सूर्य के परिणाम कुम्भ लग्न के अलग अलग भावों में
कुम्भ लग्न की कुंडली
कुम्भ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में बाधाएं जरूर देंगे, मानसिक तनाव देंगे, मानसिक शांति भंग रक्खेंगे, स्वास्थ्य सम्बन्धी छोटी-मोटी समस्याएं भी देंगे
- चूँकि सूर्य देव लग्नेश शनि के अति शत्रु हैं, तो अति शत्रु होने की वजह से अति शत्रुता निभाते हुए वो लगन समबन्धि समस्याएं भी जरूर देंगे
- लेकिन सप्तम दृष्टि जो अपने ही भाव पर डालेंगे तो पार्टनरशिप-साझेदारी के लिए अच्छा हो गया, दांपत्य सुख के लिए अच्छा हुआ और रोजी-रोजगार के लिए भी अच्छा हुए क्योंकि अपने घर को की देख कर के कोई ग्रह उसे ख़राब नहीं करता. इसलिए सप्तम भाव से सम्बंधित सदैव सकारात्मक परिणाम मिलेंगे
कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ धन का नुकसान करेंगे
- परिवार साथ नहीं देगा
- वाणी को आनावश्यक ही उग्र बना देंगे क्योंकि सूरज एक उग्र ग्रह है तो उग्रता वाणी में आना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
- अपनी दशा अन्तर्दशा में बिना कारण के बाधाएं और तनाव बढ़ा देंगे
- मानसिक शांति भंग करेंगे
- जातक जरूरत से ज्यादा परिश्रम करने वाला होगा
- उचित निर्णय लेने में असमर्थ होगा
- आठवें घर के समबन्धित सारे नकारात्मक परिणाम सूर्य देव सक्रीय कर के पूरी कुंडली में दिक्कत परेशानियों का योग बना देंगे
कुम्भ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- छोटे भाई का योग जरूर बनता है
- जातक मेहनती होता है, लेकिन कभी भी उसको मेहनत का पूरण फल नहीं मिलता
- यहाँ सूर्य देव भाई-बहन से भी कलह कलेश मचवा देगा
- फ़िज़ूल की यात्राएं भी करवाएँगे और यहाँ दिक्कत परेशानी दे कर फ़िज़ूल की मेहनत को बढ़ावा वो सदा देता ही रहेगा
- पिता से मन मुटाव बना रहेगा
- विदेश यात्रा जाने में भी बाधाएं आएंगी
- जातक धर्म को जल्दी नहीं मानने वाला होगा
- सूरज की दशा-अन्तर्दशा में जातक की बाधाएं सदा खडी ही रहेंगी
कुम्भ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव माता से दिक्कत परेशानियां देंगे
- माता को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां देंगे
- गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी परेशानियां देंगे, कोई मकान प्लाट प्रॉपर्टी बनवाना हुआ तो उस काम में भी विलम्ब करते चले जाएँगे
- लेकिन यहाँ से विदेश जाने में मदद जरूर करेंगे क्योंकि सूर्य देवता में एक विभाजक परवर्ती जरूर है
- चोथा भाव आपकी मात्र-भूमि का है और चोथे भाव में स्थापित सूर्य देव विदेश यात्रा में कहीं न कहीं मददगार जरूर सिद्ध होंगे
- यहाँ सूर्य देव काम काज में भी बाधाएं देंगे
- मानसिक शांति भंग करेंगे
- दशम भाव पर सूर्य द्वे की दृष्टि पड़ना पूरणता अशुभ मन जाएगा क्योंकि यहाँ वे जातक के पेशे-व्यवसाय की बढ़ोतरी में अस्थिरता लाकर बाधाएं खडी कर के जातक के रोजी-रोजगार की परेशानियों में बढ़ोतरी करते मिलेंगे
कुम्भ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देंगे
- जातक पत्नी के लिए प्रवाह करने वाला और उसकी देख-भाल करने वाला जरूर होगा
- लेकिन पेट सम्बन्धी समस्याएं/रोग रहने का योग बनेगा
- अनिश्चित हानि का योग बनता है
- प्रेम-प्रसंगों में भी थोडा नाकामयाबी का योग जरूर बनता है, उसके लिए जातक को खपना जरूर पड़ता है
