मंगल के परिणाम वृषभ लग्न के अलग अलग भावों में
वृषभ लग्न की कुंडली
वृषभ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम:
मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जातक दिक्कत परेशानी ही भोगता नज़र आएगा
- जातक साड़ी जिंदगी अपने व्यय नहीं संभाल पता, मंगल की दशा-अन्तर्दशा में व्यय से पार नहीं पा पता, फ़िज़ूल का व्यय उसका पीछा कभी छोड़ने वाला ही नहीं है
- विदेश प्रवास/स्थापित जातक जरूर हो जाता है
- मंगल देवता कभी जातक को स्थिर नहीं होने देंगे, दशा-अन्तर्दशा में जातक को मानसिक अशांति जरूर करते हैं
- माता से दिक्कत परेशानी बनी रहेंगी
- छाती सम्बन्धी दिक्कत परेशानी देते हैं मंगल देव
- गाडी भूमि वाहन मकान लेने में समस्याएं होंगी
- यहाँ मंगल देव सप्तम भाव सम्बन्धी अच्छे हो जाते हैं
- दांपत्य सुख सम्बन्धी स्थिरता के परिणाम जरूर देंगे, विवाह को स्थिर जरूर करते हैं
- साझेदारी/पार्टनरशिप के लिए अच्छे हो जाते हैं
- रोजी-रोजगार के लिए रास्ता जरूर खोल देते हैं
- अष्टम भाव पर दृष्टि दाल कर जातक की बाधाओं में बढ़ोतरी करते ही मिलेंगे, बिना कारण के अनायास ही कोई न कोई बाधा जरूर वो खडी रखते हैं
वृषभ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम:
यहाँ मंगल देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में कभी जातक को अच्छे फल देते ही नहीं
- धन का आभाव सदा रखता हैं
- परिवार साथ कभी नहीं देता, मंगल देव परिवार से अलग भी कर देते हैं जातक को, जातक विदेश भी स्थापित हो जाता है
- वाणी में कटुता भी ला देते हैं, जातक की वाणी अनावश्यक रूप से उग्र हो जाती है
- एक पुत्र प्राप्ति सम्बन्धी लाभ देकर पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देते हैं मंगल देव
- जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है, मानसिक अशांति बनी ही रहती है
- पेट में भी समस्याएं जरूर आती हैं
- आकस्मिक हानि का योग बनता है
- लव रोमांस में भी असफलता का योग जरूर बनाते हैं
- बिना कारण के अनायास ही हर बात में बाधाएं बढ़ाये ही रक्खेंगे मंगल देव
- धर्म को जातक जल्दी नहीं मानता
- पिता से मनमुटाव रहना का योग बनता है
- विदेश यात्रा भी होती है, अगर छोटी उम्र में मंगल की दशा-अन्तर्दशा आजाये तो जातक पढने के लिए परिवार से दूर भी चला जाता है
- कुल मिला कर मंगल देव सारे परिणाम नकारात्मक जरूर कर देते हैं
वृषभ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम:
यहाँ मंगल देवता को अति नीच का गिना जाता है, मंगल का नीच होना सदैव अशुभ माना जाता है, अशुभता में बढ़ोतरी कर के जातक की समस्याओं को और बढ़ा देते हैं मंगल देव
- नीचता में होने से सदैव दांपत्य सुख में समस्याएं रहेंगी, जातक कभी मंगल की दशा-अन्तर्दशा में विवाह सुख भोग नहीं पता
- पूरी जिंदगी साझेदारी/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार में सदैव कोई ना कोई समस्या लगी ही रहती हैं
- फ़िज़ूल के व्यय जातक के सदैव होते रहेंगे, जातक को समझ नहीं आता की में जो पैसे कम रहा हूँ वो जा कहाँ रहा है, अच्छी खासी आमदनी के बाद भी फ़िज़ूल के व्यय कहीं न कहीं होते ही रहते हैं
- रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा में मंगल की दशा अन्तर्दशा पूर्णता नकारात्मक समस्या ही देते हैं मंगल देव
- पिता से समस्या बनी रहेंगी
- छोटी मोटी विदेश यात्राओं से समस्या, विदेश जाने में भी बिना कारण की बाधाएं खडी ही रहती हैं
