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चन्द्र (३) के परिणाम मिथुन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H15 - 11022018

चन्द्र के परिणाम मिथुन लग्न के अलग अलग भावों में




मिथुन लग्न की कुंडली 



मिथुन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • इंसान के निर्णय लेने की क्षमता में सदैव कमी रहने वाली है उसमें आत्मविश्वास की भी कमी रहती है
  • दशा-अन्तर्दशा जब भी चलगी वो इंसान को कभी स्थिर नहीं होने देगी सदैव इन्सान को दिक्कत-परेशानियां ही देगी
  • अगर ये धन का थोडा सा आगमन करवाएगी तो साथ में तनाव-समस्याएं भी ले कर आएगी
  • जातक सदैव दुविधा में रहता है या अस्थिरचित्त वाला होता है
  • इंसान के पास पैसा आने से पहले जाने के लिए तयार खड़ा होगा क्योंकि चंद्रमा अति शत्रु के घर चला गया है
  • जातक की वाणी पर उसका कभी नियंत्रण नहीं होगा और उसमें सदैव वो परेशानी ही देंगे

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा स्वः राशि के हो गए
  • जातक की वाणी बहुत अच्छी होगी
  • धन और परिवार के लिए बहुत अच्छा हो गया
  • परन्तु यहाँ जातक के जीवन की बाधाएं भी सक्रीय हो जाती हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक धन तो अर्जित करेगा लेकिन उतनी ही मुसीबतों और मानसिक तनावों से जूझता रहेगा
  • मानसिक शांति भंग होने की स्थिति बार-बार उसे आती ही रहेगी 

मिथुन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता कभी अच्छा फल नहीं देने वाले
  • व जरूरत से ज्यादा मेहनत से ही पैसा कमाना पड़ेगा
  • मेहनत का नकारात्मक परिणाम देना या अत्यधिक खप कर  परिणाम देना ऐसी स्थिति यहाँ चंद्रमा देवता पैदा कर देंगे
  • चंद्रमा यहाँ पिता से कभी नहीं बनने देंगे, जातक पिता को सदैव गलत ही समझेगा

मिथुन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक की माता से कभी नहीं बनने वाली, माता से कलह-कलेश रहने वाली है
  • माता को भी दिक्कत परेशानियां होंगी, माता को भी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होंगी
  • काम-काज कभी व्यवस्थित नहीं होने देंगे चन्द्र देव और कर्म में भी नकारात्मक परिणाम ही देंगे
  • जातक की छाती में भी विकार पैदा हो सकता है, जातक को छाती सम्बन्धी समस्याएं आ सकती हैं 
  • गाडी वाहन सुख-सुविधाएं अगर जातक को मिली होंगी तो वो कभी उनका भोग नहीं कर पाएगा, अगर खुद का बनाना पड़ा तो बनाते-बनाते उम्र निकल जाएगी उसकी

मिथुन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ जातक संतान से सदैव परेशान रहने वाला है
  • उसकी मानसिक शांति सदा भंग रहने वाली है
  • उसके आत्मविश्वास में सदा कमी रहेगी
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं
  • संतान से परेशान होना तो आम बात हो जाती है, क्योंकि संतान उसका कहना नहीं सुनती
  • लाभ में भी परेशानियां मिलना स्वाभाविक है

मिथुन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा नीच के हो जाते हैं
  • जातक मानसिक रूप से कभी स्थायी नहीं हो पाता, हमेशा दुविधा में ही रहेगा
  • चार ज्योतिष्यों के पास जाने वाले होगा क्योंकि चंद्रमा देवता मन का कारक है और मन नीच का हो गया तो इंसान को कभी स्थापित नहीं होने देता
  • धनं आएगा भी और जाएगा भी उसी रास्ते से, धनं अर्जित होगा तो नुक्सान उसका होना तय है
  • मानसिक शांति भंग रहने वाली है
  • जातक उलझन भ्रम दुविधा में रहता है

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मिथुन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव जातक की पत्नी से कभी नहीं बनने देंगे
  • पत्नी बड़ी खूबसूरत मिलेगी, पर उससे ताल-मेल या सहमती नहीं हो पाती
  • व्यापार में साझेदारी कभी कामयाब नहीं रहती

