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मंगल (१) के परिणाम मेष लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H25 - 26022018

मंगल के परिणाम मेष लग्न के अलग अलग भावों में




मेष लग्न की कुंडली 



मेष लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव जातक को एक निर्भीक और दबंग व्यक्तित्व बना देंगे
  • जातक शारीरिक रूप से भी सामान्य से ज्यादा सक्षम होगा उसकी शारीरिक शक्ति भी ज्यादा होगी
  • जातक हर काम-काज को मेहनत से भाग-दौड़ कर के पूरा करने में सदैव तत्पर होगा... वो मेहनत से घबराने वाला नहीं होगा
  • जातक थोडा उग्र परवर्ती का जरूर हो सकता है
  • जातक अक माता से लगाव होगा, वो माता की देख-भाल करने वाला होगा
  • गाडी भूमि वाहन मकान सब से मंगल देव यहाँ जातक को लाभान्वित अवश्य करेंगे
  • दांपत्य-सुख, पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार सम्बन्धी सारे सकारात्मक परिणाम यहाँ जातक को अवश्य मिलेंगे
  • ससुराल पक्ष से सामंजस्य बना कर रक्खेंगे यहाँ मंगल देव
  • उत्तेजना/चिंता, अवसाद/डिप्रेशन आदि दूर करने में मंगल देव जातक के लीये मददगार होते है
  • जातक एक खोजी परवर्ती का बन जाता है, यानी वो अनसंधान करता है
  • जातक की आयु भी मगल देव यहाँ लम्बी कर देते हैं

मेष लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव परिवार के लिए अच्छे हो गए
  • चूँकि मंगल एक उग्र ग्रह है.. उसमें क्रूरता का तत्व होता है, तो वो बन्दे की वाणी थोड़ी कठोर जरूर कर देंगे, जातक हर बात का सदा खीज कर जवाब देगा, यहाँ वाणी उग्र होना स्वाभाविक सी बात है
  • जातक को धन का आभाव कभी नहीं आने वाला
  • परिवार के साथ सदैव अच्छे सम्बन्ध बने रहेंगे
  • यहाँ मंगल देव जातक को निर्भीक बना देंगे
  • मानसिक रूप से काफी मजबूत बना देंगे
  • लव-रोमांस में कामयाबी देंगे
  • आकस्मिक लाभ देंगे
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं जल्दी नहीं आने वाली
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी मंगल देव बनाएँगे
  • यहाँ मंगल देव जातक के जीवन की बाधाओं और तनाव को कम करेंगे
  • अष्टम भाव सम्बन्धी भी सारे सकारात्मक परिणाम जातक को मिलेंगे
  • जातक पिता से मोह रखने वाला और उनकी देखभाल करने वाला होगा
  • विदेश यात्रा करने वाला होगा
  • धर्म को मानने वाला होगा
  • जातक का भाग्य सदैव उसका साथ देगा
  • कुल मिला कर दूसरे भाव में विराजमान मंगल पूर्णता लाभ देगा

मेष लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम


तीसरा भाव मंगल का कारक भाव है
  • जातक बहुत निडर और साहसी होगा, हर काम हिम्मत से भाग-दौड़ से करने वाला होगा
  • परन्तु यहाँ मंगल देवता मेहनत बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं, जातक परमात्मा की तरफ से हे भाग-दौड़ ज्यादा लिखवा कर लाया है, उस जातक की मेहनत सदैव सामान्य से कई गुना ज्यादा होती है
  • छोटे भाई-बहन का योग अवश्य बनाते हैं
  • लेकिन मेहनत भी करवाते हैं, छोटी मोटी यात्राएं भी करवाते हैं, यानी जिंदगी में मुश्किलें और परिश्रम अवश्य करवाते हैं
  • छठे भाव सम्बंधित प्रतियोगी परीक्षाओं में भी ज्यादा मेहनत करने के बाद ही परिणाम मिलता है
  • पिता, भाग्य के लिए अच्छे होते हैं और छोटी-मोटी विदेश यात्रा भी अवश्य होती है मंगल की दशा-अन्तर्दशा में
  • काम-काज में भी जरूरत से ज्यादा मेहनत-परिश्रम करने के बाद ही जातक को कुछ लाभ हो पता है
  • कुल मिला कर तीसरे भाव में पड़ा हुआ मंगल देवता बहुत ज्यादा अछे फल नहीं देता, क्योंकि ये मेहनत का घर है

