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सूर्य (८) के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H8 - 16012018

सूर्य के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग अलग भावों में




वृश्चिक लग्न की कुंडली 



वृश्चिक लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ काम-काज में वृद्धि देंगे
  • व्यक्तित्व में बेहतरी होगी, सुधार होगा
  • जातक निडर, साहसी या दबंग होगा
  • साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य-सुख में भी भी सूर्य देव लाभ ही देंगे
  • पत्नी से मन-मुटाव जल्दी नहीं होगा
  • रोजी-रोजगार के नए रास्ते भी जरूर खुलेंगे

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ सदा लाभ देंगे
  • वाणी थोड़ी सी उग्र करना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक वाणी में कटु शब्द बोलता है जो सामने वाला सुनना पसनद नहीं करता
  • धन की कमी कभी नहीं आती
  • परिवार पूरणता साथ देने वाला होता है, जातक की परिवार से बनती जरूर होगी और वो परिवार का ध्यान रखने वाला होगा
  • जातक अपने जीवन की बाधाएं अपने परिश्रम से दूर कर लेगा
  • जातक किसी से मन-मुटाव रखने वाला नहीं होगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव को बल देने से तीसरा भाव सक्रिय होता है, जिसका प्रभाव नकारात्मक होता है
  • सूर्य देव यहाँ मेहनत को बढ़ाते हैं, जातक का काम-काज मेहनत से जुदा हुआ होगा
  • छोटी-मोटी फ़िज़ूल की यात्राएं बढती हैं
  • छोटे भाई बहनों का योग बनेगा
  • भाई-बहनों का सहयोग बहुत ज्यादा नहीं मिलता, अगर सहयोग मिलता है तो जातक को उनके लिए खपना अवश्य पड़ता है
  • पिता से बहुत ज्यादा लगाव नहीं होता है, थोडा बहुत मन-मुटाव जरूर बनाये रक्खेंगे सूर्य देव
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानने वाला होगा क्योंकि जल राशी पर दृष्टि जाना एक नकारात्मक प्रभाव माना जाता है
  • विदेश यात्रा जरूर कर सकता है जातक
  • लेकिन छोटी-मोटी विदेश यात्रा कर के भी जातक को लाभ अर्जित करने के लिए परिश्रम करना ही पड़ता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान और सुख-सुविधाओं को लेने में मदद करते है
  • दहसम भाव सम्बंधित काम-काज में वृद्धि और सुधार यहाँ सूर्य देव अवश्य देते हैं

