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सूर्य (९) के परिणाम धनु लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H9 - 23012018

सूर्य के परिणाम धनु लग्न के अलग अलग भावों में




धनु लग्न की कुंडली 



धनु लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ जातक की कुंडली देखते ही कहा जाता हैं की जातक बहुत भाग्यवान है
  • जातक का भाग्य जातक का साथ सदैव देता मिलेगा
  • सूर्य देव यहाँ जातक के व्यक्तित्व के लिए बहुत अच्छा होगा, जातक बहुत निडर/दबंग होगा
  • जातक पिता की देख-भाल करने वाला होगा 
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा, धार्मिक यात्रा करने वाला होगा
  • सूर्य देव यहाँ पार्टनरशिप/साझेदारी के लिए भी काफी अच्छे होंगे
  • रोजी-रोजगार के भी नित्य नए रस्ते खोल कर सूरज की दशा-अन्तर्दशा सदैव लाभ देती ही मिलेगी
  • जातक कोई भी काम करना चाहेगा तो सूरज की दशा अन्तर्दशा उसे सदैव लाभ देती मिलेगी

धनु लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ सदैव धन का आगमन करवाते रहेंगे
  • परिवार सदैव उस जातक का साथ देता रहेगा
  • जातक की वाणी अनावश्यक रूप से उग्र होगी, जातक उग्र वाणी बोलेगा क्योंकि कहीं न कहीं सूरज में एक एग्रेसिव तत्त्व भी है, एक विभाजक परवर्ती भी है सूर्य देव में
  • सूर्य देव यहाँ जातक की बाधाओं को दूर करेंगे
  • जातक अपने परिश्रम और मेहनत से अपने कर्म गति को सुधार कर के अपने दुख कलेशों को दूर कर लेगा
  • जातक जरूरत से ज्यादा भाग दौड़ कर के और अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद ले कर के भी अपनी बहुत सारी मुश्किलों से फारिग/मुक्त हो जाएगा
  • जातक के बिगड़ते बिगड़ते काम भी सूरज की दशा अंतरा में बनने का रास्ता जरूर ढूंड लेंगे
  • कुल मिला कर अष्टम भाव सम्बन्धी भी पूरण सकारात्मक परिणाम सूर्य देव देते मिलेंगे

धनु लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देवता छोटे भाई-बहन का योग बनाते है
  • जातक को मेहनती बनाते है
  • जातक जितनी भाग-दौड़ करता है उतने परिणाम सूरज देवता उसे अवश्य देते हैं, जातक का परिश्रम और मेहनत किया हुआ उसके लिए कहीं न कहीं लाभान्वित जरूर होता है लेकिन वो होता खपने के बाद ही है, किसी का दो जगह जा कर काम बनता है तो किसी का दस जगह धक्के खाने के बाद काम होता है
  • तीसरे भाव का सूरज जातक को धक्के खिलाने के बाद ही काम बनने देगा क्योंकि वो मेहनत के घर में बैठ गया है और वहां वो बढ़ोतरी करेगा
  • सूर्य देव यहाँ छोटी मोटी यात्राएं भी अवश्य करवाएँगे, यहाँ तक की नवं भाव पर दृष्टि डाल कर विदेश यात्रा भी करवा सकते है, धार्मिक यात्रा भी होती है जातक की 
  • सूर्य देव यहाँ तीसरे और नवं भाव समबंधी भी सकारात्मक परिणाम देंगे 
  • परन्तु सूर्य देव को यहाँ बल देना मेहनत बढ़ा देगा, छोटे भाई-बहन के प्रति लगाव बढ़ा देगा, छोटी मोटी यात्राएं बढ़ा देगा, जातक खपने की कगार पर आजेगा और सारे परिणाम नकारात्मक होंगे 

धनु लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


त्रिकोण के स्वामी केंद्र में आगये , बहुत ज्यादा शुभफलकारी होंगे
  • माता के लिए बहुत ज्यादा अच्छे हो जाते हैं यहाँ सूर्य देव
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान सारी सुख सुविधा लेने में सूरज की दशा अन्तर्दशा आपको सदैव लाभान्वित करती ही मिलेगी
  • सूरज की दशा अन्तर में आप विदेश यात्रा भी कर पाएँगे यानी अपनी मात्र भूमि से दूर भी जा सकते हैं
  • अगर आपका मकान बनने वाला है, आपकी गाडी लेने वाली है, आपकी प्रॉपर्टी लेने वाली है तो सूरज की दशा-अंतरा सदैव आपको मदद करती मिलेगी क्योंकि वो योग कारक ग्रह है और चौथे भाव सम्बन्धी सारे लाभ देने में आपको सक्षम अवश्य कर देगी
  • काम-काज में वृद्धि/इजाफा होना, काम-काज का नया रास्ता खुलना, काम-काज में सकारात्मकता होना, अगर जातक नौकरी करता है तो उसमें उन्हें पदोन्नति का योग बनता है, रुका हुआ काम भी सूरज की दशा-अंतरा में चलने का रास्ता अवश्य ढूंड लेते है
  • दशम भाव सम्बन्धी भी पूर्णत लाभ मिलेगा और सूरज देवता जातक को कर्मशील कर के जातक की भाग-दौड़ के परिणाम देने में सदैव सक्षम होते हैं
  • अगर सूरज देवता में बला-बल हुआ तो वो चोतार्फा लाभ देंगे, चोथे और दशम भाव सम्बंधित पूरण लाभ देंगे
  • यहाँ सूर्य देव जातक के पिता को भी लाभान्वित अवश्य करते हैं

