं होती रहेंगी
- छोटे भाई-बहनों से कलह-कलेश मचता रहेगा
- और उस जातक को बिना कारण के अनायास ही हर काम के लिए मेहनत जरूरत से ज्यादा करनी पड़ेगी
धनु लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चंद्र देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में कभी काम-काज व्यवस्थित नहीं होने देंगे, काम-काज में इतनी समस्याएं देंगे की जातक खपता ही रह जाता है... भागता ही रह जाता है
- जातक निराश होता चला जाता है, मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है, और जातक ये समझ ही नहीं पता की क्या कभी में जिंदगी में पूर्णतयः स्थापित हो भी पाउँगा या नहीं
- जातक का जीवन यापन एक खपने की कगार पर आजाता है
- माता से सदैव मन-मुटाव बना रहता है, माता से सम्बन्ध कभी मघुर नहीं रह पाते, सदा गलतफहमियों में आकर माता से दिक्कत-परेशानियां बनी रहती हैं
- अगर जातक का मकान, भूमि, गाडी, वाहन बनाने वाला हुआ तो चंद्रमा देवता उसमें भी सदैव बाधाएं दे कर विलम्ब करते हैं
धनु लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ बड़े भाई-बहनों से मन-मुटाव बना रहता है
- धन का आभाव सदा बना रहता है
- जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं रहती है, स्वास्थ्य में पूर्ण स्थिरता कभी चन्द्र देव आने देते ही नहीं अपनी दशा-अन्तर्दशा में
- पुत्री का योग बना देते हैं
- जातक की मानसिक शांति भंग रखते हैं
- उसकी स्मरण शक्ति को कमजोर करते हैं
- पेट संबंदी दिक्कत परेशानी देते हैं
- प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस में असफलता दे कर जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देगे चन्द्र देव
धनु लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं और कभी विपरीत-राज-योग की स्थिति में नहीं आते
- जातक के फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
- हस्पताल के खर्चे भी बढ़ा सकते हैं
- विदेश स्थापित कर के जातक की दिक्कत-परेशानियां बढ़ा देंगे
- जातक का जीवन यापन बहुत ज्यादा मुश्किलों में घिर जाता है, उसे मृत्यु तुल्य कष्ट तक होता है
- रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना पर चंद्रमा की दृष्टि सारे नकारात्मक परिणाम देगी
- प्रतियोगी परीक्षाओं में भी चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा असफलता देकर जातक की परेशनियों में और इजाफा कर देंगे
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
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