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चन्द्र (५) के परिणाम सिंह लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H17 - 11022018

चन्द्र के परिणाम सिंह लग्न के अलग अलग भावों में




सिंह लग्न की कुंडली 



सिंह लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता जातक का व्यय सदैव लगाये ही रखते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देंगे, सदैव जातक का नुक्सान करवाते रहेंगे
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, छोटे-मोटे कलह-कलेश, मानसिक तनाव जातक का लगा ही रहेगा
  • दांपत्य सुख में समस्याएं, पार्टनरशिप में भी समस्याएं और रोजी-रोजगार को भी चंद्रमा देवता बुरी तरह प्रभावित कर के जातक की समस्याओं में बढ़ोतरी करते ही रहेंगे

सिंह लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चन्द्र देव धनं का आभाव सदा बनाये रक्खेंगे
  • परिवार पूरण साथ कभी नहीं देगा
  • वाणी में छोटी-मोटी दिक्कत परेशानिया अप्वानी बोल कर या अपशब्द बोलने की वजह से जातक समस्याएं झेलता ही रहेगा
  • जातक विदेश यात्रा भी कर सकता है और अगर अगर छोटी उम्र में चन्द्र की महादशा-अन्तर्दशा आ जाये तो पढ़ाई क लिए घर से दूर भी जा सकता है 
  • अष्टम भाव के सम्बन्धी भी चंद्रमा देवता जातक की समस्याओं में सदैव बढ़ोतरी करते ही मिलेंगे

सिंह लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव शुक्र की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • छोटी बहन का योग जरूर बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत/भाग-दौड़ और छोटी मोटी यात्राएं भी जातक की होती ही रहेगी
  • जातक बहुत ज्यादा पराक्रमी नहीं होगा
  • पिता से मन मुटाव सदा बना रहेगा
  • धर्म को जातक जल्दी  नहीं मानने बाला
  • जातक की विदेश यात्रा भी अटक-लटक के दिक्कत-परेशानियां दे कर ही होंगी

सिंह लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता नीच के हो जाते हैं
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में मकान गाडी भूमि सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • माता से मन-मुटाव सदा बना रहेगा
  • काम-काज सम्बन्धी भी सदैव समस्याएं/बाधाएं दे कर जातक के जीवन यापन की मुश्किलों में और ज्यादा बढ़ोतरी करते हे रहेंगे

सिंह लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • जातक को संतान सम्बन्धी समस्याएं रहती हैं
  • पुत्री का योग बनेगा
  • अनिश्चित हानि का रास्ता भी चन्द्र देव यहाँ खोल देंगे
  • जातक मानसिक रूप से जल्दी ही विचलित/परेशान हो जाता है
  • उदार/पेट सम्बन्धी समस्याएं आएंगी
  • लव-रोमांस में भी असफल होने का योग जरूर बनता है
  • बड़े भाई बहन से मन मुटाव रहता है
  • धन के आभाव सदा बना रहता है
  • चंद्र की दशा-अन्तर्दशा में छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी जातक की लगी ही रहती हैं 

सिंह लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


अगर चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ अच्छा फल जरूर देंगे
अगर सूरज बलहीन हो गए नीच हो गए या कहीं पीड़ित अवस्था में हुए तो यहाँ चंद्रमा अति मारक हो जाएँगे
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सक्रीय कर देंगे
  • कोर्ट-केस/लिटिगेशन दे कर समस्याओं में डाल सकते हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय करवाना, जेल यात्रा करना, अस्पताल के खर्चे बढ़ा कर चन्द्र देव जातक के लिए कलह-कलेश मचाये ही रक्खेंगे
  • विदेश यात्रा भी करवा सकते हैं यहाँ चन्द्र देव

