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चन्द्र (११) के परिणाम कुम्भ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H23 - 25022018

चन्द्र के परिणाम कुम्भ लग्न के अलग-अलग भावों में




कुम्भ लग्न की कुंडली 



कुम्भ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को सदैव स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • जातक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहेगा, छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां जातक को सदैव लगी ही रहेंगी
  • जातक प्रतियोगी परीक्षाओं में भी जल्दी सफलता प्राप्त नहीं कर पाएगा
  • दम्पत्या-सुख/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार में भी चन्द्र देव सदैव समस्याएं ही देते हैं अपनी दशा-अन्तर्दशा में

कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा की यहाँ उपस्थिति से परिवार जातक का कभी साथ नहीं देने वाला
  • जातक की वाणी थोड़ी सी सोम्य/संयत जरूर होगी जातक की
  • लेकिन धन का आभाव सदा रहने वाला है
  • बाधाएं, मानसिक-तनाव आठवें भाव से सम्बंधित ये सारे नकारात्मक परिणाम जातक को चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जरूर मिलेंगे

कुम्भ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा मंगल की मूल-त्रिकोण राशी में आगये
  • जातक की मेहनत को बढ़ा कर उसकी मानसिक शांति पूर्णता भंग कर देंगे
  • जातक की छोटे भाई-बहन से कभी बनने नहीं वाली
  • यहाँ चंद्रमा फ़िज़ूल की मेहनत जातक की बढ़वाते ही रहेंगे जिसका उचित परिणाम जातक को कभी पूर्ण चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में मिलेगा ही नहीं
  • नवं भाव सम्बन्धी भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम ही मिलेंगे
  • पिता से सदैव मन-मुटाव बनाये रखेंगे
  • विदेश यात्रा कर के भी जातक फ़िज़ूल का खर्चा कर के ही घर वापिस आएगा
  • जातक धर्म को मानने वाला भी नहीं होगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


शुक्र देव की साधारण राशी, यहाँ चंद्रमा उच्च के हो गए
  • रोग ऋण शत्रु कर्जो दुर्घटना मुकदमा माता के सर पर उच्च के हो गए
  • माता के स्वास्थ्य में सदैव दिक्कत-परेशानियां रहने वाली हैं
  • घर गाडी भूमि वाहन मकान बनाने में सदैव बाधाएं आने वाली हैं, अगर जातक का मकान बनाने वाला हुआ तो चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में जातक कभी मकान गाडी नहीं बना पाएगा, चंद्रमा यहाँ सदैव विलम्ब/बाधाओं का कारण बनेंगे
  • काम-काज के में भी चंद्रमा सदैव दिक्कत-परेशानीयां ही देता रहेगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को संतान से दिक्कत-परेशानी, कई जगह संतान का ना होना या संतान का स्वास्थ्य ठीक न होना आदि समस्याएं आएंगी
  • जताक मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है
  • पेट सम्बन्धी परेशानियां होंगी
  • प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस में असफलता मिलना
  • बड़े भाई-बहनों से भी कलह कलेश मचेगा
  • लाभ सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां आएंगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी सदैव जातक को लगी ही रहेंगी

कुम्भ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा देवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर सदैव अच्छा फल देंगे, वरना चंदमा दवता छ्टे भाव के सम्बंधित अति अशुभ फल देंगे
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा के सम्बंधित पूर्णता नकारात्मक परिणाम देंगे
  • फ़िज़ूल का व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश यात्रा में भी दिक्कत परेशानियां होंगी, वहां भी जातक छोटी-मोटी नौकरी करेगा
  • यहाँ तक की जेल यात्रा तक करवा कर के चन्द्र देव सिवा परेशानी के कुछ नहीं देंगे

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कुम्भ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में पार्टनरशिप, दम्पत्यासुख और रोजी रोजगार में दिक्कत-प्रेशानियाँ ही देंगे
  • मानसिक तनाव बना रहेगा
  • जींवन-साथी से सदा मन-मुटाव रहने वाला है
  • और चन्द्र देव स्वास्थ्य में भी दिक्कत-परेशानियां ही देंगे