मिथुन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चन्द्र देव के यहाँ होने से जातक को सदैव धन का आभाव रहता है
  • सदैव परिवार में कलह-कलेश मचा रहता है
  • जातक सदा तनाव में रहता है
  • इंसान सदैव इसी सोच में लगा रहत है की में अपने खर्चे पूरे कहाँ से करूँ
  • चन्द्र की दशा-अन्तर्दशा को झेलना एक आम इंसान के बस की बात नहीं होती, वो जातक बहुत बड़ी दिक्कत-परेशानियों में रहता है

मिथुन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चन्द्र देव यहाँ पिता से कभी नहीं बनने देंगे, पिता से ताल-मेल सदैव परेशानी में रहेगी
  • जातक पैसों/खर्चों के लिए सदैव पिता पर निर्भर रहता है, यहाँ तक की विवाह होने और संतान होने के पश्चात् भी जातक की निगाह पिता के पैसों पर रहती है
  • जातक विदेश जा कर भी बैरंग लिफाफे की तरह बिना किसी परिणाम या लाभ के वापिस आ जाता है

मिथुन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्र अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक का काम कभी स्थापित नहीं होने देंगे, काम-काज को पूरी तरह से दिक्कत-परेशानियों में आजेगा
  • धन का आभाव रहेगा, अपने पूरण कर्म करने के बाद भी जातक अपने खर्चे पूरे नहीं कर पाएगा
  • माता के साथ कलह-कलेश रहने वाला है
  • जातक यदि गाडी, वाहन, भूमि, मकान बनान चाहेगा तो उसमें इतना विलम्ब होगा की उसे समझ में नहीं आएगा की मेरा काम हो क्यों नहीं रहा है

मिथुन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को धनं का आभाव सदा रहने वाला है
  • भाई बहन से कभी नहीं बनने वाली
  • धनं आएगा जरूर, लेकिन टिकने वाला कभी नहीं है
  • जातक की संतान भी दिक्कत-परेशानियां साथ में लेकर आएगी
  • यहाँ चन्द्र-देव भाई-बहनों से कभी नहीं बनने देंगे
  • जातक की मानसिक शांति भी चन्द्र देव भंग ही रहेंगे

मिथुन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते हैं और कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • जातक वास्तविकता से हट कर बाते करने या डींगे हांकने वाला होगा
  • फ़िज़ूल का व्यय जातक का होता ही रहेगा
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं, मानसिक अशांति/तनाव और उग्र वाणी होना तय है
  • जातक परिवार से दूर होता है
  • चन्द्र देव सदा परेशानियां ही देंगे



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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चन्द्र (२) के परिणाम वृषभ लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H14 - 11022018

चन्द्र के परिणाम वृषभ लग्न के अलग अलग भावों में




वृषभ लग्न की कुंडली 



वृषभ लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो गए हैं और जातक को सदा लाभान्वित करते है
  • जातक को मेहनती बना देते है
  • जातक के व्यक्तित्व में चंद्रमा एक बहुत अच्छी आभा ले आते है, जातक दिखने में बहुत आर्कशक दिखता है और उसका व्यक्तित्व सामान्य से ज्यादा सौम्य हो जाता है यानी शान्तमय और अच्छा हो जाता है, ये लाभ यहाँ जातक को सदैव मिलता है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता पत्नी से सम्बन्ध अच्छा करते हैं
  • पार्टनरशिप-साझेदारी में अच्छा करता है
  • और रोजी-रोजगार के भी नए रस्ते जरूर खोलता है

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


ये चंद्रमा की अति शत्रु राशी है
  • लेकिन जातक की वाणी बहुत मीठी होती है
  • जातक अपने परिवार के लिए मेहनत करने वाला होता है
  • जातक अपनी मेहनत से धन अर्जित करता है
  • और मेहनत से मुश्किलों को भाग-दौड़ कर कर दूर भी कर लेता है

वृषभ लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक छोटी बहन का योग जरूर बनवाता है
  • मेहनती होता है
  • छोटी यात्राएं जरूर करता है
  • जातक को मेहनत के बाद ही जीवन में सही फल मिल पता है

वृषभ लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ जातक को चंद्रमा देवता ये लाभ देते हैं की जातक की माता को मेहनत जरूरत से ज्यादा करनी पड़ती है
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में गाडी, भूमि, वाहन सम्बन्धी जो भी समस्याएं आती हैं वो भाग दौड़ मेहनत करने के बाद ही उनका समाधान होता है, यहाँ चंद्रमा देवता विलम्ब जरूर करते हैं
  • काम काज भी बहुत ज्यादा खपने के बाद ही जातक स्थापित हो पता है, इस तरह की दिक्कत-परेशानियां वो यहाँ अवश्य देते है

