चन्द्र के परिणाम मीन लग्न के अलग-अलग भावों में
मीन लग्न की कुंडली
मीन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा जल ग्रह हो कर जल राशी में आगये
- जातक बहुत बुद्धिमान और सूझवान गिना जाता है
- जातक का व्यक्तित्व बहुत अच्छा होता है
- जातक देखने में बहुत सूझवान और समझदार प्राणी की तरह लगता है और साड़ी समझदारी वाली बातें करता नजर आएगा
- यहाँ चंद्रमा जीवन-साथी/पार्टनरशिप/रोजी-रोजगार के लिए भी बहुत अछे हो गए
मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चंद्रमा धन/परिवार/संतान और वाणी के लिए बहुत अच्छे हो अगये
- जातक को जहाँ जरूरत पड़ेगी बहुत सोम्य-सभ्य वाणी बोल कर अपनी बात निकलवा लेगा और जहाँ रोब मारने की जरूरत पड़ी वाहन जातक रोब भी जरूर मार लेता है क्योंकि ये राशी मंगल देवता की है, यानि चंद्रमा देवता उसे इतना समझदार बना देगा की कहाँ क्या कितना कैसे बोलना है वो उसके समझ में आजेगा और हर काम निकलने में लाभ जरूर देगा
- अष्टम भाव के सम्बन्ध में भी जातक अपनी बुद्धि से बाधाओं को दूर कर के जीवन यापन अच्छा जरूर कर लेगा
मीन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
- छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देंगे
- फ़िज़ूल की मेहनत ज्यादा नहीं करवाएँगे
- जातक परिश्रम भी जरूर होगा और अपनी बुद्धि से मेहनत वो जरूर करेगा
- जातक को संतान सुख भी जरूर मिलेगा
- पिता के सम्बंधित भी लाभ मिलेगा
- धर्म को जातक मानने वाला भी होगा
- यहाँ जातक विदेश यात्रा भी कर सकता है
मीन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा जातक को सदैव लाभ देंगे
- यहाँ चंद्रमा देवता माता भूमि गाडी वाहन मकान सारी सुख-सुविधाओं से जातक को संपन्न जरूर कर देगा
- काम-काज भी जातक का बुद्धि से जुड़ा हुआ होगा और जातक सामान्य से ज्यादा परिश्रमि होगा
- जातक बहुत ज्यादा बुद्धिमान होगा
- अपने हर काम में जातक अपने दिमाग को इस्तेमाल कर के हर काम का नया रास्ता जरूर खोल देगा जिससे उसकी आय और ज्यादा अच्छी हो पाएगी
- जातक का माता से बहुत ज्यादा लगाव होगा
मीन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा स्वः राशी के हों जाते हैं और अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव लाभ देंगे
- जातक संतान सुख से परिपूर्ण होगा
- उसकी यादाश्त/स्मरण-शक्ति बहुत तीक्ष्ण होगी
- जातक जल्दी डिप्रेशन/अवसाद में नहीं आने वाला और हर समस्या से निकलने का रास्ता वो जरूर ढूँढ लेगा
- लव-रोमांस में जातक को सदा कामयाबी मिलेगी
- पेट में जल्दी परेशानी जातक को बिलकुल नहीं आने वाली
- बड़े भाई-बहन का सहयोग उसको जरूर मिलेगा
- लाभ कहीं ना कहीं से जातक को अर्जित जरूर होता रहेगा
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर जरूर कर सकते है चंद्रमा देवता
मीन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चंद्रमा देवता रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा सम्बंधित सारे नकारात्मक परिणाम देंगे
- जातक को मानसिक अशांति बनी रहेगी
- जातक के पेट में भी परेशानी आ सकती है
- जातक संतान सुख से भी पूरी तरह परिपूर्ण नहीं होगा, उसकी संतान भी उसे परेशान करेगी
- फ़िज़ूल के व्यय होते रहेंगे
- विदेश यात्रा में जातक को चंद्रमा की मदद अरूर मिलेगी
- यहाँ तक की जातक जेल यात्रा तक कर सकता है अगर चंद्रमा पर पाप प्रभाव हुआ तो
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मीन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चन्द्र देव बुद्ध की मूल त्रिकोण राशी में आगये
- जातक को जीवनसाथी बहुत खूबसूरत मिलेगा
- साझेदारी और रोजी-रोजगार में सदैव लाभ देंगे चन्द्र देव
- यहाँ चंद्रमा जातक के व्यक्तित्व में एक एक निखार ला देंगे