वृश्चिक लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ काम-काज में वृद्धि देते है
  • काम-काज बुद्धि से जुड़ा हुआ होता है
  • प्रेम-प्रसंगों में कामयाबी मिलती है
  • अनिश्चित लाभ यहाँ सूर्य देव अवश्य होते हैं
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनता है
  • परन्तु कहीं न कहीं दिमाग में उग्रता और उत्तेजना भी जरूर हो सकती है
  • जातक को कहीं न कहीं से लाभ अवश्य मिलता रहता है
  • बड़े भाई-बहनों से सहयोग मिलता है
  • छोटी-मोटी पेट सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं अगर आती है तो वो चली अवश्य जाती है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं, पर वो कभी भी फल अच्छा नहीं देंगे क्योंकि ये भाव गलत है
  • जातक का काम-काज नौकरी से सम्बंधित किसी के अंतर्गत होगा
  • काम-काज में बाधाएं बनी रहती हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के होते रहते हैं
  • विदेश यात्रा भी जातक कर सकता है
  • अस्पताल के खर्चे भी सक्रीय हो जाते हैं
  • जेल यात्रा तक सूरज देवता यहाँ करवा सकते हैं
  • सूर्य देव सरकार से भी कोई न कोई दिक्कत-परेशानियां दिलवाते ही रहते हैं
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वृश्चिक लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव की दशा-अन्तर्दशा में जातक को पूरणता लाभ मिलता है
  • सूर्य देव यहाँ साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य-सुख में लाभ देते है, लेकिन छोटा-मोटा मन मुटाव कहीं न कहीं बना ही रहता है क्योंकि एक आग का गोला है सूरज देवता 
  • परन्तु छोटा-मोटा मन-मुटाव बना कर के भी सूर्य देव जिंदगी की गाडी चलने में सहायक जरूर सिद्ध होते है
  • पार्टनरशिप या साझेदारी में कामयाबी रहेगी
  • रोजी-रोजगार के नए रस्ते खुलेंगे
  • काम-काज भी अगर पार्टनरशिप या साझेदारी में हो जाए तो और ज्यादा लाभ मिलेगा सूरज की दशा अन्तर्दशा में
  • जातक के व्यक्तित्व में भी सुधार दे कर सूर्य देव जातक को निडर और दबंग बनाते है, जो की सरकारी अफसरों से काम निकालने में भी काफी सहायक सिद्ध होते है और जातक का ये दबंग व्यक्तित्व समाज में उसे एक नए रूप में पेश जरूर करता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक की बेवजह की बाधाओं को खडी करते हैं और बढ़ाते रहते हैं
  • जातक की मानसिक शांति भंग रहती है और काम-काज में वो कभी ध्यान लगा ही नहीं पाता
  • काम-काज में सदैव बाधाएं रहेंगी, सूरज की दशा-अन्तर्दशा में जातक का काम-काज जल्दी स्थापित नहीं होने वाला
  • बिना कारण के फ़िज़ूल की बाधाएं खडी ही रहेंगी सूरज की दशा-अन्तर्दशा में
  • धन का आभाव सदा बना रहता है
  • परिवार जातक का साथ पूरणता कभी नहीं देता
  • जातक की वाणी बेवजह उग्र हो जाती है और जातक समझ नहीं पाता की उस क्या बोलना था और उत्तेजित हो कर वो क्या बोल गया, सामने वाला भी परेशान होता है बाद में जातक को खुद भी इस बात का पछतावा होता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ जातक के काम-काज की वृद्धि में सदैव सहायक सिद्ध होते हैं
  • काम-काज अगर पिता से जुड़ा हो तो और लाभ होता है
  • जातक अगर काम-काज धर्म को मान कर करे या परमात्मा के अंतर्गत-अधीन रह कर करे, उन्हें पहले प्रणाम कर के कार्य करे तो और ज्यादा सहायक सिद्ध होते है
  • जातक धर्म को वैसे भी बड़ी कट्टरता से मानने वाला होता है
  • छोटी-मोटी विदेश यात्रा कर के वहां से भी जातक को लाभ अर्जित अवश्य होता है
  • छोटे भाई-बहनों से सहयोग थोड़ी बहुत जरूर मिलती है
  • छोटी-मोटी यात्राएं होती हैं और जातक उससे लाभ अर्जित अवश्य कर लेता है
  • परिश्रम कर के भी जातक अपने जीवन यापन को अच्छा जरूर कर लेता है सूरज की दशा-अन्तर्दशा में

