सूर्य के परिणाम मीन लग्न के अलग अलग भावों में
मीन लग्न की कुंडली
मीन लग्न की कुंडली के प्रथम (पहले) भाव में सूर्य के परिणाम:
- जातक के स्वास्थ्य में सदैव छोटी मोटी समस्याएं लगी ही रहती हैं
- जातक सदैव मानसिक रूप से अशांत रहता है
- हाउस ऑफ़ कम्पटीशन में सफलता पाने में उसे बहुत समस्यें आती हैं
- और सूरज की दशा-अन्तर्दशा में कोर्ट-केस/मुकदमा/लिटिगेशन, दुर्घटना, स्वास्थ्य सम्बन्धी लम्बी बीमारियाँ आदि सारी समस्याएं आती हैं
- पार्टनरशिप, दाम्पत्य सुख में भी समस्याएं और रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित कर के सूर्य देवता जीवन यापन में दिक्कत-परेशानियां लाते हैं
मीन लग्न की कुंडली के द्वितीय (दूसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
सूरज यहाँ उच्च के हो जाते हैं
- ये अपनी दशा-अन्तर्दशा में रोग, ऋण, कर्जा, दुर्घटना, मुकदमा तो देंगे
- वाणी भी उग्र कर देंगे
- परिवार से दूर भी ले जाएँगे, परिवार से साथ भी छुडवा देंगे
- धन का आभाव भी सदैव बनाये रक्खेंगे
- आठवें भाव की सारी बाधाएं सक्रीय कर के जातक के जीवन यापन में मुश्किलें ही पैदा करेंगे सूर्य देव
- सूर्य देव इस कुंडली में कभी अछे माने ही नहीं जाएँगे
मीन लग्न की कुंडली के तृतीय (तीसरे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव छोटे भाई-बहन से भी कलेश देंगे
- छोटी-मोटी यात्राओं में दिक्कत-परेशानियां देंगे
- फ़िज़ूल की मेहनत भी होते रहेंगी
- पिता से मन मुटाव होगा
- जातक धर्म को जल्दी नहीं मानता
- विदेश यात्रा भी फ़िज़ूल की होती है, जिसका कोई उचित परिणाम नहीं मिलता
- ये सब दिक्कत-परेशानियां सूर्य देव अपनी दशा-अन्तर्दशा में देंगे
मीन लग्न की कुंडली के चतुर्थ (चौथे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ स्थापित सूर्य द्वे माता की सेहत में समस्याएं देंगे
- माता से सदैव मन-मुटाव रहने का योग भी सूर्य देव अवश्य बना देते हैं
- माता गाडी भूमि वाहन सम्बन्धी समस्याएं होंगी
- भूमि-प्लाट लेने सम्बन्धी समस्याएं देंगे सूर्य देव
- काम-काज सम्बन्धी भी दिक्कत-परेशानियां सदैव बनी ही रहेंगी
- छाती सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याएं भी सूर्य देव उयन दे सकते हैं
मीन लग्न की कुंडली के पंचम (पांचवे) भाव में सूर्य के परिणाम:
- संतान में विलम्ब होने का योग बनता है
- पेट में सदा दिक्कत-परेशानियां रहने का योग बनता है
- संतान से सदा मन-मुटाव रहता है
- प्रेम-प्रसंगों में असफलता मिलती है
- अनिश्चित हानि रहने का योग भी सूर्य देव अवश्य बनाते हैं
- बड़े भाई-बहनों से दिक्कत परेशानियां रहेंगी
- लाभ में सदैव परेशानियां देंगे सूर्य-देव
- छोटी मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जातक की लगी ही रहती हैं
- ग्यारहवें भाव पर दृष्टि सदैव नकारात्मक मानी जाती है
- जातक की कोई भी इच्छा पूर्ती जल्दी नहीं होती
मीन लग्न की कुंडली के षष्ठम (छठे) भाव में सूर्य के परिणाम:
अपनी ही राशी में यहाँ आगये सूर्य-देव
- अगर ब्रहस्पति देवता बलि हुए और सूर्य देवता विपरीत राज योग की स्थिति में आगये तो यहाँ स्तःपित सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में बहुत अच्छा फल देंगे