- जातक धर्म को नहीं मानता
- काम काज में भी समस्या और बाधाएं बढ़ा कर जातक की दिक्कत परेशानियों में इजाफा कर के काम-काज में रुकावटें पैदा करना शरू कर देंगे मंगल देव, यहाँ तक की कई जगह काम-काज बिलकुल बंद होते भी देखा गया है, नौकरी में भी इतनी परेशानी देते हैं मंगल देव की जातक जल्दी संभल ही नहीं पाता
वृषभ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम:
- यहाँ मंगल देव माता से समस्या देंगे, माता से मन-मुटाव सदैव बना ही रहता है
- गाडी भूमि वाहन लेने में भी बाधाएं समस्याएं आएंगी
- छाती सम्बन्धी समस्या भी यहाँ दे सकते हैं मंगल देव
- विदेश प्रवास जरूर हो जाता है मंगल की दशा-अन्तर्दशा में, यानी मात्र-भूमि से दूर जातक जाना चाहे तो जा सकता है
- सप्तम भाव सम्बन्धी लाभ जरूर देंगे मंगल देव
- दांपत्य/विवाह सम्बन्धी अच्छा, पत्नी से बनने वाली होगी, पत्नी का ध्यान रखने वाला उससे लगाव रखने वाला होगा जातक
- पार्टनरशिप सम्बन्धी लाभ मिलेगा
- रोजी-रोजगार में भी नए रस्ते खुलते हैं
- काम-काज जातक का चलता तो रहेगा पर उसमें कोई न कोई समस्या खडी ही रक्खेंगे मंगल देव
- लाभ और बड़े भाई-बहन के सम्बन्धी दिक्कत परेशानी जरूर आती हैं
- बड़े भाई बहन से कलह-कलेश मचा रखेगा
- लाभ में भी समस्याएं आएंगी
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं और हस्पताल के फ़िज़ूल खर्चे जरूर होते रहते हैं
वृषभ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम:
यहाँ मंगल अपनी अति शत्रु राशी में बैठ कर समस्याएं जरूर देते है
- एक पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देते हैं
- लेकिन पेट सम्बन्धी परेशानी देना
- मेंटल पीस को पूरी तरह से डिस्टर्ब कर देना
- बुद्धि के सम्बंधित नकारात्मक परिणाम मिलता है और मंगल यहाँ जातक को उत्तेजित परवर्ती का बना देते हैं, जातक चिडचिडा स्वभाव वाला हो जाता है
- जातक की स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है
- लव रोमांस में भी कामयाबी नहीं मिलती
- मंगल यहाँ हर काम में बाधाएं भी बढ़ा देते हैं
- बड़े भाई-बहनों से कलह-कलेश मचा रहेगा
- छोटे-मोटे रोग लगे रहेंगे
- फ़िज़ूल के व्यय और हस्पताल के खर्चे भी अनायास ही बढ़ाये रखते हैं मंगल देव, कुल मिला कर अच्छा फल कभी नहीं देते
वृषभ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम:
अगर शक्र बलि हुआ और मंगल विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तो यहाँ बहुत अच्छा फल जरूर देंगे
पर अगर मंगल विपरीत राज योग की स्थिति में न आये तो यहाँ वो जातक को जीवन की सबसे बुरी अवस्था में ले जाएंगे
- बिना कारण के अनायास ही ऐसी समस्याएं देते हैं जो इंसान ने कभी सोची भी नहीं होगी
- छठे भाव सम्बंधित रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सम्बन्धी नकारात्मक परिणाम और परेशानियां मिलेगी
- प्रतियोगी परीक्षाओं में नाकामयाबी का योग बनेगा
- पिता से भी समस्याएं बनी रहेंगी
- विदेश जाने में भी दिक्कत परेशानियां
- जातक धर्म को नहीं मानता
- फ़िज़ूल के व्यय भी होते रहेंगे
- स्वास्थ्य में दिक्कत परेशानियां और मानसिक अशांति/तनाव इत्यादी बना रहेगा
- जातक का दांपत्य सुख, पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार कभी स्थिर नहीं हो पाता मंगल की दशा-अन्तर्दशा में
- दांपत्य सुख में परेशानी खडी करेंगे मंगल देव