वृषभ लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा जातक की कुंडली में पुत्री का योग जरूर लेकर आती है
  • इंसान को बुद्धि से मेहनत जरूर करवाती है
  • जातक का प्रेम-प्रसंग बहुत अच्छा होता है
  • धन का आगमन भी मेहनत करने के बाद ही होता है
  • जातक को पेट में जल सम्बन्धी समस्याएं आती है

वृषभ लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चंद्रमा कभी अपनी पूरी जिंदगी में अच्छा फल नहीं देते
  • छोटे भाई-बहनों से बनने नहीं देते
  • फ़िज़ूल की यात्राएं, फ़िज़ूल के झगडे झमेले, फ़िज़ूल की मेहनत इंसान की चलती ही रहती है और वो कभी उचित परिणाम नहीं देती
  • फ़िज़ूल का व्यय चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा में होता ही रहता है, चंद्रमा देवता उसको कभी पूर्ण रूप से स्थापित होने ही नहीं देते
  • जातक की जितनी मर्जी आय हो, च्नाद्र्मा व्यय पर दृष्टि दाल कर कहीं न कहीं फ़िज़ूल का नुक्सान करवाते ही रहते हैं

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वृषभ लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा देवता बहुत बुरा फल देते हैं, क्योंकि यहाँ ये नीच के हो जाते हैं और ये सदा अशुभ मन जाता है
  • पत्नी से भी कलह-कलेश, पार्टनरशिप-साझेदारी में भी कलह-कलेश और रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित करते हैं अपनी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता
  • जातक के अछे भले चलते काम में ये रूकावट खडी कर देते हैं और काम पूरी तरह से दिक्कत-परेशानियों में आ जाता है, इस तरह की समस्याएं सदैव चंद्रमा देवता यहाँ देते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव छोटे भाई-बहनों से कभी बनने नहीं देते
  • छोटी यात्राओं का कभी उचित परिणाम नहीं मिलता 
  • मेहनत का पूरण फल इंसान को कभी मिलता ही नहीं है
  • हाँ वाणी जातक की थोड़ी संयत और मधुर जरूर होती हैं
  • लेकिन धन सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां और परिवार में भी कलह-कलेश व समस्याएं वो सदैव देते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा, शानि देव की साधारण राशी और कुंडली की मूल-त्रिकोण राशी में आगये
  • दशा-अन्तर्दशा में व्यर्थ की मेहनत-परिश्रम करने के बाद भी परिणाम नहीं मिलते
  • फ़िज़ूल की यात्राएं होती ही रहती हैं
  • पिता से भी थोडा बहुत मन-मुटाव  जरूर करवाते हैं चन्द्र देव

वृषभ लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक को जरूरत से ज्यादा मेहनत करवाएँगे, जातक का छोटा सा काम होगा लेकिन  उसके लिए उसको खपना बहुत पड़ेगा तभी चंद्रमा परिणाम देंगे
  • चंद्रमा यहाँ काम-काज में मेहनत बढ़ा देते हैं, जातक को सामान्य से ज्यादा परिश्रम कर के ही परिणाम मिलते हैं, अन्यथा परिणामों में सदैव कमी रहती है

वृषभ लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र देव अपनी पूरण दशा-अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल देते ही नहीं हैं
  • जातक मेहनत बड़े भाई-बहनों के अंतर्गत रह कर करता है
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या भी उसे रहती हैं, और उसके शरीर में जलीय सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्या भी रहती हैं
  • लाभ बहुत ज्यादा खपने/भागने के बाद मिलता है, चंद्रमा यहाँ फ़िज़ूल की मेहनत करवाने के बाद ही लाभ देने के काबिल बनेगा अन्यथा वो लाभ कभी नहीं देने वाला
  • यहाँ चंद्रमा पुत्री का योग भी जरूर बनवाते हैं

वृषभ लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


चंद्रमा यहाँ कभी अच्छा फल नहीं देंगे
  • पूरी जिंदगी में जब चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा चलती है, उसमें जातक जितनी मेहनत करता हैं उतना ही उसका व्यय हो जाता है और हम शुन्य हो कर वहीँ के वहीँ खड़े हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में दुर्घटना, मुकदमा, कोर्ट-केस/लिटिगेशन आदि समस्याएं जातक को सदैव खडी मिलती हैं



