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सूर्य (८) के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H8 - 16012018

सूर्य के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग अलग भावों में




वृश्चिक लग्न की कुंडली 



वृश्चिक लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ काम-काज में वृद्धि देंगे
  • व्यक्तित्व में बेहतरी होगी, सुधार होगा
  • जातक निडर, साहसी या दबंग होगा
  • साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य-सुख में भी भी सूर्य देव लाभ ही देंगे
  • पत्नी से मन-मुटाव जल्दी नहीं होगा
  • रोजी-रोजगार के नए रास्ते भी जरूर खुलेंगे

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ सदा लाभ देंगे
  • वाणी थोड़ी सी उग्र करना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक वाणी में कटु शब्द बोलता है जो सामने वाला सुनना पसनद नहीं करता
  • धन की कमी कभी नहीं आती
  • परिवार पूरणता साथ देने वाला होता है, जातक की परिवार से बनती जरूर होगी और वो परिवार का ध्यान रखने वाला होगा
  • जातक अपने जीवन की बाधाएं अपने परिश्रम से दूर कर लेगा
  • जातक किसी से मन-मुटाव रखने वाला नहीं होगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव को बल देने से तीसरा भाव सक्रिय होता है, जिसका प्रभाव नकारात्मक होता है
  • सूर्य देव यहाँ मेहनत को बढ़ाते हैं, जातक का काम-काज मेहनत से जुदा हुआ होगा
  • छोटी-मोटी फ़िज़ूल की यात्राएं बढती हैं
  • छोटे भाई बहनों का योग बनेगा
  • भाई-बहनों का सहयोग बहुत ज्यादा नहीं मिलता, अगर सहयोग मिलता है तो जातक को उनके लिए खपना अवश्य पड़ता है
  • पिता से बहुत ज्यादा लगाव नहीं होता है, थोडा बहुत मन-मुटाव जरूर बनाये रक्खेंगे सूर्य देव
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानने वाला होगा क्योंकि जल राशी पर दृष्टि जाना एक नकारात्मक प्रभाव माना जाता है
  • विदेश यात्रा जरूर कर सकता है जातक
  • लेकिन छोटी-मोटी विदेश यात्रा कर के भी जातक को लाभ अर्जित करने के लिए परिश्रम करना ही पड़ता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान और सुख-सुविधाओं को लेने में मदद करते है
  • दहसम भाव सम्बंधित काम-काज में वृद्धि और सुधार यहाँ सूर्य देव अवश्य देते हैं

वृश्चिक लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ काम-काज में वृद्धि देते है
  • काम-काज बुद्धि से जुड़ा हुआ होता है
  • प्रेम-प्रसंगों में कामयाबी मिलती है
  • अनिश्चित लाभ यहाँ सूर्य देव अवश्य होते हैं
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनता है
  • परन्तु कहीं न कहीं दिमाग में उग्रता और उत्तेजना भी जरूर हो सकती है
  • जातक को कहीं न कहीं से लाभ अवश्य मिलता रहता है
  • बड़े भाई-बहनों से सहयोग मिलता है
  • छोटी-मोटी पेट सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं अगर आती है तो वो चली अवश्य जाती है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं, पर वो कभी भी फल अच्छा नहीं देंगे क्योंकि ये भाव गलत है
  • जातक का काम-काज नौकरी से सम्बंधित किसी के अंतर्गत होगा
  • काम-काज में बाधाएं बनी रहती हैं
  • फ़िज़ूल के व्यय जातक के होते रहते हैं
  • विदेश यात्रा भी जातक कर सकता है
  • अस्पताल के खर्चे भी सक्रीय हो जाते हैं
  • जेल यात्रा तक सूरज देवता यहाँ करवा सकते हैं
  • सूर्य देव सरकार से भी कोई न कोई दिक्कत-परेशानियां दिलवाते ही रहते हैं
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वृश्चिक लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव की दशा-अन्तर्दशा में जातक को पूरणता लाभ मिलता है
  • सूर्य देव यहाँ साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य-सुख में लाभ देते है, लेकिन छोटा-मोटा मन मुटाव कहीं न कहीं बना ही रहता है क्योंकि एक आग का गोला है सूरज देवता 
  • परन्तु छोटा-मोटा मन-मुटाव बना कर के भी सूर्य देव जिंदगी की गाडी चलने में सहायक जरूर सिद्ध होते है
  • पार्टनरशिप या साझेदारी में कामयाबी रहेगी
  • रोजी-रोजगार के नए रस्ते खुलेंगे
  • काम-काज भी अगर पार्टनरशिप या साझेदारी में हो जाए तो और ज्यादा लाभ मिलेगा सूरज की दशा अन्तर्दशा में
  • जातक के व्यक्तित्व में भी सुधार दे कर सूर्य देव जातक को निडर और दबंग बनाते है, जो की सरकारी अफसरों से काम निकालने में भी काफी सहायक सिद्ध होते है और जातक का ये दबंग व्यक्तित्व समाज में उसे एक नए रूप में पेश जरूर करता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक की बेवजह की बाधाओं को खडी करते हैं और बढ़ाते रहते हैं
  • जातक की मानसिक शांति भंग रहती है और काम-काज में वो कभी ध्यान लगा ही नहीं पाता
  • काम-काज में सदैव बाधाएं रहेंगी, सूरज की दशा-अन्तर्दशा में जातक का काम-काज जल्दी स्थापित नहीं होने वाला
  • बिना कारण के फ़िज़ूल की बाधाएं खडी ही रहेंगी सूरज की दशा-अन्तर्दशा में
  • धन का आभाव सदा बना रहता है
  • परिवार जातक का साथ पूरणता कभी नहीं देता
  • जातक की वाणी बेवजह उग्र हो जाती है और जातक समझ नहीं पाता की उस क्या बोलना था और उत्तेजित हो कर वो क्या बोल गया, सामने वाला भी परेशान होता है बाद में जातक को खुद भी इस बात का पछतावा होता है

