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सूर्य (४) के परिणाम कर्क लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H4 - 10012018

सूर्य के परिणाम कर्क लग्न के अलग अलग भावों में




कर्क लग्न की कुंडली 



कर्क लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक सदैव उग्र वाणी बोलने वाला होगा, क्योंकि दूसरा घर हमारे कंठ का मन जाता है
  • धन की कमी उसको कभी नहीं आएगी 
  • पर स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई न कोई समस्या लगी रहेगी क्योंकि अग्नि कारक ग्रह जल राशी में आगया है और वो सदैव दिक्कत-परेशानियां ही देगा

कर्क लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम



सूर्य देव स्वः राशी के
  • वाणी बहुत ज्यादा उग्र होगी
  • इंसान को धन की कमी जीवन में कभी नहीं आने वाली लेकिन वाणी इतनी ख़राब होगी इतनी आक्रामक वाणी होगी की आम इंसान उससे दूर भागेगा, क्योंकि वाणी का ख़राब होना इंसान को अच्छा या बुरा बनता है

कर्क लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • भाई बहनों से कभी नहीं बनने वाली 
  • छोटी यात्राएं फ़िज़ूल खर्ची जरूर करवाएंगी और परिणाम कोई नहीं देंगी
  • सूर्य देव यहाँ व्यर्थ का पराक्रम सक्रीय कर देंगे, जातक बिना कारण के लड़ने झगड़ने को तयार रहेगा
  • सूर्यदेव का तीसरे भाव को सक्रीय करना परेशानी का कारण बनेगा
  • पिता पर दृष्टि से भी समस्याएं ही देंगे, चाहे उसके पिता ने सारी जिंदगी अछे कामों में लगा दी हो लेकिन बेटा उसको अच्छा नहीं समझने वाला
  • इंसान धर्म को भी नहीं मानेगा और वहां भी नकारात्मक ही रहेगा

कर्क लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक का अगर मकान बनने वाला हुआ या गाडी लेने वाली हुई तो सूरज की दशा-अंतरा में वो कभी नहीं ले पाएगा, क्योंकि सूर्य देव यहाँ नीच के हो जाते हैं
  • माता से कभी नहीं बनने वाली... माता से सदा पैसों के लिए मन-मुटाव रहने वाला है, जातक माता को कभी अच्छा समझता ही नहीं है
  • गाडी, वाहन और सुख-सुविधाओं से जातक सदा दूर रहने वाला है
  • मकान बनाना चाहेगो तो कभी जगह नहीं मिली कभी मकान बनने में विलम्ब होगा, कभी आधा-अधूरा हो कर बीच में लटक गया, गाडी लेने के लिए कभी लोन की स्वीकृति नहीं होती कभी कोई कागज अधूरा रह गया... तो ये सारी दिक्कत-परेशानियां चोथे घर में बैठे हुए नीच के सूर्य देवता अवश्य देंगे
  • काम-काज में भी बाधाएं और व्यर्थ का तनाव बना ही रहेगा, कभी बॉस से लड़ाई झगडा हो गया, आर्थिक समस्याएं आ गई, भाग-दौड़ भी जातक को ज्यादा करनी पड़ती है क्योंकि नीच के सूर्य देव की दृष्टि यहाँ भी ख़राब करेगी
  • प्रोफेशनल सेटलमेंट में बहुत साड़ी परेशानियां देंगे सूर्य-देव

कर्क लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ पुत्र प्राप्ति का योग तो बना देंगे
  • लेकिन पेट सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी देंगे, क्योंकि यहाँ जल राशी में अग्निकारक ग्रह आकर बैठ गया है, गैस/एसिडिटी से सम्बंधित परेशानियां हो सकती हैं
  • औलाद से झगडा हो जाना
  • धन की कमी आना भी संभव है क्योंकि ग्यारहवें भाव पर दृष्टि होने से सूर्य-देव यहाँ नुक्सान जरूर करेंगे
  • संतान में समस्याएं हो सकती हैं
  • सूर्य देव यहाँ जातक की बुद्धि को भी उग्र कर देंगे, इंसान जल्दी जल्दी काम करना चाहेगा, हर काम जल्दी भाग-भाग कर करने की कोशिश करने वाला होगा

कर्क लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


धन कुटुंब वाणी में सदैव समस्याएं
  • सदैव धन का आभाव रहने वाल है
  • सूर्य देव यहाँ गले या कंठ की तकलीफ दे सकते है, बहुत सारे लोगों को गले सम्बन्धी समस्याएं बनी ही रहती हैं
  • परिवार से दूर जाने का योग बनाएँगे सूर्यदेव
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कर्क लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य-देव अपने अति शत्रु घर/राशी में चले गए और यहाँ वो उसको ख़राब करेंगे
  • समस्याओं और बाधाओं को बढ़ा देंगे, क्योंकि अपने भाव से यहाँ सूर्य-देव छठे स्थान पर बैठे हैं
  • पत्नी से कभी नहीं बनने वाली, सामंजस्यता या ताल-मेल कभी नहीं रहने वाला - ना ही साझेदारी में ना  और ना ही पत्नी से
  • रोजी-रोजगार में भी स्थिरता नहीं रहतीरोजी-रोजगार सम्बन्धी भी समस्याएं जातक को सदा खड़ी ही मिलेंगी