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सिंह लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ चंद्रमा जातक के विवाह में विलम्ब करवाएँगे
  • जातक को पार्टनरशिप/साझेदारी में धोखा मिल सकता है
  • रोजी-रोजगार में भी समस्याएं आएंगी 
  • जातक के व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और मानसिक शांति को भी सदैव दिक्कत परेशानियां रक्खेंगे चन्द्र देव

सिंह लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


अगर चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ अच्छा फल जरूर देंगे
अगर सूरज बलहीन हो गए नीच हो गए या कहीं पीड़ित अवस्था में हुए तो यहाँ चंद्रमा अति मारक हो जाएँगे
  • जातक को व्यय सम्बन्धी बाधाएं आएंगी
  • जातक के जीवन में इतनी बाधाएं आएंगी की चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में वो मृत्यु तुल्य कष्ट तक भोगता है
  • धन सम्बन्धी परेशानियां देंगे. धनं का आभाव जातक को सदा बना रहेगा
  • परिवार पूरणता साथ कभी नहीं देगा
  • जातक वाणी से भी अपशब्द बोल कर स्वयं के लिए समस्याओं को बाधा लेगा

सिंह लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ पिता से मन मुटाव सदा बना रहेगा
  • धर्म को जातक जल्दी नहीं मानने वाला होगा
  • विदेश यात्रा भी अटक-लटक के परेशानी दे कर के ही होती है
  • छोटे भाई बहन का योग चन्द्र देव बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत, फ़िज़ूल की छोटी-मोटी यात्राएं जातक की सदैव होती ही रहेंगी

सिंह लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहं चन्द्र देव उच्च के हो जाते हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय उच्च के होने से जातक को कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता काम काज में रुकावटें देते रहेंगे, मानसिक शांति भंग रक्खेंगे
  • माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान सम्बन्धी समस्याएं और माता से मन-मुटाव सदा रहने का योग कहीं न कहीं बनाये ही रक्खेंगे चंद्रमा देवता

सिंह लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चन्द्र देव यहाँ बड़े भाई-बहनों से दिक्कत-परेशानियां देंगे
  • धनं का आभाव भी बनाये रक्खेंगे 
  • फ़िज़ूल के व्यय खर्चे जातक के होते ही रहेंगे
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी जातक की सदैव लगी ही रहेंगी
  • पुत्री का योग बना देते हैं
  • मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देते हैं
  • पेट में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां देते हैं
  • जातक के लिए अनिश्चित हानि होने का रास्ता खोल देते हैं
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता दे कर जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग भी जरूर कर देगे
  • यहाँ चंद्रमा देवता पंचम भाव सम्बन्धी पूरणता नकारात्मक परिणाम अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक को जरूर देंगे 

सिंह लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ स्वः राशी के होते हैं
अगर चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ अच्छा फल जरूर देंगे
अगर सूरज बलहीन हो गए नीच हो गए या कहीं पीड़ित अवस्था में हुए तो यहाँ चंद्रमा अति मारक हो जाएँगे
  • फ़िज़ूल के व्यय बढ़ जाएँगे
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • अस्पताल के खर्चे होते रहेंगे
  • जेल यात्रा तक करवा सकते हैं यहाँ चन्द्र देव
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा/कोर्ट-केस, लड़ाई-झगडा, प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता होना आदि छठे भाव सम्बंधित सारे ही नकारात्मक परिणाम चन्द्र देव देंगे और जातक की बाधाएं और ज्यादा बढ़ा देंगे



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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चन्द्र (४) के परिणाम कर्क लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H16 - 11022018

चन्द्र के परिणाम कर्क लग्न के अलग अलग भावों में




कर्क लग्न की कुंडली 



कर्क लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ कुंडली के लिए बहुत अछे हो गए और यहाँ ये बहुत अछे माने जाते है
  • जातक हर समस्या/परेशानी से निकलने का योग ले कर आता है, जातक की हर समस्या/परेशानी टलती है जितनी मर्जी बड़ी समस्या होगी वो जल्दी ही निकल जाएगी
  • जातक का आकर्षक/मनमोहक व्यक्तित्व होता है
  • जातक का दांपत्य-सुख पूरणता अच्छा होता है
  • व्यापार में साझेदारी भी अच्छी होती है
  • जातक शारीरिक रूप से थोडा भारी शरीर का होगा जो अच्छा मन जाता है