धनु लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव त्रिकोण का स्वामी हो कर त्रिकोण में बैठें है और यहाँ वे उच्च के हो जाते हैं सो बहुत अच्छे फल देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग बना कर संतान सुख से परिपूर्ण करेंगे, संतान से सुखद समाचार मिलने का योग भी बनता है
  • दशा-अन्तर्दशा में अनिश्चित लाभ देंगे
  • लव रोमांस में कामयाबी देंगे
  • यहाँ सूर्य देव जातक को मानसिक रूप से तथा उसकी इच्छा शक्ति को भी मजबूत करते हैं
  • जातक के व्यक्तित्व का उग्र होना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है क्योंकि उसकी बुद्धि पर उसके मन पर सूरज देवता का आना जातक को एक एग्रेसिव व्यक्तित्व बना देता है और वैसे भी धनु लग्न की कुंडली एक उग्र लग्न की कुंडली मानी जाती है
  • धन की कमी सूरज की दशा अंतरा में जातक को कभी नहीं आती, धन का आगमन कहीं न कहीं से होता रहता है
  • बड़े भाई-बहन का पूरण सहयोग मिलता है
  • जातक की कोई भी इच्छा पूरी करने में ये सूर्य देव सदैव उसकी सहयता करते ही मिलते हैं
  • जातक को अगर कोई छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो तो सूर्य देव की दृष्टि वो समस्या उसकी दूर जरूर कर देते हैं सूरज देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में

धनु लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देव रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा, कोर्ट-केस, प्रतियोगिता और नौकरी के भाव में कभी भी अपनी दशा अंतरा में अच्छा फल नहीं देंगे, ये दशा-महादशा सदैव आपको कष्टकारी होगी
  • कोर्ट केस-मुकदमे, लड़ाई-झगडे, कर्जे में फंसा कर के मुश्किलें दे कर के आपके जीवन यापन की दिकत्तों में कई गुना बढ़ोतरी करते मिलेंगे यहाँ सूर्य देव
  • फ़िज़ूल के व्य, विदेश यात्रा और अस्पताल के खर्चे भी होंगे
  • पति-पत्नी के निजी संबंधों में भी दिक्कत परेशानियां आएंगी
  • यहाँ तक की आप का व्य का हिस्साब किताब इतना बिगड़ जाएगा की आपको ये समझ नहीं आएगा की में जितना कमाता हूँ उससे ज्यादा खर्चे मेरे लिए हमेशा तयार ही मिलते हैं
  • छटे भाव सम्बन्धी भी पूरणता नकारात्मक परिणाम मिलेंगे और बाहरवें भाव सम्बन्धी भी पूरणता अशुभता के परिणाम ही मिलेनेग

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धनु लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ विवाह के बाद काम-काज में वृद्धि-उन्नति होने का योग बनता है
  • पत्नी के घर में आने से सौभाग्य का माहोल बनता है
  • विभाजक प्रवृत्ति होने के बावजूद सूर्य देव यहाँ भाग्य के स्वामी हैं और कुंडली के अति योग कारक ग्रह हैं इसलिए पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता ला देंगे
  • साझेदारी-पार्टनरशिप में भी हमेशा लाभ देंगे और रोजी-रोजगार के भी नए-नए रस्ते खोल कर जातक को हमेशा पूर्ण लाभ देते ही मिलने
  • सूर्य देव यहाँ सदैव जातक के व्यक्तित्व या शख्सियत में लाभ देंगे, जातक निडर/दिलेर व्यक्तित्व का स्वामी होगा
  • जातक उच्च पद पर आसीन अधिकारीयों से अच्छी जान पहचान अच्छे सम्बन्ध रखता होगा 
  • लगन भाव से भी पूरणता सकारात्मक परिणाम लेने में सूरज देवता बाध्य हो जाएँगे

धनु लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देव के होने से भाग्य कभी जातक का साथ नहीं देने वाला
  • जातक के हर काम में बाधाएं-रूकावट, तनाव दिक्कत-परेशानियों और देरी बनी रहती हैं और हमेशा खड़ी होती है
  • सूरज की दशा अंतरा में बनते-बनते काम भी बिगड़ने की कगार पर आजाते हैं
  • हर काम जरूरत से ज्यादा खपने और भागने दौड़ने के बाद होता है
  • यहाँ सूरज देव सिवा मुश्किलों के कुछ भी नहीं देते तथा अपनी दशा-अंतरा में मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं, जातक को समझ नहीं आता की मेरे इतना ज्यदा परिश्रम-मेहनत करने के बाद भी उचित परिणामों में इतनी बड़ी कमी क्यों है
  • धन का आभाव सदा बना रहता है
  • दूसरे भाव सम्बन्धी साड़ी परेशानियां देते हैं सूर्यदेव क्योंकि पहले ही ये घर शनि देव का है और शनि देव वैसे ही क्रूरता के ग्रह माने जाते हैं, सूर्य की दृष्टि यहाँ और दिक्कत-परेशानियां देगी
  • परिवार पूरणता साथ कभी नहीं देता है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देना मृत्यु तुल्य कष्ट देता है