कर्क लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम



कभी अच्छा फल नहीं देने वाले, सारी जिंदगी धन की कमी रहने वाली है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यंतर में सारी जिंदगी जातक समस्याएं ही झेलता है, जितनी बार अन्तर्दशा प्रत्यंतर आएंगी वो दिक्कत-परेशानियां ही देंगे क्योंकि सूर्य-देव यहाँ बाधाओं के भाव में बैठे हुए हैं
  • धन का आभाव रहने वाला है
  • उग्र वाणी से कईयों के साथ झगडा होने वाला है
  • परिवार से दूर जाने का योग बनता है
  • समस्याओं को बाद से बदतर करेंगे यहाँ सूर्य देव

कर्क लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • पिता सम्बंधित दिक्कत-परेशानियां, पिता से समन्वय एवम ताल-मेल कभी नहीं बनने देंगे सूर्य देव क्योंकि सूर्य देव अपने आप में एक क्रूर ग्रह है (यदपि पापी नहीं है), सूर्य-देव में विभाजक परवर्ती है और वो पिता से अलगाव कर देंगे और अलगाववादी किस्म के सम्बन्ध बना देगा, अछे सम्बन्ध कभी बनने देगा... क्योंकि जल राशि में अग्निकारक ग्रह आकर बैठा है और उसका नुक्सान करना तय है
  • धर्म को मानने में समस्याएं
  • विदेश यात्रा करने में अडचने
  • हर काम में उसको बाधाएं खडी मिलेंगी

कर्क लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव का आना अच्छा मन जाता है, क्योंकि यहाँ वो उच्च के हो जाते हैं
  • जातक की नौकरी उच्च की हो सकती है, जातक सरकारी विभाग में उच्च पद पर आसीन हो सकता है
  • लेकिन वाणी पर उसका अंकुश कभी नहीं रहता
  • जातक काम-काज, व्यवसाय या नौकरी में बहुत अच्छा स्थापित रहता है 
  • परन्तु माता से कभी नहीं बनने वाली, ये दिक्कत परेशानी साथ में ले कर चलेगा


कर्क लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


धन का मालिक लाभ में या लाभ का मालिक धन में होना एक अच्छा योग बनता है 
  • लेकिन यहाँ सूर्य देव का आना बहुत ज्यादा लाभदायक नहीं होगा, अगर वो पैसा ले कर आएगा तो साथ में स्वस्थ्य सम्बन्धी दिक्कत-परेशानियां भी लाएगा
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं भी चलती रहेंगी

कर्क लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ जातक को धन कुटुंब वाणी, तीनो के सम्बन्धी समस्याएं रहती हैं
  • बहुत सारे मालों में देखा गया है की जातक को छोटी आयु में ही विदेश पढने भेज दिया या बोर्डिंग में पढने भेज दिया
  • जब से जातक अपना होश संभालता है वो अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए पैसों के पीछे भाग रहा होता है और पैसे उससे हमेशा दो कदम आगे होता है
  • दशा-अंतरा में अस्पताल का खर्चा भी होगा स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी आएंगी क्योंकि छठे भाव पर भी दृष्टि है
  • कलह कलेश भी होता रहेगा
  • मानसक शांति भी भंग रहती है
  • कोर्ट-केस, मुकदमा, दुर्घटना आदि भी दशा-अन्तर्दशा में होने का योग बनता है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (३) के परिणाम मिथुन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H3 - 08012018

सूर्य के परिणाम मिथुन लग्न के अलग अलग भावों में




मिथुन लग्न की कुंडली 



मिथुन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक बहुत मेहनती होगा
  • जातक का व्यक्तित्व बहुत रोबदार होगा 
  • वो छोटी यात्राएं करने वाला होगा
  • छोटे भाई का योग बनेगा और जातक छोटे भाई की बहुत देख-भाल करने वाला और ध्यान रखने वाला होगा
  • सूर्य देव इस लग्न कुंडली में बहुत ज्यादा अच्छा फल नहीं देने वाले क्योंकि इस लगन कुंडली में वो मेहनत का घर या विभाग ले कर बैठे हैं और मेहनत, छोटे भाई बहन और छोटी यात्राएं आज की दुनिया में कोई बहुत ज्यादा नहीं चाहता

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • धन कुटुंब वाणी से तो सदैव परेशानियां बनी ही रहेंगी
  • लेकिन वाणी में एक अतिरिक्त उग्रता आना सूर्य देव का स्वाभाविक चरित्र हो जाता है, जो की पूरी जिंदगी में कभी अच्छा फल नहीं देगा , जातक सदैव उलटी बात करता है .. क्योंकि सूर्यदेव का वाणी में बैठना और  वाणी को उग्र करना एक स्वाभाविक तत्व बना देता है, इस तरह का आदमी अपशब्द पहले निकलता है और बात बाद में करता है
  • बाधाएं, तनाव, अवसाद पर दृष्टि अच्छी नहीं होती और इनमें बढ़ोतरी करती है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में सूर्यदेव यहाँ धन का आभाव भी रखते हैं, वाणी में भी दिक्कत-परेशानियां देते हैं और परिवार से दूर जाने का योग भी बनाते हैं