कर्क लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक की वाणी बहुत मीठी होगी
  • जातक बड़े शिष्टाचार से बात करेगा मीठा बोलेगा शांत परवर्ती का होगा, लेकिन जरूरत के अनुसार उग्र भी बोलने की क्षमता रक्खेगा 
  • यहाँ जातक को धन की कमी कभी नहीं आती
  • जातक परिवार से सदा जुड़ा रहता है

कर्क लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा यहाँ जातक की मेहनत सामान्य से ज्यादा कर देंगे, यानी इंसान की मेहनत की बढ़ोतरी होगी
  • जातक का ध्यान छोटे भाई-बहनों पर ज्यादा होगा
  • जातक हमेशा छोटी यात्राएं कर के ही कुछ ना कुछ अर्जित कर पाएगा
  • उसकी दृष्टि अपने पिता पर पड़ना पिता के लिए बहुत अच्छा नहीं होगा क्योंकि गलत भाव में बैठ कर दृष्टि डाल रहा है
  • चंद्रमा यहाँ शुभ नहीं बल्कि अशुभ माने जाते है

कर्क लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ अछे माने जाते हैं और दिशाबली हो जाते हैं
  • गाडी-वाहन, सुख-सुविधाएं, प्रॉपर्टी, माता से अछे सम्बन्ध वो यहाँ सारी चीज़ें देंगे
  • जातक को हर चीज़ से संपन्न कर देंगे
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम-काज पर अच्छा असर डालेंगे, काम-काज की वृद्धि होगी बढ़ोतरी होगी तरक्की उन्नति मिलेगी जताक को

कर्क लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देंगे, कभी सकारात्मक परिणाम नहीं देंगे, क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
जातक 
  • जातक का मन हमेशा डांवाडोल स्थिति में रहेगा
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं लगी रहेंगी
  • औलाद से दिक्कत परेशानियां बनी रहेंगी
  • जातक का मन कभी स्थिर नहीं होगा
  • जातक का आत्मविश्वास डगमगाया रहेगा और जातक अस्थिर चित्त का होगा

कर्क लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • केवल प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए अछे माने जाते हैं
  • लेकिन अपनी दशा-अन्तर्दशा में रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा कोर्ट-केस देंगे
  • फ़िज़ूल का व्यय जातक का लगा ही रहेगा, पैसा आएगा बाद में लेकिन जाने को पहले तयार खड़ा रहता है
  • यहाँ चंदमा अति मारक ग्रह हो गए

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कर्क लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा बहुत अच्छा फल देंगे और जातक के व्यक्तित्व में अच्छा योग लेकर आते हैं
  • जीवनसाथी बहुत अच्छा मिलता है
  • जातक बहुत मनमोहक व्यक्तित्व वाला होगा, बार-बार उससे बात करने को दिल चाहेगा 
  • साझेदारी में काम करने से उसकी बहुत बनेगी, साझेदारी/पार्टनरशिप बहुत सफलता पूर्वक निभा पाएगा जातक
  • रोजी-रोजगार में कोई न कोई कार्य उसे मिलता रहेगा और रोजी-रोजगार उसका सदैव चलने वाला है

कर्क लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता कभी अछे फल नहीं देने वाले 
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में सदैव स्वाथ्य सम्बन्धी समस्याएं, मानसिक तनाव, आर्थिक समस्याएं/दिक्कतें 
  • एवं हर तरह से समस्याओं को बढ़ावा देना ये चद्रमा देवता इस घर में सदैव करने वाले हैं