वृश्चिक लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ जातक के काम-काज की वृद्धि में सदैव सहायक सिद्ध होते हैं
  • काम-काज अगर पिता से जुड़ा हो तो और लाभ होता है
  • जातक अगर काम-काज धर्म को मान कर करे या परमात्मा के अंतर्गत-अधीन रह कर करे, उन्हें पहले प्रणाम कर के कार्य करे तो और ज्यादा सहायक सिद्ध होते है
  • जातक धर्म को वैसे भी बड़ी कट्टरता से मानने वाला होता है
  • छोटी-मोटी विदेश यात्रा कर के वहां से भी जातक को लाभ अर्जित अवश्य होता है
  • छोटे भाई-बहनों से सहयोग थोड़ी बहुत जरूर मिलती है
  • छोटी-मोटी यात्राएं होती हैं और जातक उससे लाभ अर्जित अवश्य कर लेता है
  • परिश्रम कर के भी जातक अपने जीवन यापन को अच्छा जरूर कर लेता है सूरज की दशा-अन्तर्दशा में

वृश्चिक लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

सूर्य देव यहाँ अपनी ही राशी में हैं और यहाँ उन्हें दिशा बल भी मिलता है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देने से और ज्यादा लाभ मिलता है
  • सूरज की दशा अन्तर्दशा में काम-काज में भी जातक को लाभ मिलेगा
  • जातक सरकारी विभाग में उच्च पद पर आसीन हो सकता है, राजपत्रित अधिकारी हो सकता है या साशन-प्रबंधन से जुड़ कर कोई काम कर सकता है
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान, यश, सुख-सम्रद्धि बढ़ने में भी सूरज देव सदैव सहायक सिद्ध होते हैं
  • जातक माता की देखभाल या ख़याल रखने वाला होगा

वृश्चिक लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक को सदा लाभ देते मिलेंगे
  • सूर्य देव को बल देने से वो जातक के कर्म उस दिशा में ले कर जाते है जहाँ से जातक की इच्छा-पूर्ती अवश्य होती है
  • दशा-अन्तर्दशा में जातक अपने परिश्रम से लाभ जरूर अर्जित कर लेता है, जातक जितने कर्म करेगा सूर्य देव उतना उसको लाभान्वित जरूर करते मिलेंगे
  • धन का आभाव जल्दी कभी नहीं आता
  • बड़े भाई-बहनों का सहयोग मिलता रहेगा
  • जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां अगर आती है तो वो चली अवश्य जाती हैं
  • पुत्र प्राप्ति को योग अवश्य बनता है
  • अनिश्चित लाभ जातक को मिलता हैं
  • प्रेम-प्रसंगों में जातक को कामयाबी अवश्य मिलती हैं
  • सूर्य देव की यहाँ दृष्टि जातक के दिमाग को स्थिर कर के जातक के व्यक्तित्व को निडर-दबंग बनाने में सहायक सिद्ध होती है
  • जातक का दिमाग काफी तेज़ होता है
  • परन्तु यहाँ जातक के व्यवहार में उग्रता जरूर आ जाती है, जिसके लिए बहुत ज्यादा चिंता करने की जरुरत नहीं है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देने से पंचम और ग्याहरवें भाव से सम्बंधित सकारात्मक परिणाम जातक को अवश्य मिलते हैं

वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव नीच के हो जाते हैं
  • जातक के फ़िज़ूल के व्यय होते हैं
  • मानसिक शांति भंग रहती है
  • काम-काज पर ध्यान केन्द्रित नहीं होता
  • अस्पताल के खर्चे होने की सम्भावना यहाँ सूर्य देव बढ़ा देते हैं
  • सूर्य देव यहाँ विदेश में जातक को स्थापित भी कर देते हैं
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, कोर्ट-केस, मुकदमा आदि देकर और प्रतियोगिताओं में असफलता और दिक्कत परेशानियां भी यहाँ सूर्य देव देते ही मिलते है
  • जातक को सारी जिंदगी समझ नहीं आता की न तो मेरा कभी काम-काज स्थिर-स्थापित हुआ न ही मैं कभी इतना धन अर्जित कर पाया की पूर्ण रूप से संतुष्ट हो पाऊं
  • जातक न ही कभी प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त कर के दशा अन्तर्दशा में कामयाबी का रास्ता पकड़ पता है
  • यहाँ विराजमान नीच के सूर्य देवता जातक की जेल यात्रा तक करवा देते हैं



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (७) के परिणाम तुला लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H7 - 16012018