मिथुन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ स्वः राशि के होते हैं
  • जातक का छोटे भाई का योग जरूर बनता है
  • जातक छोटी यात्राएं जरूर करता है
  • वो जातक सदैव सामान्य से ज्यादा मेहनत कर के ही अपने काम निकलवा पता है
  • सूर्य देव यहाँ पिता से बहुत ज्यादा नहीं बनने देते
  • धर्म को बहुत ज्यादा नहीं मानने देते
  • छोटी यात्राएं जरूर करवाते है और विदेश यात्रा भी करवा देते हैं सूर्य देव क्योंकि विभाजक परवर्ती है सूर्य देव की और ये सब वो जरूर करते हैं 
  • सूर्य देव यहाँ जातक को विदेश यात्रा जरूर करवा देते है

मिथुन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • माता से सदैव मन मुटाव रहत है, माता से कभी बनने नहीं देते
  • अगर जातक का मकान, गाडी, भूमि, वाहन लेना हुआ तो सूर्य देव की दशा अन्तर्दशा में सदैव विलम्ब से होता है, काम विलम्ब हो कर बनता है और वो सदैव परेशानियों का कारण बनता है
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में काम काज भी बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद ही जातक स्थिर हो पता है

मिथुन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


इस कुंडली में सूर्य देव का पंचम भाव में होना सबसे अशुभ मन जाता है, क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
  • भाई बहनों से कलेश बना रहता है
  • पेट में दिक्कत परेशानियां बनी रहती हैं
  • अगर शुक्र की स्थिति भी कुंडली में ख़राब हुई तो संतान का विलम्ब से होना य बहुत से मामलों में न होना भी देखा गया है
  • अनिश्चित हानि होने का योग बनता है
  • धन का अभाव रहता है
  • मानसिक शांति भंग हो जाती है
  • जातक की याददाश्त पूर्ण रूप से गड़बड़ा जाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ पूरण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देते 
  • भाव तो गलत है ही लेकिन सूर्यदेव का यहाँ होना जातक की अनावश्यक मेहनत, भाग दौड़ और परिश्रम करा के भी कम्पटीशन/प्रतियोगिता में फेलियर करवा देते हैं, जितनी मर्जी जातक भाग दौड़ कर ले पर प्रतियोगिता में जीतने के काबिल कभी बनता ही नहीं  है, थोड़े से अंतर से उसको दिक्कत परेशानी दे देते हैं और वो जातक प्रतियोगिताओं में सदैव पराजीत होता ही मिलता है
  • फ़िज़ूल का व्या कहीं ना कहीं होता ही रहता है, जातक अपने खर्चे संभालने की जितनी मर्जी कोशिश करे उसके खर्चे सँभालते नहीं हैं... वो जितना कोशिश ज्यादा करता है उतने ही खर्चे और फैलते जाते हैं और यहाँ सूर्य देव बहुत बड़ी परेशानी देते हैं
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मिथुन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देते
  • विवाहिक सुख में सदैव प्रशानियाँ बनी ही रहती हैं
  • लड़कियों की कुंडली देखो तो उनके विवाह में विलम्ब इतना हो जाता है के जातक समझ ही नहीं पाते की विवाह कब होना है और विवाह के बाद भी पति/जीवनसाथी से मन मुटाव सदैव बना रहता है
  • साझेदारी में भी सदैव परेशानियां रहती हैं
  • और रोजी-रोजगार में भी सदैव दिक्कत-परेशानियां चलती ही रहती हैं... आमदनी का जरिया खुलता और बंद होता रहता है, ऐसी स्थिति सूर्य देव यहाँ उत्पन्न कर देते हैं

मिथुन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • छोटे भाई बहनों से अपनी दशा-अन्तर्दशा में सदैव परेशानियां बनी रहती हैं , छोटे भाई बहनों के साथ जातक के सम्बन्ध कभी स्थिर हो ही नहीं पाते
  • धन कुटुंब वाणी सम्बंधित भी सूर्य देवता सदैव परेशानियां देते हैं चाहे जितनी मर्जी जातक मेहनत कर ले पर अपने आप को वो कभी स्थिर नहीं कर पाता, सदैव उसकी समस्याएं दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करती हैं, कहीं तो लोग मेहनत/परिश्रम कर के दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करती हैं पर यहाँ दशा-अन्तर्दशा में जातक की समस्याएं दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करते हैं, जातक एक परेशानी समेटता है तो दूसरी पहले ही आकर खड़ी हो जाती है
  • यहाँ जातक समस्याओं को कभी संभाल ही नहीं पाता
  • और धन का आभाव सदा बना रहता है, जितना मर्जी जातक धन के पीछे भागे पर कहीं ना कहीं कमी बनी ही रहती हैं... वो जातक अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता और उसके लिए उसे खपना जरूर पड़ता है 