कर्क लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता बहुत अछे हो जाते हैं
  • जातक भाग्यवान माना जाता है
  • जातक की पिता से बहुत बनती होगी
  • जातक धर्म को मानने वाला होगा
  • अपने भाई बहनों की भी देखभाल करने वाला होगा
  • जातक अनुसंधान में अच्छा मकाम हासिल कर सकता है
  • विदेश यात्रा भी कर सकता है
  • जातक हर काम अपने भाग्य के आसरे बनाता नजर आएगा

कर्क लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव अच्छे तो माने जाते हैं पर साथ ही बलहीन भी हो गए क्योंकि जल ग्रह हो कर अग्नि राशी में आगये 

  • इसलिए चंद्रमा को बल देना यहाँ अत्यंत आवश्यक हो जाता है
  • चंद्रमा को सक्रीय कर के ही यहाँ चंद्रमा सही ढंग से सकारात्मक परिणाम दे पाएँगे


कर्क लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा कुंडली में सब से अछे माने जाते हैं, क्योंकि यहाँ ये इच्छापूर्ति के घर में विराजमान हैं और ऊपर से  चंद्रमा यहाँ उच्च के हो गए, इसलिए चंद्रमा देवता इस लगन कुंडली में सदैव अच्छा फल देंगे
  • उच्च का होने और दृष्टि अनिश्चित लाभ पर होने से चंद्रमा यहाँ अच्छा देने क लिए बाध्य हो गए
  • इंसान जो मांगेगा उसका मिलेगा
  • अगर उसकी दशा-अन्तर्दशा चल पड़ी और उसमें जरा से बला-बल हुआ तो वो इंसान को करोड़पति बना देगा
  • यहाँ चंद्रमा छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी ले कर आएगा क्योंकि वो छठे से छटा भी है

कर्क लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ चंद्रमा के स्थापित होने से जातक विदेश जा कर बस तो जरूर जाता है लेकिन साड़ी जिंदगी अपने खर्चे पूरे नहीं कर पाता... अपने खर्चों से पार नहीं पा पता क्योंकि ये व्यय का घर है और चंद्रमा यहाँ कारक नहीं रहा
  • अस्पताल के खर्चे सक्रीय हो जाते हैं
  • जातक को मानसिक समस्याएं हो जाती हैं
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आती हैं
  • जातक का मन किसी भी कार्य में लगने वाला ही नहीं है, कहीं टिकता ही नहीं है क्योंकि चंद्रमा मन का कारक है और बुरी अवस्था में है
  • चंद्रमा का दोष पूर्ण स्थापित होना अपने आप में कुंडली के लिए बहुत नुकसानदेह होता है
  • जातक मन से कभी स्थिर नहीं होता
  • चंद्रमा यहाँ इंसान को मानसिक तनाव/अवसाद में जल्दी ले आता है





ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
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चन्द्र (३) के परिणाम मिथुन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H15 - 11022018

चन्द्र के परिणाम मिथुन लग्न के अलग अलग भावों में




मिथुन लग्न की कुंडली 



मिथुन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • इंसान के निर्णय लेने की क्षमता में सदैव कमी रहने वाली है उसमें आत्मविश्वास की भी कमी रहती है
  • दशा-अन्तर्दशा जब भी चलगी वो इंसान को कभी स्थिर नहीं होने देगी सदैव इन्सान को दिक्कत-परेशानियां ही देगी
  • अगर ये धन का थोडा सा आगमन करवाएगी तो साथ में तनाव-समस्याएं भी ले कर आएगी
  • जातक सदैव दुविधा में रहता है या अस्थिरचित्त वाला होता है
  • इंसान के पास पैसा आने से पहले जाने के लिए तयार खड़ा होगा क्योंकि चंद्रमा अति शत्रु के घर चला गया है
  • जातक की वाणी पर उसका कभी नियंत्रण नहीं होगा और उसमें सदैव वो परेशानी ही देंगे

