सूर्य के परिणाम तुला लग्न के अलग अलग भावों में
तुला लग्न की कुंडली
तुला लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देवता यहाँ मारक ग्रह होकर नीच के आये बैठे हैं और जातक को सदैव नुक्सान देते ही मिलेंगे
- यहाँ सिर्फ सूरज देवता का पाठ, पूजन, स्मरण, हवन, यज्ञ, आरती, दान-पुण्य करना होगा ताकि लगन पर जितना उसका पाप और नीच प्रभाव आया है वो ठीक हो
तुला लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूरज देवता लाभेश हो कर धन भाव में आये हैं
- दूसरे भाव यानी धन, कुटुंब और वाणी में सदा नुक्सान करते ही मिलेंगे
तुला लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम:
सूर्य देव यहाँ अपनी अति शत्रु राशी में आये हैं तथा चौथे और दशम भाव को बिगड़ने में प्रमुख भूमिका निभाकर अशुभता के फल देते हैं
- माता को कष्ट, माता से कष्ट
- गाडी, भूमि, वाहन, मकान अगर जातक का लेने वाला हुआ तो बहुत दिक्कतें आती हैं
- काम-काज का बंटाधार करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, चलता-चलता काम रुक जाता है, बाधाएं आती हैं, तनाव बढ़ जाता हैं, जातक का काम सिरे ही नहीं चढ़ पता सूर्य की दशा-अंतरा में
- नौकरी में पदोन्नति और वेतन वृद्धि नहीं हो पाती
- धन और लाभ सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां शरू कर देते हैं दशा-अन्तर्दशा में
तुला लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव पंचम भाव सम्बन्धी पूरण नुक्सान देते मिलेंगे
- पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बना देते हैं क्योंकि पुरुष ग्रह हैं पर वो बहुत कष्ट के बाद देते है
- संतान को कष्ट अवश्य होता है, संतान से कष्ट होता है
- प्रेम-प्रसंगों में नाकामयाबी मिलती है
- अनिश्चित नुक्सान होता है
- जातक के दिमाग उसकी स्मरण शक्ति और इच्छा शक्ति को उग्र कर के निराशा तक ले जा कर के जातक की परेशानियों को कई गुना बढ़ा देते हैं
- परन्तु यहाँ सूर्य की दृष्टि एकादश भाव पर सकारात्मक परिणाम देगी
तुला लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम:
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तुला लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव अपनी उच्च राशी में आगये
- दशा-अन्तर्दशा में पत्नी की तबियत खराब होने का योग भी बनता है
- पार्टनरशिप या साझेदारी में भी कलह-कलेश होने का योग बनता है, मन-मुटाव का योग बनता है
- साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य सुख में दिक्कतें आएंगी
- जातक के लिए नित्य नयी परेशानियां खडी रहती है
- लगन पर डाली हुई दृष्टि जातक के व्यक्तित्व को उलझन और उग्रता भरा बना देंगे
- जातक को एक जिद्दी स्वभाव का निडर व्यक्ति बना देंगे सूरज की दशा अन्तर्दशा में और सारे परिणाम नकारात्मक होंगे
- जातक दिखने में आकर्षक हो सकता है पर उतना ही आक्रामक और अपनी वाणी पर काबू न रख पाने वाला होगा
- धन का आगमन अगर कहीं ना कहीं से होता है सूरज की दशा अन्तर्दशा में तो स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां भी लगी ही रहेंगी
तुला लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
तुला लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ भी सूर्य देवता नकारात्मक परिणाम ही देंग
- पिता को दिक्कत-परेशानियां देंगे, पिता से एवं पिता को कष्ट होने का योग बनता है, असहमति भी रहती है
- जातक धर्म को जल्दी मानने वाला नहीं होता
- यहाँ जातक विदेश यात्रा तो करता है पर सूर्य देव सदा नुक्सान ही करते हैं
- तीसरे भाव पर डाली हुई दृष्टि भी सदा कष्टकारी होती है
तुला लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूरज देवता अपने अति मित्र चंद्रमा की राशी में गए है
परन्तु मारक ग्रह होने की वजह से दशम भाव से सम्बंधित सदा नकारात्मक परिणाम ही अपनी दशा अन्तर्दशा में देते मिलेंगे
- व्यवसाय या पेशे में दिक्कत-परेशानियां होंगी, बहुत परिश्रम करने के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलेंगे, पदोन्नति और वेतन वृद्धि भी नहीं मिलेंगी, जातक उच्च पद पर भी स्थापित नहीं हो पाता
- अगर जातक कोई व्यवसाय करता है तो उसमें अटकलें शरू हो जाती हैं, पैसों का भुगतान या पेमेंट का सर्किल रुक जाना, श्रमिकों/मजदूरों, मशीनरी/उपकरण से प्रॉब्लम आना आदि दिक्कतें लगी ही रहती हैं
- माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान सारी सुह सुविधाओं को दिक्कत-परेशानी में अवश्य ले आएँगे सूर्य देव
तुला लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव अपनी स्व राशी के आगये हैं
- दशा अन्तर्दशा में धन का आगमन करेंगे लेकिन साथ में स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां भी ले कर आएँगे, लाभ की कमी कभी नहीं रक्खेंगे
- जातक जो भी इच्छा करता है वो कभी ना कभी अपनी जिंदगी में वो पूरी अवश्य कर लेता है, सूरज देवता यहाँ सदा इच्छा पूर्ती करने में सहायता करता है
- पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनेगा लेकिन साथ में मानसिक रूप से अशांत रहने का योग भी बनता है
- पेट में दिक्कत-परेशानी भी होती है
- प्रेम प्रसंगों में नाकामयाबी होने का योग बनता है
- अनिश्चित हानि भी होती है
तुला लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
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