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वृषभ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम:
यहाँ मंगल देव स्वः राशी के हो जाते हैं
- दांपत्य सुख, रोजी-रोजगार और साझेदारी/पार्टनरशिप के लिए बहुत अछे हो गए
- पर काम काज में बाधाएं जरूर देंगे
- जातक को निडर व्यक्तित्व का जरूर बना देंगे
- मंगल यहाँ जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं देंगे
- धन कुटुंब वाणी में भी दिक्कत परेशानी होगी
- धन का आभाव कहीं न कहीं रहने वाला है
- परिवार से बहुत ज्यादा नहीं बनने वाली, मन मुटाव बना रहेगा
- वाणी का भी कटु होकर उग्र होना एक स्वाभाविक सी बात मानी जाएगी
वृषभ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम:
अगर विपरीत-राज-योग की स्थिति में हुए तो मंगल देव अच्छा अच्छा फल जरूर देंगे
परन्तु अगर मंगल विपरीत-राज-योग की स्थिति में ना हुए तो यही मंगल अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का सत्यानाश करने के लिए अकेले ही काफी हैं
- दांपत्य सुख, पार्टनरशिप-साझेदारी में कभी स्थिरता नहीं आने देंगे और हमेशा कलह-कलेश मचाये ही रक्खेंगे
- रोजी-रोजगार में समस्याओं के बिना कभी आमदनी नहीं करने देंगे मंगल देव, जातक के जीवन यापन की मुश्किलें मंगल अपनी दशा-अन्तर्दशा में जरूर बढ़ा देंगे
- जातक पूरी जिंदगी खपता रह जाता है उससे अपने व्यय संभाले ही नहीं जाते
- जीवन में बाधाएं बनी ही रहती हैं
- जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग हो जाती है
- भाई-बहनों से कलह-कलेश और दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं
- लाभ और धन में भी कमी आती है
- छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लगी ही रहती हैं
- धन, कुटुंब और वाणी में भी जातक को परेशानियां बनी रहती हैं
- जातक की फ़िज़ूल मेहनत और यात्राएं होती हैं जिनका सकारात्मक परिणाम कभी मिलता ही नहीं है
- फ़िज़ूल का व्यय, छोटे भाई बहनों से कलह कलेश, मेंटल पीस डिस्टर्ब होना लगा ही रहत है जातक का, सदैव प्रोबेल्म्स
- व्यर्थ के खर्चे जातक के हमेशा लगे ही रहते हैं
वृषभ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम:
यहाँ मंगल देवता उच्च के हो जाते हैं
- जातक को पत्नी तो बहुत उच्च कोटि की मिलती है अच्छे घर से आती है, विवाह सुख बहुत अच्छा देते हैं मंगल देव
- साझेदारी/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार के लिए बहुत अच्छे हो जाते हैं मंगल देव
- लेकिन उस जातक के व्यय इतने बढ़ जाते हैं की वो कभी भी अपने आपको स्थिर महसूस ही नहीं कर पाता
- माता-पिता से अन-बन शरू हो जाती है, मन मुटाव जरूर बना रहेगा और मंगल दिक्कत परेशानी जरूर देंगे
- मानसिक अशांति भी बनी रहती है
- धर्म को भी जातक जल्दी नहीं मानता
- विदेश यात्रा भी जरूर होती है, विदेश प्रवास और विदेश का व्यय भी मंगल देव जरूर करवा देंगे
- मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जातक विदेश में नौकरी कर के जीवन यापन जरूर करेगा
- छोटे भाई-बहनों से कलह कलेश होगी
- छोटी मोटी यात्राएं और व्यर्थ की मेहनत भी जरूर करवाते हैं अमंगल देव
- गाडी भूमि वाहन लेना हो तो उसमें भी मंगल की दशा-अन्तर्दशा में सदैव परेशानिया बनी ही रहती हैं, मकान बनने वाला हुआ तो मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जल्दी नहीं बनने वाला
वृषभ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम:
यहाँ मंगल देव दिशा बलि हो जाते हैं और कभी अच्छा फल नहीं देते
