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चन्द्र (११) के परिणाम कुम्भ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H23 - 25022018

चन्द्र के परिणाम कुम्भ लग्न के अलग-अलग भावों में




कुम्भ लग्न की कुंडली 



कुम्भ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को सदैव स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहेगा, छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां जातक को सदैव लगी ही रहेंगी
  • जातक प्रतियोगी परीक्षाओं में भी जल्दी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा
  • दम्पत्या-सुख/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार में भी चन्द्र देव सदैव समस्याएं ही देते हैं अपनी दशा-अन्तर्दशा में

कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा की यहाँ उपस्थिति से परिवार जातक का कभी साथ नहीं देने वाला
  • जातक की वाणी थोड़ी सी सोम्य/संयत जरूर होगी जातक की
  • लेकिन धन का आभाव सदा रहने वाला है
  • बाधाएं, मानसिक-तनाव आठवें भाव से सम्बंधित ये सारे नकारात्मक परिणाम जातक को चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जरूर मिलेंगे

कुम्भ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा मंगल की मूल-त्रिकोण राशी में आगये
  • जातक की मेहनत को बढ़ा कर उसकी मानसिक शांति पूर्णता भंग कर देंगे
  • जातक की छोटे भाई-बहन से कभी बनने नहीं वाली
  • यहाँ चंद्रमा फ़िज़ूल की मेहनत जातक की बढ़वाते ही रहेंगे जिसका उचित परिणाम जातक को कभी पूर्ण चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में मिलेगा ही नहीं
  • नवं भाव सम्बन्धी भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम ही मिलेंगे
  • पिता से सदैव मन-मुटाव बनाये रखेंगे
  • विदेश यात्रा कर के भी जातक फ़िज़ूल का खर्चा कर के ही घर वापिस आएगा
  • जातक धर्म को मानने वाला भी नहीं होगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


शुक्र देव की साधारण राशी, यहाँ चंद्रमा उच्च के हो गए
  • रोग ऋण शत्रु कर्जो दुर्घटना मुकदमा माता के सर पर उच्च के हो गए
  • माता के स्वास्थ्य में सदैव दिक्कत-परेशानियां रहने वाली हैं
  • घर गाडी भूमि वाहन मकान बनाने में सदैव बाधाएं आने वाली हैं, अगर जातक का मकान बनाने वाला हुआ तो चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जातक कभी मकान गाडी नहीं बना पाएगा, चंद्रमा यहाँ सदैव विलम्ब/बाधाओं का कारण बनेंगे
  • काम-काज के में भी चंद्रमा सदैव दिक्कत-परेशानीयां ही देता रहेगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को संतान से दिक्कत-परेशानी, कई जगह संतान का ना होना या संतान का स्वास्थ्य ठीक न होना आदि समस्याएं आएंगी
  • जताक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है
  • पेट सम्बन्धी परेशानियां होंगी
  • प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस में असफलता मिलना
  • बड़े भाई-बहनों से भी कलह कलेश मचेगा
  • लाभ सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां आएंगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी सदैव जातक को लगी ही रहेंगी

कुम्भ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा देवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर सदैव अच्छा फल देंगे, वरना चंदमा दवता छ्टे भाव के सम्बंधित अति अशुभ फल देंगे
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा के सम्बंधित पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • फ़िज़ूल का व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश यात्रा में भी दिक्कत परेशानियां होंगी, वहां भी जातक छोटी-मोटी नौकरी करेगा
  • यहाँ तक की जेल यात्रा तक करवा कर के चन्द्र देव सिवा परेशानी के कुछ नहीं देंगे

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कुम्भ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में पार्टनरशिप, दम्पत्यासुख और रोजी रोजगार में दिक्कत-प्रेशानियाँ ही देंगे
  • मानसिक तनाव बना रहेगा
  • जींवन-साथी से सदा मन-मुटाव रहने वाला है
  • और चन्द्र देव स्वास्थ्य में भी दिक्कत-परेशानियां ही देंगे

कुम्भ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा दवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर अच्छा फल दे सकते हैं, परन्तु अगर शनिदेव बलि न हुए तो चंद्रमा यहाँ बाधाएं और तनाव बढ़ा देंगे
  • जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देंगे, यहाँ तक की कई बार जातक का आत्महत्या करने का दिल भी करता है, वो अक्सर ये सोचने को मजबूर हो जाता है की में इस तरह के जीवन यापन करने से तो अच्छा है की में अपने प्राण त्याग दूँ 
  • धन कुटुंब वाणी सम्बंधित भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम ही देंगे
  • धन का आभाव सदा रक्खेंगे
  • परिवार कभी साथ नहीं देने वाला
  • वाणी में भी अनवश्यक अपशब्द/दुर्वचन आना स्वाभविक सी बात है, जातक का स्वयं की वाणी पर नियंत्रण रहता ही नहीं है, मन में क्या है और वाणी से क्या बोल दिया उसका तालमेल कभी बन ही नहीं पता

कुम्भ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा शुक्र देव की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में पिता को मन-मुटाव रहेगा
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • जातक धर्म को नहीं मानेगा
  • विदेश यात्रा करे में भी बाधाएं आएंगी
  • छोटे भाई-बहनों से भी कलेश मचा रहेगा
  • फ़िज़ूल की मेहनत होगी जिसका उचित परिणाम नहीं मिलेगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्र देव नीच के हो जाते हैं
  • जातक का काम-काज वो कभी व्यवस्थित होने ही नहीं देते
  • छोटी-मोटी नौकरी करवाते हैं, जताक किसी के मातहत या अंतर्गत ही काम करवाते हैं
  • जातक पूंजी निवेश कर के कभी कोई काम स्थापित नहीं कर पता पूर्ण चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में
  • चोथे भाव सम्बन्धी भी सदैव नकारात्मक परिणाम ही मिलते हैं
  • माता गाडी भूमि वाहन माकन सभी में नकारात्मक परिणाम मिलते हैं
  • और माता से भी सदैव जातक का मन-मुटाव बना ही रहता है क्योंकि चंद्रमा माता का कारक है, माता को जातक कभी अच्छा नहीं समझता, वो दिक्कत परेशानी उसके साथ चलती ही रहती है

कुम्भ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा ब्रहस्पति की मूल त्रिकोण राशी में आगये और कभी अच्छा फल नहीं देते
  • बड़े भाई-बहनों से दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं, उनके स्वास्थ्य में भी समस्याएं होती हैं
  • जातक के खुद के स्वास्थ्य में दिक्कतें होती हैं
  • चन्द्र देव लाभ में भी कमी लाकर उसकी मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देते हैं
  • जातक की बुद्धि सही दिशा में काम नहीं करती 
  • पेट में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां रहती हैं 
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती हैं
  • कुल मिला कर चंद्रमा देवता सारे नकारात्मक परिणाम ही देते हैं
  • अगर बुद्ध देव या बाकी ग्रह बलि ना हुए तो बहुत सारे मामलों में यहाँ चंद्रमा देवता जातक को अवसाद/डिप्रेशन की बीमारी कर के जातक की दिक्कत-परेशानियां और ज्यादा बढ़ा देते हैं


कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा दवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर अच्छा फल दे सकते हैं
  • अन्यथा बाहरवें भाव में चद्रमा देवता फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश यात्रा में भी परेशानी करेंगे
  • जेल यात्रा तक करवा सकते हैं
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा को सक्रीय कर के पूर्णता नकारात्मक परिणाम बढ़ा कर के जातक की जिंदगी को नरक बनने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं
  • ये सब इसीलिए क्योंकि चंद्रमा देवता अपने शरीर के अति शत्रु हैं


ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

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