मिथुन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव यहाँ भाई का योग जरूर बनाते हैं
  • छोटी यात्राओं का योग बनाते हैं
  • जातक पराक्रमी होता है
  • लेकिन पिता से कभी नहीं बनती, पिता से सदैव दिक्कत रहने का योग बनता है 
  • सूर्य देव यहाँ छोटी यात्राओं का योग भी बना देते हैं ... ये छोटी यात्राओं का योग उसके लिए सदा समस्याएं लेकर आता है क्योंकि यात्राओं में सदा उसको खपना पड़ता है व्यर्थ की भाग-दौड़/मेहनत करना पड़ता है और तब जा कर उसे थोडा बहुत सकारात्मक परिणाम मिलता है 
  • जातक विदेश यात्रा कर के और वहां से आकर भी कभी संपन्न नहीं हो पता, कभी अपने आप में संपूर्ण नहीं हो पता और जो वो चाहता है या जिन चीजों का पाने के वो योग्य होता है वो चीज उसे नहीं मिल पाती सूर्य की दशा-अन्तर्दशा में
  • पिता के साथ सदैव मन मुटाव किसी न किसी बात पे बना ही रहता है 
  • यहाँ जातक धर्म को बहुत ज्यादा नहीं मानता क्योंकि सूर्य देव यहाँ जातक को जिद्दी बना देते है, सूर्य देवता का यहाँ होना जातक को धर्म से दूर ले कर जाता है क्योंकि वो प्रक्रम में विश्वास करता है और धर्म से दूर जाने में अपनी भलाई समझता है जातक की सोच ये हो जाती है की कोई मेरा क्या संवार लेना लेगा, इस तरह की प्रवृत्ति जातक के अन्दर आजाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • काम-काज को स्थापित करने के लिए जातक को मेहनत सामान्य से ज्यादा करनी पड़ती है 
  • सूर्य देव की दशा अन्तर्दशा में जातक कई जगह प्रयास करता है और कई असफलताओं के बाद ही कहीं जा कर स्थापित हो पता है
  • जातक अगर व्यवसाय करता हो तो सदैव उसको किसी न किसी अवरोध का सामना करना पड़ता है और भाग दौड़ भी सदा लगी ही रहती हैं
  • यहाँ सूर्य देव इंसान को एक जगह टिकने ही नहीं देता , छोटी यात्रा लगी रहती है, इंसान को अपना होश तक नहीं रहता
  • लेकिन यहाँ जातक अपने छोटे भाई बहनों को स्थापित करने के लिए प्रयास करने से कभी पीछे नहीं हटता, छोटे भाई बहनों के लिए खपने को सदैव वो जातक तत्पर होता है, जितना मर्जी काम हो कहीं न कहीं समय निकाल कर के छोटे भाई बहनों के परिणामों को सकारात्मक जरूर कर देगा
  • माता पर दृष्टि कभी अच्छी नहीं मानी जाती, सदैव दिक्कत परेशानी वाली ही मानी जाती है

मिथुन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं पर उच्च का सूर्य देवता भी यहाँ बहुत अच्छा फल कभी नहीं देता क्योंकि मेहनत को उच्च का कर दिया, छोटे भाई बहनों के विभाग का बड़े भाई बहनों के घर में आकर उच्च का होना बहुत ज्यादा लाभदायक नहीं होता 
  • जातक अगर मंझला बेटा हुआ तो न तो बड़े भाई बहन उसका साथ देते हैं और न ही छोटे भाई बहन उसका साथ देते हैं पर वो सदा उनके लिए खपता ही चला जाता है
  • पर यहाँ सूर्य देव पुत्र प्राप्ति का योग जरूर ले कर आते हैं
  • कभी धन की कमी नहीं आती पर धन का आगमन बहुत ज्यादा मेहनत और खपने के बाद होता है, उसके परिणाम जातक को तब मिलते हैं जब उसकी मेहनत अपने शिखर पर पहुँच जाती ह
  • यहाँ उच्च का सूर्य होना बहुत ज्यादा अच्छा नहीं मन जाता क्योंकि मेहनत का विभाग उच्च का हुआ है मतलब मेहनत का कई गुना बढ़ जाना जो अच्छा नहीं मन जाता
  • छोटी मोटी स्वस्थ सम्बन्धी समस्याएं भी आती है यहाँ

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देवता कभी भी अपनी दशा-अन्तर्दशा में अच्छा फल नहीं देते, सदैव समस्याओं को खड़ा ही रखते हैं जातक के लिए
  • इंसान इतनी मेहनत करने के बाद भी अपने खर्चे पूरे नहीं कर पता तो उसके दिमाग में आता है की में तो सिर्फ खर्चे पूरे करने के लिए पैदा हुआ हूँ
  • रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा ये सारी समस्याएं अपनी दशा अन्तर्दशा में वो जरूर देते हैं



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (२) के परिणाम वृषभ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H2 - 01122017

सूर्य के परिणाम वृषभ लग्न के अलग अलग भावों में




वृषभ लग्न की कुंडली 



वृषभ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


सदैव कुंडली के लिए अछे हो गए I सुख सुविधाएं उठा कर जातक ने अपने सर के ऊपर रख ली
  • जातक गाडी, भूमि, वहां हर सुख सुविधा से सदैव आपको संपन्न ही मिलेगा
  • जातक का व्यक्तित्व सामान्य से कई गुना आपको निर्भीक/दबंग/दिलेर मिलेगा
  • सूर्य देव इस कुंडली में सम ग्रह मन जाता है, ये मारक नहीं है, क्योंकि एक बहुत अछे घर का मालिक और लग्नेश शुक्र का अति शत्रु हैं
  • इसलिए अगर लगन में पड़ा होगा तो जातक के लिए लाभदायक या फायेदेमंद होगा I सुख सुविधाओं से सारा जीवन परिपूर्ण रक्खेगा

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम



  • धन की कमी जातक को कभी नहीं आएगी
  • परिवार से सदा लगाव रहने वाला है 
  • लेकिन वाणी कहीं न कहीं उग्र जरूर हो सकती है, क्योंकि सूर्यदेवता उग्रता के कारक हैं, एक आक्रमक ग्रह हैं सूर्यदेव | यहाँ वो ये दिक्कत परेशानी जरूर दे सकता है