वृश्चिक लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

सूर्य देव यहाँ अपनी ही राशी में हैं और यहाँ उन्हें दिशा बल भी मिलता है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देने से और ज्यादा लाभ मिलता है
  • सूरज की दशा अन्तर्दशा में काम-काज में भी जातक को लाभ मिलेगा
  • जातक सरकारी विभाग में उच्च पद पर आसीन हो सकता है, राजपत्रित अधिकारी हो सकता है या साशन-प्रबंधन से जुड़ कर कोई काम कर सकता है
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान, यश, सुख-सम्रद्धि बढ़ने में भी सूरज देव सदैव सहायक सिद्ध होते हैं
  • जातक माता की देखभाल या ख़याल रखने वाला होगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक को सदा लाभ देते मिलेंगे
  • सूर्य देव को बल देने से वो जातक के कर्म उस दिशा में ले कर जाते है जहाँ से जातक की इच्छा-पूर्ती अवश्य होती है
  • दशा-अन्तर्दशा में जातक अपने परिश्रम से लाभ जरूर अर्जित कर लेता है, जातक जितने कर्म करेगा सूर्य देव उतना उसको लाभान्वित जरूर करते मिलेंगे
  • धन का आभाव जल्दी कभी नहीं आता
  • बड़े भाई-बहनों का सहयोग मिलता रहेगा
  • जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां अगर आती है तो वो चली अवश्य जाती हैं
  • पुत्र प्राप्ति को योग अवश्य बनता है
  • अनिश्चित लाभ जातक को मिलता हैं
  • प्रेम-प्रसंगों में जातक को कामयाबी अवश्य मिलती हैं
  • सूर्य देव की यहाँ दृष्टि जातक के दिमाग को स्थिर कर के जातक के व्यक्तित्व को निडर-दबंग बनाने में सहायक सिद्ध होती है
  • जातक का दिमाग काफी तेज़ होता है
  • परन्तु यहाँ जातक के व्यवहार में उग्रता जरूर आ जाती है, जिसके लिए बहुत ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देने से पंचम और ग्याहरवें भाव से सम्बंधित सकारात्मक परिणाम जातक को अवश्य मिलते हैं

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव नीच के हो जाते हैं
  • जातक के फ़िज़ूल के व्यय होते हैं
  • मानसिक शांति भंग रहती है
  • काम-काज पर ध्यान केन्द्रित नहीं होता
  • अस्पताल के खर्चे होने की सम्भावना यहाँ सूर्य देव बढ़ा देते हैं
  • सूर्य देव यहाँ विदेश में जातक को स्थापित भी कर देते हैं
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, कोर्ट-केस, मुकदमा आदि देकर और प्रतियोगिताओं में असफलता और दिक्कत परेशानियां भी यहाँ सूर्य देव देते ही मिलते है
  • जातक को सारी जिंदगी समझ नहीं आता की न तो मेरा कभी काम-काज स्थिर-स्थापित हुआ न ही मैं कभी इतना धन अर्जित कर पाया की पूर्ण रूप से संतुष्ट हो पाऊं
  • जातक न ही कभी प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त कर के दशा अन्तर्दशा में कामयाबी का रास्ता पकड़ पता है
  • यहाँ विराजमान नीच के सूर्य देवता जातक की जेल यात्रा तक करवा देते हैं



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (७) के परिणाम तुला लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H7 - 16012018

सूर्य के परिणाम तुला लग्न के अलग अलग भावों में




तुला लग्न की कुंडली 



तुला लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देवता यहाँ मारक ग्रह होकर नीच के आये बैठे हैं और जातक को सदैव नुक्सान देते ही मिलेंगे
  • यहाँ सिर्फ सूरज देवता का पाठ, पूजन, स्मरण, हवन, यज्ञ, आरती, दान-पुण्य करना होगा ताकि लगन पर जितना उसका पाप और नीच प्रभाव आया है वो ठीक हो

तुला लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूरज देवता लाभेश हो कर धन भाव में आये हैं
  • दूसरे भाव यानी धन, कुटुंब और वाणी में सदा नुक्सान करते ही मिलेंगे

तुला लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम




तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ अपनी अति शत्रु राशी में आये हैं तथा चौथे और दशम भाव को बिगड़ने में प्रमुख भूमिका निभाकर अशुभता के फल देते हैं
  • माता को कष्ट, माता से कष्ट
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान अगर जातक का लेने वाला हुआ तो बहुत दिक्कतें आती हैं
  • काम-काज का बंटाधार करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, चलता-चलता काम रुक जाता है, बाधाएं आती हैं, तनाव बढ़ जाता हैं, जातक का काम सिरे ही नहीं चढ़ पता सूर्य की दशा-अंतरा में
  • नौकरी में पदोन्नति और वेतन वृद्धि नहीं हो पाती
  • धन और लाभ सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां शरू कर देते हैं दशा-अन्तर्दशा में