- जातक का काम-काज/प्रोफेशन मंगल देवता कभी जमने या स्थिर होने ही नहीं देते, जातक परिश्रम कर के अपनी मेहनत से जीविका चला सकता है या विदेश जा कर नौकरी कर हकता है
- साझेदारी/पार्टनरशिप में काम करने से जरूर अछे परिणाम मिलेंगे
- लेकिन जातक के फ़िज़ूल के व्यय सदैव बने रहते हैं और वो कभी उनपर काबू नहीं पा पाता
- यहाँ मंगल देव जातक की एक निर्भीक-निडर व्यक्तित्व का स्वामी बना देंगे
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं भी देंगे
- माता गाडी भूमि वाहन के सम्बंधित भी नकारात्मक परिणाम ही मिलेंगे
- माता से मन-मुटाव सदा बना रहेगा
- गाडी भूमि वाहन लेने में भी दिक्कत परेशानियां आएंगी
- दांपत्य सुख में भी कलह कलेश मचा देंगे मंगल देव
- जातक काफी उग्र परवर्ती का होगा
- संतान सुख, आकस्मिक लाभ और पेट सम्बन्धी भी नकारात्मक परिणाम ही मिलेंगे
- पर कहीं न कहीं पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बन जाता है
वृषभ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम:
- अपनी दशा-अन्तर्दशा में मंगल देव जातक के फ़िज़ूल के व्यय इतना बाधा देंगे की जातक निराश होना या कुंठित होना शरू हो जाता है, यहाँ तक की वो कई पार अपने प्राणत्यागने या आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है
- बड़े भाई-बहन से कलह कलेश
- छोटी मोटी स्वास्थ्य समस्याएं
- लाभ में दिक्कत परेशानियां
- धन कुटुंब वाणी सम्बन्धी भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
- जातक को धन का आभाव सदा बना रहता है
- परिवार उसका साथ कभी नहीं देता
- वाणी भी अनावश्यक रूप से उग्र बनी रहती है
- जातक को बद्धि, उदर, लाभ और संतान सम्बन्धी भी दिक्कत परेशानीयां मिलती हैं
- लव रोमांस में नाकामयाबी जर्रूर्र देंगे मंगल देव
- एक पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देंगे
- छठे भाव सम्बन्धी भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे मंगल देव
- रोग ऋण शत्रु दुर्घटन मुकदमा कोर्ट-केस लिटिगेशन तनाव यहाँ वो सदा बनाये ही रखते हैं
वृषभ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम:
यहाँ मंगल देव अपनी मूल त्रिकोण राशि में आगये
- दशा-अन्तर्दशा में अगर विपरीत-राज-योग बना तो मंगल अच्छा फल देंगे
- अगर विपरीत-राज-योग नहीं बना तो मंगल यहाँ व्यर्थ के व्यय इतने बढ़ा देंगे की जातक सर पटकता रह जाता ही की मेरे खर्चे नहीं संभाले जा रहे, मुझसे मेरा परिवार नहीं संभाला जा रहा, मझे कोई सहयोग नहीं कर रहा
- जातक अक विदेश प्रवास या जातक पूर्ण रूप से विदेश में स्थापित भी हो जाता है
- अगर शुक्र देव बलि ना हुए तो मंगल देव यहाँ जातक की जेल यात्रा भी करवा सकते हैं
- छोटे भाई-बहन से भी कलह-कलेश मचेगा
- जातक की मानसिक शांति भंग होती ही र फ़िज़ूल की मेहनत होना भी मंगल देवता करवा देते हैं
- रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मकदमा सम्बंधित भी समस्याएं देते हैं मंगल देव
- दांपत्य सुख, पार्टनरशिप के लिए थोडा बहुत अनुकूल जरूर होते हैं मंगल देव
- रोजी-रोजगार में मंगल देव सदैव बाधाएं देते हैं जो जातक से संभाली ही नहीं जाती
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
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Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
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