सूर्य के परिणाम तुला लग्न के अलग अलग भावों में




तुला लग्न की कुंडली 



तुला लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देवता यहाँ मारक ग्रह होकर नीच के आये बैठे हैं और जातक को सदैव नुक्सान देते ही मिलेंगे
  • यहाँ सिर्फ सूरज देवता का पाठ, पूजन, स्मरण, हवन, यज्ञ, आरती, दान-पुण्य करना होगा ताकि लगन पर जितना उसका पाप और नीच प्रभाव आया है वो ठीक हो

तुला लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूरज देवता लाभेश हो कर धन भाव में आये हैं
  • दूसरे भाव यानी धन, कुटुंब और वाणी में सदा नुक्सान करते ही मिलेंगे

तुला लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम




तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ अपनी अति शत्रु राशी में आये हैं तथा चौथे और दशम भाव को बिगड़ने में प्रमुख भूमिका निभाकर अशुभता के फल देते हैं
  • माता को कष्ट, माता से कष्ट
  • गाडी, भूमि, वाहन, मकान अगर जातक का लेने वाला हुआ तो बहुत दिक्कतें आती हैं
  • काम-काज का बंटाधार करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, चलता-चलता काम रुक जाता है, बाधाएं आती हैं, तनाव बढ़ जाता हैं, जातक का काम सिरे ही नहीं चढ़ पता सूर्य की दशा-अंतरा में
  • नौकरी में पदोन्नति और वेतन वृद्धि नहीं हो पाती
  • धन और लाभ सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां शरू कर देते हैं दशा-अन्तर्दशा में

तुला लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव पंचम भाव सम्बन्धी पूरण नुक्सान देते मिलेंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बना देते हैं क्योंकि पुरुष ग्रह हैं पर वो बहुत कष्ट के बाद देते है
  • संतान को कष्ट अवश्य होता है, संतान से कष्ट होता है 
  • प्रेम-प्रसंगों में नाकामयाबी मिलती है
  • अनिश्चित नुक्सान होता है
  • जातक के दिमाग उसकी स्मरण शक्ति और इच्छा शक्ति को उग्र कर के निराशा तक ले जा कर के जातक की परेशानियों को कई गुना बढ़ा देते हैं
  • परन्तु यहाँ सूर्य की दृष्टि एकादश भाव पर सकारात्मक परिणाम देगी


तुला लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम



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तुला लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव अपनी उच्च राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में पत्नी की तबियत खराब होने का योग भी बनता है
  • पार्टनरशिप या साझेदारी में भी कलह-कलेश होने का योग बनता है, मन-मुटाव का योग बनता है
  • साझेदारी, रोजी-रोजगार और दांपत्य सुख में दिक्कतें आएंगी
  • जातक के लिए नित्य नयी परेशानियां खडी रहती है
  • लगन पर डाली हुई दृष्टि जातक के व्यक्तित्व को उलझन और उग्रता भरा बना देंगे
  • जातक को एक जिद्दी स्वभाव का निडर व्यक्ति बना देंगे सूरज की दशा अन्तर्दशा में और सारे परिणाम नकारात्मक होंगे 
  • जातक दिखने में आकर्षक हो सकता है पर उतना ही आक्रामक और अपनी वाणी पर काबू न रख पाने वाला होगा
  • धन का आगमन अगर कहीं ना कहीं से होता है सूरज की दशा अन्तर्दशा में तो स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां भी लगी ही रहेंगी

तुला लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ भी सूर्य देवता नकारात्मक परिणाम ही देंग
  • पिता को दिक्कत-परेशानियां देंगे, पिता से एवं पिता को कष्ट होने का योग बनता है, असहमति भी रहती है
  • जातक धर्म को जल्दी मानने वाला नहीं होता
  • यहाँ जातक विदेश यात्रा तो करता है पर सूर्य देव सदा नुक्सान ही करते हैं
  • तीसरे भाव पर डाली हुई दृष्टि भी सदा कष्टकारी होती है

तुला लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ सूरज देवता अपने अति मित्र चंद्रमा की राशी में गए है
परन्तु मारक ग्रह होने की वजह से दशम भाव से सम्बंधित सदा नकारात्मक परिणाम ही अपनी दशा अन्तर्दशा में देते मिलेंगे
  • व्यवसाय या पेशे में दिक्कत-परेशानियां होंगी, बहुत परिश्रम करने के बाद भी उचित परिणाम नहीं मिलेंगे, पदोन्नति और वेतन वृद्धि भी नहीं मिलेंगी, जातक उच्च पद पर भी स्थापित नहीं हो पाता
  • अगर जातक कोई व्यवसाय करता है तो उसमें अटकलें शरू हो जाती हैं, पैसों का भुगतान या पेमेंट का सर्किल रुक जाना, श्रमिकों/मजदूरों, मशीनरी/उपकरण से प्रॉब्लम आना आदि दिक्कतें लगी ही रहती हैं
  • माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान सारी सुह सुविधाओं को दिक्कत-परेशानी में अवश्य ले आएँगे सूर्य देव