मेष लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव नीच के हो जाते हैं और अपनी योग-कारकता खो देंगे, अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का जीवन कष्टों से भरता मिलेंगे
  • दशा-अन्तर्दशा में माता से कलेश और मन-मुटाव होगा, घर में भी कलह-कलेश रहेगा
  • मकान बनना हो तो उसमें भी देरी होगी
  • छाती में भी समस्याएं आ सकती हैं, अस्थमा-दमा भी हो सकता है
  • दांपत्य सुख में भी कलह-कलेश होगा
  • साझेदारी-पार्टनरशिप में भी समस्या होगी और रोजी-रोजगार में भी सदैव दिक्कत परेशानी ही देता मिलेगा मंगल देवता
  • काम-काज सम्बन्धी भी बाधाएं आएंगी
  • लाभ आने में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • बड़े भाई-बहन से भी समस्याएं बनी रहेंगी 
  • और छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां भी देते ही रहेंगे मंगल देव

मेष लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव बहुत अच्छे हो गए और दशा-अन्तर्दशा में पूर्णता सकारात्मक परिणाम ही देते मिलते है
  • जातक बहुत सूझवान होगा
  • पुत्र प्राप्ति का योग अवश्य बनेगा
  • उसको उदर/पेट सम्बन्धी समस्याएं जल्दी नहीं आएंगी
  • आकस्मिक लाभ का योग बनता है
  • जातक को लव-रोमांस में कामयाबी अवश्य मिलेगी
  • जातक की इच्छा और स्मरण शंक्ति बहुत मजबूत होगी
  • जातक दिमाग से परिश्रम कर के अपना जीवन यापन अच्छा और स्थिर अवश्य कर लेगा
  • पुश्तैनी संपत्ति मिलने का योग बनता है
  • जातक गुप्त/गूढ़ ज्ञान प्राप्त करता है
  • वह जल्दी चिंताग्रस्त नहीं होता और अवसाद में भी नहीं आता
  • अष्टम भाव सम्बन्धी भी उसे पूर्णता सकरात्मक परिणाम मिलते हैं
  • बड़े भाई-बहन की पूर्णता सहयोग मिलता है
  • जातक को धन का आभाव कभी नहीं रहता, लाभ सदा बन रहेगा, जितना मर्जी उसे धन की जरूरत आजाये ...कहीं ना कहीं से उसे धन का आगमन उसे अवश्य होता रहता है... उसकी जरूरत पूरी अवश्य हो जाती है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्या भी मंगल की दशा-अन्तर्दशा में चली अवश्य जाती हैं
  • विदेश यात्रा कर के विदेश से भी जातक लाभ प्राप्त कर लेगा, विदेश यात्रा में मददगार जरूर सिद्ध होते है मंगल देव
  • फ़िज़ूल खर्चे अगर जातक के होते हैं तो भी जातक उससे भी पार अवश्य पा जाता है

मेष लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • मंगल की दशा-अन्तर्दशा में रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा कोर्ट-केस लिटिगेशन सम्बन्धी सारी दिक्कत परेशानियां होंगी
  • एक लाभ जरूर हो सकता है की यहाँ मंगल देव जातक को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता देकर उसे राजपत्रित अधिकारी तक बना सकते हैं
  • जातक का पिता से मनमुटाव बना रहेगा
  • वह धर्म को जल्दी नहीं मानता
  • फ़िज़ूल के व्यय होते रहते हैं
  • जातक मानसिक रूप से भी जल्दी ही तनाव में आजाता है
  • हस्पताल के खर्चे भी होते रहते हैं, जातक का स्वास्थ्य कभी भी स्थिर नहीं हो पता, कोई न कोई समस्या चलती ही रहती हैं
  • अगर लड़ाई-झगडा हो जाए तो जेल यात्रा तक का योग मंगल देव बना देते हैं