तुला लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव पंचम भाव सम्बन्धी पूरण नुक्सान देते मिलेंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बना देते हैं क्योंकि पुरुष ग्रह हैं पर वो बहुत कष्ट के बाद देते है
  • संतान को कष्ट अवश्य होता है, संतान से कष्ट होता है 
  • प्रेम-प्रसंगों में नाकामयाबी मिलती है
  • अनिश्चित नुक्सान होता है
  • जातक के दिमाग उसकी स्मरण शक्ति और इच्छा शक्ति को उग्र कर के निराशा तक ले जा कर के जातक की परेशानियों को कई गुना बढ़ा देते हैं
  • परन्तु यहाँ सूर्य की दृष्टि एकादश भाव पर सकारात्मक परिणाम देगी


तुला लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम



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तुला लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव अपनी उच्च राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में पत्नी की तबियत खराब होने का योग भी बनता है
  • पार्टनरशिप या साझेदारी में भी कलह-कलेश होने का योग बनता है, मन-मुटाव का योग बनता है
  • साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य सुख में दिक्कतें आएंगी
  • जातक के लिए नित्य नयी परेशानियां खडी रहती है
  • लगन पर डाली हुई दृष्टि जातक के व्यक्तित्व को उलझन और उग्रता भरा बना देंगे
  • जातक को एक जिद्दी स्वभाव का निडर व्यक्ति बना देंगे सूरज की दशा अन्तर्दशा में और सारे परिणाम नकारात्मक होंगे 
  • जातक दिखने में आकर्षक हो सकता है पर उतना ही आक्रामक और अपनी वाणी पर काबू न रख पाने वाला होगा
  • धन का आगमन अगर कहीं ना कहीं से होता है सूरज की दशा अन्तर्दशा में तो स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां भी लगी ही रहेंगी

तुला लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ भी सूर्य देवता नकारात्मक परिणाम ही देंग
  • पिता को दिक्कत-परेशानियां देंगे, पिता से एवं पिता को कष्ट होने का योग बनता है, असहमति भी रहती है
  • जातक धर्म को जल्दी मानने वाला नहीं होता
  • यहाँ जातक विदेश यात्रा तो करता है पर सूर्य देव सदा नुक्सान ही करते हैं
  • तीसरे भाव पर डाली हुई दृष्टि भी सदा कष्टकारी होती है

तुला लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ सूरज देवता अपने अति मित्र चंद्रमा की राशी में गए है
परन्तु मारक ग्रह होने की वजह से दशम भाव से सम्बंधित सदा नकारात्मक परिणाम ही अपनी दशा अन्तर्दशा में देते मिलेंगे
  • व्यवसाय या पेशे में दिक्कत-परेशानियां होंगी, बहुत परिश्रम करने के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलेंगे, पदोन्नति और वेतन वृद्धि भी नहीं मिलेंगी, जातक उच्च पद पर भी स्थापित नहीं हो पाता
  • अगर जातक कोई व्यवसाय करता है तो उसमें अटकलें शरू हो जाती हैं, पैसों का भुगतान या पेमेंट का सर्किल रुक जाना, श्रमिकों/मजदूरों, मशीनरी/उपकरण से प्रॉब्लम आना आदि दिक्कतें लगी ही रहती हैं
  • माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान सारी सुह सुविधाओं को दिक्कत-परेशानी में अवश्य ले आएँगे सूर्य देव

तुला लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव अपनी स्व राशी के आगये हैं
  • दशा अन्तर्दशा में धन का आगमन करेंगे लेकिन साथ में स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां भी ले कर आएँगे, लाभ की कमी कभी नहीं रक्खेंगे
  • जातक जो भी  इच्छा करता है वो कभी ना कभी अपनी जिंदगी में वो पूरी अवश्य कर लेता है, सूरज देवता यहाँ सदा इच्छा पूर्ती करने में सहायता करता है
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनेगा लेकिन साथ में मानसिक रूप से अशांत रहने का योग भी बनता है
  • पेट में दिक्कत-परेशानी भी होती है
  • प्रेम प्रसंगों में नाकामयाबी होने का योग बनता है
  • अनिश्चित हानि भी होती है

तुला लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:







ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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