तुला लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव अपनी स्व राशी के आगये हैं
  • दशा अन्तर्दशा में धन का आगमन करेंगे लेकिन साथ में स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां भी ले कर आएँगे, लाभ की कमी कभी नहीं रक्खेंगे
  • जातक जो भी  इच्छा करता है वो कभी ना कभी अपनी जिंदगी में वो पूरी अवश्य कर लेता है, सूरज देवता यहाँ सदा इच्छा पूर्ती करने में सहायता करता है
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनेगा लेकिन साथ में मानसिक रूप से अशांत रहने का योग भी बनता है
  • पेट में दिक्कत-परेशानी भी होती है
  • प्रेम प्रसंगों में नाकामयाबी होने का योग बनता है
  • अनिश्चित हानि भी होती है

तुला लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:







ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
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Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
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सूर्य (६) के परिणाम कन्या लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H6 - 13012018

सूर्य के परिणाम कन्या लग्न के अलग अलग भावों में




कन्या लग्न की कुंडली 



कन्या लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश में स्थापित करवा देंगे
  • जातक के स्वभाव में उग्रता होगी
  • जातक को छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं आती ही रहेंगी
  • जातक दिमाग से थोडा कुंठित रहता है और हर बात का जवाब उग्रता और आक्रमतक से देगा
  • पत्नी से सदा मन-मुटाव रहने वाला है
  • साझेदारी में सदा समस्याएं आएंगी
  • रोजी-रोजगार की दिक्कत-परेशानियों में भी सूर्य देवता बढ़ोतरी ही करेंगे

कन्या लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य-देव यहाँ नीच के हो जाते हैं और यहाँ वो अति अशुभ मने जाएँगे
  • वाणी सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां आएंगी
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • परिवार से सदा मनमुटाव बना रहत है, परिवार उस जातक को कभी पूरणता अच्छा समझता ही नहीं है
  • अगर सूरज की दशा-अन्तर्दशा छोटी उम्र में आजाये तो जातक विदेश भी पढने चला जाता है
  • आठवें भाव पर दृष्टि दाल कर सूर्य देव बाधाओं में बढ़ोतरी ही करेंगे
  • मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • अनायास ही जातक के कामों में विलम्ब जरूर होता रहेगा और जातक एक उग्र वाणी बोलने वाला बन जाता है, जिसके अपने काबू में जल्दी कुछ नहीं रहता

कन्या लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देवता अति अशुभ माने जाते हैं
  • छोटे भाई का योग जरूर बनाएँगे
  • छोटे मोटी यात्राओं का योग जरूर बनेगा
  • फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहेंगी
  • पिता से मनमुटाव रहता है
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
  • सूर्य देव यहाँ विदेश यात्रा का योग भी बनाते हैं

कन्या लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक विदेश स्थापित जरूर हो जाता है
  • माता को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां आती रहती हैं
  • अगर जातक को जीवन में गाडी, भूमि, वाहन बनानी पड़ें तो बहुत विलम्ब से बनती है, बहुत देर से बहुत कलप-कलप के विलम्ब से सारे परिणाम मिलते हैं
  • सूर्य देव यहाँ छाती सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं देकर छाती में विकार भी जरूर पैदा करदेता है
  • दशम भाव से सम्बंधित भी सारे नकारात्मक परिणाम सूर्य देव देंगे और जातक को जल्दी स्थिर या व्यवस्थित नहीं होने देते

कन्या लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना देंगे क्योंकि एक पुरुष ग्रह हैं, लेकिन कहीं ना कहीं गर्भपात (प्रथम गर्भ-धारण के समय) भी करवा सकते हैं
  • मानसिक शांति भी भंग रहती है
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं भी देंगे
  • अनिश्चित नुक्सान का योग भी बनता है
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता दे सकते हैं
  • जातक दिमाग से काफी उग्र होगा, हर बात की प्रतिक्रिया उग्र हो कर आक्रामकता से वो जरूर देगा
  • बड़े भाई बहनों से ही कलह-कलेश हो सकता है
  • लाभ में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी सूर्य देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में लगाये ही रक्खेंगे

कन्या लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देवता विपरीत-राज-योग की स्थिति में आकर बहुत अच्छा फल जरूर देंगे
  • लेकिन अगर सूर्य देव विपरीत-राज-योग में ना आये तो छठे भाव से सम्बंधित सारे नकारात्मक परिणाम देंगे
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा, प्रतियोगिताएं में विलम्ब या असफलता सूर्य देव यहाँ जरूर देंगे
  • बाहरवें भाव से सम्बंधित भी सारे नकारात्मक परिणाम देकर फ़िज़ूल का व्यय जातक के लिए बढ़ाते ही मिलेंगे
  • जेल यात्रा भी सूर्य देव यहाँ करवा सकते हैं
  • विदेश जा कर के भी जातक खाली हाथ वापिस आजाता है, वहां भी सूर्य देव जातक को समस्याएं जरूर देते हैं
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कन्या लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ दांपत्य सुख में कलह-कलेश सदा बनाये रक्खेंगे
  • साझेदारी में समस्याएं देंगे, ऐसे जातक को सदैव हिदायत दी जाती है की आप अपना काम कभी भी पार्टनरशिप या साझे में वो ना करे
  • रोजी-रोजगार को भी सूर्य देव बुरी तरह प्रभावित कर के सारे नकारात्मक फल देंगे
  • जातक का विवाह विदेश में जरूर हो सकता है
  • लग्न के सम्बंधित फल भी नकारात्मक ही होंगे, स्वास्थ्य सम्बन्धी छोटी-मोटी समस्याएं जातक को सदैव लगी ही रहेंगी