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मेष लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव जातक के व्यक्तित्व को निडर बना देंगे, जातक अपने रोबदार व्यक्तित्व और परिश्रम से अपने जीवन की मुश्किलों को दूर अवश्य कर लेता है
  • यहाँ मंगल देव जातक का दांपत्य सुख सदैव अच्छा करने में मददगार सिद्ध होंगे, जातक पत्नी के लिए काफी भावुक होगा, पत्नी की देखभाल करने वाला होगा और उससे काफी लगाव रक्खेगा
  • पार्टनरशिप में सदैव मंगल देव लाभान्वित करेंगे
  • रोजी-रोजगार का भी कोई न की नया रास्ता खोल कर जातक अपना जीवन यापन आसान करता ही मिलेगा
  • अपने कर्म में कोई न कोई नया लाभ जातक को मिलता ही रहता है, जातक सामान्य से ज्यादा मेहनती होगा, काम करने से कभी पीछे नहीं हटता और अपने कर्म द्वारा जीवन यापन को आसान अवश्य कर लेता है
  • यहाँ मंगल देव धन कुटुंब के लिए अच्छे हो गए, लेकिन वाणी के लिए थोडा गड़बड़ जरूर करेंगे क्योंकि मंगल एक उग्र ग्रह हैं और वाणी को उग्र करना इक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
  • जातक को धन का आगमन कहीं न कहीं से होता ही रहता है
  • परिवार पूर्णता जातक का साथ देने वाला होता है, जातक कितनी भी मुश्किल में फंस जाए परिवार एक मजबूत स्तम्भ बन कर उसके साथ खड़ा रहता है
  • कुल मिला कर सप्तम भाव में मंगल सदैव जातक को चोतरफ़ा लाभ यानी सकारात्मक परिणाम देता ही मिलेगा

मेष लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल स्वः राशी के हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल नहीं देंगे, सारी जिंदगी बाधाएं-समस्याएं लगी ही रहती हैं, जातक को मंगल अपनी दशा-अन्तर्दशा में मृत्यु तुल्य कष्ट देता मिलेगा
  • जातक जितनी भी मेहनत/भाग-दौड़ करे उसका उचित परिणाम उसको कभी नहीं मिल पता, हर काम बढाऊँ और तनाव देकर ही होता मिलेगा
  • लाभ में कमी बनी रहेगी, मंगल की दशा-अन्तर्दशा में वित्तीय संकट आना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है, जातक को धन का आभाव सदा बना ही रहता है
  • परिवार से दूर जाने का योग बनेगा, परिवार जातक का कभी साथ देने वाला होगा ही नहीं
  • जातक की वाणी उग्र होना स्वाभाविक सी बात है
  • जातक बिना कारण के खीजता रहेगा और व्यर्थ का प्रक्रम दिखता रहेगा
  • जातक का हर काम मेहनत से जरूरत से ज्यादा भागने दौड़ने के बाद होगा, छोटी मोटी फ़िज़ूल की यात्रा भी उसे अवश्य करनी पड़ेंगी
  • भाई-बहनों से भी कलह कलेश मचेगा
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आएंगी
  • अष्टम भाव में मंगल सदैव अशुभता की श्रेणी में मने जाएँगे और सदैव अपनी दशा-अन्तर्दशा में अशुभता के फल ही देंगे

मेष लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल की दशा-अन्तर्दशा में जातक सदैव लाभान्वित होता ही मिलेगा
  • मंगल देव पिता और भाग्य के लिए अछे हो गये
  • जातक का पिता से बहुत ज्यादा लगाव होगा
  • जातक भाग्यवान माना जाता है, भाग्य सदैव उसका साथ देने वाला होगा
  • धर्म को जातक मानने वाला होगा
  • जातक विदेश से लाभान्वित होगा, विदेश यात्रा और स्थायी विदेश प्रवास का योग भी बना सकते हैं मंगल देव
  • जातक विदेश से लेन-देन कर के या इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का काम कर के या विदेश में कोई न कोई जॉब कर के अपना जीवन यापन आसान अवश्य कर लेगा
  • हस्पताल के खर्चे होंगे तो वो मंगल की दशा-अन्तर्दशा में वो दूर अवश्य होंगे
  • छोटी मोटी यात्राएं भी जातक की होती रहेंगी
  • मगल देव जातक को मेहनती भी अवश्य बना देंगे
  • छोटे भाई का योग बनेगा, छोटे भाई-बहन की सपोर्ट अवश्य मिलेगी
  • यहाँ जातक अपने कार्य को भाग्य और मेहनत के सहारे सिद्ध जरूर कर लेगा
  • यहाँ मंगल देव माता के लिए भी अच्छे हो गए, जातक का माता से बहुत ज्यादा लगाव होगा
  • जातक मंगल की दशा- अन्तर्दशा में भूमि गाडी वाहन मकान इन सब सुख सुविधाओं से संपन्न भी अवश्य हो जाएगा
  • मंगल देवता उसे हर तरफ से लाभान्वित ही करते मिलेंगे