- हाउस ऑफ़ कम्पटीशन में कामयाबी दिलवा कर, कोर्ट-केस/लिटिगेशन अगर आपका कोई चल रहा हो तो उस से भी छुटकारा दिलवा कर के आपको पूरणता लाभ देंगे यहाँ सूर्य-देव
- लेकिन अगर ब्रहस्पति बलि नहीं हुए तो यही सूरज देवता कोर्ट-केस/लिटिगेशन में फंसा कर के आपकी जिंदगी में दिक्कत-परेशानियां और बढ़ा देंगे
- जातक का फ़िज़ूल का व्यय होता है
- फ़िज़ूल की जेल यात्रा तक होना, फ़िज़ूल का अस्पताल का खर्चा होना भी सूर्य देव यहाँ देते हैं
- जातक के घर-परिवार में किसी न किसी का रोगों से ग्रस्त रहना
- ये सारी परेशानियां सूर्य-देव दे कर जातक के जीवन यापन की मुश्किलओं में बढ़ोतरी कर के सारे परिणाम नकारात्मकता की तरफ ले जाएंगे
______________________________________________________________________________________________
मीन लग्न की कुंडली के सप्तम (सातवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूरज देवता दाम्पत्य-सुख, पार्टनरशिप में दिक्कत परेशानियां देंगे
- रोजी-रोजगार को भी बुरी तरह प्रभावित करेंगे
- स्वास्थ्य सम्बन्धी छोटी-मोटी समस्याएं दे कर जातक की मानसिक शांति पूरणता भंग कर देंगे
- जातक की पिता से कभी नहीं बनने वाली
मीन लग्न की कुंडली के अष्ठम (आठवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूरज देवता विपरीत राज योग की स्थिति में पूरणता नहीं आएँगे क्योंकि यहाँ वो नीच के हो जाते हैं
- नीच का सूर्य देवता आपके जिंदगी में समस्याएं और ज्यादा बढ़ा देगा
- जातक के जीवन में तनाव-बाधाएं बढ़ जाएंगी
- धन का आभाव सदा रहने वाला है
- परिवार जातक का साथ कभी नहीं देंने वाला
- जातक की वाणी भी अनावश्यक रूप से उग्र हो जाया करती है
मीन लग्न की कुंडली के नवम (नवं) भाव में सूर्य के परिणाम:
- यहाँ सूर्य देव पिता के स्वास्थ्य में समस्याएं देंगे
- विदेश जाने में भी बाधाएं खडी करेंगे
- जातक धर्म को भी जल्दी मानने वाला नहीं होगा
- छोटे भाई बहन से सम्बंधित भी कलेश होगा
- फ़िज़ूल की मेहनत होती रहेगी
- छोटी-मोटी फ़िज़ूल की यात्रा भी होती रहेंगी जिसका पूरणता सकरात्मक परिणाम जातक को कभी नहीं मिलने वाला
मीन लग्न की कुंडली के दशम (दसवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
यहाँ सूर्य देव दिशा बलि हो जाते हैं, दिशाबली होने की वजह से उनका नकारात्मक बल बढ़ जाता है
- प्रोफेशन/काम-काज में समस्याएं देंगे
- जातक की अपने अफसर से बनने नहीं देंगे
- अगर जातक सूरज की दशा अन्तर्दशा में इन्वेस्टमेंट लगा कर काम करना चाहे तो वो कभी भी कामयाब नहीं होंगी
- माता से भी मन मुटाव सदा रहेगा
- गाडी भूमि माकन वाहन का सुख जल्दी नहीं मिलने वाला
- अगर जातक का मकान बनना हुआ तो सूरज की दशा अन्तर्दशा में उसमें सदैव विलम्ब होता चला जाएगा लटकता चला जाएगा और जातक उसके लिए जरूरत से ज्यादा खपने के बाद ही उचित परिणाम निकाल सकता है
मीन लग्न की कुंडली के एकादश (ग्यारहवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- सूर्य देव बड़े भाई का योग जरूर बना देंगे
- लेकिन यहाँ पर फाइनेंस-पैसे सम्बन्धी सदैव दिक्कत-परेशानियां रक्खेंगे
- छोटी-मोटी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं लगाये रक्खेंगे
- जातक की कोई भी मनोकामना जल्दी पूरी नहीं होने देंगे, यानी इच्छाओं की पूर्ति में विलम्ब होगा
