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सूर्य (३) के परिणाम मिथुन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H3 - 08012018

सूर्य के परिणाम मिथुन लग्न के अलग अलग भावों में




मिथुन लग्न की कुंडली 



मिथुन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक बहुत मेहनती होगा
  • जातक का व्यक्तित्व बहुत रोबदार होगा 
  • वो छोटी यात्राएं करने वाला होगा
  • छोटे भाई का योग बनेगा और जातक छोटे भाई की बहुत देख-भाल करने वाला और ध्यान रखने वाला होगा
  • सूर्य देव इस लग्न कुंडली में बहुत ज्यादा अच्छा फल नहीं देने वाले क्योंकि इस लगन कुंडली में वो मेहनत का घर या विभाग ले कर बैठे हैं और मेहनत, छोटे भाई बहन और छोटी यात्राएं आज की दुनिया में कोई बहुत ज्यादा नहीं चाहता

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • धन कुटुंब वाणी से तो सदैव परेशानियां बनी ही रहेंगी
  • लेकिन वाणी में एक अतिरिक्त उग्रता आना सूर्य देव का स्वाभाविक चरित्र हो जाता है, जो की पूरी जिंदगी में कभी अच्छा फल नहीं देगा , जातक सदैव उलटी बात करता है .. क्योंकि सूर्यदेव का वाणी में बैठना और  वाणी को उग्र करना एक स्वाभाविक तत्व बना देता है, इस तरह का आदमी अपशब्द पहले निकलता है और बात बाद में करता है
  • बाधाएं, तनाव, अवसाद पर दृष्टि अच्छी नहीं होती और इनमें बढ़ोतरी करती है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में सूर्यदेव यहाँ धन का आभाव भी रखते हैं, वाणी में भी दिक्कत-परेशानियां देते हैं और परिवार से दूर जाने का योग भी बनाते हैं

मिथुन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ स्वः राशि के होते हैं
  • जातक का छोटे भाई का योग जरूर बनता है
  • जातक छोटी यात्राएं जरूर करता है
  • वो जातक सदैव सामान्य से ज्यादा मेहनत कर के ही अपने काम निकलवा पता है
  • सूर्य देव यहाँ पिता से बहुत ज्यादा नहीं बनने देते
  • धर्म को बहुत ज्यादा नहीं मानने देते
  • छोटी यात्राएं जरूर करवाते है और विदेश यात्रा भी करवा देते हैं सूर्य देव क्योंकि विभाजक परवर्ती है सूर्य देव की और ये सब वो जरूर करते हैं 
  • सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश यात्रा जरूर करवा देते है

मिथुन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • माता से सदैव मन मुटाव रहत है, माता से कभी बनने नहीं देते
  • अगर जातक का मकान, गाडी, भूमि, वाहन लेना हुआ तो सूर्य देव की दशा अन्तर्दशा में सदैव विलम्ब से होता है, काम विलम्ब हो कर बनता है और वो सदैव परेशानियों का कारण बनता है
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम काज भी बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद ही जातक स्थिर हो पता है

मिथुन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


इस कुंडली में सूर्य देव का पंचम भाव में होना सबसे अशुभ मन जाता है, क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
  • भाई बहनों से कलेश बना रहता है
  • पेट में दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं
  • अगर शुक्र की स्थिति भी कुंडली में ख़राब हुई तो संतान का विलम्ब से होना य बहुत से मामलों में न होना भी देखा गया है
  • अनिश्चित हानि होने का योग बनता है
  • धन का अभाव रहता है
  • मानसिक शांति भंग हो जाती है
  • जातक की याददाश्त पूर्ण रूप से गड़बड़ा जाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ पूरण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देते 
  • भाव तो गलत है ही लेकिन सूर्यदेव का यहाँ होना जातक की अनावश्यक मेहनत, भाग दौड़ और परिश्रम करा के भी कम्पटीशन/प्रतियोगिता में फेलियर करवा देते हैं, जितनी मर्जी जातक भाग दौड़ कर ले पर प्रतियोगिता में जीतने के काबिल कभी बनता ही नहीं  है, थोड़े से अंतर से उसको दिक्कत परेशानी दे देते हैं और वो जातक प्रतियोगिताओं में सदैव पराजीत होता ही मिलता है
  • फ़िज़ूल का व्या कहीं ना कहीं होता ही रहता है, जातक अपने खर्चे संभालने की जितनी मर्जी कोशिश करे उसके खर्चे सँभालते नहीं हैं... वो जितना कोशिश ज्यादा करता है उतने ही खर्चे और फैलते जाते हैं और यहाँ सूर्य देव बहुत बड़ी परेशानी देते हैं
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मिथुन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देते
  • विवाहिक सुख में सदैव प्रशानियाँ बनी ही रहती हैं
  • लड़कियों की कुंडली देखो तो उनके विवाह में विलम्ब इतना हो जाता है के जातक समझ ही नहीं पाते की विवाह कब होना है और विवाह के बाद भी पति/जीवनसाथी से मन मुटाव सदैव बना रहता है
  • साझेदारी में भी सदैव परेशानियां रहती हैं
  • और रोजी-रोजगार में भी सदैव दिक्कत-परेशानियां चलती ही रहती हैं... आमदनी का जरिया खुलता और बंद होता रहता है, ऐसी स्थिति सूर्य देव यहाँ उत्पन्न कर देते हैं

