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सूर्य (१) के परिणाम मेष लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H1 - 01122017

सूर्य के परिणाम मेष लग्न के अलग अलग भावों में




मेष लग्न की कुंडली 



मेष लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य यहाँ उच्च के हो जाते हैं, यहाँ उनको दिशा-बल नहीं मिलता... लेकिन बहुत अच्छा फल...
  • एक अलग पर्सनालिटी का निखार लाने में बहुत अच्छा योग बन जाता है
  • शीर्ष पर उच्च के होने से सूर्य देवता यहाँ उस जातक का तेज़ बढ़ा देते हैं
  • जातक प्रशाशन का अधिपत्य ले कर पैदा होता है और उसके पास कहीं न कहीं कोई न कोई शासन-प्रबंधन और प्रशासनिक व्यवस्था का नियंत्रण उसके पास जरूर होता है
  • जात किसी न किसी कुटुंब का कुनबे का मुखिया होता है
  • दांपत्य सुख, साझेदारी और रोजी-रोजगार के लिए भी बहुत अच्छ करेंगे सूर्य देव 

मेष लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सदैव अच्छा फल देंगे
  • बस एक नकारात्मक घटक ये होगा की सूर्य देव यहाँ जातक की वाणी को उग्र जरूर कर्र देंगे
  • जातक अपने दिल दिमाग को इतना दोड़ाएगा की वो अपने जीवन की बाधाओं को अपने दिमाग की उर्जा द्वारा सफलता से कम या ख़तम कर लेगा यानी दिमाग लगा कर या जुगत लगा कर हटा जरूर लेगा जातक

मेष लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


मिले जुले फल
  • छोटे भाई का याग जरूर बन जाता है कहीं ना कहीं
  • फ़िज़ूल की मेहनत होती है पर उसके परिणाम जरूर मिलते हैं 
  • थोडा बहुत पिता से मन मुटाव जरूर रहता है 
  • विदेश यात्रा भी जरूर हो जाती है 
  • धर्म को भी जिद से इंसान मान लेता है

मेष लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


बहुत अच्छा फल देते हैं
  • माता गाडी भूमि वाहन सम्बंधित बहुत अच्छा फल देते हैं
  • कहीं न कहीं माता से थोडा बहुत मनमुटाव जरूर रहता है क्योंकि जल राशी में अग्नि ग्रह सूर्य देव आगये
  • काम काज में सदा सकारात्मक परिणाम देते हैं I  काम काज का नया रास्ता खोल देते हैं
  • अगर जातक नौकरी कर रहा हो तो उसकी पदोन्नति जरूर करवा देते हैं सूर्य देव
  • जातक को यहाँ मेहनती बना देते हैं सूर्य देवता

मेष लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


स्व राशी में सूर्य देव
  • संतान सम्बन्धी सदा अच्छा फल देते हैं
  • अविश्वसनीय-आकस्मिक लाभ जरूर देते हैं सूर्य देव
  • पेट सम्बन्धी दिक्कतें जल्दी अनहि देते 
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी बना देते हैं
  • जातक की याददाश्त बहुत तेज़ कर देते हैं
  • दिमाग को थोडा उत्तेजित जरूर बनाये रखते हैं क्योंकि सूर्य देव में भी क्रूरता है (पपित्व नहीं है, सूर्य देव देवताओं में आते हैं)
  • छोटी मोटी स्वस्थ सम्बन्धी दिक्कतें आती हैं

मेष लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


पूरण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देते
  • दशा अन्तर्दशा में संतान सम्बन्धी दिक्कतें
  • जातक का दिमाग कभी शांत नहीं रहता
  • स्वस्थ सम्बन्धी समस्या, पेट में दक्कत परेशानियां
  • रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा कोर्ट-केस सम्बन्धी समस्याएं
  • फ़िज़ूल का व्य भी इंसान का करवाते ही रहते हैं, जातक कभी अपने खर्चों को संभाल ही नहीं पता
  • हॉस्पिटल के खर्चे भी होते रहते हैं
  • सदैव नकारात्मक परिणाम और दिक्कत परेशानियां
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मेष लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ नीच के हो जाते हैं
  • दांपत्य सुख में कलह कलेश
  • पार्टनरशिप-साझेदारी में भी दिक्कत परेशानी आजेंगी
  • दैनिक रोजी-रोजगार भी बुरी तरह प्रभावित होंगे I चरता चलता काम एक दम से रुकने का योग बन जाएगा

मेष लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


दशा-अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल नहीं देंगे, सदैव नकारात्मक परिणाम ही देंगे
जिस घर में सूर्य देवता गए हैं उसकी शांति भी अच्छी तरह से कुंडली का विवेचन किये बगैर कभी न करवाएं क्योंकि यहाँ ये लग्नेश मंगल का घर है
  • कलह कलेश में बढ़ोतरी
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • नुक्सान में बढ़ोतरी
  • धन कुटुम्ब वाणी सम्बंधित दिक्कत परेशानियां
  • धन की कमी
  • वाणी के उग्र होने से परेशानियां
  • परिवार से दूर जाने का योग भी बना देंगे क्योंकि सूर्य देवता भी एक विभाजक प्रवृत्ति वाले ग्रह माने जाते हैं 

मेष लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव कुंडली के लिए बहुत अछे हो गए
  • जातक धर्मं को मानने वाला होगा
  • जातक पिता की केयर करने वाला होगा
  • जातक विदेश यात्रा करने वाला होगा
  • छोटे भाई-बहनों से प्रेम प्यार कर के उनके लिए खुद से प्रयास करने वाला होगा
  • छोटी फ़िज़ूल की यात्राएं जरूर करवाएगा पर उसका परिणाम थोडा सा विलम्ब कर के ही सही पर जरूर देगा

मेष लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव दिशा बलि हो जाते हैं और ये अपने आप में एक सम्पूर्णता ले कर आता है, यहाँ सूर्य देव को अपने आप में बल मिलता है
  • काम काज का एक नया आयाम देते हैं I काम काज को नयी उंचाइयां देते हैं
  • जातक को सरकारी नौकरी का योग भी बनता है
  • सरकारी शासन-प्रबंधन में जातक की भूमिका जरूर होती है
  • राजनीती में जाने का योग और राजनीती के बाद शासन में जाने का योग भी बनता है
  • माता गाडी भूमि वाहन से भी लाभ देते हैं, घर बनाने में मदद करते हैं, माता से प्रेम प्यार बढ़ा देते हैं
  • जातक जीवन की बाधाओं को अपनी मेहनत से कम कर लेता है

मेष लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


शनि देव की मूल-त्रिकोण राशी में सूर्य देव बहुत अच्छा फल देंगे
  • बड़े भाई बहनों का योग बनाएँगे और उनसे लाभ दिलवाएँगे
  • लाभ में बढ़ोतरी करेंगे
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां भी देंगे I 
  • पुत्र प्राप्ति का योग बनाएँगे
  • आकस्मिक लाभ देंगे
  • प्रेम-प्रसंगों में भी जातक कामयाब जरूर होगा
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं नहीं होने देनेगे

मेष लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देवता यहाँ कारक नहीं बल्कि मारक मने जाते हैं
  • संतान से सदा परेशानियां
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • जातक की याददाश्त कमजोर रहती है
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं बनी रहती हैं
  • आकस्मिक नुक्सान जरूर होता है
  • फ़िज़ूल के व्यभी जातक कभी संभाल नहीं पाता
  • रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा कोर्ट-केस सम्बन्धी समस्याएं कहीं न कहीं लगी ही रहती हैं जातक की



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

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