धनु लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देव जातक को बहुत भाग्यशाली बनाते हैं
  • जातक जिस काम को भी करने की ठानेगा वो जिस काम को भी करने के लिए प्रयास और मेहनत करेगा उसका सकारात्मक परिणाम उसे पूरणता अवश्य मिलेगा
  • भाग्य का साथ होना कुंडली को एक मजबूत स्थिति में ले कर आता है और जातक के उत्थान में सदैव मददगार सिद्ध होता है
  • जातक पिता की देख-भाल करने वाला और धर्म को मानने वाला होगा 
  • जातक को परमात्मा में आस्था रखने में भी सूर्य देव एक बहुत बड़ी भूमिका निम्भाते हैं
  • जातक प्रभु पर पूरण आस्था रखता है और इसी वजह से प्रभु भी उस पर पूरण कृपा दृष्टि हमेशा बनाये रखते हैं
  • सूरज देवता यहाँ विदेश यात्रा भी करवाते है, जातक धार्मिक विदेश यात्रा भी अक्सर करता देखा गया है
  • छोटे भाई-बहनों का पूरण सहयोग उसे अवश्य मिलता है
  • सूर्य देव यहाँ पर जातक को मेहनती बनाते है 
  • जातक की छोटी-मोटी यात्राएं भी होती हैं
  • जातक मेहनत और भाग-दौड़ जितनी करता है सूरज की दशा-अंतरा में उसे उतने ही सकारात्मक परिणाम भी मिलते हैं
  • सूरज देवता इस लग्न कुंडली में सदैव शुभ फलकारी माने जाते हैं
  • नवम और तृतीय भाव सम्बन्धी सदैव सारे शुभता के परिणाम मिलते हैं

धनु लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव को दिशाबल मिलता है, त्रिकोण का स्वामी केंद्र में आ जाने से और भी ज्यादा शुभफलकारी होता है
  • दशा-अन्तर्दशा में काम-काज में बहुत ज्यादा लाभ देते हैं
  • अगर जातक नौकरी के लिए किसी प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने वाला होगा उसमें आवेदन किया होगा तो उसका राजपत्रित पद पर जाने का योग भी बनता है
  • सूर्य देव यहाँ काम-काज में नया रास्ता खोलते है, काम-काज की वृद्धि और बढ़ोतरी होने का योग बनाते है
  • सूरज देव दशम भाव सम्बन्धी पूरण लाभ देते हैं और जातक को मेहनती और कर्मशील भी बनाते हैं
  • माता के लिए शुभ हो गए
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान अगर जातक का लेने वाला हुआ तो सूरज की दशा अन्तर्दशा सदैव उसे लाभान्वित करती है क्योंकि सूरज एक योगकारक ग्रह है
  • चोथे और दशम भाव सम्बन्धी सारे शुभता के सकारात्मक परिणाम ही देंगे सूर्य देव
  • सुख सुविधाओं में इजाफा करने में ये सूरज देवता सदैव आपको सुअवसर और लाभ देते ही मिलते हैं

धनु लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ नीच के हो जाते हैं
नीच अवस्था में अगर आपका भाग्य आगया तो सूरज की यही अंतर-दशा और महादशा कष्टों और दिक्कत-परेशानियों से आपके जीवन की अटकलों में कई गुना बढ़ोतरी करके आपका जीवन यापन मुश्किलों से भरते मिलेंगे
  • यहाँ नीचता में आने से सूरज की दशा अन्तर्दशा जब भी चलेगी बड़े भाई-बहनों से कलेश होगा, धन का आभाव सदा बना रहेगा, इच्छा पूर्ती जो भी जातक करेगा वो जल्दी पूरण कभी नहीं होने वाली उसके लिए बहुत ज्यादा खपना पड़ेगा
  • जातक के स्वास्थ्य में छोटी-मोटी परेशानियां लगी ही रहेंगी
  • जातक की मानसिक शांति भंग ही रक्खेंगे यहाँ सूरज देवता
  • संतान को और संतान से भी कष्ट आने का योग बनता है, संतान से दिक्कत-परेशानी बनी ही रहती हैं
  • पेट सम्बन्धी दिक्कतें बनी रहती हैं
  • लव-रोमांस में नकामयाबी होने का योग बनता है
  • अनिश्चित हानि होती अहि
  • जातक मानसिक रूप से उग्र रहता है
  • जातक को हर तरफ से दिक्कत परेशानी ही होती हैं
  • ग्याहरवें भाव और पंचम भाव सम्बन्धी भी पूर्ण रूप से नकारात्मक और अशुभता के परिणाम देते है सूर्य देव
  • यहाँ सूर्य देव की अवस्था देखे बिना माणिक्य किसी कीमत पर धारण नहीं किया जाना चाहिए

