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मंगल (८) के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H32 - 05032018

मंगल के परिणाम वृश्चिक लग्न के अलग अलग भावों में




वृश्चिक लग्न की कुंडली 



वृश्चिक लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम



वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम



वृश्चिक लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम



वृश्चिक लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम



वृश्चिक लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम



वृश्चिक लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम




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वृश्चिक लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम



वृश्चिक लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम



वृश्चिक लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम


वृश्चिक लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम




वृश्चिक लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम





वृश्चिक लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम




ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
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Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
E-mail: vikas440@gmail.com

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मंगल (७) के परिणाम तुला लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H31 - 05032018

मंगल के परिणाम तुला लग्न के अलग अलग भावों में




तुला लग्न की कुंडली 



तुला लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम



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तुला लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम



तुला लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम


तुला लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम




तुला लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम





तुला लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम




ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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मंगल (६) के परिणाम कन्या लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H30 - 05032018

मंगल के परिणाम कन्या लग्न के अलग अलग भावों में




कन्या लग्न की कुंडली 



कन्या लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम


  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में मंगल देव अनायास ही जातक की समस्याएं बढ़ाते रहेंगे
  • सस्थ्य और मानसिक तनाव सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • जातक का व्यवहार चिडचिडा कर देंगे
  • माता, गाडी, भूमि, वाहन सम्बन्धी समस्याएं देंगे
  • विवाह में विलम्ब और विवाहिक सुख सम्बन्धी स्थिरता ना देंगे
  • रोजी, रोजगार में कमी होना और साझेदारी में समस्याएं देंगे
  • बिना कारण ही जातक के जीवन की समस्याएं को सक्रीय कर के सारे परिणाम नकारात्मक कर देंगे

कन्या लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम


  • यहाँ मंगल देव अपनी दशा अन्तर्दशा में धन कुटुंब वाणी तीनो में ही समस्याएं देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बना सकता है
  • जातक सदैव कटु वाणी बोलेगा
  • धन का आभाव बना रहेगा
  • परिवार से भी कहीं न कहीं विच्छेद होने का योग बनता है

कन्या लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम


  • यहाँ मंगल देव स्वः राशी के हो जाते हैं और ये मंगल का कारक भाव भी है
  • पर यहाँ भी मंगल व् जातक को अनायास ही पराक्रमी बना देंगे
  • छोटे भाई का योग जरूर दे देंगे
  • लेकिन जातक जरूरत से ज्यादा परिश्रम कर के ही अपना रोजी रोजगार चला पाएगा
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा सम्बन्धी समस्याएं होंगी
  • पिता से दिक्कत-परेशानिया बनी रहेंगी
  • दशम बाव में भी मगल देव परेशानियां ही देंगे 

कन्या लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम





कन्या लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम



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कन्या लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम



कन्या लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम




कन्या लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम





कन्या लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम




ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
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मंगल (५) के परिणाम सिंह लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H29 - 01032018

मंगल के परिणाम सिंह लग्न के अलग अलग भावों में




सिंह लग्न की कुंडली 



सिंह लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में मंगल के परिणाम


इस कुंडली में मंगल देव बहुत अछे हो गए और सदैव अच्छा फल देंगे
  • जातक के व्यक्तित्व को निर्भीक बना देंगे, ऐसा व्यक्तित्व जिसे दूसरा बंदा देख कर ही प्रभावित हो जाए
  • माता गाडी भूमि वाहन सुख-सुविधाओं से संपन्न होगा
  • यहाँ मंगल देव दांपत्य-सुख, पार्टनरशिप, और रोजी-रोजगार के लिए अच्छे हो गए
  • आयु के लिए अच्छे हो गए
  • और जातक अपने जीवन की समस्त बाधाओं पर अपनी मेहनत से काबू पा लेगा

