सूर्य के परिणाम कर्क लग्न के अलग अलग भावों में
कर्क लग्न की कुंडली
कर्क लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम:
- जातक सदैव उग्र वाणी बोलने वाला होगा, क्योंकि दूसरा घर हमारे कंठ का मन जाता है
- धन की कमी उसको कभी नहीं आएगी
- पर स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई न कोई समस्या लगी रहेगी क्योंकि अग्नि कारक ग्रह जल राशी में आगया है और वो सदैव दिक्कत-परेशानियां ही देगा
कर्क लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
सूर्य देव स्वः राशी के
- वाणी बहुत ज्यादा उग्र होगी
- इंसान को धन की कमी जीवन में कभी नहीं आने वाली लेकिन वाणी इतनी ख़राब होगी इतनी आक्रामक वाणी होगी की आम इंसान उससे दूर भागेगा, क्योंकि वाणी का ख़राब होना इंसान को अच्छा या बुरा बनता है
कर्क लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- भाई बहनों से कभी नहीं बनने वाली
- छोटी यात्राएं फ़िज़ूल खर्ची जरूर करवाएंगी और परिणाम कोई नहीं देंगी
- सूर्य देव यहाँ व्यर्थ का पराक्रम सक्रीय कर देंगे, जातक बिना कारण के लड़ने झगड़ने को तयार रहेगा
- सूर्यदेव का तीसरे भाव को सक्रीय करना परेशानी का कारण बनेगा
- पिता पर दृष्टि से भी समस्याएं ही देंगे, चाहे उसके पिता ने सारी जिंदगी अछे कामों में लगा दी हो लेकिन बेटा उसको अच्छा नहीं समझने वाला
- इंसान धर्म को भी नहीं मानेगा और वहां भी नकारात्मक ही रहेगा
कर्क लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- जातक का अगर मकान बनने वाला हुआ या गाडी लेने वाली हुई तो सूरज की दशा-अंतरा में वो कभी नहीं ले पाएगा, क्योंकि सूर्य देव यहाँ नीच के हो जाते हैं
- माता से कभी नहीं बनने वाली... माता से सदा पैसों के लिए मन-मुटाव रहने वाला है, जातक माता को कभी अच्छा समझता ही नहीं है
- गाडी, वाहन और सुख-सुविधाओं से जातक सदा दूर रहने वाला है
- मकान बनाना चाहेगो तो कभी जगह नहीं मिली कभी मकान बनने में विलम्ब होगा, कभी आधा-अधूरा हो कर बीच में लटक गया, गाडी लेने के लिए कभी लोन की स्वीकृति नहीं होती कभी कोई कागज अधूरा रह गया... तो ये सारी दिक्कत-परेशानियां चोथे घर में बैठे हुए नीच के सूर्य देवता अवश्य देंगे
- काम-काज में भी बाधाएं और व्यर्थ का तनाव बना ही रहेगा, कभी बॉस से लड़ाई झगडा हो गया, आर्थिक समस्याएं आ गई, भाग-दौड़ भी जातक को ज्यादा करनी पड़ती है क्योंकि नीच के सूर्य देव की दृष्टि यहाँ भी ख़राब करेगी
- प्रोफेशनल सेटलमेंट में बहुत साड़ी परेशानियां देंगे सूर्य-देव
कर्क लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव यहाँ पुत्र प्राप्ति का योग तो बना देंगे
- लेकिन पेट सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी देंगे, क्योंकि यहाँ जल राशी में अग्निकारक ग्रह आकर बैठ गया है, गैस/एसिडिटी से सम्बंधित परेशानियां हो सकती हैं
- औलाद से झगडा हो जाना
- धन की कमी आना भी संभव है क्योंकि ग्यारहवें भाव पर दृष्टि होने से सूर्य-देव यहाँ नुक्सान जरूर करेंगे
- संतान में समस्याएं हो सकती हैं
- सूर्य देव यहाँ जातक की बुद्धि को भी उग्र कर देंगे, इंसान जल्दी जल्दी काम करना चाहेगा, हर काम जल्दी भाग-भाग कर करने की कोशिश करने वाला होगा
कर्क लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम:
धन कुटुंब वाणी में सदैव समस्याएं
- सदैव धन का आभाव रहने वाल है
- सूर्य देव यहाँ गले या कंठ की तकलीफ दे सकते है, बहुत सारे लोगों को गले सम्बन्धी समस्याएं बनी ही रहती हैं
- परिवार से दूर जाने का योग बनाएँगे सूर्यदेव