मेष लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव उच्च के हो जाते हैं और उन्हें दिशा-बल मिलता है
  • दशा-अन्तर्दशा में काम-काज अच्छा होगा मंगल देव काम-काज में सदैव वृद्धि करते मिलेंगे, जातक काम से जल्दी घबराने वाला नहीं होगा
  • जातक का व्यक्तित्व अच्छा होगा, मंगल देव जातक को एक निडर व्यक्तित्व बना देंगे, शारीरिक रूप से मजबूत बना कर उसे मेहनती भी अवश्य बना देंगे
  • माता गाडी भूमि वाहन मकान सारी सुख सुविधाओं से मंगल देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक को लाभान्वित अवश्य करेंगे
  • जातक का माता से बहुत लगाव होगा
  • सुख सुविधाएं भी मंगल देव अच्छे से पूर्ण कर देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग बनेगा
  • जातक को उदर संबंधी समस्याएं जल्दी नहीं आएंगी
  • यहाँ मंगल देव जातक की इच्छा शक्ति और स्मरण शक्ति को भी तीक्ष्ण कर देंगे
  • लव-रोमांस में कामयाबी भी जातक को अवश्य मिलेगी
  • आकस्मिक और चोतारफा लाभ होने का योग भी अवश्य बनेगा

मेष लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को लाभान्वित करते ही मिलेंगे
  • बड़े भाई-बहन का पूर्णता सहयोग मिलेगा
  • जातक जो भी इच्छा करेगा मंगल की दशा-अन्तर्दशा में वो इच्छा पूर्ण अवश्य होंगी, जातक की हर मनोकामना पूर्ण होगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं अगर होंगी तो वो चली अवश्य जाएंगी
  • यहाँ मंगल देव धन की वृद्धि करने करने के लिए बाध्य हो जाएगा, धन का आभाव कभी नहीं देगा
  • परिवार पूर्णता साथ देना वाला होगा
  • यहाँ वाणी थोड़ी सी उग्र होना एक स्वाभाविक सी बात मानी जाती है
  • मंगल पुत्र प्राप्ति का योग बना देंगे
  • जातक को दिमाग से और उसकी इच्छा शक्ति को मजबूत कर देंगे
  • आकस्मिक लाभ भी देंगे
  • लव-रोमांस में कामयाबी देंगे
  • पेट सम्बन्धी समस्याओं को दूर करेंगे
  • रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा कोर्ट-केस लिटिगेशन इन सब से जातक को फारिग कर के पूर्णता लाभ दिलवाएँगे
  • प्रतियोगिताएं में जीत दिलवाने में मददगार सिद्ध होंगे, जातक प्रतियोगितों में सफलता अवश्य पा लेगा
  • कुल मिला कर छ्टे भाव के परिणाम सकारात्मक करने में मंगल देव बाध्य हो जाएँगे

मेष लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम


मंगल देवता यहाँ अति मारक ग्रह बन जाएंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक सारा जीवन फ़िज़ूल के खर्चे ही नहीं संभाल पता, उसे ये समझ ही नहीं आता की में जितना कमा लूँ पर मेरा खर्च वहीँ का वहीँ खड़ा रहता है, मंगल यहाँ फ़िज़ूल के व्यय करता ही रहेगा
  • हस्पताल के खर्चे भी बढे रहेंगे
  • जेल यात्रा भी हो सकती है
  • जातक विदेश में स्थापित भी हो सकता है
  • मानसिक अशांति भी बनी रहेगी
  • छोटे भाई-बहन से भी कलह-कलेश मचा देगा
  • यहाँ मंगल देव जातक की मेहनत बाधा देंगे, जातक को सामान्य से ज्यादा परिश्रम करना पड़ेगा
  • छोटी मोटी यात्राएं अवश्य करनी पड़ेंगी
  • मंगल देव यहाँ रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा बढ़ा देंगे, इन सब में बढ़ोतरी कर के जातक की मुश्किलें कई गुना बढ़ा देंगे
  • दांपत्य सुख, साझेदारी/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार भी बुरी तरह प्रभावित हो कर नुक्सान की स्थिति में आ जाएंगे और समस्याएं और कलह-कलेश होने का योग बनेगा