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech

Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
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चन्द्र (१) के परिणाम मेष लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H13 - 11022018

चन्द्र के परिणाम मेष लग्न के अलग अलग भावों में




मेष लग्न की कुंडली 



मेष लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • यहाँ चन्द्र देव सदैव अच्छा फल देगा
  • लेकिन एक थोडा सा नुक्सान ये जरूर देंगे की इंसान को अस्थिरचित्त वाला कर देंगे, क्योंकि अग्नि कारक राशी के ऊपर जल आना ज्यादा लाभ नहीं देता वो कहीं न कहीं इंसान को दुविधा में रखते हैं और जातक के निर्णय लेने में कमी जरूर ले आते है
  • लेकिन जातक को गाडी, भूमि, वाहन आदि सारी सुख-सुविधाएं ताउम्र मिलती हैं
  • जब भी चंद्रमा की दशा अन्तर्दशा चलती है इंसान के व्यक्तित्व में एक नयी आभा आती अहि एक नया निखार आटा है
  • जातक को पत्नी भी बहुत सुन्दर मिलती है, अगर लड़कियों की कुंडली है तो उसे पति बहुत सुन्दर मिलता है 
  • साझेदारी-पार्टनरशिप में फायदा होता है
  • रोजी-रोजगार में भी जातक को लाभ मिलता है

मेष लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा उच्च के हो जाते है
  • अपनी दशा अन्तर्दशा में जातक की परिवार से बनती है, परिवार से सहयोग मिलता है
  • अनिश्चित लाभ होता है
  • जातक बहुत अच्छी वाणी बोलने वाला होता है और उसको सदैव इस बात का लाभ मिलता है. यहाँ तक की जातक अपनी वाणी से ही अपनी सारी समस्याओं को दूर कर लेता है

मेष लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा पूरण जिंदगी अपनी दशा अन्तर्दशा में कभी अच्छा फल नहीं देते
  • जातक का विदेश प्रवास या विदेश जा कर बसने का योग बना देते है
  • जातक को अपनी सुख सुविधाएं खुद खडी करने के लिए भाग-दौड़ करनी पड़ती है
  • अगर चंद्रमा बलि हुआ तो जातक का कहीं न कहीं छोटी बहन का योग भी बनता है 
  • इंसान का फ़िज़ूल मेहनत फ़िज़ूल भाग दौड़ करवाते ही रहते है चन्द्र देव

मेष लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा अपनी स्व राशी में आगये हैं
  • जातक पूरी जिंदगी सारी सुख-सुविधाएं माता, गाडी, भूमि, वाहन से आजीवन भोगता है और उसे हर बात में लाभ मिलता है
  • चंद्रमा की महादशा अन्तर्दशा में उसके काम-काज में भी तरक्की होती है, काम-काज में नए रस्ते मिलते हैं और वो काम-काज ज्यादा अच्छा चला कर अपनी सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी कर के जीवन यापन सामान्य से ज्यादा अच्छा कर लेता है

मेष लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चद्रमा बहुत अछे माने जाते हैं
  • पुत्री का योग पहले बना देते हैं चन्द्र देव और पुत्र का योग बाद में आएगा
  • इंसान की स्मरण-शक्ति/यादाश्त बहुत तेज़ होती है
  • इंसान हर काम दिमाग से सोच कर करने वाला होता है
  • जातक के प्रेम-प्रसंग बड़ी अच्छी अच्छी जगह होते हैं, ऐसी जगह वो लव-रोमांस करता है जहाँ उसने कभी सोचा भी नहीं होता या जहाँ उसको कभी उम्मीद ही नहीं होती 
  • जातक को जीवन-साथी और घर-बार बहुत अच्छा मिलता है
  • जातक को अनिश्चित-लाभ भी करवा देते हैं चन्द्र-देव

मेष लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में चन्द्र के परिणाम


अपनी पूरी जिंदगी में जब भी चंद्रमा की दशा अन्तर्दशा चलती है जातक को सदैव समस्याएं ही देते हैं 
  • दशा-अन्तर्दशा में छठे भाव से सम्बंधित सारे नकारात्मक परिणाम देंगे
  • फ़िज़ूल का व्यय इंसान का सदैव होता ही रहेगा
  • जब से जातक का जनम होता है माता के स्वास्थ्य में कोई न कोई दिक्कत-परेशानियां सदैव बनी ही रहती है, कभी-कभी तो लम्बी बीमारियाँ भी देखि गई हैं चंद्रमा की दशा अन्तर्दशा में