मिथुन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • छोटे भाई बहनों से अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव परेशानियां बनी रहती हैं , छोटे भाई बहनों के साथ जातक के सम्बन्ध कभी स्थिर हो ही नहीं पाते
  • धन कुटुंब वाणी सम्बंधित भी सूर्य देवता सदैव परेशानियां देते हैं चाहे जितनी मर्जी जातक मेहनत कर ले पर अपने आप को वो कभी स्थिर नहीं कर पाता, सदैव उसकी समस्याएं दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करती हैं, कहीं तो लोग मेहनत/परिश्रम कर के दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करती हैं पर यहाँ दशा-अन्तर्दशा में जातक की समस्याएं दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करते हैं, जातक एक परेशानी समेटता है तो दूसरी पहले ही आकर खड़ी हो जाती है
  • यहाँ जातक समस्याओं को कभी संभाल ही नहीं पाता
  • और धन का आभाव सदा बना रहता है, जितना मर्जी जातक धन के पीछे भागे पर कहीं ना कहीं कमी बनी ही रहती हैं... वो जातक अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता और उसके लिए उसे खपना जरूर पड़ता है 

मिथुन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ भाई का योग जरूर बनाते हैं
  • छोटी यात्राओं का योग बनाते हैं
  • जातक पराक्रमी होता है
  • लेकिन पिता से कभी नहीं बनती, पिता से सदैव दिक्कत रहने का योग बनता है 
  • सूर्य देव यहाँ छोटी यात्राओं का योग भी बना देते हैं ... ये छोटी यात्राओं का योग उसके लिए सदा समस्याएं लेकर आता है क्योंकि यात्राओं में सदा उसको खपना पड़ता है व्यर्थ की भाग-दौड़/मेहनत करना पड़ता है और तब जा कर उसे थोडा बहुत सकारात्मक परिणाम मिलता है 
  • जातक विदेश यात्रा कर के और वहां से आकर भी कभी संपन्न नहीं हो पता, कभी अपने आप में संपूर्ण नहीं हो पता और जो वो चाहता है या जिन चीजों का पाने के वो योग्य होता है वो चीज उसे नहीं मिल पाती सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में
  • पिता के साथ सदैव मन मुटाव किसी न किसी बात पे बना ही रहता है 
  • यहाँ जातक धर्म को बहुत ज्यादा नहीं मानता क्योंकि सूर्य देव यहाँ जातक को जिद्दी बना देते है, सूर्य देवता का यहाँ होना जातक को धर्म से दूर ले कर जाता है क्योंकि वो प्रक्रम में विश्वास करता है और धर्म से दूर जाने में अपनी भलाई समझता है जातक की सोच ये हो जाती है की कोई मेरा क्या संवार लेना लेगा, इस तरह की प्रवृत्ति जातक के अन्दर आजाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • काम-काज को स्थापित करने के लिए जातक को मेहनत सामान्य से ज्यादा करनी पड़ती है 
  • सूर्य देव की दशा अन्तर्दशा में जातक कई जगह प्रयास करता है और कई असफलताओं के बाद ही कहीं जा कर स्थापित हो पता है
  • जातक अगर व्यवसाय करता हो तो सदैव उसको किसी न किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है और भाग दौड़ भी सदा लगी ही रहती हैं
  • यहाँ सूर्य देव इंसान को एक जगह टिकने ही नहीं देता , छोटी यात्रा लगी रहती है, इंसान को अपना होश तक नहीं रहता
  • लेकिन यहाँ जातक अपने छोटे भाई बहनों को स्थापित करने के लिए प्रयास करने से कभी पीछे नहीं हटता, छोटे भाई बहनों के लिए खपने को सदैव वो जातक तत्पर होता है, जितना मर्जी काम हो कहीं न कहीं समय निकाल कर के छोटे भाई बहनों के परिणामों को सकारात्मक जरूर कर देगा
  • माता पर दृष्टि कभी अच्छी नहीं मानी जाती, सदैव दिक्कत परेशानी वाली ही मानी जाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं पर उच्च का सूर्य देवता भी यहाँ बहुत अच्छा फल कभी नहीं देता क्योंकि मेहनत को उच्च का कर दिया, छोटे भाई बहनों के विभाग का बड़े भाई बहनों के घर में आकर उच्च का होना बहुत ज्यादा लाभदायक नहीं होता 
  • जातक अगर मंझला बेटा हुआ तो न तो बड़े भाई बहन उसका साथ देते हैं और न ही छोटे भाई बहन उसका साथ देते हैं पर वो सदा उनके लिए खपता ही चला जाता है
  • पर यहाँ सूर्य देव पुत्र प्राप्ति का योग जरूर ले कर आते हैं
  • कभी धन की कमी नहीं आती पर धन का आगमन बहुत ज्यादा मेहनत और खपने के बाद होता है, उसके परिणाम जातक को तब मिलते हैं जब उसकी मेहनत अपने शिखर पर पहुँच जाती ह
  • यहाँ उच्च का सूर्य होना बहुत ज्यादा अच्छा नहीं मन जाता क्योंकि मेहनत का विभाग उच्च का हुआ है मतलब मेहनत का कई गुना बढ़ जाना जो अच्छा नहीं मन जाता
  • छोटी मोटी स्वस्थ सम्बन्धी समस्याएं भी आती है यहाँ

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देवता कभी भी अपनी दशा-अन्तर्दशा में अच्छा फल नहीं देते, सदैव समस्याओं को खड़ा ही रखते हैं जातक के लिए
  • इंसान इतनी मेहनत करने के बाद भी अपने खर्चे पूरे नहीं कर पता तो उसके दिमाग में आता है की में तो सिर्फ खर्चे पूरे करने के लिए पैदा हुआ हूँ
  • रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा ये सारी समस्याएं अपनी दशा अन्तर्दशा में वो जरूर देते हैं



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
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