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
E-mail: vikas440@gmail.com

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चन्द्र (१२) के परिणाम मीन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H24 - 25022018

चन्द्र के परिणाम मीन लग्न के अलग-अलग भावों में




मीन लग्न की कुंडली 



मीन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा जल ग्रह हो कर जल राशी में आगये
  • जातक बहुत बुद्धिमान और सूझवान गिना जाता है
  • जातक का व्यक्तित्व बहुत अच्छा होता है
  • जातक देखने में बहुत सूझवान और समझदार प्राणी की तरह लगता है और साड़ी समझदारी वाली बातें करता नजर आएगा
  • यहाँ चंद्रमा जीवन-साथी/पार्टनरशिप/रोजी-रोजगार के लिए भी बहुत अछे हो गए

मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ चंद्रमा धन/परिवार/संतान और वाणी के लिए बहुत अच्छे हो अगये
  • जातक को जहाँ जरूरत पड़ेगी बहुत सोम्य-सभ्य वाणी बोल कर अपनी बात निकलवा लेगा और जहाँ रोब मारने की जरूरत पड़ी वाहन जातक रोब भी जरूर मार लेता है क्योंकि ये राशी मंगल देवता की है, यानि चंद्रमा देवता उसे इतना समझदार बना देगा की कहाँ क्या कितना कैसे बोलना है वो उसके समझ में आजेगा और हर काम निकलने में लाभ जरूर देगा
  • अष्टम भाव के सम्बन्ध में भी जातक अपनी बुद्धि से बाधाओं को दूर कर के जीवन यापन अच्छा जरूर कर लेगा

मीन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
  • छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत ज्यादा नहीं करवाएँगे
  • जातक परिश्रम भी जरूर होगा और अपनी बुद्धि से मेहनत वो जरूर करेगा
  • जातक को संतान सुख भी जरूर मिलेगा
  • पिता के सम्बंधित भी लाभ मिलेगा
  • धर्म को जातक मानने वाला भी होगा
  • यहाँ जातक विदेश यात्रा भी कर सकता है

मीन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा जातक को सदैव लाभ देंगे
  • यहाँ चंद्रमा देवता माता भूमि गाडी वाहन मकान सारी सुख-सुविधाओं से जातक को संपन्न जरूर कर देगा
  • काम-काज भी जातक का बुद्धि से जुड़ा हुआ होगा और जातक सामान्य से ज्यादा परिश्रमि होगा
  • जातक बहुत ज्यादा बुद्धिमान होगा
  • अपने हर काम में जातक अपने दिमाग को इस्तेमाल कर के हर काम का नया रास्ता जरूर खोल देगा जिससे उसकी आय और ज्यादा अच्छी हो पाएगी
  • जातक का माता से बहुत ज्यादा लगाव होगा

मीन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा स्वः राशी के हों जाते हैं और अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव लाभ देंगे
  • जातक संतान सुख से परिपूर्ण होगा
  • उसकी यादाश्त/स्मरण-शक्ति बहुत तीक्ष्ण होगी
  • जातक जल्दी डिप्रेशन/अवसाद में नहीं आने वाला और हर समस्या से निकलने का रास्ता वो जरूर ढूँढ लेगा
  • लव-रोमांस में जातक को सदा कामयाबी मिलेगी
  • पेट में जल्दी परेशानी जातक को बिलकुल नहीं आने वाली
  • बड़े भाई-बहन का सहयोग उसको जरूर मिलेगा
  • लाभ कहीं ना कहीं से जातक को अर्जित जरूर होता रहेगा
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर जरूर कर सकते है चंद्रमा देवता