सिंह लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव धन के लिए सदैव अच्छे हो गए
  • भाग्य और सुख-सुविधाएं का लाभ परिवार को मिलेगा
  • लेकिन जातक की वाणी थोड़ी सी उग्र जरूर कर देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग बना देंगे
  • जातक की बुद्धि तीक्ष्ण कर देंगे
  • परिश्रम-मेहनत कर के जातक अपने जीवन की बाधाओं में कमी ले आएगा
  • और जातक भाग्यवान भी होगा

सिंह लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ भी मंगल सदैव अच्छा फल देंगे
  • जातक सदैव मेहनती होगा, पराक्रमी होगा और अपने छोटे भाई का योग ले कर के आएगा
  • भाग दौड़ करने और जातक के पराक्रम में मंगल अच्छे फल देंगे
  • रोग ऋण शत्रु  दुर्घटना मुकदमा से सम्बंधित मामलों में मंगल अच्छे फल देंगे
  • प्रतियोगिताएं में मंगल अच्छे परिणाम देंगे
  • पुराने रुके हुए मुक़दमे जीतने का याग भी बनेगा
  • मंगल देव जातक के भाग्य को अच्छा करेंगे
  • काम-काज में भी मंगल देव लाभ देंगे और जातक मेहनती हो कर अपनी मेहनत से सारे काम निकालने वाला बन जाता है

सिंह लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल स्वः राशी के हो जाते हैं और सदैव अच्छा फल देंगे
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में माता गाडी भूमि वाहन संपत्ति सम्बन्धी सारी सुख-सुविधाएं जरूर देंगे
  • दांपत्य सुख, रोजी-रोजगार और साझेदारी/पार्टनरशिप से भी लाभ दिलवाएँगे
  • काम-काज में भी कामयाबी के रस्ते खुलेंगे
  • और लाभ भी जातक जरूर अर्जित कर लेगा

सिंह लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल को अपने आप में बल मिल जाता है, क्योंकि वो अग्नि कारक ग्रह है और अग्नि राशी में चला गया
  • पुत्र प्राप्ति का योग बना देनेग
  • बुद्धि के लिए अच्छा हो कर जातक की बुद्धि तीक्ष्ण कर देंगे
  • संतान होने के बाद से उसका भाग्य उसका साथ देने लगेगा
  • आकस्मिक लाभ का योग भी बनता है
  • जातक का पेट/उदर मजबूत होता है
  • जातक को पैतृक सम्पत्ती मिलने का योग भी बनता है
  • मंगल देव यहाँ जातक को जीवन की बाधाओं का अंत करने में भी मदद करते हैं
  • धन का आभाव जातक को कभी नहीं रहने वाला
  • बड़े भाई बहनों का योग भी बनेगा और उनसे पूर्ण सहयोग/लाभ भी मिलेगा
  • व्यय भी मंगल देव यहाँ करवाते रहेंगे
  • विदेश यात्रा करवाकर वाहन से भी लाभ जरूर अर्जित करवाएँगे

सिंह लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में मंगल के परिणाम

  • मंगल की दशा-अंतरा में रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुकदमा कोर्ट केस/लिटिगेशन तनाव ये सारी चीज़ें होने वाली हैं यहाँ
  • जातक के पिता को/पिता से समस्याएं आएंगी, पिता को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं और कई मामलों में पिता से अमन-मुटाव/तनाव/झगडा होते भी देखा गया है
  • जातक को मानसिक तनाव बना रहेगा
  • फ़िज़ूल के व्यय होंगे
  • यहाँ मंगल देव जातक का माकन तक बिकवा देते हैं
  • जातक की माता तक का स्वास्थ्य हमेशा गड़बड़ाया हुआ ही रहता है
  • जब मंगल की दशा-अन्तर्दशा चलेगी, जातक के स्वास्थ्य में भी वो छोटी मोटी दिक्कत-परेशानियां जरूर देते हैं