धनु लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूरज देवता सदैव कष्टकारी होंगे, सदैव दिक्कत परेशानी देते मिलंगे
  • फ़िज़ूल के खर्चे होंगे
  • मानसिक अशांति बनी रहती है 
  • अस्पताल के खर्चे लगे ही रहते हैं
  • अगर सूरज देवता पर कोई भी पाप प्रभाव हुआ तो जातक की जेल यात्रा तक भी करवा देते है 
  • रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा और प्रतियोगिताएं में असफलता देकर जातक का जीवन यापन दूभर कर देंगे सूरज देवता
  • सूर्य का यहाँ बलि होना बीमारियाँ को विकसित कर देंगे जिनका पता जल्दी नहीं लग पाता है 
  • दुर्घटना होने का योग भी सूरज देवता यहाँ बना देते हैं 



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
E-mail: vikas440@gmail.com

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सूर्य (८) के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H8 - 16012018

सूर्य के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग अलग भावों में




वृश्चिक लग्न की कुंडली 



वृश्चिक लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ काम-काज में वृद्धि देंगे
  • व्यक्तित्व में बेहतरी होगी, सुधार होगा
  • जातक निडर, साहसी या दबंग होगा
  • साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य-सुख में भी भी सूर्य देव लाभ ही देंगे
  • पत्नी से मन-मुटाव जल्दी नहीं होगा
  • रोजी-रोजगार के नए रास्ते भी जरूर खुलेंगे

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ सदा लाभ देंगे
  • वाणी थोड़ी सी उग्र करना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक वाणी में कटु शब्द बोलता है जो सामने वाला सुनना पसनद नहीं करता
  • धन की कमी कभी नहीं आती
  • परिवार पूरणता साथ देने वाला होता है, जातक की परिवार से बनती जरूर होगी और वो परिवार का ध्यान रखने वाला होगा
  • जातक अपने जीवन की बाधाएं अपने परिश्रम से दूर कर लेगा
  • जातक किसी से मन-मुटाव रखने वाला नहीं होगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव को बल देने से तीसरा भाव सक्रिय होता है, जिसका प्रभाव नकारात्मक होता है
  • सूर्य देव यहाँ मेहनत को बढ़ाते हैं, जातक का काम-काज मेहनत से जुदा हुआ होगा
  • छोटी-मोटी फ़िज़ूल की यात्राएं बढती हैं
  • छोटे भाई बहनों का योग बनेगा
  • भाई-बहनों का सहयोग बहुत ज्यादा नहीं मिलता, अगर सहयोग मिलता है तो जातक को उनके लिए खपना अवश्य पड़ता है
  • पिता से बहुत ज्यादा लगाव नहीं होता है, थोडा बहुत मन-मुटाव जरूर बनाये रक्खेंगे सूर्य देव
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानने वाला होगा क्योंकि जल राशी पर दृष्टि जाना एक नकारात्मक प्रभाव माना जाता है
  • विदेश यात्रा जरूर कर सकता है जातक
  • लेकिन छोटी-मोटी विदेश यात्रा कर के भी जातक को लाभ अर्जित करने के लिए परिश्रम करना ही पड़ता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान और सुख-सुविधाओं को लेने में मदद करते है
  • दहसम भाव सम्बंधित काम-काज में वृद्धि और सुधार यहाँ सूर्य देव अवश्य देते हैं