वृषभ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव कभी अछे फल नहीं देंगे
  • सदैव माता से दिक्कत-परेशानी ही रक्खेंगे जातक की, माता से सदैव मन मुटाव बना रहेगा
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक अगर गाडी, भूमि, वाहन, मकान लेना चाहेगा तो उसे बहुत ज्यादा मेहनत मुशक्कत के बाद ये चीज़ मिलेगी... जल्दी नहीं मिलने वाली | ज्यादा मेहनत करवाएगी ये दशा-अन्तर्दशा
  • पिता से भी नहीं बनने वाली | उनसे भी सहमति बनने में दिक्कत परेशानी आती रहेंगी, पिता की उचित देखभाल वो नहीं करने वाला
  • धर्मं को जातक उचित तरीके से मानने वाला नहीं होगा, क्योंकि सूर्य देवता अपने आप में एक विभाजक ग्रह है, वो हर चीज़ से अलग जरूर करता है
  • यहाँ फ़िज़ूल के व्या फ़िज़ूल के खर्च जरूर करवाएगा, क्योंकि ये फ़िज़ूल की मेहनत का घर है, यहाँ फ़िज़ूल की मेहनत करवाना वो तय कर देता है 
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में मकान भी बदलवा देता है, दशा-अन्तर्दशा में गाडी भूमि में भी बदलाव ला देता है

वृषभ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्ये देव अपनी स्वः राशी के होते है
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में माता से लाभ, गाडी भूमि वाहन मकान हर चीज़ का एडवांटेज मिलेगा और जातक माता की बहुत ज्यादा रेस्पेक्ट करने वाला होगा 
  • दशा अन्तर्दशा में अगर जातक का अगर बिगड़ा स्वभाव भी होगा तो भी माता की सदा वो सुनने वाला होगा, मने चाहे बेशक न पर माता से आर्गुमेंतिवे कभी नहीं हो पाएगा

वृषभ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


अपनी दशा-अन्तर्दशा में ये अच्छा फल जरूर देंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग बना देंगे
  • ये अनिश्चित लाभ भी दे सकते हैं
  • गाडी सुख-सुविधाएं सारी चीज़ों से लाभ जातक को जरूर देंगे
  • जातक के दिमाग में धर्म को मानने की क्षमता और योग्यता विकसित कर देंगे और वो जातक के लिए सदैव अच्छी मानी जाएगी
  • पेट सम्बन्धी तोड़ी बहुत परेशानी जरूर दे सकते हैं
  • लेकिन कुल मिलाकर सदैव अछे ही बने रहेंगे, क्योंकि सम ग्रह हैं ये नुक्सान नहीं कर सकते, मित्र के घर में गए तो ठीक रहेंगे, शत्रु के घर में गए तो थोडा बहुत नुक्सान जरूर कर सकते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


सदैव दिक्कत परेशानी देंगे क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं

  • जब भी दशा-अन्तर्दशा चलेगी कोर्ट-केस मुकदमेबाज़ी दुर्घटना मानसिक-तनाव देंगे
  • व्यय का होना तय है
  • माता की सेहत को भी दिक्कत परेशानी रहेगी
  • गाडी भूमि वाहन में भी कलेश जरूर खड़ा करेंगे
  • अगर किसी जातक का मकान बनने वाला हुआ तो सूरज की दशा-नत्र्दशा में कभी नहीं बनेगा
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वृषभ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम



  • विवाह में विलम्ब करना स्वाभाविक हो जाएगा 
  • लेकिन पति सदैव अच्छा मिलेगा, क्योंकि सूर्य देव अपने मित्र की राशी में गए हैं
  • स्वयं पर दृष्टि डालेंगे सूर्य देव तो व्यक्तित्व को अच्छा जरूर कर देंगे
  • यहाँ अपनी सुख सुविधाएं उठा कर पत्नी को दे दी, पत्नी के आने के बाद यानी जातक के विवाह के बाद उसकी सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी जरूर होगी

वृषभ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


पूरण जिन्दगी अपनी दशा-अन्तर्दशा में अच्छा फल कदापि नहीं देंगे, क्योंकि ये बाधाओं का घर है
  • माता को उठाया और बाधा और तनाव के घर में रख दिया
  • धनं कुटुंब वाणी सम्बन्धी भी सदा अपनी दशा-अन्तर्दशा में दिक्कत-परेशानी ही मिलेंगी
  • जातक सारी जिंदगी अपनी वाणी पर काबू नहीं रख पाता
  • दूसरे भाव को सदा ख़राब करते हैं बुरी तरह से और उसके परिणाम पूर्णतया नकारात्मक होते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम


  • पिता से सदैव मन-मुटाव रहने का योग बनता है क्योंकि सूर्य एक आक्रामक ग्रह है और अपनी अति शत्रु राशि में चला गया है
  • तो पिता से सदैव दिक्कत-परेशानी बनी रहेंगी
  • धर्म को जातक जल्दी नहीं मानने वाला वो
  • छोटी यात्राएं जरूर करवा देगा वो अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • लेकिन मेहनत पर द्रष्टि दाल कर छोटे भाई-बहनों से कलेश और छोटी यात्राएं भी करवाएगा, जिसका पूरनता फल उसको कभी नहीं मिलने वाला