कन्या लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यदि विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तब वो अच्छा फल जरूर देंगे
  • लेकिन अगर कहीं बुद्ध देव बिगड़ गए - नीच के हो गए, अस्त हो गए, बल-हीन हो गए तो सुर्य्स देवता अति बुरा फल देंगे अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • आठवें भाव सम्बंधित पूरणता नकारात्मक परिणाम मिलेंगे
  • यहाँ सूर्य देव हर काम में बाधाएं देकर दिक्कत-परेशानियां बढ़ा कर जातक की मुश्किलों को मृत्यु तुल्य कष्ट तक ले जाते हैं
  • सूर्य देव दूसरे भाव के सम्बंधित भी नकारात्मक परिणाम देंगे
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • परिवार कभी साथ नहीं देने वाला 
  • वाणी भी अनावश्यक रूप से उग्र हो कर जातक को परेशान करेगी और दूसरे भी परेशान जरूर होंगे

कन्या लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • पिता से समस्याएं बनी रहेंगी, पिता के फ़िज़ूल व्यय होते रहेंगे
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
  • विदेश यात्रा भी अटक लटक के होने से उसमें भी परेशानी देते हैं सूर्य देव
  • छोटे भाई-बहन का योग जरूर बनवा देते हैं
  • फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहती हैं
  • फ़िज़ूल की मेहनत भी जातक की होती ही रहेंगी जिसका उचित फल जातक को कभी मिलता ही नहीं है

कन्या लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देव जातक का काम-काज जल्दी स्थापित नहीं होने देंगे
  • विदेश जा कर जातक नौकरी जरूर कर सकता है, वहां उसका काम-काज नौकरी के दृष्टिकोण से स्थापित जरूर हो जाता है सूरज की दशा अन्तर्दशा में
  • माता से सदा मन मुटाव बना रहेगा
  • माता के स्वास्थ्य में छोटी मोटी समस्याएं लगी रहेंगी
  • गाडी, भूमि, वाहन मकान अगर जातक का बनने वाला हुआ या गाडी लेने वाली हुई तो सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में विलम्ब जरूर होगा और ये समस्याएं जातक को परेशान जरूर करेंगी

कन्या लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • ग्याहरवें भाव में सूर्य देव होने से जातक लाभ जितना मर्जी अर्जित कर ले उसमें दिक्कत-परेशानियां जरूर रहने वाली हैं
  • बड़े भाई-बहनों से सदैव कलह कलेश रहने वाला है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं सदा लगी ही रहेंगी
  • पंचम भाव सम्बन्धी परिणाम भी नकारात्मक होंगे
  • सिर्फ एक लाभ सूर्य देव जरूर देंगे, यहाँ वो पुत्र प्राप्ति का योग देते हैं क्योंकि सूर्य देवता भी एक पुरुष ग्रह माने जाते हैं
  • पेट में समस्याएं भी सूर्य देव देते ही मिलेंगे
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती हैं
  • आकस्मिक नुक्सान का योग भी बनता है

कन्या लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव स्वः राशी के हो जाते हैं
  • अगर बुद्ध देव बलि हुए और सूर्य देवता विपरीत-राज-योग की स्थिति में आगये तब वो अच्छा फल जरूर देंगे,
  • वर्ना अति बुरे परिणाम देंगे
  • दशा -अन्तर्दशा में सूरज देवता फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश स्थापित भी करवा सकते हैं
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती हैं
  • अस्पताल के खर्चे भी सक्रीय हो जाते हैं
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा ये साड़ी समस्याएं सूरज देवता अपनी दशा-अन्तर्दशा में जरूर देंगे और जातक को कष्ट बहुत ज्यादा आता है सूरज की दशा-अंतरा में




ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (५) के परिणाम सिंह लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H5 - 12012018

सूर्य के परिणाम सिंह लग्न के अलग अलग भावों में




सिंह लग्न की कुंडली 



सिंह लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्यदेव अपनी स्वः राशी के बैठे हों तो अपने आप में बहुत अच्छा बना योग देते हैं
  • इंसान के व्यक्तित्व को बहुत रौबदार और निर्भीक बनाते है
  • परन्तु यहाँ सूर्य देव का एक नकारात्मक पहलू भी होता है, वो इंसान को जिद्दी भी बनाते है
  • सूर्य देवता लगन के प्रति यानी जातक के व्यक्तित्व, उसकी परवर्ती और आचरण को आक्रामक जरूर रक्खेंगे
  • चूँकि सूर्य एक अग्नि तत्त्व ग्रह है और अग्नि राशी में आ गये है तो जातक काफी सामर्थ्यवान और क्षमतावान होता है, लेकिन वो सामर्थ्य और क्षमता स्थायी होकर परिणाम देने के काबिल तभी होता है जब बाकी ग्रह भी उसको सामर्थ्यवान बनाने में सहायक हों
  • इंसान का व्यक्तित्व ऐसा होता है की वो हमेशा अपनी बातें मनवाने की काबलियत रखता है
  • जातक इतना जिद्दी होता है की हर कार्य को पूर्ण कर के ही सांस लेता है, काम भाग-भाग कर करने की इच्छा होती है उसकी, कार्य करने से वो कभी पीछे नहीं हटता
  • दांपत्य-सुख, साझेदारी और रोजी-रोजगार में भी सूर्य-देव लाभ ही देंगे
  • सूर्य देव लगन में पड़े हुए सदैव अच्छा फल देते हैं, क्योंकि योग कारक ग्रह हैं और अच्छी जगह विराजमान हैं