वृश्चिक लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ काम-काज में वृद्धि देते है
  • काम-काज बुद्धि से जुड़ा हुआ होता है
  • प्रेम-प्रसंगों में कामयाबी मिलती है
  • अनिश्चित लाभ यहाँ सूर्य देव अवश्य होते हैं
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनता है
  • परन्तु कहीं न कहीं दिमाग में उग्रता और उत्तेजना भी जरूर हो सकती है
  • जातक को कहीं न कहीं से लाभ अवश्य मिलता रहता है
  • बड़े भाई-बहनों से सहयोग मिलता है
  • छोटी-मोटी पेट सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं अगर आती है तो वो चली अवश्य जाती है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं, पर वो कभी भी फल अच्छा नहीं देंगे क्योंकि ये भाव गलत है
  • जातक का काम-काज नौकरी से सम्बंधित किसी के अंतर्गत होगा
  • काम-काज में बाधाएं बनी रहती हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के होते रहते हैं
  • विदेश यात्रा भी जातक कर सकता है
  • अस्पताल के खर्चे भी सक्रीय हो जाते हैं
  • जेल यात्रा तक सूरज देवता यहाँ करवा सकते हैं
  • सूर्य देव सरकार से भी कोई न कोई दिक्कत-परेशानियां दिलवाते ही रहते हैं
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वृश्चिक लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव की दशा-अन्तर्दशा में जातक को पूरणता लाभ मिलता है
  • सूर्य देव यहाँ साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य-सुख में लाभ देते है, लेकिन छोटा-मोटा मन मुटाव कहीं न कहीं बना ही रहता है क्योंकि एक आग का गोला है सूरज देवता 
  • परन्तु छोटा-मोटा मन-मुटाव बना कर के भी सूर्य देव जिंदगी की गाडी चलने में सहायक जरूर सिद्ध होते है
  • पार्टनरशिप या साझेदारी में कामयाबी रहेगी
  • रोजी-रोजगार के नए रस्ते खुलेंगे
  • काम-काज भी अगर पार्टनरशिप या साझेदारी में हो जाए तो और ज्यादा लाभ मिलेगा सूरज की दशा अन्तर्दशा में
  • जातक के व्यक्तित्व में भी सुधार दे कर सूर्य देव जातक को निडर और दबंग बनाते है, जो की सरकारी अफसरों से काम निकालने में भी काफी सहायक सिद्ध होते है और जातक का ये दबंग व्यक्तित्व समाज में उसे एक नए रूप में पेश जरूर करता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक की बेवजह की बाधाओं को खडी करते हैं और बढ़ाते रहते हैं
  • जातक की मानसिक शांति भंग रहती है और काम-काज में वो कभी ध्यान लगा ही नहीं पाता
  • काम-काज में सदैव बाधाएं रहेंगी, सूरज की दशा-अन्तर्दशा में जातक का काम-काज जल्दी स्थापित नहीं होने वाला
  • बिना कारण के फ़िज़ूल की बाधाएं खडी ही रहेंगी सूरज की दशा-अन्तर्दशा में
  • धन का आभाव सदा बना रहता है
  • परिवार जातक का साथ पूरणता कभी नहीं देता
  • जातक की वाणी बेवजह उग्र हो जाती है और जातक समझ नहीं पाता की उस क्या बोलना था और उत्तेजित हो कर वो क्या बोल गया, सामने वाला भी परेशान होता है बाद में जातक को खुद भी इस बात का पछतावा होता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ जातक के काम-काज की वृद्धि में सदैव सहायक सिद्ध होते हैं
  • काम-काज अगर पिता से जुड़ा हो तो और लाभ होता है
  • जातक अगर काम-काज धर्म को मान कर करे या परमात्मा के अंतर्गत-अधीन रह कर करे, उन्हें पहले प्रणाम कर के कार्य करे तो और ज्यादा सहायक सिद्ध होते है
  • जातक धर्म को वैसे भी बड़ी कट्टरता से मानने वाला होता है
  • छोटी-मोटी विदेश यात्रा कर के वहां से भी जातक को लाभ अर्जित अवश्य होता है
  • छोटे भाई-बहनों से सहयोग थोड़ी बहुत जरूर मिलती है
  • छोटी-मोटी यात्राएं होती हैं और जातक उससे लाभ अर्जित अवश्य कर लेता है
  • परिश्रम कर के भी जातक अपने जीवन यापन को अच्छा जरूर कर लेता है सूरज की दशा-अन्तर्दशा में

वृश्चिक लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

सूर्य देव यहाँ अपनी ही राशी में हैं और यहाँ उन्हें दिशा बल भी मिलता है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देने से और ज्यादा लाभ मिलता है
  • सूरज की दशा अन्तर्दशा में काम-काज में भी जातक को लाभ मिलेगा
  • जातक सरकारी विभाग में उच्च पद पर आसीन हो सकता है, राजपत्रित अधिकारी हो सकता है या साशन-प्रबंधन से जुड़ कर कोई काम कर सकता है
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान, यश, सुख-सम्रद्धि बढ़ने में भी सूरज देव सदैव सहायक सिद्ध होते हैं
  • जातक माता की देखभाल या ख़याल रखने वाला होगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक को सदा लाभ देते मिलेंगे
  • सूर्य देव को बल देने से वो जातक के कर्म उस दिशा में ले कर जाते है जहाँ से जातक की इच्छा-पूर्ती अवश्य होती है
  • दशा-अन्तर्दशा में जातक अपने परिश्रम से लाभ जरूर अर्जित कर लेता है, जातक जितने कर्म करेगा सूर्य देव उतना उसको लाभान्वित जरूर करते मिलेंगे
  • धन का आभाव जल्दी कभी नहीं आता
  • बड़े भाई-बहनों का सहयोग मिलता रहेगा
  • जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां अगर आती है तो वो चली अवश्य जाती हैं
  • पुत्र प्राप्ति को योग अवश्य बनता है
  • अनिश्चित लाभ जातक को मिलता हैं
  • प्रेम-प्रसंगों में जातक को कामयाबी अवश्य मिलती हैं
  • सूर्य देव की यहाँ दृष्टि जातक के दिमाग को स्थिर कर के जातक के व्यक्तित्व को निडर-दबंग बनाने में सहायक सिद्ध होती है
  • जातक का दिमाग काफी तेज़ होता है
  • परन्तु यहाँ जातक के व्यवहार में उग्रता जरूर आ जाती है, जिसके लिए बहुत ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देने से पंचम और ग्याहरवें भाव से सम्बंधित सकारात्मक परिणाम जातक को अवश्य मिलते हैं