कुम्भ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा दवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर अच्छा फल दे सकते हैं, परन्तु अगर शनिदेव बलि न हुए तो चंद्रमा यहाँ बाधाएं और तनाव बढ़ा देंगे
  • जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देंगे, यहाँ तक की कई बार जातक का आत्महत्या करने का दिल भी करता है, वो अक्सर ये सोचने को मजबूर हो जाता है की में इस तरह के जीवन यापन करने से तो अच्छा है की में अपने प्राण त्याग दूँ 
  • धन कुटुंब वाणी सम्बंधित भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम ही देंगे
  • धन का आभाव सदा रक्खेंगे
  • परिवार कभी साथ नहीं देने वाला
  • वाणी में भी अनवश्यक अपशब्द/दुर्वचन आना स्वाभविक सी बात है, जातक का स्वयं की वाणी पर नियंत्रण रहता ही नहीं है, मन में क्या है और वाणी से क्या बोल दिया उसका तालमेल कभी बन ही नहीं पता

कुम्भ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा शुक्र देव की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में पिता को मन-मुटाव रहेगा
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • जातक धर्म को नहीं मानेगा
  • विदेश यात्रा करे में भी बाधाएं आएंगी
  • छोटे भाई-बहनों से भी कलेश मचा रहेगा
  • फ़िज़ूल की मेहनत होगी जिसका उचित परिणाम नहीं मिलेगा

कुम्भ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्र देव नीच के हो जाते हैं
  • जातक का काम-काज वो कभी व्यवस्थित होने ही नहीं देते
  • छोटी-मोटी नौकरी करवाते हैं, जताक किसी के मातहत या अंतर्गत ही काम करवाते हैं
  • जातक पूंजी निवेश कर के कभी कोई काम स्थापित नहीं कर पता पूर्ण चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में
  • चोथे भाव सम्बन्धी भी सदैव नकारात्मक परिणाम ही मिलते हैं
  • माता गाडी भूमि वाहन माकन सभी में नकारात्मक परिणाम मिलते हैं
  • और माता से भी सदैव जातक का मन-मुटाव बना ही रहता है क्योंकि चंद्रमा माता का कारक है, माता को जातक कभी अच्छा नहीं समझता, वो दिक्कत परेशानी उसके साथ चलती ही रहती है

कुम्भ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा ब्रहस्पति की मूल त्रिकोण राशी में आगये और कभी अच्छा फल नहीं देते
  • बड़े भाई-बहनों से दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं, उनके स्वास्थ्य में भी समस्याएं होती हैं
  • जातक के खुद के स्वास्थ्य में दिक्कतें होती हैं
  • चन्द्र देव लाभ में भी कमी लाकर उसकी मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देते हैं
  • जातक की बुद्धि सही दिशा में काम नहीं करती 
  • पेट में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानियां रहती हैं 
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती हैं
  • कुल मिला कर चंद्रमा देवता सारे नकारात्मक परिणाम ही देते हैं
  • अगर बुद्ध देव या बाकी ग्रह बलि ना हुए तो बहुत सारे मामलों में यहाँ चंद्रमा देवता जातक को अवसाद/डिप्रेशन की बीमारी कर के जातक की दिक्कत-परेशानियां और ज्यादा बढ़ा देते हैं


कुम्भ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • अगर शानिदेव बलि हुए तो चंदमा दवता विपरीत राज योग की स्थिति में आकर अच्छा फल दे सकते हैं
  • अन्यथा बाहरवें भाव में चद्रमा देवता फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • विदेश यात्रा में भी परेशानी करेंगे
  • जेल यात्रा तक करवा सकते हैं
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा को सक्रीय कर के पूर्णता नकारात्मक परिणाम बढ़ा कर के जातक की जिंदगी को नरक बनने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं
  • ये सब इसीलिए क्योंकि चंद्रमा देवता अपने शरीर के अति शत्रु हैं


ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
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चन्द्र (१०) के परिणाम मकर लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H22 - 25022018