सिंह लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य-देव दूसरे भाव में वृद्धि कर के अच्छा फल देंगे, सूर्य की दशा-अन्तर्दशा सदैव उस जातक को सकारात्मक परिणाम देगी
  • जातक का परिवार और अपने घर से बहुत ज्यादा लगाव रहता है, और जातक मन से इसको मानता भी है
  • परिवार सदैव जातक का साथ देने वाला होगा
  • सूर्य देव इंसान को धन की कमी कभी नहीं आने देते
  • पर चूँकि सूर्य-देव एक अग्नि तत्त्व ग्रह हैं, तो दूसरे भाव में बैठने से जातक की वाणी को कहीं न कहीं उग्र जरूर कर देते हैं, अपना स्वभाव कोई ग्रह नहीं छोड़ सकता ...सूर्य-देव में क्रूरता है, और अगर वो कंठ पर बैठेंगे तो क्रूरता ले कर जरूर आएँगे, वाणी इंसान की कहीं न कहीं गड़बड़ जरूर कर देंगे
  • सूर्य देव को यहाँ बलि होना जातक की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है और जातक के परिवार पर उसका असर सकारात्मक रहेगा
  • जातक अपनी मेहनत से अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर कर लेता है, भाग-दौड़ कर के मुश्किलों को दूर करने की क़ाबलियत जातक स्वयं अपने आप में विकसित कर लेता है
  • जातक गूढ़-रहस्यों या गुप्त-ज्ञान जानने का इच्छुक रहता है
  • ससुराल पक्ष से भी उसे लाभ मिलता है
  • वो जातक जल्दी तनाव या अवसाद में नहीं आता क्योंकि आठवें भाव से सम्बंधित भी सारे सकारात्मक परिणाम जातक को अवश्य मिलते हैं
  • दूसरे भाव में पड़ा हुआ सूर्य देव भी सदा सकारात्मक परिणाम देते है

सिंह लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ नीच के हो गए और यहाँ वो कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, नीच के सूर्य अति मारक बन जाएँगे और अपनी दशा-अंतरा में जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट जरूर देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • जातक का व्यवहार नकारात्मक होगा, उसका व्यक्तित्व काफी चिडचिडा एवं उत्तेजक होगा क्योंकि पराक्रम में नीच हुए सूर्यदेव यहाँ और गड़बड़ करेंगे
  • दशा-अन्तर्दशा सदैव कष्टकारी होगी

सिंह लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक का अपनी माता से काफी लगाव होगा
  • जातक - घर, गाडी-वाहन, भूमि, मकान सब कुछ ले कर पैदा होगा, जीवन की सारी सुख-सुविधाओं और ऐश्वर्य/विलासिता से जातक संपन्न जरूर होगा
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम-काज सम्बंधित भी बहुत अच्छा फल मिलने वाले है, काम-काज में वृद्धि हो कर काम-काज में नया रास्ता खुलने का योग भी बनता है
  • सूर्य की दशम भाव पर दृष्टि पूरणता सकारात्मक मानी जाएगी और रोजी-रोजगार का नया रास्ता खोल कर काम-काज में भी बढ़ोतरी करती ही मिलेगी
  • अगर सूर्य देव में बला-बल अच्छा हुआ तो जातक को सरकारी नौकरी दिलवाने की क़ाबलियत भी सूर्य देव अपने आप में जरूर रखता है, सरकारी विभाग में नौकरी के लिए कोशिश करने पर जातक को सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलता है
  • यहाँ सूर्य देव को बल देना और ज्यादा आवश्यक हो जाता है क्योंकि सूर्य एक अग्नि-कारक ग्रह हैं और जल राशी में चले गए हैं जिससे उसका बल कहीं न कहीं क्षीण जरूर होता है

सिंह लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ बहुत अच्छा परिणाम देते हैं
  • अग्नि तत्त्व राशी में अग्नि तत्त्व ग्रह आने से पुत्र प्राप्ति का योग निश्चित है
  • जातक मानसिक तौर पर काफी मजबूत, आक्रमक और उत्तेजित परवर्ती का होगा, कारण ये है की सूर्यदेव एक आक्रमक या गरम तत्त्व का ग्रह मन जाता है जिसकी वजह से दिमाग या मन का आक्रामक होना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
  • सूर्य देव यहाँ जातक को बहुत ज्यादा बुद्धिमान, ज्ञानवान और सूझवान बनता है
  • जातक की इच्छा-शक्ति और स्मरण-शक्ति काफी मजबूत होती है
  • इंसान हर काम अपनी बुद्धि से सोच समझ कर करता है
  • प्रेम-प्रसंग में कामयाबी मिलना तय है
  • जातक को अनिश्चित लाभ जरूर देंगे सूर्यदेव
  • जातक का पेट काफी मजबूत होगा, पेट सम्बन्धी परेशानियां उसको जल्दी नहीं आने वाली
  • ग्याहरवें भाव पर दृष्टि से लाभ और पैसा कहीं न कहीं से अर्जित होता रहेगा, सूर्य देव यहाँ सकारात्मक और सदैव अच्छा फल देने वाले हो गए, धन का आगमन रुकने वाला नहीं है
  • बड़े भाई बहनों से लाभ अवश्य होगा
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां अगर आएंगी तो सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में वो चली अवश्य जाएंगी
  • सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में पूरणता सकारात्मक परिणाम देंगे