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव नीच के हो जाते हैं
  • जातक के फ़िज़ूल के व्यय होते हैं
  • मानसिक शांति भंग रहती है
  • काम-काज पर ध्यान केन्द्रित नहीं होता
  • अस्पताल के खर्चे होने की सम्भावना यहाँ सूर्य देव बढ़ा देते हैं
  • सूर्य देव यहाँ विदेश में जातक को स्थापित भी कर देते हैं
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, कोर्ट-केस, मुकदमा आदि देकर और प्रतियोगिताओं में असफलता और दिक्कत परेशानियां भी यहाँ सूर्य देव देते ही मिलते है
  • जातक को सारी जिंदगी समझ नहीं आता की न तो मेरा कभी काम-काज स्थिर-स्थापित हुआ न ही मैं कभी इतना धन अर्जित कर पाया की पूर्ण रूप से संतुष्ट हो पाऊं
  • जातक न ही कभी प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त कर के दशा अन्तर्दशा में कामयाबी का रास्ता पकड़ पता है
  • यहाँ विराजमान नीच के सूर्य देवता जातक की जेल यात्रा तक करवा देते हैं



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (७) के परिणाम तुला लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H7 - 16012018

सूर्य के परिणाम तुला लग्न के अलग अलग भावों में




तुला लग्न की कुंडली 



तुला लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देवता यहाँ मारक ग्रह होकर नीच के आये बैठे हैं और जातक को सदैव नुक्सान देते ही मिलेंगे
  • यहाँ सिर्फ सूरज देवता का पाठ, पूजन, स्मरण, हवन, यज्ञ, आरती, दान-पुण्य करना होगा ताकि लगन पर जितना उसका पाप और नीच प्रभाव आया है वो ठीक हो

तुला लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूरज देवता लाभेश हो कर धन भाव में आये हैं
  • दूसरे भाव यानी धन, कुटुंब और वाणी में सदा नुक्सान करते ही मिलेंगे

तुला लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम




तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ अपनी अति शत्रु राशी में आये हैं तथा चौथे और दशम भाव को बिगड़ने में प्रमुख भूमिका निभाकर अशुभता के फल देते हैं
  • माता को कष्ट, माता से कष्ट
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान अगर जातक का लेने वाला हुआ तो बहुत दिक्कतें आती हैं
  • काम-काज का बंटाधार करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, चलता-चलता काम रुक जाता है, बाधाएं आती हैं, तनाव बढ़ जाता हैं, जातक का काम सिरे ही नहीं चढ़ पता सूर्य की दशा-अंतरा में
  • नौकरी में पदोन्नति और वेतन वृद्धि नहीं हो पाती
  • धन और लाभ सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां शरू कर देते हैं दशा-अन्तर्दशा में

तुला लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव पंचम भाव सम्बन्धी पूरण नुक्सान देते मिलेंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बना देते हैं क्योंकि पुरुष ग्रह हैं पर वो बहुत कष्ट के बाद देते है
  • संतान को कष्ट अवश्य होता है, संतान से कष्ट होता है 
  • प्रेम-प्रसंगों में नाकामयाबी मिलती है
  • अनिश्चित नुक्सान होता है
  • जातक के दिमाग उसकी स्मरण शक्ति और इच्छा शक्ति को उग्र कर के निराशा तक ले जा कर के जातक की परेशानियों को कई गुना बढ़ा देते हैं
  • परन्तु यहाँ सूर्य की दृष्टि एकादश भाव पर सकारात्मक परिणाम देगी


तुला लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम



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तुला लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव अपनी उच्च राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में पत्नी की तबियत खराब होने का योग भी बनता है
  • पार्टनरशिप या साझेदारी में भी कलह-कलेश होने का योग बनता है, मन-मुटाव का योग बनता है
  • साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य सुख में दिक्कतें आएंगी
  • जातक के लिए नित्य नयी परेशानियां खडी रहती है
  • लगन पर डाली हुई दृष्टि जातक के व्यक्तित्व को उलझन और उग्रता भरा बना देंगे
  • जातक को एक जिद्दी स्वभाव का निडर व्यक्ति बना देंगे सूरज की दशा अन्तर्दशा में और सारे परिणाम नकारात्मक होंगे 
  • जातक दिखने में आकर्षक हो सकता है पर उतना ही आक्रामक और अपनी वाणी पर काबू न रख पाने वाला होगा
  • धन का आगमन अगर कहीं ना कहीं से होता है सूरज की दशा अन्तर्दशा में तो स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां भी लगी ही रहेंगी

तुला लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ भी सूर्य देवता नकारात्मक परिणाम ही देंग
  • पिता को दिक्कत-परेशानियां देंगे, पिता से एवं पिता को कष्ट होने का योग बनता है, असहमति भी रहती है
  • जातक धर्म को जल्दी मानने वाला नहीं होता
  • यहाँ जातक विदेश यात्रा तो करता है पर सूर्य देव सदा नुक्सान ही करते हैं
  • तीसरे भाव पर डाली हुई दृष्टि भी सदा कष्टकारी होती है