चन्द्र के परिणाम मकर लग्न के अलग-अलग भावों में




मकर लग्न की कुंडली 



मकर लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव जातक के व्यक्तित्व के लिए अच्छे हो कर उसे थोडा आकर्षक जरूर करेंगे
  • लेकिन यहाँ चन्द्र देव जातक को दिमाग से भ्रमित और उलझी हुई परवर्ती का जरूर करेंगे, जातक हमेशा दूसरों की बातों में जल्दी आने वाला होगा
  • चन्द्र यहाँ जातक की निर्णय क्षमता में कमी ला देंगे
  • परन्तु सप्तम भाव पर दृष्टि दाल कर दांपत्य-सुख, पार्टनरशिप/साझेदारी और रोजी-रोजगार के लिए अच्छे हो गए क्योंकि ये भाव चंद्रमा का स्वयं का घर है

मकर लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को धन के सम्बंधित सदा समस्याएं बनी रहेंगी
  • परिवार जातक का साथ देने वाला नहीं होगा और वो जातक के लिए दिक्कत परेशानी का कारण जरूर बनेगा
  • जातक की वाणी अनायास ही कुछ भी बोल कर के उसमें परेशानियां खडी करता ही रहेगा चन्द्र देव
  • अष्टम भाव के सम्बंधित भी पूर्णता नकारात्मक परिणाम देकर चन्द्र देव जातक की बाधाएं बढ़ा कर, मानसिक तनाव देकर सारी दिक्कत-परेशानियों में डाल कर अनायास ही जातक के जीवन यापन की मुश्किलें बढ़ाते रहेंगे 

मकर लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देंगे
  • जातक फ़िज़ूल की यात्राएं जरूर करेगा
  • मानसिक अशांति बनाये रक्खेंगे
  • अनायास ही कहीं न कहीं छोटे भाई-बहन से कलह-कलेश जरूर मचा के रक्खेंगे चन्द्र देव
  • चन्द्र देव यहाँ पिता से परेशानी देगे ... उनसे कभी बनने नहीं देंगे
  • जातक धर्म को मानने वाला नहीं होगा
  • परन्तु यहाँ  जातक छोटी-मोटी विदेश यात्रा कर के अपने जीवन यापन को अच्छा करने की कोशिश जरूर करता रहेगा

मकर लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव माता के लिए परेशानी बाधा देंगे
  • भूमि गाडी वाहन लेने में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • जातक को मानसिक अशांति सदा बनी रहेगी
  • चंद्रमा यहाँ काम-काज सम्बन्धी भी समस्याएं देंगे और अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक के काम-काज को ठीक ढंग से व्यवस्थित कभी होने ही नहीं देंगे

मकर लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
  • पुत्री का योग जरूर बना देंगे
  • जातक की स्मरण शक्ति को तीक्षण जरूर कर देंगे
  • प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस का योग जरूर बना देंगे
  • पेट में छोटी-मोटी समस्याएं देंगे
  • आकस्मिक हानि का योग भी बनेगा
  • बड़े भाई-बहनों से भी दिक्कत परेशानियां होंगी
  • लाभ में भी समस्याएं आएंगी 
  • और दशा-अन्तर्दशा में छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लगाये ही रक्खेंगे चन्द्र देव

मकर लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक का विवाह सुख कभी भी स्थिर नहीं होगा
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस/लिटिगेशन सम्बन्धी सारी समस्याएं चंद्रमा देवता यहाँ देंगे
  • फ़िज़ूल का व्यय जातक के बढ़ाते ही रहेंगे
  • हस्पताल के खर्चे में भी दिक्कत-परेशानी आएंगी और वो भी बढ़ेंगे
  • अगर शनिदेव यहाँ बलि न हुए तो चंद्र देव की बाहरवें भाव पर दृष्टि जातक को जेल यात्रा तक भी करवा सकती हैं

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मकर लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा स्वः राशी के हो गए
  • जातक को जीवनसाथी बहुत खूबसूरत मिलेगा
  • साझेदारी/पार्टनरशिप और रोजी-रोजगार के लिए बहुत अच्छा हो गया
  • जातक का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक/मनमोहक और शांत-चित्त वाले समझदार प्राणी की तरह दिखने वाला चंद्रमा देवता यहाँ विकसित जरूर कर देंगे