मीन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा सम्बंधित सारे नकारात्मक परिणाम देंगे
  • जातक को मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • जातक के पेट में भी परेशानी आ सकती है
  • जातक संतान सुख से भी पूरी तरह परिपूर्ण नहीं होगा, उसकी संतान भी उसे परेशान करेगी
  • फ़िज़ूल के व्यय होते रहेंगे
  • विदेश यात्रा में जातक को चंद्रमा की मदद अरूर मिलेगी
  • यहाँ तक की जातक जेल यात्रा तक कर सकता है अगर चंद्रमा पर पाप प्रभाव हुआ तो

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मीन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव बुद्ध की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • जातक को जीवनसाथी बहुत खूबसूरत मिलेगा
  • साझेदारी और रोजी-रोजगार में सदैव लाभ देंगे चन्द्र देव
  • यहाँ चंद्रमा जातक के व्यक्तित्व में एक एक निखार ला देंगे
  • जातक की स्मरण-शक्ति भी बहुत तीक्षण कर देंगे
  • लगन के सम्बंधित भी पूर्णता लाभ देंगे चंद्रमा देवता

मीन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा पूर्ण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देंगे, क्योंकि यहाँ वो अशुभ घर में आकर अशुभ हो गए
  • पेट में दिक्कत-परेशानी देंगे
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहेगा
  • संतान से भी समस्या देंगे
  • जातक का दिमाग सदा भ्रमित और उलझनों से ब्रा हुआ रहेगा
  • अष्टम भाव सम्बंधित सारे नकारात्मक फल जातक के सक्रीय हो जाएँगे
  • दूसरे भाव के सम्बंधित भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • परिवार कभी उसका साथ नहीं देने वाला
  • और वाणी में भी कटुता आना स्वाभाविक सी बात हो जाएगी

मीन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं और अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का सत्यानाश जरूर कर देंगे
  • धर्म से जातक को विमुख कर देंगे
  • पेट में भी दिक्कत-परेशानी दे देंगे
  • जातक को मानसिक तनाव भी होगा
  • संतान से कभी नहीं बनने वाली
  • जातक मानसिक रूप से डिप्रेशन/अवसाद तक में आजाता हैं
  • धर्म को ना मानना एक स्वाभाविक सी बात हो जाती है
  • जातक अक मन सदैव डांवाडोल रहता है, कभी उचित निर्णय नहीं ले पाता जातक
  • संतान का सुख पूरी जिंदगी कभी परिपूर्ण हो ही नहीं पाता
  • छोटे भाई-बहन से भी समस्याएं बनी रहेंगी 
  • जातक की फ़िज़ूल की मेहनत होगी
  • फ़िज़ूल की छोटी-मोटी यात्राएं भी होंगी जिसका पूर्ण नतीजा जातक को कभी नहीं मिलेगा

मीन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्र देव सदैव अच्छा फल देंगे
  • जातक का काम-काज बुद्धि से जुड़ा हुआ होगा, हर काम जातक कहीं ना कहीं दिमाग लगा कर जुगाड़ लगा कर निकाल ही लेगा और जातक बहुत हिम्मत से काम करने वाला होगा
  • जातक की बुद्धि बहुत तीक्ष्ण होगी, जातक दिमाग लगा कर परिश्रम करने वाला होगा
  • जातक जल्दी डिप्रेशन/अवसाद में नहीं आएगा
  • माता गाडी भूमि वाहन माकन के सम्बंधित भी सदैव सकारात्मक परिणाम ही मिलेगा
  • माता के लिए उसके मन में सदैव एक सॉफ्ट कार्नर रहेगा, वो जातक माता को हमेशा अच्छा मानेगा और माता से सदैव सामान्य से ज्यादा लगाव रखने वाला होगा
  • चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में मकान भूमि गाडी वाहन वो जातक अगर बनाना चाहेगा बना जरूर लेगा

मीन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव बड़े भाई-बहनों से लाभ मिलने का योग बना देंगे
  • धन का आभाव जल्दी नहीं आने वाला 
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत परेशानियां जातक को जरूर आएंगी
  • चंद्रमा यहाँ पुत्री का योग जरूर बना देंगे 
  • जातक की स्मरण शक्ति बहुत तेज़ रहेगी
  • जातक लव-रोमांस में कामयाब जरूर होगा
  • जातक की निर्णय क्षमता एक स्तम्भ की तरह मजबूत होगी