सिंह लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जातक को सदैव कष्ट देते मिलेंगे
  • सूर्य देव को यहाँ मजबूत करने से रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा सक्रीय हो जाएँगे और कलह कलेश आपके सर के ऊपर तांडव करने लगेगी... क्योंकि अग्नितत्व ग्रह है और उसके पास असीमित उर्जा है परन्तु ये कलेश का घर है और यहाँ सूर्य देव अति मारक हो जाते हैं
  • एक फायदा सिर्फ ये होगा की प्रतियोगिताओं में जातक को सफलता मिल सकती है और कहीं न कहीं कोई अच्छा पद जातक को जरूर दिलवा देंगे सूर्य देव
  • जब भी सूर्य की दशा-अन्तर्दशा चलेगी, कलह-कलेश होना तय है
  • फ़िज़ूल का व्यय होगा, सूरज की दशा-अंतरा में जातक से खर्चे ही नहीं संभाले जाते
  • छोटी-मोटी बीमारी होना भी निश्चित है यानी अस्पताल का खर्चा होता रहेगा
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती है
  • विदेश जा कर स्थापित होने का योग भी बनता है
  • और जातक की मानसिक शांति भी सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में भंग रहती है
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सिंह लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ बहुत अछे हो गए
  • जब भी किसी कुंडली में लग्नेश लग्न को देखता है तो वो कुंडली को कहीं न कहीं एक बल देता है और कुंडली सामान्य से ज्यादा अच्छी हो जाती है
  • साझेदारी के लिए अच्छा हो गया
  • दांपत्य-सुख के लिए भी सूर्य देव यहाँ अच्छे परिणाम देंगे, हालाँकि विभाजक परवर्ती है सूर्य देव की लेकिन कुंडली का कारक ग्रह है... सो अच्छा फल देंगे
  • कुल मिला कर सूर्य देव सप्तम भाव से सम्बंधित - दांपत्य सुखसाझेदारी और रोजी-रोजगार में सहायक सिद्ध होंगे
  • रोजी-रोजगार के नित्य नए रस्ते जातक ढूंढ ही लेता है और उसे नित्य नए रस्ते मिलते ही रहते
  • जातक एक निडर, सूझवान और आक्रमक परवर्ती का स्वामी होगा और सूर्य देव यहाँ जातक को अच्छे परिणाम देंगे

सिंह लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ कुंडली में सबसे बुरे सूर्य देव ही बन जाएंगे, सूरज की दशा अन्तर्दशा जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट देगी
  • जब उसकी दशा अन्तर्दशा चलेगी कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, जातक को कोडी-कोडी के लिए मोहताज करेंगे
  • जातक के जीवन में बाधाएं और तनाव इतना बढ़ा देंगे की वो सोचना शरू कर देता है की इससे तो मेरा न होना ही अच्छा होता
  • जातक की मानसिक अशांति बनी रहेंगी, हर काम देरी से होगा और बनता-बनता काम बिगड़ेगा
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां लगी रहेंगी
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा 
  • परिवार कभी पूर्णता जातक का साथ नहीं देगा
  • वाणी को उग्र करना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक कुछ ऐसी बातें बोल जाएगा जो सुनने वाले कभी किसी कीमत पर पसंद नहीं करते
  • धन, कुटुंब वाणी पर दृष्टि से नुक्सान करना तय है उनका, क्योंकि बुरे भाव से दृष्टि दाल रहे हैं

सिंह लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव यहाँ बहुत अछे हो गए, क्योंकि त्रिकोण का स्वामी त्रिकोण में आकर उच्च का हो गया
  • जातक बहुत भाग्यशाली होगा, क्योंकि भाग्य में सूर्य देव उच्च के हुए हैं
  • जातक भाग्य के आसरे ही जीवन में बहुत अच्छी तरक्की कर लेता है
  • सूर्य की दशा अन्तर्दशा में उसे विशेष लाभ मिलता है
  • वो धर्म को मानने वाला होता है
  • विदेश यात्रा भी करता है
  • पिता की सेवा और देख-भाल करने वाला होता है
  • ऐसा जातक जिद में आकर - धर्म से यानी परमात्मा तक से लड़ाई कर लेता है ... की हे प्रभु ये आप मुझे दोगे तो में ये पाठ करूँगा ये तो आपको देना ही है... क्योंकि वो धर्म को मानने का घर है और सूर्य देव वहां उच्च के हो गए, इसलिए बहुत अच्छा परिणाम देंगे
  • जातक को शोध-अनुसंधान आदि में काफी रूचि होगी
  • छोटे भाई बहनों से सहयोग जातक को मिलता रहेगा
  • सूर्य की दशा-अन्तर्दशा जातक से मेहनत भी करवाएगी अवं जातक के बाहू-बल में भी बढ़ोतरी करेगी
  • मेहनत और छोटी-मोटी यात्राएं सफल भी अवश्य रहेगी
  • तीसरे भाव सम्बन्धी भी सारे सकारात्मक परिणाम मिलेंगे और जातक स्वयं भी कठोर-परिश्रम करने से नहीं घबराएगा
  • कठोर-परिश्रम कर के जातक अपना जीवन यापन आसान करने में सक्षम जरूर बन जाएगा