मकर लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव दांपत्य सुख/साझेदारी-पार्टनरशिप/रोजी-रोजगार में समस्या देंगे
  • बिना कारण हर बात की बाधाएं बढ़ा देंगे
  • जातक को धन और मानसिक शांति सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • वाणी में भी दिक्कत परेशानी आएंगी, जातक ऐसी वाणी बोल जाएगा जो दूसरा बंदा सुनना पसंद नहीं करता

मकर लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक का पिता से सदा मन-मुटाव रहने वाला हैं
  • जातक मानसिक रूप से जल्दी ही अशांत हो जाता है
  • धर्म को जातक जल्दी मानने वाला नहीं होता
  • जातक विदेश यात्रा भी करता है
  • छोटे भाई-बहन से दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं
  • जातक की फ़िज़ूल की मेहनत बढ़ी ही रहेंगी
  • और जितना परिश्रम जातक करेगा उतना उसको परिणाम/फल कभी नहीं मिलने वाला, यहाँ तक की इतनी मेहनत करने के बाद वो तिरस्कृत होने की सम्भावना भी चंद्र देव बना देते हैं

मकर लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव शुक्र की मूल त्रिकोण राशी में आगये
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा काम-काज में बाधाएं जरूर देंगे, जातक का मन काम-काज में जल्दी नहीं लगने वाला
  • जातक की मानसिक शांति जल्दी भंग कर देंगे
  • माता से मन मुटाव रहने वाला है
  • जातक को गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां होंगी, माकन/गाडी लेने में विलम्ब हो सकता है
  • चोथे भाव सम्बन्धी सारी की सारी दिक्कत-परेशानियां चंद्रमा जातक को देंगे
  • यहाँ चंद्रमा जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर के उसकी दिक्कतओं में और बढ़ोतरी कर देंगे
  • जातक को सुझाव दिया जाता है की अपने काम-काज को स्थापित करने के लिए कोई न कोई पार्टनरशिप/साझेदारी अगर जातक कर ले या अपनी पत्नी को पार्टनर बना ले तो काम-काज अच्छा चल पड़ता है, इससे जातक का काम-काज और ज्यादा अच्छा हो पाएगा और परिणाम भी अच्छे मिलेंगे

मकर लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं
  • जातक को दांपत्य सुख/पार्टनरशिप/रोजी-रोजगार में दिक्कत-परेशानियां देंगे
  • बड़े भाई-बहन से समस्याएं होंगी
  • लाभ में कमी आएगी जातक को
  • और छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी लगाये ही रक्खेंगे चन्द्र देव
  • संतान और पेट सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं
  • आकस्मिक हानि होने का योग बनता है
  • जताक को प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती है
  • कुल मिला कर पंचम भाव सम्बंधित भी पुरणता नकारात्मक परिणाम चन्द्र देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को देंगे

मकर लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ चंद्रमा जातक का विवाहिक जीवन कभी स्थिर नहीं होने देंगे
  • फ़िज़ूल के व्यय बढ़ाते ही रहेंगे, जातक के फ़िज़ूल के खर्च इतने चंद्रमा देवता करवाएँगे की जातक से संभाले नहीं जाएँगे
  • हस्पताल के खर्चे होते रहेंगे
  • जातक का जीवन यापन साझेदारी/पार्टनरशिप करने पर मुश्किलों में आ सकता हैं
  • उसको रोजी-रोजगार में भी काफी समस्याएं आएंगी
  • रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस/लिटिगेशन सारी समस्याएं चंद्रमा देंगे
  • जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट तक होगा और जातक बिना कारण के अनायास ही खपता रह जाता है और उसे पुरणता सकारात्मक परिणाम कभी मिल ही नहीं पाते


ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
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चन्द्र (९) के परिणाम धनु लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H21 - 24022018