वृषभ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


  • काम-काज में परेशानियां जरूर देंगे, उसमें बाधाएं जरूर खडी करते रहेंगे क्योंकि ये अति शत्रु का घर है, काम-काज को कभी स्थिर नहीं होने देंगे, रूक-रूक के दिक्कत परेशानी दे के हर काम विलम्बसे क्योंकि ये अति शत्रु के घर में गया है
  • लेकिन यहाँ सूरज देवता को दिशा-बल जरूर मिल गया है, दिशा-बल मिलने से सूरज देवता काम-काज की अटकलों में बढ़ोतरी कर देंगे 
  • लेकिन मकान, गाडी बदलवा सकते हैं
  • माता से  स्टेबिलिटी बनवा सकता हैं
  • चोथे भाव सम्बन्धी सकारात्मक परिणाम देंगे 
  • लेकिन दशम घर सम्बन्धी बहुत अछे फल वो कभी नहीं देंगे क्योंकि ये उसकी अति शत्रु राशि है 
  • शनि देव की मूल त्रिकोण राशी में सूर्य देव का आना कभी भी पूरनता अच्छा नहीं माना जाता

वृषभ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम



कभी अच्छा फल नहीं देंगे अपनी दशा-अन्तर्दशा में
  • थोडा सा लाभ दे कर के, बिल्कुम मात्र थोडा सा लाभ देंगे
  • बड़े भाई बहनों से कलह कलेश मचा देंगे 
  • छोटी मोती स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी दे देंगे 
  • मानसिक शांति भंग कर देंगे
  • लेकिन एक लाभ वो जरूर देंगे - पुत्र प्राप्ति का योग निश्चित कर देंगे , जातक को पुत्र प्राप्ति जरूर होगी
सूर्य मंगल और ब्रहस्पति ये तीनो पुरुष ग्रह माने जाते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम



यहाँ सूर्य देव उच्च के हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में यही सूरज देवता आपका भट्टा बिठाने वाला है, क्योनी ये भाव गलत है, व्यय का भाव है जो कभी भी आपको अच्छा फल नहीं देगा, जो ग्रह भी उसमें जाएगा वहां की परेशानियां वो जरूर देगा
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में इंसान जितना मर्जी कम ले सदैव खर्चा उसको सर पे ही खड़ा मिलेगा , वो सारी जिंदगी अपने खर्चे पूरण कर ही नहीं पाता और वो उसी चक्कर में घूमता रह जाता है एक सिमटता नहीं है दूसरा पहले से ही खड़ा रहता है और जातक को ये परेशानियां सदैव बनी रहती है
  • छठे भाव सम्बन्धी भी सदा परेशानियां देंगे मुकदमेबाजी दुर्घटना मुकदमा देंगे क्योंकि आक्रामक ग्रह है और ये सारी चीज़ें गड़बड़ जरूर करते है



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं

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सूर्य (१) के परिणाम मेष लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H1 - 01122017

सूर्य के परिणाम मेष लग्न के अलग अलग भावों में




मेष लग्न की कुंडली 



मेष लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य यहाँ उच्च के हो जाते हैं, यहाँ उनको दिशा-बल नहीं मिलता... लेकिन बहुत अच्छा फल...
  • एक अलग पर्सनालिटी का निखार लाने में बहुत अच्छा योग बन जाता है
  • शीर्ष पर उच्च के होने से सूर्य देवता यहाँ उस जातक का तेज़ बढ़ा देते हैं
  • जातक प्रशाशन का अधिपत्य ले कर पैदा होता है और उसके पास कहीं न कहीं कोई न कोई शासन-प्रबंधन और प्रशासनिक व्यवस्था का नियंत्रण उसके पास जरूर होता है
  • जात किसी न किसी कुटुंब का कुनबे का मुखिया होता है
  • दांपत्य सुख, साझेदारी और रोजी-रोजगार के लिए भी बहुत अच्छ करेंगे सूर्य देव 

मेष लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सदैव अच्छा फल देंगे
  • बस एक नकारात्मक घटक ये होगा की सूर्य देव यहाँ जातक की वाणी को उग्र जरूर कर्र देंगे
  • जातक अपने दिल दिमाग को इतना दोड़ाएगा की वो अपने जीवन की बाधाओं को अपने दिमाग की उर्जा द्वारा सफलता से कम या ख़तम कर लेगा यानी दिमाग लगा कर या जुगत लगा कर हटा जरूर लेगा जातक

मेष लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


मिले जुले फल
  • छोटे भाई का याग जरूर बन जाता है कहीं ना कहीं
  • फ़िज़ूल की मेहनत होती है पर उसके परिणाम जरूर मिलते हैं 
  • थोडा बहुत पिता से मन मुटाव जरूर रहता है 
  • विदेश यात्रा भी जरूर हो जाती है 
  • धर्म को भी जिद से इंसान मान लेता है

मेष लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम


बहुत अच्छा फल देते हैं
  • माता गाडी भूमि वाहन सम्बंधित बहुत अच्छा फल देते हैं
  • कहीं न कहीं माता से थोडा बहुत मनमुटाव जरूर रहता है क्योंकि जल राशी में अग्नि ग्रह सूर्य देव आगये
  • काम काज में सदा सकारात्मक परिणाम देते हैं I  काम काज का नया रास्ता खोल देते हैं
  • अगर जातक नौकरी कर रहा हो तो उसकी पदोन्नति जरूर करवा देते हैं सूर्य देव
  • जातक को यहाँ मेहनती बना देते हैं सूर्य देवता