मीन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ जातक की संतान से कभी नहीं बनने वाली
  • पेट में सदा दिक्कत-परेशानी रहने वाली हैं
  • फ़िज़ूल के खर्चे जातक के होते ही रहेंगे
  • विदेश यात्रा करवा कर भी चंद्रमा यहाँ जातक को समस्याएं ही देते रहेंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • संतान से जातक की कभी जल्दी बनने वाली नहीं है, बहुत सारे मामलों में संतान उत्पत्ति में बहुत वक़्त निकल जाता है, विवाह के ८-१० साल निकल जाते हैं तब जा कर संतान होती है
  • छठे भाव के सम्बंधित भी चंद्रमा पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • पेट में समस्या होना एक स्वाभविक सी बात हो जाती है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

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चन्द्र (११) के परिणाम कुम्भ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H23 - 25022018

चन्द्र के परिणाम कुम्भ लग्न के अलग-अलग भावों में




कुम्भ लग्न की कुंडली 



कुम्भ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को सदैव स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहेगा, छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां जातक को सदैव लगी ही रहेंगी
  • जातक प्रतियोगी परीक्षाओं में भी जल्दी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा
  • दम्पत्या-सुख/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार में भी चन्द्र देव सदैव समस्याएं ही देते हैं अपनी दशा-अन्तर्दशा में

कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा की यहाँ उपस्थिति से परिवार जातक का कभी साथ नहीं देने वाला
  • जातक की वाणी थोड़ी सी सोम्य/संयत जरूर होगी जातक की
  • लेकिन धन का आभाव सदा रहने वाला है
  • बाधाएं, मानसिक-तनाव आठवें भाव से सम्बंधित ये सारे नकारात्मक परिणाम जातक को चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जरूर मिलेंगे

कुम्भ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा मंगल की मूल-त्रिकोण राशी में आगये
  • जातक की मेहनत को बढ़ा कर उसकी मानसिक शांति पूर्णता भंग कर देंगे
  • जातक की छोटे भाई-बहन से कभी बनने नहीं वाली
  • यहाँ चंद्रमा फ़िज़ूल की मेहनत जातक की बढ़वाते ही रहेंगे जिसका उचित परिणाम जातक को कभी पूर्ण चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में मिलेगा ही नहीं
  • नवं भाव सम्बन्धी भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम ही मिलेंगे
  • पिता से सदैव मन-मुटाव बनाये रखेंगे
  • विदेश यात्रा कर के भी जातक फ़िज़ूल का खर्चा कर के ही घर वापिस आएगा
  • जातक धर्म को मानने वाला भी नहीं होगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


शुक्र देव की साधारण राशी, यहाँ चंद्रमा उच्च के हो गए
  • रोग ऋण शत्रु कर्जो दुर्घटना मुकदमा माता के सर पर उच्च के हो गए
  • माता के स्वास्थ्य में सदैव दिक्कत-परेशानियां रहने वाली हैं
  • घर गाडी भूमि वाहन मकान बनाने में सदैव बाधाएं आने वाली हैं, अगर जातक का मकान बनाने वाला हुआ तो चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जातक कभी मकान गाडी नहीं बना पाएगा, चंद्रमा यहाँ सदैव विलम्ब/बाधाओं का कारण बनेंगे
  • काम-काज के में भी चंद्रमा सदैव दिक्कत-परेशानीयां ही देता रहेगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को संतान से दिक्कत-परेशानी, कई जगह संतान का ना होना या संतान का स्वास्थ्य ठीक न होना आदि समस्याएं आएंगी
  • जताक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है
  • पेट सम्बन्धी परेशानियां होंगी
  • प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस में असफलता मिलना
  • बड़े भाई-बहनों से भी कलह कलेश मचेगा
  • लाभ सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां आएंगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी सदैव जातक को लगी ही रहेंगी

कुम्भ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा देवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर सदैव अच्छा फल देंगे, वरना चंदमा दवता छ्टे भाव के सम्बंधित अति अशुभ फल देंगे
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा के सम्बंधित पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • फ़िज़ूल का व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश यात्रा में भी दिक्कत परेशानियां होंगी, वहां भी जातक छोटी-मोटी नौकरी करेगा
  • यहाँ तक की जेल यात्रा तक करवा कर के चन्द्र देव सिवा परेशानी के कुछ नहीं देंगे