- जातक एक छोटी सी चीज़ लेने तक में ४-५ महीने सोचने में ही लगा देगा, वो यहाँ विलम्ब जरूर करेंगे
- पुत्र प्राप्ति का योग जरूर बनेगा
- पेट सम्बन्धी समस्याएं खडी रहेंगी
- जातक का प्रेम-प्रसंगों में असफलता जरूर होगी
- यहाँ सूर्य देव जातक की स्मरण-शक्ति को बुरी तरह प्रभावित करेंगे
- जातक को भूलने की आदत होती है, क्योंकि सूरज एक विभाजक परवर्ती वाले ग्रह है
- बुद्धि पर दृष्टि डाल कर बुद्धि के सम्बंधित भी परिणाम पूरणता नकारात्मक देते हैं
- सूरज देवता की दृष्टि अनिश्चित हानि तक करवा देती है
मीन लग्न की कुंडली के द्वादश (बाहरवें) भाव में सूर्य के परिणाम:
- अगर ब्रहस्पति देव बलि हुए और सूर्य देवता विपरीत राज योग की स्थिति में आ गये तो यहाँ स्थापित सूर्य देवता अपनी दशा अन्तर्दशा में बहुत अच्छा फल देंगे
- लेकिन अगर ब्रहस्पति बलि नहीं हुए तो सूर्य देवता फ़िज़ूल का इतना व्यय करेंगे की जातक पूरणता मानसिक रूप से अशांत हो जाता है
- जातक समझ नहीं पाता की में जीवन यापन के लिए पैदा हुआ हूँ या खर्चे पूरे करने के लिए
- विदेश जाने में भी बाधाएं अन्यथा आती रहती हैं, बिना कारण के ही कोई न कोई झमेला जातक के लिए खड़ा रहता है
- रोग ऋण शत्रु कर्जा दुर्घटना मुकदमा के सम्बंधित भी पूरणता नकारात्मक परिणाम दे कर जातक हमेशा दिक्कत-परेशानियों में रहता है, जातक की समस्याएं कभी ख़तम होने में ही नहीं आती और उसकी जीवन यापन की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ जाती हैं
- यहाँ सूरज देवता अशुभ माने जाएँगे अगर विपरीत राज योग की स्थिति में ना आये तो
ध्यान दें:
- ग्रहों का कुंडली में सावधानी से अध्यान किये बगैर न तो कोई रत्न धारण करें और न ही कोई दान करें
- ग्रहों के प्रभाव मुख्यत: दशा-अन्तर्दशा में ही दिखाई देते हैं
- विभिन्न कारक जैसे विपरीत-राज-योग, नीच-भंग-राज-योग, कुंडली में ग्रहों की स्थिति और दूसरे ग्रहों से संयोजन, ग्रहों का कोण/अस्त/वक्रीय होना ... ग्रहों द्वारा दिए जाने वाले परिणामों को प्रभावित करते है
- ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए किसी अछे ज्योतिषी से संपर्क करने के पश्चात् ही कोई उपाय करें
- कई लोग आपको काल-सर्प, पित्र-दोष और मंगल-दोष आदि का डर दिखा कर अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्तियों की बातों से बिलकुल नहीं घबराएं, उपाय सरल और आसान होते हैं जिन्हें आप बिना किसी की मदद के आसानी से स्वयं कर सकते हैं
- रत्नों के चयन में कभी भी लापरवाही ना बरतें, मोती और पुखराज जैसे रत्न भी अगर कुंडली का उचित विवेचन किये बगैर पहने गए तो मृत्यु-तुल्य कष्ट तक दे सकते हैं
______________________________________________________________________________________________
कुंडली के विस्तृत विश्लेषण के लिए संपर्क करें:
Vikas Bhardwaj
MBA - IT/Finance (MDI Gurgaon), M.Tech - Applied Mechanics (NIT Bhopal), B.E - Mechanical (REC Bhopal)
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Past Experience - JPMorganChase & Co. / Capgemini / RRL / CresTech
Mob: +९१ ९८९९५७५६०६ / ९९२०३०३६०६
www.navgrhastro.com
पेमेंट करने की प्रक्रिय जानने के लिए नीचे क्लिक करें:
www.navgrhastro.com/contact.html