चन्द्र के परिणाम धनु लग्न के अलग-अलग भावों में




धनु लग्न की कुंडली 



धनु लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा कभी जातक को टिकने नहीं देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • स्वास्थ्य में छोटी-मोटी दिक्कत-परेशानी दे देंगे
  • काम-काज में नित्य नई समस्याएं खडी ही रक्खेंगे
  • साझेदारी/पार्टनरशिप में भी समस्याएं देंगे
  • दांपत्य सुख में भी दिक्कत-परेशानियां होंगी
  • रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित कर के उस में भी चंद्रमा देवता दिक्कतें ही देंगे 

धनु लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को धन का आभाव सदा रहने वाला है
  • वाणी भी  दिक्कत परेशनी भरी होगी
  • और परिवार उसका साथ पूरणता कभी नहीं देगा, परिवार उस जातक को सदैव गलत ही समझता हुआ आएगा
  • फ़िज़ूल की बाधाएं भी बढ़ी रहेंगी
  • जातक की मानसिक शांति भंग रहेगी
  • यहाँ मृत्यु-तुल्य कष्ट तक देंगे चंद्रमा अपनी दशा-अन्तर्दशा में

धनु लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा छोटे भाई-बहन का योग जरूर बना देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत, फ़िज़ूल की यात्राएं जातक की होती रहेंगी
  • छोटे भाई-बहन से कलेश बना रहेगा
  • और मेहनत करने क बाद भी पूरण सकारात्मक परिणाम चंद्रमा कभी नहीं देनें वाले
  • पिता से भी दिक्कत परेशनियाँ बनी रहेंगी
  • जातक धर्म को भी अहि मानता
  • विदेश यात्राओं में भी परेशनी बढ़ा कर के चंद्रमा जातक की मानसिक शांति को सदैव भंग रक्खेंगे

धनु लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा देवता माता से दिक्कत-परेशानियां देकर सदा मन-मुटाव बनाये रखते है
  • गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां चंद्रमा देवता खडी करते हैं
  • अपने काम-काज/व्यवसाय में सदैव बाधाएं दे कर यहाँ चंद्रमा देवता जातक का चलता-चलता काम भी बंद करवाने की कगार पर ला कर खड़ा कर देते हैं

धनु लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव संतान उत्पत्ति में बहुत विलम्ब करते हैं, कई बार विवाह के ४-५ साल बाद संतान की प्राप्ति होती है
  • जातक मानसिक रूप से तनाव्ग्रस्त रहता है
  • उदर/पेट में सदा परेशानी बनी रहती हैं
  • आकस्मिक हानि होने का योग बनता है
  • यहाँ चंद्रमा जातक की मानसिक शांति भंग कर के उसकी स्मरण-शक्ति/याददाश्त को भी इतन कमजोर करता है की जातक अक्सर भूलने की कगार पर खड़ा रहता है 
  • बड़े भाई-बहनों से सदा समस्याएं बनी रहेंगी
  • लाभ की कमी सदैव बनी रहेंगी
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां चंद्र देव अपनी दशा अन्तर्दशा में सदैव् देते ही रहेंगे

धनु लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं
  • अगर ब्रहस्पति बलि हुए और चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो चंद्रमा यहाँ बहुत अच्छा फल देंगे
  • अगर ब्रहस्पति बलि ना हुए तो यहाँ चन्द्र देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में रोग ऋण कर्जा दुर्घटना मुकदमा/कोर्ट-केस/लिटिगेशन देंगे
  • प्रतियोगिताओं में असफलता देंगे
  • फ़िज़ूल के व्यय, हस्पताल के खर्च, यहाँ तक की जेल यात्रा तक करवा देना और मृत्यु-तुल्य कष्ट तक देंगे चंद्रमा देवता

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धनु लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव साझेदारी/पार्टनरशिप में दिक्कत-परेशानी देंगे
  • रोजी रोजगार में समस्याएं देंगे
  • हाँ जातक को पत्नी जरूर खूबसूरत मिलेगी 
  • लेकिन यहाँ भी लगन पर दृष्टि से जातक के स्वास्थ्य में समस्याएं
  • जातक को मानसिक तनाव
  • और चंद्रमा अनायास ही जातक की थोड़ी-थोड़ी खीजने वाली और चिडचिडापन वाला व्यक्तित्व बना देते हैं