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सिंह लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव दांपत्य-सुख में लाभ देंगे और उसको अच्छा करने में वो बाध्य हो जाएँगे
  • रोजी-रोजगार के नए-नए रस्ते वो जरूर खोलेंगे
  • पार्टनरशिप/साझेदारी में भी मंगल देव सदैव मदद करेंगे
  • काम-काज के लिए अमंगल देव अच्छे हो गए
  • जातक निर्भीक/निडर व्यक्तित्व का स्वामी होगा
  • धन कुटुंब वाणी संबंधी भी मंगल देव लाभ ही देंगे बस वाणी थोड़ी सी उग्र करना उसका स्वभाव बन जाता है, लेकिन कुल मिलाकर मंगल यहाँ सदैव अच्छे माने जाएंगे

सिंह लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव कभी अच्छा फल नहीं देने वाले
  • दशा-अन्तर्दशा में सदैव समस्याएं होंगी बाधाएं आएंगी
  • भाई-बहनों से कलेश होगा
  • धन का आभाव बना रहेगा
  • धन कुटुंब वाणी को भी नुक्सान पहुँचाएँगे मंगल देव 
  • कुल मिला कर अपनी पूरी दशा-अन्तर्दशा में मंगल देव समस्याएं ही देंगे

सिंह लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव स्वः राशि के हो जाते हैं
  • भाग्य के लिए बहुत अछे हो गए मंगल देव, जातक भाग्यवान माना जाता है
  • जातक फ़िज़ूल खर्च भी करेगा
  • मेहनती भी होगा
  • माता गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी भी बहुत अच्छे परिणाम देंगे मंगल देव 

सिंह लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में मंगल के परिणाम


अपनी दशा-अन्तर्दशा में मंगल देव सदैव अच्छा फल देंगे
  • काम-काज में तरक्की मिलेगी, नए-नए आयाम खुलेंगे
  • जातक के व्यक्तित्वों को अच्छा करेंगे
  • और माता गाडी भूमि वाहन के लिए भी अच्छे परिणाम देंगे मंगल देव 
  • यहाँ मगल देव पुत्र प्राप्ति का योग भी निश्चित कर देते हैं

सिंह लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में मंगल के परिणाम

  • यहाँ मंगल देव जातक के लिए लाभ के रास्ते खोलेंगे
  • बड़े भाई-बहनों से लगाव रहेगा और पूर्ण सहयोग मिलेगा
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी मंगल यहाँ जरूर देंगे
  • धन कुटुंब वाणी सम्बन्धी भी पूर्णता सकारात्मक परिणाम मिलेंगे, वाणी थोड़ी सी उग्र करना भी स्वाभाविक है
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी बनेगा
  • रोग ऋण शत्रु दुर्घटना मुदमा सम्बन्धी भी लाभ देकर मंगल देव प्रतियोगिताएं में सफलता दिलवाएँगे और पुराने रुके हुए मुक़दमे जितवाने के लिए भी मंगल देव बाध्य हो जाएंगे

सिंह लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में मंगल के परिणाम


यहाँ मंगल देव नीच के हो जाते हैं और उनकी अशुभता  में कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है
  • दशा-अन्तर्दशा में माता गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी समस्याएं आएंगी
  • फ़िज़ूल के व्यय सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां बनेंगी
  • जातक चिडचिडा और उत्तेजित परवर्ती का हो जता है
  • रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा सम्बन्धी समस्याएं बनी रहेंगी
  • साझेदारी, दांपत्य-सख और रोजी-रोजगार में भी समस्याएं देंगे मंगल देव 
  • जातक जितना मर्जी जोर लगा ले मंगल की दशा-अन्तर्दशा में वो कभी स्थिर नहीं होने वाला, दिक्कत-परेशानियों से बहार आने वाला और मानसिक रूप से भी तनाव-ग्रस्त रहता है
  • माता-पिता से मन-मुटाव का याग बनता है 
  • इन सभी दिक्कत-परेशानियों की वजह से जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आएंगी ... उनका योग बनेगा, जरा सा भी तनाव हो तो जातक को रक्तचाप सम्बन्धी समस्याएं भी आसक्ति हैं



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  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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