- सूर्य देव जातक की स्मरण-शक्ति/याददाश्त को दिक्कत परेशानियों में ले आते हैं
- जातक एक उग्र व्यक्तित्व बन जाता है, यानी वह जल्दी ही उत्तेजित हो जाता है और उग्र हो कर नकारात्मक सोचने लग जाता है
- बड़े भाई बहनों से दिक्कत परेशानियां होती हैं
- छोटी-मोटी फ़िज़ूल की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लगी ही रहेंगी
- और लाभ में भी अपने दशा-अन्तर्दशा में कमी-पेशी सूर्य देव देता ही रहेगा
कुम्भ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा के भाव में आने पर सूर्य देव अपनी दशा अन्तर्दशा में कभी जातक को कोई लाभ कदापि नहीं देंगे
- चूँकि दांपत्य सुख को उठा कर रोग ऋण में रख दिया, दांपत्य सुख में कलह कलेश मचेगा
- साझेदारी-पार्टनरशिप में भी दिक्कत परेशानियां आएंगी
- रोजी-रोजगार में भी परेशानियां आएंगी
- फ़िज़ूल के व्यय होना
- विदेश यात्रा होना लेकिन उसमें भी बाधाएं होंगी
- यहाँ सूर्य देव जातक की जेल यात्रा तक करा सकते हैं
- विदेश का मुकदमा चल पड़ना का योग बनता है
- ऐसी अनेक तरह की तनाव पूर्ण स्थिति सूर्य देव अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक को अवश्य देंगे
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कुम्भ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव स्व राशी के हो गए
- पार्टनरशिप के लिए अछे हो गए
- दांपत्य सुख के लिए अछे हो गए
- रोजी-रोजगार के लिए भी अछे हुए
- व्यक्तित्व भी जातक का रोबदार बना देंगे
- लेकिन अपनी दशा-अन्तर्दशा में छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जरूर देंगे
- जातक को दिमाग से थोडा चिडचिडा व्यक्तित्व का जरूर बना देंगे क्योंकि एक उग्र ग्रह हैं सूर्यदेव इसलिए जितनी लगन पर दृष्टि उनकी जाएगी थोड़ी सी उग्रता वो जातक को जरूर दे देंगे
कुम्भ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
अष्टम भाव में विराजमान सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल नहीं देंगे
- दांपत्य सुख में दिक्कत परेशानियां देंग
- पार्टनरशिप में भी परेशानियां होंगी
- रोजी-रोजगार में भी परेशानियां आएंगी
- बिना कारण के हर काम में बाधाएं खडी होती रहेंगी
- धन के सम्बन्धी भी परेशानियां
- वाणी जातक कभी सही नहीं बोल पाएगा, जातक की उग्र वाणी हो जाएगी, शुद्ध वाणी वो नहीं बोल पाएगा क्योंकि सूरज एक उग्र परवर्ती वाले ग्रह हैं
- परिवार जातक का कभी साथ नहीं देगा, परिवार के साथ का भी आभाव बना रहेगा
- यहाँ सूर्य देव जातक की दिक्कत परेशानियां बढ़ाते ही मिलेंगे, कम नहीं करेंगे
कुम्भ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूरज देवता शुक्र की मूल त्रिकोण राशी में आगये और यहाँ ये नीच के हो जाते हैं और अपनी दशा-अन्तर्दशा में सूर्य देवता पूरणता नकारात्मक परिणाम देंगे
- पिता से भी परेशानी होगी और मन मुटाव सदा बना रहेगा
- दांपत्य-सुख/पार्टनरशिप/रोजी-रोजगार में भी परेशानी
- विदेश यात्रा में परेशानियां बनती हे चली जाएंगी
- जातक धर्म को जल्दी कभी मानने वाला नहीं होगा
- जातक उग्र परवर्ती और व्यक्तित्व का होता है
- छोटे भाई का योग जरूर बनाएँगे सूर्य देव