तुला लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ सूरज देवता अपने अति मित्र चंद्रमा की राशी में गए है
परन्तु मारक ग्रह होने की वजह से दशम भाव से सम्बंधित सदा नकारात्मक परिणाम ही अपनी दशा अन्तर्दशा में देते मिलेंगे
  • व्यवसाय या पेशे में दिक्कत-परेशानियां होंगी, बहुत परिश्रम करने के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलेंगे, पदोन्नति और वेतन वृद्धि भी नहीं मिलेंगी, जातक उच्च पद पर भी स्थापित नहीं हो पाता
  • अगर जातक कोई व्यवसाय करता है तो उसमें अटकलें शरू हो जाती हैं, पैसों का भुगतान या पेमेंट का सर्किल रुक जाना, श्रमिकों/मजदूरों, मशीनरी/उपकरण से प्रॉब्लम आना आदि दिक्कतें लगी ही रहती हैं
  • माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान सारी सुह सुविधाओं को दिक्कत-परेशानी में अवश्य ले आएँगे सूर्य देव

तुला लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव अपनी स्व राशी के आगये हैं
  • दशा अन्तर्दशा में धन का आगमन करेंगे लेकिन साथ में स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां भी ले कर आएँगे, लाभ की कमी कभी नहीं रक्खेंगे
  • जातक जो भी  इच्छा करता है वो कभी ना कभी अपनी जिंदगी में वो पूरी अवश्य कर लेता है, सूरज देवता यहाँ सदा इच्छा पूर्ती करने में सहायता करता है
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनेगा लेकिन साथ में मानसिक रूप से अशांत रहने का योग भी बनता है
  • पेट में दिक्कत-परेशानी भी होती है
  • प्रेम प्रसंगों में नाकामयाबी होने का योग बनता है
  • अनिश्चित हानि भी होती है

तुला लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:







ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (६) के परिणाम कन्या लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H6 - 13012018

सूर्य के परिणाम कन्या लग्न के अलग अलग भावों में




कन्या लग्न की कुंडली 



कन्या लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश में स्थापित करवा देंगे
  • जातक के स्वभाव में उग्रता होगी
  • जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आती ही रहेंगी
  • जातक दिमाग से थोडा कुंठित रहता है और हर बात का जवाब उग्रता और आक्रमतक से देगा
  • पत्नी से सदा मन-मुटाव रहने वाला है
  • साझेदारी में सदा समस्याएं आएंगी
  • रोजी-रोजगार की दिक्कत-परेशानियों में भी सूर्य देवता बढ़ोतरी ही करेंगे

कन्या लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य-देव यहाँ नीच के हो जाते हैं और यहाँ वो अति अशुभ मने जाएँगे
  • वाणी सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां आएंगी
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • परिवार से सदा मनमुटाव बना रहत है, परिवार उस जातक को कभी पूरणता अच्छा समझता ही नहीं है
  • अगर सूरज की दशा-अन्तर्दशा छोटी उम्र में आजाये तो जातक विदेश भी पढने चला जाता है
  • आठवें भाव पर दृष्टि दाल कर सूर्य देव बाधाओं में बढ़ोतरी ही करेंगे
  • मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • अनायास ही जातक के कामों में विलम्ब जरूर होता रहेगा और जातक एक उग्र वाणी बोलने वाला बन जाता है, जिसके अपने काबू में जल्दी कुछ नहीं रहता

कन्या लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देवता अति अशुभ माने जाते हैं
  • छोटे भाई का योग जरूर बनाएँगे
  • छोटे मोटी यात्राओं का योग जरूर बनेगा
  • फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहेंगी
  • पिता से मनमुटाव रहता है
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
  • सूर्य देव यहाँ विदेश यात्रा का योग भी बनाते हैं

कन्या लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक विदेश स्थापित जरूर हो जाता है
  • माता को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां आती रहती हैं
  • अगर जातक को जीवन में गाडी, भूमि, वाहन बनानी पड़ें तो बहुत विलम्ब से बनती है, बहुत देर से बहुत कलप-कलप के विलम्ब से सारे परिणाम मिलते हैं
  • सूर्य देव यहाँ छाती सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं देकर छाती में विकार भी जरूर पैदा करदेता है
  • दशम भाव से सम्बंधित भी सारे नकारात्मक परिणाम सूर्य देव देंगे और जातक को जल्दी स्थिर या व्यवस्थित नहीं होने देते

कन्या लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देंगे क्योंकि एक पुरुष ग्रह हैं, लेकिन कहीं ना कहीं गर्भपात (प्रथम गर्भ-धारण के समय) भी करवा सकते हैं
  • मानसिक शांति भी भंग रहती है
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं भी देंगे
  • अनिश्चित नुक्सान का योग भी बनता है
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता दे सकते हैं
  • जातक दिमाग से काफी उग्र होगा, हर बात की प्रतिक्रिया उग्र हो कर आक्रामकता से वो जरूर देगा
  • बड़े भाई बहनों से ही कलह-कलेश हो सकता है
  • लाभ में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी सूर्य देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में लगाये ही रक्खेंगे