- जातक की स्मरण-शक्ति भी बहुत तीक्षण कर देंगे
- लगन के सम्बंधित भी पूर्णता लाभ देंगे चंद्रमा देवता
मीन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा पूर्ण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देंगे, क्योंकि यहाँ वो अशुभ घर में आकर अशुभ हो गए
- पेट में दिक्कत-परेशानी देंगे
- जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहेगा
- संतान से भी समस्या देंगे
- जातक का दिमाग सदा भ्रमित और उलझनों से ब्रा हुआ रहेगा
- अष्टम भाव सम्बंधित सारे नकारात्मक फल जातक के सक्रीय हो जाएँगे
- दूसरे भाव के सम्बंधित भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
- धन का आभाव सदा बना रहेगा
- परिवार कभी उसका साथ नहीं देने वाला
- और वाणी में भी कटुता आना स्वाभाविक सी बात हो जाएगी
मीन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं और अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का सत्यानाश जरूर कर देंगे
- धर्म से जातक को विमुख कर देंगे
- पेट में भी दिक्कत-परेशानी दे देंगे
- जातक को मानसिक तनाव भी होगा
- संतान से कभी नहीं बनने वाली
- जातक मानसिक रूप से डिप्रेशन/अवसाद तक में आजाता हैं
- धर्म को ना मानना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
- जातक अक मन सदैव डांवाडोल रहता है, कभी उचित निर्णय नहीं ले पाता जातक
- संतान का सुख पूरी जिंदगी कभी परिपूर्ण हो ही नहीं पाता
- छोटे भाई-बहन से भी समस्याएं बनी रहेंगी
- जातक की फ़िज़ूल की मेहनत होगी
- फ़िज़ूल की छोटी-मोटी यात्राएं भी होंगी जिसका पूर्ण नतीजा जातक को कभी नहीं मिलेगा
मीन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
यहाँ चंद्र देव सदैव अच्छा फल देंगे
- जातक का काम-काज बुद्धि से जुड़ा हुआ होगा, हर काम जातक कहीं ना कहीं दिमाग लगा कर जुगाड़ लगा कर निकाल ही लेगा और जातक बहुत हिम्मत से काम करने वाला होगा
- जातक की बुद्धि बहुत तीक्ष्ण होगी, जातक दिमाग लगा कर परिश्रम करने वाला होगा
- जातक जल्दी डिप्रेशन/अवसाद में नहीं आएगा
- माता गाडी भूमि वाहन माकन के सम्बंधित भी सदैव सकारात्मक परिणाम ही मिलेगा
- माता के लिए उसके मन में सदैव एक सॉफ्ट कार्नर रहेगा, वो जातक माता को हमेशा अच्छा मानेगा और माता से सदैव सामान्य से ज्यादा लगाव रखने वाला होगा
- चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में मकान भूमि गाडी वाहन वो जातक अगर बनाना चाहेगा बना जरूर लेगा
मीन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ चन्द्र देव बड़े भाई-बहनों से लाभ मिलने का योग बना देंगे
- धन का आभाव जल्दी नहीं आने वाला
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां जातक को जरूर आएंगी
- चंद्रमा यहाँ पुत्री का योग जरूर बना देंगे
- जातक की स्मरण शक्ति बहुत तेज़ रहेगी
- जातक लव-रोमांस में कामयाब जरूर होगा
- जातक की निर्णय क्षमता एक स्तम्भ की तरह मजबूत होगी
मीन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम:
- यहाँ जातक की संतान से कभी नहीं बनने वाली
- पेट में सदा दिक्कत-परेशानी रहने वाली हैं
- फ़िज़ूल के खर्चे जातक के होते ही रहेंगे
- विदेश यात्रा करवा कर भी चंद्रमा यहाँ जातक को समस्याएं ही देते रहेंगे
- जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
- संतान से जातक की कभी जल्दी बनने वाली नहीं है, बहुत सारे मामलों में संतान उत्पत्ति में बहुत वक़्त निकल जाता है, विवाह के ८-१० साल निकल जाते हैं तब जा कर संतान होती है
- छठे भाव के सम्बंधित भी चंद्रमा पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
- पेट में समस्या होना एक स्वाभविक सी बात हो जाती है
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
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