- लेकिन फ़िज़ूल की मेहनत फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहेंगी जो जातक के लिए सदैव अशुभ मानी जाएंगी. यहाँ बिना कारण के ऐसी यात्राएं सूर्य देव करवाएँगे जिसका कोई मायने नहीं होगा और जिसका कोई मतलब नहीं निकलेगा
- छोटे भाई बहनों से भी बिना कारण के कलेश छोटी-छोटी बातों पर वाद-विवाद/मतभेद हो जाना ऐसी स्थितयां जातक को अक्सर देखने को मिलेंगी
- पिता से सदा मन मुटाव रहने वाला है, पिता जितना मर्जी जातक के लिए करे लेकिन जातक हमेश ये कहता मिलेगा की मेरे पिता ने मेरे लिए कुछ नहीं किये. पिता से मन मुटाव होना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
- पिता पुत्र के सम्बन्ध कभी पूरण सही नहीं रह पाते इस दिशा में यहाँ वो दिक्कत परेशानियों का योग सूर्यदेव जरूर बनाते हैं
कुम्भ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव काम काज में बाधाएं देंगे
- मानसिक शांति भंग करेंगे
- जातक की मेहनत/परिश्रम जरूरत से ज्यादा बढ़ा देंगे
- सूर्य देव जातक को एक उग्र व्यक्तिवा का स्वामी बना देंगे, क्योंकि दसवें घर में सूर्य देवता दिशाबली हो जाते हैं
- मारक ग्रह हो कर दिशाबल मिल गया तो उसका मर्केत्व और बढ़ जाता है
- रोजी-रोजगार में भी समस्याएं देंगे
- पार्टनरशिप/साझेदारी में काम करने से कामयाबी मिलती है
- माता से सदा मन मुटाव रहने वाला है
- जातक को गाडी भूमि वाहन आदि खीरीदने में समस्याएं देंगे
- जातक का अगर मकान बनने वाला हुआ तो सूर्य की दशा अन्तर्दशा में जल्दी मकान नहीं बनेगा क्योंकि सूर्य देव विलम्ब का कारक है और इन सभी चीज़ों से जातक को दूर रक्खेगा, वो दूरी जातक के लिए परेशानीयों का कारण बनेगी
- छाती सम्बन्धी भी कोई न कोई रोग आने का रास्ता खोलते है सूर्य देवता और वो जातक के लिए समस्यात्मक होता है
कुम्भ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव ब्रहस्पति की मूल त्रिकोण राशी में आगये
अपनी दशा अन्तर्दशा में सूर्य देवता कभी भी सकारात्मक फल नहीं देंगे
- बड़े भाई बहन का योग जरूर बनाएँगे
- लेकिन धन का आभाव अपनी दशा अन्तर्दशा में बनाए रक्खेंगे
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी देंगे
- मानसिक शांति भंग रक्खेंगे और मानसिक तनाव भी बढ़ा देंगे
- पत्नी के आने के बाद थोडा लाभ का योग जरूर बनेगा
- पुत्र प्राप्ति का योग बना देंगे सूरज देवता
- जातक का व्यक्तित्व उग्र बना देंगे
- पेट में छोटी-मोटी समस्याएं भी देंगे
- प्रेम संबंधों में असफलता करवाएँगे
कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूरज की दशा अन्तर्दशा में दांपत्य सुख कभी स्थिर नहीं होगा
- यहाँ कभी भी पार्टनरशिप-साझेदारी नहीं की जाती
- कभी भी रोजी-रोजगार में स्थिरता नहीं आती
- फ़िज़ूल के व्यय होते रहते हैं
- विदेश यात्रा में भी बाधाएं आती रहते हैं
- रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस/लिटिगेशन या हाउस ऑफ़ कम्पटीशन में भी असफलता हो जाना ऐसी स्थिति सूर्य देव बनाते ही रहेंगे
- और जातक की मानसिक शांति सदैव भंग रहने वाली है
- जातक कभी पूरणता ना तो दांपत्य सुख भोग पाएगा, ना कभी पार्टनरशिप का लाभ ले पाएगा और ना ही कभी वो विदेश यात्रा यात्रा कर के अपने आप को स्थिर कर के रोजी रोजगार में स्थिरता ला पाएगा
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
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