कन्या लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देवता विपरीत-राज-योग की स्थिति में आकर बहुत अच्छा फल जरूर देंगे
  • लेकिन अगर सूर्य देव विपरीत-राज-योग में ना आये तो छठे भाव से सम्बंधित सारे नकारात्मक परिणाम देंगे
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा, प्रतियोगिताएं में विलम्ब या असफलता सूर्य देव यहाँ जरूर देंगे
  • बाहरवें भाव से सम्बंधित भी सारे नकारात्मक परिणाम देकर फ़िज़ूल का व्यय जातक के लिए बढ़ाते ही मिलेंगे
  • जेल यात्रा भी सूर्य देव यहाँ करवा सकते हैं
  • विदेश जा कर के भी जातक खाली हाथ वापिस आजाता है, वहां भी सूर्य देव जातक को समस्याएं जरूर देते हैं
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कन्या लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ दांपत्य सुख में कलह-कलेश सदा बनाये रक्खेंगे
  • साझेदारी में समस्याएं देंगे, ऐसे जातक को सदैव हिदायत दी जाती है की आप अपना काम कभी भी पार्टनरशिप या साझे में वो ना करे
  • रोजी-रोजगार को भी सूर्य देव बुरी तरह प्रभावित कर के सारे नकारात्मक फल देंगे
  • जातक का विवाह विदेश में जरूर हो सकता है
  • लग्न के सम्बंधित फल भी नकारात्मक ही होंगे, स्वास्थ्य सम्बन्धी छोटी-मोटी समस्याएं जातक को सदैव लगी ही रहेंगी

कन्या लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यदि विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तब वो अच्छा फल जरूर देंगे
  • लेकिन अगर कहीं बुद्ध देव बिगड़ गए - नीच के हो गए, अस्त हो गए, बल-हीन हो गए तो सुर्य्स देवता अति बुरा फल देंगे अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • आठवें भाव सम्बंधित पूरणता नकारात्मक परिणाम मिलेंगे
  • यहाँ सूर्य देव हर काम में बाधाएं देकर दिक्कत-परेशानियां बढ़ा कर जातक की मुश्किलों को मृत्यु तुल्य कष्ट तक ले जाते हैं
  • सूर्य देव दूसरे भाव के सम्बंधित भी नकारात्मक परिणाम देंगे
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • परिवार कभी साथ नहीं देने वाला 
  • वाणी भी अनावश्यक रूप से उग्र हो कर जातक को परेशान करेगी और दूसरे भी परेशान जरूर होंगे

कन्या लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • पिता से समस्याएं बनी रहेंगी, पिता के फ़िज़ूल व्यय होते रहेंगे
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
  • विदेश यात्रा भी अटक लटक के होने से उसमें भी परेशानी देते हैं सूर्य देव
  • छोटे भाई-बहन का योग जरूर बनवा देते हैं
  • फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहती हैं
  • फ़िज़ूल की मेहनत भी जातक की होती ही रहेंगी जिसका उचित फल जातक को कभी मिलता ही नहीं है

कन्या लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देव जातक का काम-काज जल्दी स्थापित नहीं होने देंगे
  • विदेश जा कर जातक नौकरी जरूर कर सकता है, वहां उसका काम-काज नौकरी के दृष्टिकोण से स्थापित जरूर हो जाता है सूरज की दशा अन्तर्दशा में
  • माता से सदा मन मुटाव बना रहेगा
  • माता के स्वास्थ्य में छोटी मोटी समस्याएं लगी रहेंगी
  • गाडी, भूमि, वाहन मकान अगर जातक का बनने वाला हुआ या गाडी लेने वाली हुई तो सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में विलम्ब जरूर होगा और ये समस्याएं जातक को परेशान जरूर करेंगी

कन्या लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • ग्याहरवें भाव में सूर्य देव होने से जातक लाभ जितना मर्जी अर्जित कर ले उसमें दिक्कत-परेशानियां जरूर रहने वाली हैं
  • बड़े भाई-बहनों से सदैव कलह कलेश रहने वाला है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं सदा लगी ही रहेंगी
  • पंचम भाव सम्बन्धी परिणाम भी नकारात्मक होंगे
  • सिर्फ एक लाभ सूर्य देव जरूर देंगे, यहाँ वो पुत्र प्राप्ति का योग देते हैं क्योंकि सूर्य देवता भी एक पुरुष ग्रह माने जाते हैं
  • पेट में समस्याएं भी सूर्य देव देते ही मिलेंगे
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती हैं
  • आकस्मिक नुक्सान का योग भी बनता है

कन्या लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव स्वः राशी के हो जाते हैं
  • अगर बुद्ध देव बलि हुए और सूर्य देवता विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तब वो अच्छा फल जरूर देंगे,
  • वर्ना अति बुरे परिणाम देंगे
  • दशा -अन्तर्दशा में सूरज देवता फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश स्थापित भी करवा सकते हैं
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती हैं
  • अस्पताल के खर्चे भी सक्रीय हो जाते हैं
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा ये साड़ी समस्याएं सूरज देवता अपनी दशा-अन्तर्दशा में जरूर देंगे और जातक को कष्ट बहुत ज्यादा आता है सूरज की दशा-अंतरा में




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  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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