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा स्वः राशि के हो गए
  • जातक की वाणी बहुत अच्छी होगी
  • धन और परिवार के लिए बहुत अच्छा हो गया
  • परन्तु यहाँ जातक के जीवन की बाधाएं भी सक्रीय हो जाती हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक धन तो अर्जित करेगा लेकिन उतनी ही मुसीबतों और मानसिक तनावों से जूझता रहेगा
  • मानसिक शांति भंग होने की स्थिति बार-बार उसे आती ही रहेगी 

मिथुन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देने वाले
  • व जरूरत से ज्यादा मेहनत से ही पैसा कमाना पड़ेगा
  • मेहनत का नकारात्मक परिणाम देना या अत्यधिक खप कर  परिणाम देना ऐसी स्थिति यहाँ चंद्रमा देवता पैदा कर देंगे
  • चंद्रमा यहाँ पिता से कभी नहीं बनने देंगे, जातक पिता को सदैव गलत ही समझेगा

मिथुन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक की माता से कभी नहीं बनने वाली, माता से कलह-कलेश रहने वाली है
  • माता को भी दिक्कत परेशानियां होंगी, माता को भी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होंगी
  • काम-काज कभी व्यवस्थित नहीं होने देंगे चन्द्र देव और कर्म में भी नकारात्मक परिणाम ही देंगे
  • जातक की छाती में भी विकार पैदा हो सकता है, जातक को छाती सम्बन्धी समस्याएं आ सकती हैं 
  • गाडी वाहन सुख-सुविधाएं अगर जातक को मिली होंगी तो वो कभी उनका भोग नहीं कर पाएगा, अगर खुद का बनाना पड़ा तो बनाते-बनाते उम्र निकल जाएगी उसकी

मिथुन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ जातक संतान से सदैव परेशान रहने वाला है
  • उसकी मानसिक शांति सदा भंग रहने वाली है
  • उसके आत्मविश्वास में सदा कमी रहेगी
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं
  • संतान से परेशान होना तो आम बात हो जाती है, क्योंकि संतान उसका कहना नहीं सुनती
  • लाभ में भी परेशानियां मिलना स्वाभाविक है

मिथुन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं
  • जातक मानसिक रूप से कभी स्थायी नहीं हो पाता, हमेशा दुविधा में ही रहेगा
  • चार ज्योतिष्यों के पास जाने वाले होगा क्योंकि चंद्रमा देवता मन का कारक है और मन नीच का हो गया तो इंसान को कभी स्थापित नहीं होने देता
  • धनं आएगा भी और जाएगा भी उसी रास्ते से, धनं अर्जित होगा तो नुक्सान उसका होना तय है
  • मानसिक शांति भंग रहने वाली है
  • जातक उलझन भ्रम दुविधा में रहता है

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मिथुन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव जातक की पत्नी से कभी नहीं बनने देंगे
  • पत्नी बड़ी खूबसूरत मिलेगी, पर उससे ताल-मेल या सहमती नहीं हो पाती
  • व्यापार में साझेदारी कभी कामयाब नहीं रहती

मिथुन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चन्द्र देव के यहाँ होने से जातक को सदैव धन का आभाव रहता है
  • सदैव परिवार में कलह-कलेश मचा रहता है
  • जातक सदा तनाव में रहता है
  • इंसान सदैव इसी सोच में लगा रहत है की में अपने खर्चे पूरे कहाँ से करूँ
  • चन्द्र की दशा-अन्तर्दशा को झेलना एक आम इंसान के बस की बात नहीं होती, वो जातक बहुत बड़ी दिक्कत-परेशानियों में रहता है

मिथुन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चन्द्र देव यहाँ पिता से कभी नहीं बनने देंगे, पिता से ताल-मेल सदैव परेशानी में रहेगी
  • जातक पैसों/खर्चों के लिए सदैव पिता पर निर्भर रहता है, यहाँ तक की विवाह होने और संतान होने के पश्चात् भी जातक की निगाह पिता के पैसों पर रहती है
  • जातक विदेश जा कर भी बैरंग लिफाफे की तरह बिना किसी परिणाम या लाभ के वापिस आ जाता है