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मेष लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में चन्द्र के परिणाम

  • अपनी दशा अन्तर्दशा में चंद्रमा अच्छा फल देंगे ही साथ ही जातक को जीवन-साथी बहुत खूबसूरत मिलेगा
  • रोजी-रोजगार और साझेदारी-पार्टनरशिप में भी जातक को लाभ मिलता हैं
  • चंद्रमा की लगन पर दृष्टि भी सदैव लाभान्वित करती है
  • यहाँ चद्रमा जातक के व्यक्तित्व को सौम्य-खुशनुमा-मधुर बना देता है, जातक सदैव मुस्कुराता हुआ हंसी-ख़ुशी मिलता है

मेष लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चन्द्र्म कभी अच्छा फल नहीं देंगे क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
  • अपनी दशा-अन्तर्दशा में जातक के जीवन की बाधाएं ख़तम ही नहीं होती
  • माता गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी समस्याएं खडी ही रहती हैं
  • धन कुटुंब वाणी सम्बंधित भी चंद्रमा दिक्कत-परेशानियां ही ले कर आते हैं

मेष लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा जातक को पूरण रूप से लाभान्वित करेंगे
  • जातक की पिता से बहुत बनती है, जातक पिता की मानने वाला, सुनने वाला, सलाह लेने वाला होता है
  • जातक धर्म को मानता है
  • विदेश यात्रा करने का योग भी बनता है

मेष लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा जातक के लिए अच्छा हो जाता है
  • दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा देवता सदैव काम-काज में लाभ देंगे, यहाँ वे काम-काज में वृद्धि के लिए बाध्य हो जाते हैं, दशा-अन्तर्दशा में जातक को काम-काज में तरक्की मिलती है, काम-काज के नए रस्ते खुलते हैं
  • सदैव गाडी, भूमि, वाहन, मकान जो भी बनने वाला होगा उसमें चंद्रमा सदैव लाभ देने वाले बनेंगे

मेष लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


  • यहाँ जातक को बड़े भाई-बहन से लाभ मिलता है
  • छोटा रोग जरूर लग सकता है
  • चन्द्र-देव यहाँ जातक को अनिश्चित लाभ भी करवाते है 

मेष लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में चन्द्र के परिणाम


यहाँ चंद्रमा की दशा-अन्तर्दशा जातक को कभी स्थिर नहीं होने देती
  • जातक का विदेश प्रवास जरूर हो जाता है
  • दशा-अन्तर्दशा में फ़िज़ूल का व्यय इंसान के गले पड़ा रहता है, और वो सदैव ऐसी समस्याएं देता है जो कभी ख़तम नहीं होती
  • रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा से सम्बंधित भी दशा-अन्तर्दशा में चंद्रमा सदैव समस्या देते ही रहते हैं और वो इंसान को कभी कभार रक्त सम्बन्धी समस्या भी देती हैं
  • यहाँ चंद्रमा जातक के मन को जल्दी परेशान कर देते हैं
  • चंद्रमा अगर पीड़ित हुए तो जातक का मन सदैव परेशान ही रहने वाला है, यानी अगर चंद्रमा नीच हुआ, राहू-केतु के प्रभाव में आगया या अस्त हुआ तो वो जातक सामान्य से ज्यादा परेशान बहुत जल्दी हो जाता है 


ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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सूर्य (१२) के परिणाम मीन लग्न के अलग-अलग भावों में - Blog H12 - 11022018

सूर्य के परिणाम मीन लग्न के अलग अलग भावों में




मीन लग्न की कुंडली 



मीन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम

  • जातक के स्वास्थ्य में सदैव छोटी मोटी समस्याएं लगी ही रहती हैं
  • जातक सदैव मानसिक रूप से अशांत रहता है
  • हाउस ऑफ़ कम्पटीशन में सफलता पाने में उसे बहुत समस्यें आती हैं
  • और सूरज की दशा-अन्तर्दशा में कोर्ट-केस/मुकदमा/लिटिगेशन, दुर्घटना, स्वास्थ्य सम्बन्धी लम्बी बीमारियाँ आदि सारी समस्याएं आती हैं
  • पार्टनरशिप, दाम्पत्य सुख में भी समस्याएं और रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित कर के सूर्य देवता जीवन यापन में दिक्कत-परेशानियां लाते हैं

मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम


सूरज यहाँ उच्च के हो जाते हैं
  • ये अपनी दशा-अन्तर्दशा में रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा तो देंगे
  • वाणी भी उग्र कर देंगे
  • परिवार से दूर भी ले जाएँगे, परिवार से साथ भी छुडवा देंगे
  • धन का आभाव भी सदैव बनाये रक्खेंगे
  • आठवें भाव की सारी बाधाएं सक्रीय कर के जातक के जीवन यापन में मुश्किलें ही पैदा करेंगे सूर्य देव
  • सूर्य देव इस कुंडली में कभी अछे माने ही नहीं जाएँगे

मीन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देव छोटे भाई-बहन से भी कलेश देंगे
  • छोटी-मोटी यात्राओं में दिक्कत-परेशानियां देंगे
  • फ़िज़ूल की मेहनत भी होते रहेंगी
  • पिता से मन मुटाव होगा
  • जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
  • विदेश यात्रा भी फ़िज़ूल की होती है, जिसका कोई उचित परिणाम नहीं मिलता
  • ये सब दिक्कत-परेशानियां सूर्य देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में देंगे

मीन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ स्थापित सूर्य द्वे माता की सेहत में समस्याएं देंगे
  • माता से सदैव मन-मुटाव रहने का योग भी सूर्य देव अवश्य बना देते हैं
  • माता गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी समस्याएं होंगी
  • भूमि-प्लाट लेने सम्बन्धी समस्याएं देंगे सूर्य देव
  • काम-काज सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां सदैव बनी ही रहेंगी
  • छाती सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं भी सूर्य देव उयन दे सकते हैं

मीन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम

  • संतान में विलम्ब होने का योग बनता है
  • पेट में सदा दिक्कत-परेशानियां रहने का योग बनता है
  • संतान से सदा मन-मुटाव रहता है
  • प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती है
  • अनिश्चित हानि रहने का योग भी सूर्य देव अवश्य बनाते हैं
  • बड़े भाई-बहनों से दिक्कत परेशानियां रहेंगी
  • लाभ में सदैव परेशानियां देंगे सूर्य-देव
  • छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जातक की लगी ही रहती हैं
  • ग्यारहवें भाव पर दृष्टि सदैव नकारात्मक मानी जाती है
  • जातक की कोई भी इच्छा पूर्ती जल्दी नहीं होती

मीन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम


अपनी ही राशी में यहाँ आगये सूर्य-देव
  • अगर ब्रहस्पति देवता बलि हुए और सूर्य देवता विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो यहाँ स्तःपित सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में बहुत अच्छा फल देंगे
  • हाउस ऑफ़ कम्पटीशन में कामयाबी दिलवा कर, कोर्ट-केस/लिटिगेशन अगर आपका कोई चल रहा हो तो उस से भी छुटकारा दिलवा कर के आपको पूरणता लाभ देंगे यहाँ सूर्य-देव
  • लेकिन अगर ब्रहस्पति बलि नहीं हुए तो यही सूरज देवता कोर्ट-केस/लिटिगेशन में फंसा कर के आपकी जिंदगी में दिक्कत-परेशानियां और बढ़ा देंगे
  • जातक का फ़िज़ूल का व्यय होता है
  • फ़िज़ूल की जेल यात्रा तक होना, फ़िज़ूल का अस्पताल का खर्चा होना भी सूर्य देव यहाँ देते हैं
  • जातक के घर-परिवार में किसी न किसी का रोगों से ग्रस्त रहना
  • ये सारी परेशानियां सूर्य-देव दे कर जातक के जीवन यापन की मुश्किलओं में बढ़ोतरी कर के सारे परिणाम नकारात्मकता की तरफ ले जाएंगे

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मीन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूरज देवता दाम्पत्य-सुख, पार्टनरशिप में दिक्कत परेशानियां देंगे
  • रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित करेंगे 
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी छोटी-मोटी समस्याएं दे कर जातक की मानसिक शांति पूरणता भंग कर देंगे
  • जातक की पिता से कभी नहीं बनने वाली 