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कुम्भ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में पार्टनरशिप, दम्पत्यासुख और रोजी रोजगार में दिक्कत-प्रेशानियाँ ही देंगे
  • मानसिक तनाव बना रहेगा
  • जींवन-साथी से सदा मन-मुटाव रहने वाला है
  • और चन्द्र देव स्वास्थ्य में भी दिक्कत-परेशानियां ही देंगे

कुम्भ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा दवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर अच्छा फल दे सकते हैं, परन्तु अगर शनिदेव बलि न हुए तो चंद्रमा यहाँ बाधाएं और तनाव बढ़ा देंगे
  • जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देंगे, यहाँ तक की कई बार जातक का आत्महत्या करने का दिल भी करता है, वो अक्सर ये सोचने को मजबूर हो जाता है की में इस तरह के जीवन यापन करने से तो अच्छा है की में अपने प्राण त्याग दूँ 
  • धन कुटुंब वाणी सम्बंधित भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम ही देंगे
  • धन का आभाव सदा रक्खेंगे
  • परिवार कभी साथ नहीं देने वाला
  • वाणी में भी अनवश्यक अपशब्द/दुर्वचन आना स्वाभविक सी बात है, जातक का स्वयं की वाणी पर नियंत्रण रहता ही नहीं है, मन में क्या है और वाणी से क्या बोल दिया उसका तालमेल कभी बन ही नहीं पता

कुम्भ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा शुक्र देव की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में पिता को मन-मुटाव रहेगा
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • जातक धर्म को नहीं मानेगा
  • विदेश यात्रा करे में भी बाधाएं आएंगी
  • छोटे भाई-बहनों से भी कलेश मचा रहेगा
  • फ़िज़ूल की मेहनत होगी जिसका उचित परिणाम नहीं मिलेगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्र देव नीच के हो जाते हैं
  • जातक का काम-काज वो कभी व्यवस्थित होने ही नहीं देते
  • छोटी-मोटी नौकरी करवाते हैं, जताक किसी के मातहत या अंतर्गत ही काम करवाते हैं
  • जातक पूंजी निवेश कर के कभी कोई काम स्थापित नहीं कर पता पूर्ण चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में
  • चोथे भाव सम्बन्धी भी सदैव नकारात्मक परिणाम ही मिलते हैं
  • माता गाडी भूमि वाहन माकन सभी में नकारात्मक परिणाम मिलते हैं
  • और माता से भी सदैव जातक का मन-मुटाव बना ही रहता है क्योंकि चंद्रमा माता का कारक है, माता को जातक कभी अच्छा नहीं समझता, वो दिक्कत परेशानी उसके साथ चलती ही रहती है

कुम्भ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा ब्रहस्पति की मूल त्रिकोण राशी में आगये और कभी अच्छा फल नहीं देते
  • बड़े भाई-बहनों से दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं, उनके स्वास्थ्य में भी समस्याएं होती हैं
  • जातक के खुद के स्वास्थ्य में दिक्कतें होती हैं
  • चन्द्र देव लाभ में भी कमी लाकर उसकी मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देते हैं
  • जातक की बुद्धि सही दिशा में काम नहीं करती 
  • पेट में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां रहती हैं 
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती हैं
  • कुल मिला कर चंद्रमा देवता सारे नकारात्मक परिणाम ही देते हैं
  • अगर बुद्ध देव या बाकी ग्रह बलि ना हुए तो बहुत सारे मामलों में यहाँ चंद्रमा देवता जातक को अवसाद/डिप्रेशन की बीमारी कर के जातक की दिक्कत-परेशानियां और ज्यादा बढ़ा देते हैं


कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा दवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर अच्छा फल दे सकते हैं
  • अन्यथा बाहरवें भाव में चद्रमा देवता फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश यात्रा में भी परेशानी करेंगे
  • जेल यात्रा तक करवा सकते हैं
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा को सक्रीय कर के पूर्णता नकारात्मक परिणाम बढ़ा कर के जातक की जिंदगी को नरक बनने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं
  • ये सब इसीलिए क्योंकि चंद्रमा देवता अपने शरीर के अति शत्रु हैं


ध्यान दें: 
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  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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