मेष लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम


स्व राशी में सूर्य देव
  • संतान सम्बन्धी सदा अच्छा फल देते हैं
  • अविश्वसनीय-आकस्मिक लाभ जरूर देते हैं सूर्य देव
  • पेट सम्बन्धी दिक्कतें जल्दी अनहि देते 
  • पुत्र प्राप्ति का योग भी बना देते हैं
  • जातक की याददाश्त बहुत तेज़ कर देते हैं
  • दिमाग को थोडा उत्तेजित जरूर बनाये रखते हैं क्योंकि सूर्य देव में भी क्रूरता है (पपित्व नहीं है, सूर्य देव देवताओं में आते हैं)
  • छोटी मोटी स्वस्थ सम्बन्धी दिक्कतें आती हैं

मेष लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


पूरण जिंदगी कभी अच्छा फल नहीं देते
  • दशा अन्तर्दशा में संतान सम्बन्धी दिक्कतें
  • जातक का दिमाग कभी शांत नहीं रहता
  • स्वस्थ सम्बन्धी समस्या, पेट में दक्कत परेशानियां
  • रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा कोर्ट-केस सम्बन्धी समस्याएं
  • फ़िज़ूल का व्य भी इंसान का करवाते ही रहते हैं, जातक कभी अपने खर्चों को संभाल ही नहीं पता
  • हॉस्पिटल के खर्चे भी होते रहते हैं
  • सदैव नकारात्मक परिणाम और दिक्कत परेशानियां
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मेष लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देव यहाँ नीच के हो जाते हैं
  • दांपत्य सुख में कलह कलेश
  • पार्टनरशिप-साझेदारी में भी दिक्कत परेशानी आजेंगी
  • दैनिक रोजी-रोजगार भी बुरी तरह प्रभावित होंगे I चरता चलता काम एक दम से रुकने का योग बन जाएगा

मेष लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


दशा-अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल नहीं देंगे, सदैव नकारात्मक परिणाम ही देंगे
जिस घर में सूर्य देवता गए हैं उसकी शांति भी अच्छी तरह से कुंडली का विवेचन किये बगैर कभी न करवाएं क्योंकि यहाँ ये लग्नेश मंगल का घर है
  • कलह कलेश में बढ़ोतरी
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • नुक्सान में बढ़ोतरी
  • धन कुटुम्ब वाणी सम्बंधित दिक्कत परेशानियां
  • धन की कमी
  • वाणी के उग्र होने से परेशानियां
  • परिवार से दूर जाने का योग भी बना देंगे क्योंकि सूर्य देवता भी एक विभाजक प्रवृत्ति वाले ग्रह माने जाते हैं 

मेष लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव कुंडली के लिए बहुत अछे हो गए
  • जातक धर्मं को मानने वाला होगा
  • जातक पिता की केयर करने वाला होगा
  • जातक विदेश यात्रा करने वाला होगा
  • छोटे भाई-बहनों से प्रेम प्यार कर के उनके लिए खुद से प्रयास करने वाला होगा
  • छोटी फ़िज़ूल की यात्राएं जरूर करवाएगा पर उसका परिणाम थोडा सा विलम्ब कर के ही सही पर जरूर देगा

मेष लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव दिशा बलि हो जाते हैं और ये अपने आप में एक सम्पूर्णता ले कर आता है, यहाँ सूर्य देव को अपने आप में बल मिलता है
  • काम काज का एक नया आयाम देते हैं I काम काज को नयी उंचाइयां देते हैं
  • जातक को सरकारी नौकरी का योग भी बनता है
  • सरकारी शासन-प्रबंधन में जातक की भूमिका जरूर होती है
  • राजनीती में जाने का योग और राजनीती के बाद शासन में जाने का योग भी बनता है
  • माता गाडी भूमि वाहन से भी लाभ देते हैं, घर बनाने में मदद करते हैं, माता से प्रेम प्यार बढ़ा देते हैं
  • जातक जीवन की बाधाओं को अपनी मेहनत से कम कर लेता है

मेष लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम


शनि देव की मूल-त्रिकोण राशी में सूर्य देव बहुत अच्छा फल देंगे
  • बड़े भाई बहनों का योग बनाएँगे और उनसे लाभ दिलवाएँगे
  • लाभ में बढ़ोतरी करेंगे
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां भी देंगे I 
  • पुत्र प्राप्ति का योग बनाएँगे
  • आकस्मिक लाभ देंगे
  • प्रेम-प्रसंगों में भी जातक कामयाब जरूर होगा
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं नहीं होने देनेगे

मेष लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम


सूर्य देवता यहाँ कारक नहीं बल्कि मारक मने जाते हैं
  • संतान से सदा परेशानियां
  • मानसिक अशांति बनी रहेगी
  • जातक की याददाश्त कमजोर रहती है
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं बनी रहती हैं
  • आकस्मिक नुक्सान जरूर होता है
  • फ़िज़ूल के व्यभी जातक कभी संभाल नहीं पाता
  • रोग, ऋण, शत्रु, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा कोर्ट-केस सम्बन्धी समस्याएं कहीं न कहीं लगी ही रहती हैं जातक की



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  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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Important Tips - Blog 111 - 17112017

IMPORTANT TIPS







  • ​​If in someone's chart Shani dev & Mangal dev both are marak or their placement is bad. Then the best way to get rid of bad/inauspicious/malefic effects of both the planets is to donate matchbox to any beggar/cleaner etc. This will play a important role in calming down the malefic effects

  • ​If someone is under debt & the creditor is continuously bothering even after assuring to pay the loan amount on a certain date. Then pluck a Peepal (sacred fig) leaf on Saturday, write the name of that person(creditor) on that leaf & put that leaf into flowing water after sunset on same Saturday. This will divert the mind of creditor & you will time to repay/arrange the loan amount or debt



  • ​If someone is frequently facing car/bike accidents or their vehicle is getting damaged frequently on roads. Befor leaving home if people facing such issues do a paath of Hanumaanji or just pray to Bajrangbali"Hey bajrangbali apni kripa drishti daya drishti sadeev banaye rakhein". This is very auspicious & Bajrangbali will help making your drive safe.