सिंह लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव बहुत अच्छा फल देंगे क्योंकि यहाँ वो दिशाबली हो जाते हैं

  • दशा-अन्तर में जातक का सरकारी नौकरी का योग बनता हैं, क्योंकि सूर्य देव साशन, प्रशासन या राज्य व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते है, जातक को सरकार से लाभ मिलने का योग भी मिलता है
  • काम-काज के नए रस्ते खुलते हैं
  • यहाँ विराजित सूर्य देव कमीशन-एजेंट (आढ़तिया) का काम, लकड़ी से सम्बंधित कार्य, मेडिसिन या दवाओं का कार्य, प्रशासन-व्यवस्था का काम करवाएँगे जिसे करके जातक जीवन में कामयाब हो पाएगा
  • जातक जितना काम-काज करे उसका प्रतिफल या नतीजा उसको अवश्य मिलता है
  • जातक एक बहुत ज्यादा रोबदार परवर्ती का और निडरता से कर्म करने वाला होता है, जल्दी घबराने वाला नहीं होता या उसके कर्मों में ऐसी परवर्ती नहीं आती की वो किसी कार्य से डर के पीछे हट जाए
  • जातक सामान्य से ज्यादा उग्र व्यवहार का बन जाता है, उसके कर्म ज्यादा आक्रामक हो जाया करते हैं
  • सूर्य की दशा अन्तर्दशा में माता, गाडी, भूमि, वाहन, मकान और सारी सुख-सुविधाओं को बढ़ोतरी करने में सूरज देव सदैव आपको सहायता करते ही मिलेंगे
  • चतुर्थ भाव सम्बन्धी भी सारे लाभ जातक को अवश्य मिलेंगे
  • जातक का मकान बनने वाला हुआ तो भी सूरज की दशा अन्तर्दशा में बन जाएगा
  • जातक की गाडी लेने वाली हुई तो भी सूरज की दशा अन्तर्दशा में आ जाएगी
  • जातक अपनी माता की बहुत ज्यादा देख-भाल करने वाला होगा, माता से जल्दी किसी बात पर मन मुटाव नहीं होगा, ऐसा जातक माता की आज्ञा अनुसार कार्य करने वाला होता है

सिंह लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ जीवन यापन में सदैव अच्छा फल देंगे
  • जातक की सारी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए सूर्य देव यहाँ बाध्य हो गए
  • सूर्य देव का लाभ के घर में जाना जातक के लिए बहुत फायदेमंद सिद्ध होगा, अपनी दशा-अंतरा में जातक को कहीं न कहीं से लाभान्वित अवश्य करवाते रहेंगे सूर्य देव
  • बड़े भाई बहन का सहयोग मिलता रहेगा
  • छोटी मोटी स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या आएंगी तो सूर्य देव की दशा-अंतरा में चली अवश्य जाएंगी
  • पंचम भाव सम्बन्धी भी जातक को पूरणता लाभ दे कर जीवन यापन की मुश्किलों को दूर अवश्य करेंगे
  • जातक मानसिक रूप से काफी मजबूत होगा
  • सूर्य देव यहाँ जातक को अनिश्चित लाभ देंगे
  • प्रेम संबंधों में कामयाबी मिलेगी
  • और सबसे बड़ी बात जातक अपनी  याददाशत, मेहनत और मजबूत मनोबल द्वारा मुश्किलों को अपने जीवन से निकाल अवश्य लेगा
  • इंसान की हर मनोकामना पूर्ण होगी
  • सूर्य देव को बल देना यहाँ काफी लाभदायक रहेगा, सारी समस्याएं दूर होंगी
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी बनेगा
  • पेट या उदार सम्बन्धी समस्याएं भी सूर्य देव की दशा-अंतरा में या उनको बल देने से आसानी से दूर होंगी

सिंह लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


पूरी जिंदगी ताउम्र सूर्य देव यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देंगे, यहाँ वे मारक हो जाते हैं
  • लग्नेश का छटवें, आठवें या बाहरवें भाव में आना अशुभ मन जाता है और जब भी उसकी दशा अन्तर्दशा चलती है इंसान का बंटाधार वो जरूर करता है
  • फ़िज़ूल के खर्चे, फ़िज़ूल का व्यय, फ़िज़ूल का कलह-कलेश, मानसिक अशांति रहना और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं अपनी दशा-अंतरा में सूर्य देव यहाँ जरूर देते हैं
  • अस्पताल का खर्चा होता है
  • जातक की जेल यात्रा भी हो सकती है
  • सूर्य देव यहाँ जातक को रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा आदि में फंसा कर के जातक का जीवन यापन मुश्किलों से भरते मिलेंगे
  • परन्तु सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश में स्थापित भी जरूर करवा देता है 



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  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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