मीन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम


  • यहाँ सूरज देवता विपरीत राज योग की स्थिति में पूरणता नहीं आएँगे क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
  • नीच का सूर्य देवता आपके जिंदगी में समस्याएं और ज्यादा बढ़ा देगा
  • जातक के जीवन में तनाव-बाधाएं बढ़ जाएंगी
  • धन का आभाव सदा रहने वाला है
  • परिवार जातक का साथ कभी नहीं देंने वाला 
  • जातक की वाणी भी अनावश्यक रूप से उग्र हो जाया करती है

मीन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम

  • यहाँ सूर्य देव पिता के स्वास्थ्य में समस्याएं देंगे
  • विदेश जाने में भी बाधाएं खडी करेंगे
  • जातक धर्म को भी जल्दी मानने वाला नहीं होगा
  • छोटे भाई बहन से सम्बंधित भी कलेश होगा
  • फ़िज़ूल की मेहनत होती रहेगी
  • छोटी-मोटी फ़िज़ूल की यात्रा भी होती रहेंगी जिसका पूरणता सकरात्मक परिणाम जातक को कभी नहीं मिलने वाला

मीन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम


यहाँ सूर्य देव दिशा बलि हो जाते हैं, दिशाबली होने की वजह से उनका नकारात्मक बल बढ़ जाता है
  • प्रोफेशन/काम-काज में समस्याएं देंगे
  • जातक की अपने अफसर से बनने नहीं देंगे 
  • अगर जातक सूरज की दशा अन्तर्दशा में इन्वेस्टमेंट लगा कर काम करना चाहे तो वो कभी भी कामयाब नहीं होंगी
  • माता से भी मन मुटाव सदा रहेगा
  • गाडी भूमि माकन वाहन का सुख जल्दी नहीं मिलने वाला 
  • अगर जातक का मकान बनना हुआ तो सूरज की दशा अन्तर्दशा में उसमें सदैव विलम्ब होता चला जाएगा लटकता चला जाएगा और जातक उसके लिए जरूरत से ज्यादा खपने के बाद ही उचित परिणाम निकाल सकता है 

मीन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • सूर्य देव बड़े भाई का योग जरूर बना देंगे
  • लेकिन यहाँ पर फाइनेंस-पैसे सम्बन्धी सदैव दिक्कत-परेशानियां रक्खेंगे
  • छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लगाये रक्खेंगे
  • जातक की कोई भी मनोकामना जल्दी पूरी नहीं होने देंगे, यानी इच्छाओं की पूर्ति में विलम्ब होगा
  • जातक एक छोटी सी चीज़ लेने तक में ४-५ महीने सोचने में ही लगा देगा, वो यहाँ विलम्ब जरूर करेंगे
  • पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बनेगा
  • पेट सम्बन्धी समस्याएं खडी रहेंगी
  • जातक का प्रेम-प्रसंगों में असफलता जरूर होगी
  • यहाँ सूर्य देव जातक की स्मरण-शक्ति को बुरी तरह प्रभावित करेंगे
  • जातक को भूलने की आदत होती है, क्योंकि सूरज एक विभाजक परवर्ती वाले ग्रह है
  • बुद्धि पर दृष्टि डाल कर बुद्धि के सम्बंधित भी परिणाम पूरणता नकारात्मक देते हैं
  • सूरज देवता की दृष्टि अनिश्चित हानि तक करवा देती है 

मीन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम

  • अगर ब्रहस्पति देव बलि हुए और सूर्य देवता विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ स्थापित सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में बहुत अच्छा फल देंगे
  • लेकिन अगर ब्रहस्पति बलि नहीं हुए तो सूर्य देवता फ़िज़ूल का इतना व्यय करेंगे की जातक पूरणता मानसिक रूप से अशांत हो जाता है
  • जातक समझ नहीं पाता की में जीवन यापन के लिए पैदा हुआ हूँ या खर्चे पूरे करने के लिए
  • विदेश जाने में भी बाधाएं अन्यथा आती रहती हैं, बिना कारण के ही कोई न कोई झमेला जातक के लिए खड़ा रहता है
  • रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा के सम्बंधित भी पूरणता नकारात्मक परिणाम दे कर जातक हमेशा दिक्कत-परेशानियों में रहता है, जातक की समस्याएं कभी ख़तम होने में ही नहीं आती और उसकी जीवन यापन की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाती हैं
  • यहाँ सूरज देवता अशुभ माने जाएँगे अगर विपरीत राज योग की स्थिति में ना आये तो



ध्यान दें: 
  • ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
  • ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
  • विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है 
  • ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
  • कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
  • रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं 

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