कर्क लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
सूर्य-देव अपने अति शत्रु घर/राशी में चले गए और यहाँ वो उसको ख़राब करेंगे
- समस्याओं और बाधाओं को बढ़ा देंगे, क्योंकि अपने भाव से यहाँ सूर्य-देव छठे स्थान पर बैठे हैं
- पत्नी से कभी नहीं बनने वाली, सामंजस्यता या ताल-मेल कभी नहीं रहने वाला - ना ही साझेदारी में ना और ना ही पत्नी से
- रोजी-रोजगार में भी स्थिरता नहीं रहती, रोजी-रोजगार सम्बन्धी भी समस्याएं जातक को सदा खड़ी ही मिलेंगी
कर्क लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, सारी जिंदगी धन की कमी रहने वाली है
- अपनी दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यंतर में सारी जिंदगी जातक समस्याएं ही झेलता है, जितनी बार अन्तर्दशा प्रत्यंतर आएंगी वो दिक्कत-परेशानियां ही देंगे क्योंकि सूर्य-देव यहाँ बाधाओं के भाव में बैठे हुए हैं
- धन का आभाव रहने वाला है
- उग्र वाणी से कईयों के साथ झगडा होने वाला है
- परिवार से दूर जाने का योग बनता है
- समस्याओं को बाद से बदतर करेंगे यहाँ सूर्य देव
कर्क लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम:
- पिता सम्बंधित दिक्कत-परेशानियां, पिता से समन्वय एवम ताल-मेल कभी नहीं बनने देंगे सूर्य देव क्योंकि सूर्य देव अपने आप में एक क्रूर ग्रह है (यदपि पापी नहीं है), सूर्य-देव में विभाजक परवर्ती है और वो पिता से अलगाव कर देंगे और अलगाववादी किस्म के सम्बन्ध बना देगा, अछे सम्बन्ध कभी बनने देगा... क्योंकि जल राशि में अग्निकारक ग्रह आकर बैठा है और उसका नुक्सान करना तय है
- धर्म को मानने में समस्याएं
- विदेश यात्रा करने में अडचने
- हर काम में उसको बाधाएं खडी मिलेंगी
कर्क लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव का आना अच्छा मन जाता है, क्योंकि यहाँ वो उच्च के हो जाते हैं
- जातक की नौकरी उच्च की हो सकती है, जातक सरकारी विभाग में उच्च पद पर आसीन हो सकता है
- लेकिन वाणी पर उसका अंकुश कभी नहीं रहता
- जातक काम-काज, व्यवसाय या नौकरी में बहुत अच्छा स्थापित रहता है
- परन्तु माता से कभी नहीं बनने वाली, ये दिक्कत परेशानी साथ में ले कर चलेगा
कर्क लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
धन का मालिक लाभ में या लाभ का मालिक धन में होना एक अच्छा योग बनता है
- लेकिन यहाँ सूर्य देव का आना बहुत ज्यादा लाभदायक नहीं होगा, अगर वो पैसा ले कर आएगा तो साथ में स्वस्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी लाएगा
- पेट सम्बन्धी समस्याएं भी चलती रहेंगी
कर्क लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ जातक को धन कुटुंब वाणी, तीनो के सम्बन्धी समस्याएं रहती हैं
- बहुत सारे मालों में देखा गया है की जातक को छोटी आयु में ही विदेश पढने भेज दिया या बोर्डिंग में पढने भेज दिया
- जब से जातक अपना होश संभालता है वो अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए पैसों के पीछे भाग रहा होता है और पैसे उससे हमेशा दो कदम आगे होता है
- दशा-अंतरा में अस्पताल का खर्चा भी होगा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आएंगी क्योंकि छठे भाव पर भी दृष्टि है
- कलह कलेश भी होता रहेगा
- मानसक शांति भी भंग रहती है
- कोर्ट-केस, मुकदमा, दुर्घटना आदि भी दशा-अन्तर्दशा में होने का योग बनता है
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
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Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
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