धनु लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अपनी स्वः राशी के हो गए
  • अगर ब्रहस्पति बलि हुए और चंद्रमा विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो चंद्रमा यहाँ बहुत अच्छा फल देंगे
  • अगर ब्रहस्पति बलि ना हुए तो यहाँ चन्द्र देवता आयु तो बहुत लम्बी दे देंगे लेकिन जातक अकी जीवन में बाधाएं भी उतनी ही बढ़ा देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • बिना कारण के ही जातक को हर काम के लिए खपना जरूर पड़ेगा
  • धन का आभाव सदा बना रहेगा
  • वाणी सदैव दिक्कत-परेशानी भरी रहेगी
  • परिवार जातक का साथ कभी नहीं देगा और उसकी मानसिक शांति पूरी तरह भंग ही होती रहेगी चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में

धनु लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक का पिता से सदैव मन-मुटाव रहने वाला है, जातक पिता की देखभाल सही ढंग से नहीं करेगा
  • धर्म को जल्दी मानने वाला नहीं होगा
  • विदेश यात्रा भी चंद्रमा कराएँगे तो वहां से भी जातक बैरंग लिफाफे की तरह वैसे का वैसा वापिस आजेगा, विदेश से भी कुछ अर्जित कर के नहीं ला पाएगा, चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में ये दिक्कत-परेशानियां जरूर मिलेंगी
  • जातक की छोटी-मोटी बेवजह की यात्राएं  होती रहेंगी
  • छोटे भाई-बहनों से कलह-कलेश मचता रहेगा
  • और उस जातक को बिना कारण के अनायास ही हर काम के लिए मेहनत जरूरत से ज्यादा करनी पड़ेगी 

धनु लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्र देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में कभी काम-काज व्यवस्थित नहीं होने देंगे, काम-काज में इतनी समस्याएं देंगे की जातक खपता ही रह जाता है... भागता ही रह जाता है
  • जातक निराश होता चला जाता है, मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहता है, और जातक ये समझ ही नहीं पता की क्या कभी में जिंदगी में पूर्णतयः स्थापित हो भी पाउँगा या नहीं
  • जातक का जीवन यापन एक खपने की कगार पर आजाता है
  • माता से सदैव मन-मुटाव बना रहता है, माता से सम्बन्ध कभी मघुर नहीं रह पाते, सदा गलतफहमियों में आकर माता से दिक्कत-परेशानियां बनी रहती हैं
  • अगर जातक का मकान, भूमि, गाडी, वाहन बनाने वाला हुआ तो चंद्रमा देवता उसमें भी सदैव बाधाएं दे कर विलम्ब करते हैं

धनु लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ बड़े भाई-बहनों से मन-मुटाव बना रहता है
  • धन का आभाव सदा बना रहता है
  • जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं रहती है, स्वास्थ्य में पूर्ण स्थिरता कभी चन्द्र देव आने देते ही नहीं अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • पुत्री का योग बना देते हैं
  • जातक की मानसिक शांति भंग रखते हैं
  • उसकी स्मरण शक्ति को कमजोर करते हैं
  • पेट संबंदी दिक्कत परेशानी देते हैं
  • प्रेम-प्रसंग/लव-रोमांस में असफलता दे कर जातक की मानसिक शांति पूर्ण रूप से भंग कर देगे चन्द्र देव

धनु लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं और कभी विपरीत-राज-योग की स्थिति में नहीं आते
  • जातक के फ़िज़ूल के व्यय बढ़ा देंगे
  • हस्पताल के खर्चे भी बढ़ा सकते हैं
  • विदेश स्थापित कर के जातक की दिक्कत-परेशानियां बढ़ा देंगे
  • जातक का जीवन यापन बहुत ज्यादा मुश्किलों में घिर जाता है, उसे मृत्यु तुल्य कष्ट तक होता है
  • रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना पर चंद्रमा की दृष्टि सारे नकारात्मक परिणाम देगी
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में भी चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा असफलता देकर जातक की परेशनियों में और इजाफा कर देंगे


ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

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