मिथुन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्र अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का काम कभी स्थापित नहीं होने देंगे, काम-काज को पूरी तरह से दिक्कत-परेशानियों में आजेगा
  • धन का आभाव रहेगा, अपने पूरण कर्म करने के बाद भी जातक अपने खर्चे पूरे नहीं कर पाएगा
  • माता के साथ कलह-कलेश रहने वाला है
  • जातक यदि गाडी, वाहन, भूमि, मकान बनान चाहेगा तो उसमें इतना विलम्ब होगा की उसे समझ में नहीं आएगा की मेरा काम हो क्यों नहीं रहा है

मिथुन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को धनं का आभाव सदा रहने वाला है
  • भाई बहन से कभी नहीं बनने वाली
  • धनं आएगा जरूर, लेकिन टिकने वाला कभी नहीं है
  • जातक की संतान भी दिक्कत-परेशानियां साथ में लेकर आएगी
  • यहाँ चन्द्र-देव भाई-बहनों से कभी नहीं बनने देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भी चन्द्र देव भंग ही रहेंगे

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं और कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • जातक वास्तविकता से हट कर बाते करने या डींगे हांकने वाला होगा
  • फ़िज़ूल का व्यय जातक का होता ही रहेगा
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, मानसिक अशांति/तनाव और उग्र वाणी होना तय है
  • जातक परिवार से दूर होता है
  • चन्द्र देव सदा परेशानियां ही देंगे



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
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चन्द्र (२) के परिणाम वृषभ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H14 - 11022018

चन्द्र के परिणाम वृषभ लग्न के अलग अलग भावों में




वृषभ लग्न की कुंडली 



वृषभ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो गए हैं और जातक को सदा लाभान्वित करते है
  • जातक को मेहनती बना देते है
  • जातक के व्यक्तित्व में चंद्रमा एक बहुत अच्छी आभा ले आते है, जातक दिखने में बहुत आर्कशक दिखता है और उसका व्यक्तित्व सामान्य से ज्यादा सौम्य हो जाता है यानी शान्तमय और अच्छा हो जाता है, ये लाभ यहाँ जातक को सदैव मिलता है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता पत्नी से सम्बन्ध अच्छा करते हैं
  • पार्टनरशिप-साझेदारी में अच्छा करता है
  • और रोजी-रोजगार के भी नए रस्ते जरूर खोलता है

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


ये चंद्रमा की अति शत्रु राशी है
  • लेकिन जातक की वाणी बहुत मीठी होती है
  • जातक अपने परिवार के लिए मेहनत करने वाला होता है
  • जातक अपनी मेहनत से धन अर्जित करता है
  • और मेहनत से मुश्किलों को भाग-दौड़ कर कर दूर भी कर लेता है

वृषभ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक छोटी बहन का योग जरूर बनवाता है
  • मेहनती होता है
  • छोटी यात्राएं जरूर करता है
  • जातक को मेहनत के बाद ही जीवन में सही फल मिल पता है

वृषभ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को चंद्रमा देवता ये लाभ देते हैं की जातक की माता को मेहनत जरूरत से ज्यादा करनी पड़ती है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में गाडी, भूमि, वाहन सम्बन्धी जो भी समस्याएं आती हैं वो भाग दौड़ मेहनत करने के बाद ही उनका समाधान होता है, यहाँ चंद्रमा देवता विलम्ब जरूर करते हैं
  • काम काज भी बहुत ज्यादा खपने के बाद ही जातक स्थापित हो पता है, इस तरह की दिक्कत-परेशानियां वो यहाँ अवश्य देते है