  • ​Generally, their are problems regarding peace & prosperity at home. As center of home is considered as 'Brahma Dev', a neat & clean center of home free from anything like footwear, dirt/dust, heavy weights will surely help in bring peace & prosperity. So, measure & mark exact center of home & keep it neat & clean as its very auspicious.

  • ​Generally, people are confused about to whom we should pray/bow or greet 1st in the morning. So, once we get down from bed do 'Pranam' to all directions & complete a round saying "sabhi dishaon ko mera koti-koti pranaam ho", this is greeting to all the directions (East- Surya, West - Shani, North - Kuber, South - Mangal). This way you will get blessings from all the directions & it will help you in coming out of any bad/worse dasha-antardasha of unfavourable planets making you life stable.

  • If Sun is Marak in someone's chart or is badly placed & not giving favourable results, such guys should touch feet & take blessings of elderly people like father or fatherly figures (grand-father, taya, chacha  etc.) in the morning & before stepping out. This will surely help reducing the bad impact or inauspicious effects of ill placed/marak Sun.

  • ​Couples generally feel that relation between them is not peaceful or there is no love, affection, care between them as it was earlier. Such couples if put portrait/pictures of King-Queen or Radha-Krishna in their bedroom, will surely help in making married life & personal relations more happy.


  • ​Most of the horoscopes are affected badly or suffer from ill/inauspicious effects of Shani/Rahu/Ketu. If people donate a iron knife in a Temple or Gurudwara where it can be used for preparing food in langar or communion meal, it will surely hep in reducing the ill effects of Shani/Rahu/Ketu & make life easier.

  • ​​Housewives/ladies have complaint that relationship between husband/wife is not good, no one care or listen to each other, loose patience fast & indulge in arguments frequently. If wife offer a glass of water to husband when he come home after work then this will play a very important role in making relationship happier as water is considered as Moon & help making a person calm & caring

  • For maintaining prosperity at home, rope a money-plant at & take care of it on daily basis. This will surely help in making life happy & prosperous

  • Property dealers most of the time complain that they are facing difficulty in making a deal or they are facing obstacles or delay in deals. Plant a Pomegranate (Anaar) in a garden or at some open place & wait till it start giving fruits. As Pomegranate represents Mars (Mangal dev), this will make out ways & start give positive results in property dealing. Planting Pomegranate is also good/auspicious for family & younger siblings

  • Scissor is considered & represents Shani & Rahu dev. For maintaining prosperity at home, never play with scissor as empty scissor cut the peace & prosperity of home & increase wasteful expenses. Playing with scissor activate Shani-Rahu & increase arguments/problems/obstacles in life.

  • ​​Never buy movable iron(metal) items like car/bike/cycle etc. on Saturday as it is considered very inauspicious. Saturday is considered as stable(स्थाई) day & movable iron items bought on Saturday won't last for long & activate problems/obstacles in life.

  • ​To carry forward their generation people aspire for child (संतान).​​ Jupiter (ब्रहस्पति देव) is karak for child (संतान). Once you enter the conception period, husband-wife together should do paath of Brahaspati with 108 beads mala chanting "ॐ ब्रहस्पत्ये नमः" or "ॐ गुर्वे नमः" daily in the morning. This will make excellent yoga for conceiving child (संतान)

  • ​Most of the time people get pissed-off as their work related to Government/Administration get interrupted or their Government contracts get delayed or files get into issues. A small gift to father or fatherly figures like taya/chacha etc. which they want most or is their favourite (clothes/eatables etc.) will help making Surya Dev happy & this will help you in coming out of such Govt./Admin. related issues.

  • ​90% of people consult for horoscopes during the sinful/inauspicious period of Shani/Rahu/Ketu. If you are going thru same... then the best way to cope with it is to donate black or dark blue socks to any 4th class employee like beggars-cleaners-maid etc & he/she should wear it daily. This is the best way to tackle the ill effects of Shani/Rahu/Ketu & calm them instantly.






Note: 
  • Don't wear stone or perform donation (दान) without carefully studying the placement of planet
  • Majorly all the above effects will be visible in dasha-antardasha
  • Many other factors like viprit-raajyoga, neech-bhang-raajyoga, placement/conjunction of other planets & degree/combustion/retrogression of planets in eastern horizon will impact the results
  • To get rid of negative effects remedial measures must be taken after consulting a professional Astrologer
  • Don't get worried if people try to scare you by telling that you have Kaal-Sarpa, Pitra or Mangal dosha. Remedies are very simple which you can perform yourself
  • Never-ever be casual while selecting Gem-stones. Even Pearl (Moti) & Yellow Sapphire (Pukhraj) can be fatal & spoil life badly if not suiting your chart



For detailed analysis of horoscope get the appointment from:
Vikas Bhardwaj
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