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मंगल (६) के परिणाम कन्या लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H30 - 05032018

मंगल के परिणाम कन्या लग्न के अलग अलग भावों में




कन्या लग्न की कुंडली 



कन्या लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम


  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में मंगल देव अनायास ही जातक की समस्याएं बढ़ाते रहेंगे
  • सस्थ्य और मानसिक तनाव सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • जातक का व्यवहार चिडचिडा कर देंगे
  • माता, गाडी, भूमि, वाहन सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • विवाह में विलम्ब और विवाहिक सुख सम्बन्धी स्थिरता ना देंगे
  • रोजी, रोजगार में कमी होना और साझेदारी में समस्याएं देंगे
  • बिना कारण ही जातक के जीवन की समस्याएं को सक्रीय कर के सारे परिणाम नकारात्मक कर देंगे

कन्या लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम


  • यहाँ मंगल देव अपनी दशा अन्तर्दशा में धन कुटुंब वाणी तीनो में ही समस्याएं देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना सकता है
  • जातक सदैव कटु वाणी बोलेगा
  • धन का आभाव बना रहेगा
  • परिवार से भी कहीं न कहीं विच्छेद होने का योग बनता है

कन्या लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम


  • यहाँ मंगल देव स्वः राशी के हो जाते हैं और ये मंगल का कारक भाव भी है
  • पर यहाँ भी मंगल व् जातक को अनायास ही पराक्रमी बना देंगे
  • छोटे भाई का योग जरूर दे देंगे
  • लेकिन जातक जरूरत से ज्यादा परिश्रम कर के ही अपना रोजी रोजगार चला पाएगा
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सम्बन्धी समस्याएं होंगी
  • पिता से दिक्कत-परेशानिया बनी रहेंगी
  • दशम बाव में भी मगल देव परेशानियां ही देंगे 

कन्या लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम





कन्या लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम



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कन्या लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम




कन्या लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम





कन्या लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम




ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
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