वृषभ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा जातक की कुंडली में पुत्री का योग जरूर लेकर आती है
  • इंसान को बुद्धि से मेहनत जरूर करवाती है
  • जातक का प्रेम-प्रसंग बहुत अच्छा होता है
  • धन का आगमन भी मेहनत करने के बाद ही होता है
  • जातक को पेट में जल सम्बन्धी समस्याएं आती है

वृषभ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा कभी अपनी पूरी जिंदगी में अच्छा फल नहीं देते
  • छोटे भाई-बहनों से बनने नहीं देते
  • फ़िज़ूल की यात्राएं, फ़िज़ूल के झगडे झमेले, फ़िज़ूल की मेहनत इंसान की चलती ही रहती है और वो कभी उचित परिणाम नहीं देती
  • फ़िज़ूल का व्यय चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में होता ही रहता है, चंद्रमा देवता उसको कभी पूर्ण रूप से स्थापित होने ही नहीं देते
  • जातक की जितनी मर्जी आय हो, च्नाद्र्मा व्यय पर दृष्टि दाल कर कहीं न कहीं फ़िज़ूल का नुक्सान करवाते ही रहते हैं

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वृषभ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता बहुत बुरा फल देते हैं, क्योंकि यहाँ ये नीच के हो जाते हैं और ये सदा अशुभ मन जाता है
  • पत्नी से भी कलह-कलेश, पार्टनरशिप-साझेदारी में भी कलह-कलेश और रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित करते हैं अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता
  • जातक के अछे भले चलते काम में ये रूकावट खडी कर देते हैं और काम पूरी तरह से दिक्कत-परेशानियों में आ जाता है, इस तरह की समस्याएं सदैव चंद्रमा देवता यहाँ देते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव छोटे भाई-बहनों से कभी बनने नहीं देते
  • छोटी यात्राओं का कभी उचित परिणाम नहीं मिलता 
  • मेहनत का पूरण फल इंसान को कभी मिलता ही नहीं है
  • हाँ वाणी जातक की थोड़ी संयत और मधुर जरूर होती हैं
  • लेकिन धन सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां और परिवार में भी कलह-कलेश व समस्याएं वो सदैव देते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा, शानि देव की साधारण राशी और कुंडली की मूल-त्रिकोण राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में व्यर्थ की मेहनत-परिश्रम करने के बाद भी परिणाम नहीं मिलते
  • फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहती हैं
  • पिता से भी थोडा बहुत मन-मुटाव  जरूर करवाते हैं चन्द्र देव

वृषभ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को जरूरत से ज्यादा मेहनत करवाएँगे, जातक का छोटा सा काम होगा लेकिन  उसके लिए उसको खपना बहुत पड़ेगा तभी चंद्रमा परिणाम देंगे
  • चंद्रमा यहाँ काम-काज में मेहनत बढ़ा देते हैं, जातक को सामान्य से ज्यादा परिश्रम कर के ही परिणाम मिलते हैं, अन्यथा परिणामों में सदैव कमी रहती है

वृषभ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव अपनी पूरण दशा-अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल देते ही नहीं हैं
  • जातक मेहनत बड़े भाई-बहनों के अंतर्गत रह कर करता है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या भी उसे रहती हैं, और उसके शरीर में जलीय सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्या भी रहती हैं
  • लाभ बहुत ज्यादा खपने/भागने के बाद मिलता है, चंद्रमा यहाँ फ़िज़ूल की मेहनत करवाने के बाद ही लाभ देने के काबिल बनेगा अन्यथा वो लाभ कभी नहीं देने वाला
  • यहाँ चंद्रमा पुत्री का योग भी जरूर बनवाते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • पूरी जिंदगी में जब चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा चलती है, उसमें जातक जितनी मेहनत करता हैं उतना ही उसका व्यय हो जाता है और हम शुन्य हो कर वहीँ के वहीँ खड़े हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में दुर्घटना, मुकदमा, कोर्ट-केस/लिटिगेशन आदि समस्याएं जातक को सदैव खडी मिलती हैं



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